जब निराशा, हताशा, विषाद, मायूसी, उदासी, व्यथा घेर ले तो मन को खिन्न न होने दें। इतिहास, पुराण के कुछ पुराने पृष्ठों को याद कर लें। यही दिन (जेष्ठ की द्वादशी) था जब ऋष्यमूक पर्वत (कोप्पल), कर्नाटक, के वनों में …
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किष्किंधा के बजरंगबली बनाम जाखू के हनुमान : कर्नाटक चुनाव
सर्वाधिक विलक्षण वाकया हुआ था गत शनिवार (6 मई 2023) कर्नाटक के मतदान में। तब दोनों प्रतिद्वंदी पार्टियों ने एक ही ईश्वर की स्तुति की थी। सत्ता दिलाने का वर मांगा था। अंजनिपुत्र से उनका अनुनय था कि क्लेश-विकार-पीड़ा हर …
Read More »निकाय चुनाव की जीत से बढ़ा योगी का कद, 24 में दिखेगा असर
राम प्रकाश राय : उत्तर प्रदेश में हुए निकाय चुनाव में भाजपा को एकतरफा जीत मिली। सपा – बसपा का सूपड़ा साफ हो गया। इतना ही नहीं इस जीत के साथ ही भाजपा ने 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव …
Read More »ज़िन्दगी के रंगमंच से जितेंद्र मित्तल की एक्जिट
हर यायावर की अंतिम मंजिल मौत होती है। सैंचुरी बुड्ढा तो शायद कभी नहीं मरे लेकिन ऐसे बुड्ढे की कल्पना करने वाले रंगकर्मी जितेंद्र मित्तल के जीवन की यायावरी आज खत्म हो गई। कई दिनों से वो कैंसर से पीड़ित …
Read More »कनाडा में भी “अपणा मानुष” ! खालिस्तानियों ! बच के रहना !!
पश्चिम में अब फिर एक और भारतीय मूल का राजनेता उभरा है। अटकलें शुरू हो गईं कि कनाडा का प्रधानमंत्री वह संभावित बन सकता है। ब्रिटेन में किसने कब सोचा था कि पंजाब दा पुत्तर ऋषि सुनक वहां का प्रधान …
Read More »भविष्य का ईंधन, ग्रीन हाइड्रोजन
वर्ष 2023 की चार जनवरी को भारत के ऊर्जा इतिहास में एक और स्वर्णिम अध्याय जुड़ा। ये था प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल द्वारा राष्ट्रीय ग्रीन हाइड्रोजन मिशन को मंजूरी देकर ऊर्जा क्षेत्र में एक नए युग …
Read More »भारत सेक्युलर बना रहे, तभी “केरल स्टोरी” का अर्थ है !!
चर्चित फिल्म “दि केरल स्टोरी” की समालोचना के पहले इसी मसले पर उन व्यक्तियों की उक्तियां पेश हैं जो हिंदुत्व, भाजपा और संघ के कट्टर निंदक हैं, बैरी हैं, उनसे चिढ़ते हैं, घिन करते हैं। शुरू करें कामरेड वीएस …
Read More »मजदूर वर्ग में चेतना जागृत करने वाले महावीर प्रसाद और माधव राव सप्रे हिंदी के पहले लेखक
मई दिवस की भारतीय शताब्दी पर विशेष भारत में मजदूर दिवस मनाए जाने का यह शताब्दी वर्ष है। मई दिवस की शुरुआत 1 मई 1886 को अमेरिका से हुई थी लेकिन 1923 में भारत में आज ही के दिन चेन्नई …
Read More »कर्मभोगी नहीं, कर्मयोगी बनें
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस पर जब हमें अमृतकाल के पांच प्रण बताए तो उसमें नागरिकों का कर्तव्य सबसे आखिरी और सबसे खास संकल्प है। नागरिक चेतना और उसकी सतत सहभागिता ही किसी लोकतंत्र के जीवंत होने का प्रमाण …
Read More »समाजवादी तब श्रमजीवी होते थे !
के. विक्रम राव : आज सुबह हम मेहनतकशों की होली रही। दिवाली थी शाम को। विश्व मई (श्रमिक) दिवस है : मई माह की पहली तारीख। मगर दौर और हालात अब बदल गए। जब सदीपूर्व इसको मनाया जाना शुरू हुआ था …
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