उत्तराखंड

यात्रीगण कृपया ध्यान दें, बदल गया है कई ट्रेनों का समय

यात्रीगण कृपया ध्यान दें, बदल गया है कई ट्रेनों का समय

यात्रीगण कृपया ध्यान दें… अगर आप बुधवार के बाद ट्रेन से सफर करने जा रहे हैं तो एक बार टाइम टेबल देख लें। रेलवे ने दून से चलने और दून आने वाली ट्रेनों के समय में बदलाव किया है। नया …

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उत्तराखंड में जल्द खुलेंगे चार पॉली क्लीनिक, पूर्व सैनिक कई वर्षों से कर रहे थे मांग

जीओसी मेजर जनरल जेएस यादव ने कहा कि पूर्व सैनिकों को इलाज की सुविधा आसान करने के लिए प्रदेश में जल्द ही चार और पॉली क्लीनिक खोले जाएंगे। प्रदेश सरकार ने इसके लिए उत्तराखंड सब एरिया को चार जगह जमीन …

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उत्तराखंड: पत्नी ने शराब पीने से मना किया तो उसकी अंगुली चबा गया पति…

यहां एक पत्नी को पति से शराब पीने के लिए मना करना भारी पड़ गया। गुस्साए पति ने उसकी अंगुली चबा डाली। आइटीआई थाना में रोती-बिलखती पहुंची महिला ने थानाध्यक्ष को तहरीर देकर कहा कि शनिवार रात साढ़े दस बजे …

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सात लाख बच्चों की सेहत पर वित्तीय संकट, केला और अंडे को तरसे

राज्य के सात लाख से ज्यादा स्कूली बच्चों को मिड डे मील में अतिरिक्त पोषण पर संकट खड़ा हो गया है। उन्हें राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त दिया जाने वाला अंडा, केला और गुड़ पापड़ी नहीं मिल रहा है। वित्तीय अड़ंगा लगने से अतिरिक्त पोषण के लिए पांच महीने से धनराशि नहीं मिली है। वहीं सरकार से धन नहीं मिलने से परेशानहाल शिक्षकों की शिकायत से जागे शिक्षा महकमे ने इस मामले में अब धन देने की गुहार वित्त से की है। मिड डे मील के लिए राज्य के सरकारी विद्यालयों को धन मिलने में देरी के चलते परेशानहाल शिक्षा महकमे के सामने अब नई उलझन खड़ी हो गई है। राज्य के 17324 सरकारी और सहायताप्राप्त विद्यालयों के कक्षा एक से आठवीं के सात लाख पंद्रह हजार छात्र-छात्राओं को मिड डे मील दिया जा रहा है। राज्य के बच्चों को मिड डे मील में अतिरिक्त पोषण के लिए सरकार ने अपने स्तर से अंडा, केला और गुड़ पापड़ी देने को बंदोबस्त भी किया है। इसके लिए सालाना करीब 12 करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं। लेकिन, चालू वित्तीय वर्ष 2018-19 में लाखों स्कूली बच्चों को अतिरिक्त पोषण देने में बाधा खड़ी हो गई है। उत्तराखंड में 43 लाख लोगों की मातृ भाषा है हिंदी यह भी पढ़ें राज्य सरकार ने केंद्रपोषित योजना में केंद्रांश की प्रतीक्षा करते हुए राज्यांश के तौर पर 10 करोड़ की धनराशि जारी तो की है, लेकिन इससे मिड डे मील की व्यवस्था के साथ ही भोजनमाताओं के मानदेय का ही बामुश्किल भुगतान हो पाएगा। अतिरिक्त पोषण के लिए बीते करीब पांच महीने से बजट जारी नहीं हुआ है। बताया गया है कि शिक्षकों ने शुरुआती दौर में अपने स्तर पर ही अतिरिक्त पोषण आहार मुहैया कराने की कोशिश की, लेकिन धनराशि का इंतजार अब लंबा हो चला है। वहीं बीते वित्तीय वर्ष की शेष 3.50 करोड़ की धनराशि को वित्त महकमे के निर्देश पर सरकारी खजाने में जमा कराया जा चुका है। इस वजह से अतिरिक्त पोषण के लिए विभाग वैकल्पिक बंदोबस्त करने से भी लाचार हो उठा है। इस मामले में विद्यालयों से शिक्षकों ने विभाग से शिकायत की। इसके बाद जिलों से जिला शिक्षाधिकारी प्रारंभिक शिक्षा की ओर से धन की मांग करते हुए विभाग को पत्र भेजे गए हैं। वहीं इस संकट से निपटने को शिक्षा विभाग की ओर से शासन को प्रस्ताव भेजा गया है। मिड डे मील संयुक्त निदेशक पीएस बिष्ट ने शासन को प्रस्ताव भेजने की पुष्टि की। उधर, वित्त सचिव अमित नेगी ने अतिरिक्त पोषण के लिए धनराशि जल्द जारी करने का भरोसा दिलाया है।

