तुम कितनी कठोर हो, कितनी स्वार्थी हो, लानत है तुम्हारे होने पर, तुमने 9 माह के उस त्याग को, प्रसव वेदना को अपने उस बाप के प्यार को, भुला दिया। गज़ब है तुम्हारा प्रेम वो भी उस व्यक्ति के खातिर …
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