राज्य के सात लाख से ज्यादा स्कूली बच्चों को मिड डे मील में अतिरिक्त पोषण पर संकट खड़ा हो गया है। उन्हें राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त दिया जाने वाला अंडा, केला और गुड़ पापड़ी नहीं मिल रहा है। …

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कैमरे में नजर आया आदमखोर गुलदार, मारने को वन कर्मियों ने संभाला मोर्चा

हरिद्वार-ऋषिकेश राजमार्ग पर रायवाला के पास एक बार फिर नरभक्षी गुलदार की लोकेशन ट्रेस हुई है। खतरे को देखते हुए पार्क प्रशासन अलर्ट मोड़ पर है और सुरक्षा कर्मियों ने उसे ढेर करने के लिए मोर्चाबंदी कर दी। वहीं, आसपास के क्षेत्र के लोगों में दहशत है। देर रात वनकर्मियों ने सत्यनारायण मन्दिर के पास बने मचानों में मोर्चा संभाला। दरअसल यहां एक बार फिर नरभक्षी गुलदार की लोकेशन ट्रेस हुई है। बता दें कि इस क्षेत्र में गुलदार नरभक्षी घोषित हैं। इनको मारने के लिए वन विभाग ने अनुमति ली हुई है। एक नरभक्षी गुलदार को बीते माह 10 जुलाई को वनकर्मियों ने खांडगांव के पास ढेर कर दिया था। यहां नरभक्षी गुलदार चार साल के अंतराल में 21 लोगों को निवाला बना चुका है। वह क्षेत्र में लगे कैमरा ट्रैप में एक नरभक्षी गुलदार फिर से सत्यनारायण मंदिर के आसपास देखा गया। गुरुवार को यहां गुलदार ने एक बकरी को मारा। जिसके बाद वनकर्मियों ने उसे ढेर करने की योजना बनाई। हाथी सवार टीम मोर्चा संभाले हुए है। पार्क निदेशक सनातन खुद टीम में शामिल हैं। हालांकि इस बारे में पार्क अधिकारियों की तरफ से कोई जानकारी नहीं मिल सकी। कैमरे से पता चला कि युवक को गुलदार ने बनाया निवाला यह भी पढ़ें आबादी क्षेत्र में घुसा गुलदार ऋषिकेश बैराज मार्ग पर काली कमली कुटिया के समीप एक गुलदार ने सड़क पार कर आवास-विकास के आबादी क्षेत्र में प्रवेश किया। मगर इसके बाद गुलदार का कुछ पता नहीं चल पाया। आतंक का पर्याय बने नरभक्षी गुलदार को वन कर्मियों ने मारी गोली यह भी पढ़ें जानकारी के मुताबिक रात्रि करीब 11:00 बजे ऋषिकेश बैराज मार्ग पर काली कमली कुटिया के समीप एक गुलदार अचानक सड़क पर आ गया। यहां से गुजर रहे दो पहिया और चौपहिया वाहन चालक सामने गुलदार को देख कर ठिठक गए। गुलदार ने सड़क पार की और आवास-विकास कॉलोनी की तरफ दीवार फांदकर कूद गया। सूचना पाकर आसपास क्षेत्र में रहने वाले लोग में हड़कंप मच गया। देर रात सूचना पाकर वन विभाग की टीम भी मौके पर पहुंची। क्षेत्रीय सभासद अशोक पासवान के मुताबिक वन विभाग की टीम गुलदार को आबादी क्षेत्र में सर्च किया गया। फिलहाल गुलदार का कुछ पता नहीं चल पाया है।

हरिद्वार-ऋषिकेश राजमार्ग पर रायवाला के पास एक बार फिर नरभक्षी गुलदार की लोकेशन ट्रेस हुई है। खतरे को देखते हुए पार्क प्रशासन अलर्ट मोड़ पर है और सुरक्षा कर्मियों ने उसे ढेर करने के लिए मोर्चाबंदी कर दी। वहीं, आसपास …

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डॉक्टर बनने की है ख्वाहिश तो ये खुशखबरी है आपके लिए

अगर आप नीट क्वालीफाइड हैं और आपका लक्ष्य एमबीबीएस की सीट है तो यह खबर आपके लिए है। अभ्यर्थियों को एमबीबीएस की राज्य कोटे की तय सीट से अलग भी राजकीय मेडिकल कॉलेजों में दाखिले का तोहफा मिलने जा रहा है। प्रदेश के तीन मेडिकल कॉलेजों में ऑल इंडिया कोटे की 27 सीट खाली रह गई हैं। इन पर भी दाखिला अब स्टेट कोटे के तहत होगा। यानी छात्रों को सरप्राइज एडमिशन की सौगात मिलने जा रही है। उत्तराखंड में तीन सरकारी मेडिकल कॉलेज हैं। इनमें श्रीनगर और हल्द्वानी में एमबीबीएस की 100-100 सीट हैं, जबकि दून मेडिकल कॉलेज में 150 सीट हैं। इनमें 15 प्रतिशत ऑल इंडिया और शेष स्टेट कोटे की सीटें हैं। नियमानुसार ऑल इंडिया कोटे की खाली सीटों का फायदा स्टेट कोटे पर दाखिला लेने वाले अभ्यर्थियों को मिलता है। यह सीट राज्य के खाते में आती है और इन अतिरिक्त सीटों पर एडमिशन प्रदेश के युवाओं को मिलता है। एमबीबीएस के दाखिले के लिए मुकाबला कड़ा है। सरकारी व गैर सरकारी कॉलेजों में दाखिले के लिए सैकड़ों दावेदार हैं, लेकिन विकल्प बेहद सीमित हैं। ऐसे में रिवर्ट हुई ये सीट प्रदेश के होनहारों के लिए किसी सौगात से कम नहीं हैं। एचएनबी उत्तराखंड चिकित्सा शिक्षा विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रो. विजय जुयाल ने बताया कि प्रदेश के तीन मेडिकल कॉलेज में ऑल इंडिया कोटे की 27 सीट रिक्त रह गई हैं। इनमें दून मेडिकल कॉलेज में 12 हल्द्वानी में सात और श्रीनगर की आठ सीट शामिल हैं। ऑल इंडिया कोटे के दाखिले खत्म हो चुके हैं। ऐसे में अब ये सीट राज्य को मिल गई हैं। जिन पर प्रदेश के युवाओं को ही दाखिला दिया जाएगा।

अगर आप नीट क्वालीफाइड हैं और आपका लक्ष्य एमबीबीएस की सीट है तो यह खबर आपके लिए है। अभ्यर्थियों को एमबीबीएस की राज्य कोटे की तय सीट से अलग भी राजकीय मेडिकल कॉलेजों में दाखिले का तोहफा मिलने जा रहा …

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शहीद की पत्नी ने किया सवाल, आखिर कब तक देते रहेंगे शहादत

साहब! यह सब क्या हो रहा है, कुछ करते क्यों नहीं...आखिर कब तक हमारे सुहाग इस तरह शहादत देते रहेंगे...? बिलबिलाते होठों और कांपती आवाज से निकला यह सवाल किसी ओर का नहीं बल्कि शहीद हमीर सिंह पोखरियाल की पत्नी पूजा का था। उन्होंने घर पर सांत्वना देने पहुंचे विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल व भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट से जब यह सवाल किया तो यहां मौजूद सभी लोग निरुत्तर रह गए। मंगलवार की दोपहर शहीद हमीर सिंह पोखरियाल के भट्टोंवाला मार्ग पर कुंजापुरी कॉलोनी गुमानीवाला स्थित घर में जैसे ही उनकी शहादत का समाचार पहुंचा। कोहराम मच गया। घर में शहीद की गर्भवती पत्नी पूजा, ढाई वर्ष की पुत्री अन्वी, मां राजकुमारी और भाई सुनील पोखरियाल ही मौजूद थे। सभी की स्थिति यह थी कि कोई एक-दूसरे के सामने अपने जज्बातों को जाहिर नहीं कर पा रहा था। कोई घर के कमरे में, कोई चौखट में तो कोई बरामदे में खामोश बैठकर अपने आंसुओं के समंदर को बांधे हुए था। मगर, जैसे ही आसपास के लोगों, परिचितों और रिश्तेदारों तक यह खबर पहुंची तो घर पर हजूम लग गया।

साहब! यह सब क्या हो रहा है, कुछ करते क्यों नहीं…आखिर कब तक हमारे सुहाग इस तरह शहादत देते रहेंगे…? बिलबिलाते होठों और कांपती आवाज से निकला यह सवाल किसी ओर का नहीं बल्कि शहीद हमीर सिंह पोखरियाल की पत्नी …

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उमा भारती और सानंद के बीच वार्ता विफल, कानून बनने तक जारी रहेगा उपवास

उपवास पर बैठे स्वामी ज्ञानस्वरूप सानंद (प्रो. जीडी अग्रवाल) की केंद्रीय मंत्री उमा भारती के साथ देर रात हुर्इ वार्ता विफल रही है। उमा भारती को छोटी बहन बताते हुए उन्होंने कहा कि वह व्यक्तिगत दबाव डालने का प्रयास कर रही थीं और वो इस मामले को असाइनमेंट के रूप में ले रही थी। उनका साफ कहना है कि कानून बनने तक उनका अनशन जारी रहेगा, भले ही उनके प्राण क्यों न चले जाएं। दरअसल, उमा भारती केंद्र सरकार के प्रतिनिधि के तौर पर स्वामी सानंद से मुलाकात करने हरिद्वार पहुंची। इस दौरान उमा भारती ने स्वामी सानंद को बताया कि एक्ट का मसौदा पूरी तरह तैयार है और वह संसद के अगले सत्र में कानून बनाने के लिए पेश किया जाएगा। इस पर स्वामी सानंद ने कहा कि इसमें कुछ संशोधन है उसे कर कर अध्यादेश के तौर पर तुरंत लागू करा दिया जाए। लेकिन इसको लेकर दोनों के बीच एक राय नहीं बन पार्इ और और देर रात करीब ढाई घंटे चली वार्ता बेनतीजा रही। गौरतलब है कि उमा भारती पूर्व में स्वामी सानंद को इस संदर्भ में पत्र भी लिख चुकी हैं। लेकिन स्वामी सानंद अध्यादेश के अलावा किसी भी तरह से समझौता नहीं करना चाहते हैं। उन्होंने केंद्र सरकार की प्रतिनिधि उमा भारती को अपना अनशन जारी रखने का इरादा जाहिर कर दिया है। वहीं, उमा भारती ने स्वामी सानंद के स्वास्थ्य को लेकर चिंता जाहिर की है और इस बात का विश्वास दिलाया है कि सरकार कानून बनाने के लिए गंभीर है पर कुछ व्यवस्थागत पेचीदगियां हैं, जिन्हें दूर करके संसद के अगले सत्र में इसे कानून बना दिया जाएगा। उन्होंने स्वामी सानंद से सहयोग करने और राष्ट्रीय हित में अपना अनशन समाप्त करने की अपील की। लेकिन स्वामी सानंद ने विनम्रता पूर्वक इसे अस्वीकार कर दिया। उपवास पर बैठे स्वामी सानंद को प्रशासन ने जबरन उठाया यह भी पढ़ें गंगा को लेकर गंभीर नहीं केंद्र सरकार स्वामी सानंद का कहना है कि गंगा और पर्यावरण की राह में जो बाधा है उसे लेकर केंद्र सरकार गंभीर नहीं है। पीएम मोदी और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी की गंगा में कोई रुचि नहीं है। अगर होती तो वे वार्ता को खुद यहां आते ना कि किसी को प्रतिनिधि के तौर पर भेजते। उन्होंने बताया कि गंगा एक्ट को लेकर उन्होंने केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी को पूर्व में पत्र भी लिखा। लेकिन उन्होंने जवाब देना तक भी उचित नहीं समझा। बोले सानंद, जीवित रहा तो रक्षा बंधन पर याद करना उमा बहन यह भी पढ़ें उन्होंने बताया कि केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी से फोन पर उनकी बात करवाई, जिसमें वो नमामि गंगे की उपलब्धियां गिना रहे थे। उनका कहना है कि इससे गंगा को कोई विशेष फायदा नहीं होने वाला है। साथ ही ये भी बताया कि गडकरी ने उन्हें अक्टूबर-नवंबर के सत्र में एक्ट पास होने का आश्वासन भी दिया। लेकिन उनका कहना है कि जबतक गंगा एक्ट संसद से पास नहीं हो जाता, तबतक उनका अनशन जारी रहेगा।

उपवास पर बैठे स्वामी ज्ञानस्वरूप सानंद (प्रो. जीडी अग्रवाल) की केंद्रीय मंत्री उमा भारती के साथ देर रात हुर्इ वार्ता विफल रही है। उमा भारती को छोटी बहन बताते हुए उन्होंने कहा कि वह व्यक्तिगत दबाव डालने का प्रयास कर …

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अल्मोड़ा और पौड़ी जिले के इतने गांव होंगे आबाद

पलायन की मार से सबसे अधिक प्रभावित अल्मोड़ा और पौड़ी जिले के 60 गांवों को आबाद करने की दिशा में सरकार पहल करने जा रही है। ये ऐसे गांव हैं, जिनकी जनसंख्या दो से 10 के बीच ही रह गई है। इन सभी गांवों के विकास के लिए ग्राम्य विकास एवं पलायन आयोग कार्ययोजना तैयार कर रहा है।राज्य में अल्मोड़ा और पौड़ी जिले ऐसे हैं, जहां जनसंख्या घटी है। इसकी वजह है गांवों से निरंतर हो रहा पलायन। इसे देखते हुए ग्राम्य विकास एवं पलायन आयोग ने पलायन की मार से त्रस्त गांवों को संवारने के लिए कार्ययोजना तैयार करने का निश्चय किया है। इस कड़ी में पहले चरण में अल्मोड़ा और पौड़ी के 30-30 गांवों को लिया गया है। आयोग के उपाध्यक्ष डॉ.एसएस नेगी बताते हैं कि महज दो से 10 के बीच जनसंख्या वाले इन गांवों का सर्वे कर वहा रह रहे लोगों की राय के आधार पर कृषि समेत आर्थिक गतिविधियों के लिए कार्ययोजना तैयार की जाएगी। सर्वे में इन गांवों में खाली पड़ी भूमि, घरों के उपयोग, मूलभूत सुविधाएं, सामाजिक-आर्थिक विकास से संबंधित कार्य समेत अन्य पहलुओं को शामिल किया जाएगा। डॉ.नेगी के अनुसार इस सर्वे के दौरान गांवों से पलायन कर चुके लोगों से भी रायशुमारी का प्रयास किया जाएगा। इसके पीछे मंशा यह है कि लोगों को रिवर्स पलायन के लिए भी प्रेरित किया जाए। यही नहीं, इन गांवों में सामूहिक खेती पर भी जोर दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि कार्ययोजना तैयार कर इसे सरकार को सौंपा जाएगा।

पलायन की मार से सबसे अधिक प्रभावित अल्मोड़ा और पौड़ी जिले के 60 गांवों को आबाद करने की दिशा में सरकार पहल करने जा रही है। ये ऐसे गांव हैं, जिनकी जनसंख्या दो से 10 के बीच ही रह गई …

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17 किलो सोना पहन डेढ़ करोड़ की कांवड़ के साथ यात्रा कर रहे गोल्डन बाबा

सोना पहनने को लेकर चर्चाओं में रहने वाले श्री पंच दशनाम जूना अखाड़े के महंत गोल्डन बाबा एक बार फिर कांवड़ लेकर हरिद्वार पहुंचे। वो शाम को कांवड़ लेकर वापस दिल्ली रवाना होंगे। 25 वीं बार कांवड़ यात्रा पर पहुंचे गोल्डन बाबा ने बताया कि इस बार उन्होंने 17 किलो सोना धारण किया हुआ है। जिसकी सुरक्षा के लिए उन्होंने निजी अंगरक्षकों को तैनात किया है। गोल्डन पुरी नाम से मशहूर दिल्ली के कारोबारी और श्री पंच दशनाम जूना अखाड़े के महंत गोल्डन बाबा इन दिनों कांवड़ लेने धर्मनगरी हरिद्वार आए हैं। उनकी विशेषता उनके द्वारा शरीर धारण किए गए स्वर्ण आभूषण हैं। आपको बता दें कि गोल्डन पुरी बाबा ने बहादराबाद के शनि देव मंदिर में अपना डेरा बनाया हुआ है। जहां से वो आज शाम कांवड़ लेकर दिल्ली के लिए रवाना होंगे। सिल्वर जुबली के लिए डेढ़ करोड़ की कांवड़ बाबा ने बताया कि इस बार वे अपनी कांवड़ यात्रा की सिल्वर जुबली मना रहे हैं। जिसके लिए उन्होंने रुड़की के कारीगर से विशेष रूप से कांवड़ तैयार कराई है, जो करीब डेढ़ करोड़ रुपए की है और इसे सोने के पत्र से सजाया गया है। कांवड़ में रखी शिव प्रतिमा को भी स्वर्ण आभूषण से सुसज्जित किया गया है।

सोना पहनने को लेकर चर्चाओं में रहने वाले श्री पंच दशनाम जूना अखाड़े के महंत गोल्डन बाबा एक बार फिर कांवड़ लेकर हरिद्वार पहुंचे। वो शाम को कांवड़ लेकर वापस दिल्ली रवाना होंगे। 25 वीं बार कांवड़ यात्रा पर पहुंचे …

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