देश

कांग्रेस नेता सोज बोले- सही है मुशर्रफ का बयान, आजादी ही चाहते हैं कश्मीरी

जम्मू-कश्मीर में मची राजनीतिक उथल-पुथल के बीच कांग्रेस के दिग्गज नेता सैफुद्दीन सोज़ ने बड़ा बयान दिया है. सैफुद्दीन सोज ने पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज़ मुशर्रफ के उस बयान का समर्थन किया है जिसमें उन्होंने कहा था कि अगर कश्मीरियों को मौका मिले तो वह किसी के साथ जाने के बजाय आजाद होना चाहेंगे. सोज़ का कहना है कि मुशर्रफ का एक दशक पहले दिया गया ये बयान आज भी कई मायनों में ठीक बैठता है. हालांकि, उन्होंने ये भी कहा कि ये आजादी मिलना मुमकीन नहीं है. मेरे बयानों का पार्टी से लेना-देना नहीं है. आजतक से बात करते हुए यूपीए सरकार में मंत्री रह चुके सोज़ ने अपनी आने वाली किताब में इस बात पर भी जोर दिया है कि केंद्र सरकार को हुर्रियत नेताओं के साथ खुले तौर पर बात करनी चाहिए. उन्होंने कहा है कि 1953 से आज तक जितनी भी सरकारें रही हैं उन्होंने कश्मीर मुद्दे में कोई ना कोई गलती की है, फिर चाहे वह नेहरू और इंदिरा गांधी की ही सरकार ही क्यों ना हो. आपको बता दें कि सैफुद्दीन सोज़ कश्मीर मुद्दे पर एक किताब ला रहे हैं जिसका नाम Kashmir: Glimpses of History and the Story of Struggle है. ये किताब अगले हफ्ते रिलीज़ होगी. कांग्रेस नेता ने कहा कि अगर केंद्र कश्मीर के मुद्दे को सुलझाना चाहता है कि उसे कश्मीरियों के प्रति एक ऐसा माहौल बनाना होगा जिससे वह सुरक्षित महसूस कर सकें और बातचीत को तैयार हो पाएं. बात करने के लिए हुर्रियत ग्रुप से पहले बात होनी चाहिए और उसके बाद मेनस्ट्रीम पार्टियों से बात होनी चाहिए. कश्मीर मुद्दे पर मुशर्रफ-वाजपेयी-मनमोहन के फॉर्मूले का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच संबंध बढ़ने चाहिए, आवाजाही बढ़नी चाहिए जब दोनों देशों के लोग करीब आएंगे तो ही बात बनेगी. उन्होंने बताया कि परवेज मुशर्रफ ने काफी हद तक अपने देश में इस तरह का माहौल बना लिया था कि ये ही एक रास्ता है जिससे शांति लाई जा सकती है. केंद्र सरकारों ने कश्मीर में की गई गलतियां धारा 370 के बारे में उन्होंने कहा कि भारत सरकार को इस बारे में पहले ही सोचना चाहिए था कि दिल्ली और शेख अब्दुल्ला के बीच 1952 में जो समझौता हुआ था वह सही तरीके से लागू नहीं हो पाया था. उन्होंने ये भी कहा कि उस दौरान नेहरू सरकार के द्वारा शेख अब्दुल्ला को गैरसंवैधानिक रूप से गिरफ्तार करना सबसे बड़ा ब्लंडर था. इस बात को नेहरू ने भी स्वीकार किया था कि कश्मीर में उनकी नीति सही नहीं गई थी. इसके अलावा सैफुद्दीन सोज़ ने लिखा कि उसके बाद भी भारत सरकार से कई बड़ी गलतियां हुईं, जिसमें 1984 के दौरान फारूक अब्दुल्ला सरकार को हटाकर जगमोहन को राज्यपाल बनाना भी शामिल है.

जम्मू-कश्मीर में मची राजनीतिक उथल-पुथल के बीच कांग्रेस के दिग्गज नेता सैफुद्दीन सोज़ ने बड़ा बयान दिया है. सैफुद्दीन सोज ने पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज़ मुशर्रफ के उस बयान का समर्थन किया है जिसमें उन्होंने कहा था कि अगर …

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जम्मू-कश्मीर: हालातों पर काबू के लिए राज्यपाल ने बुलाई आपातकालीन बैठक

गौरतलब है कि 2015 में चुनाव के बाद जम्मू कश्मीर में बीजेपी और पीडीपी के बीच गठबंधन हुआ था जिक्से बाद पीडीपी की महबूबा मुफ़्ती ने यहाँ पर मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी, जम्मू कश्मीर में 6 साल का इस सरकार का कार्यकाल हालाँकि 2021 में समाप्त होने वाला था लेकिन बीजेपी ने पीडीपी से किनारा कर लिया जिसके बाद यहाँ पर राज्यपाल शासन लगा हुआ है.

जम्मू-कश्मीर में बीजेपी और पीडीपी का गठबंधन टूटने के बाद राज्य के हालात अभी काफी बुरे दौर में है. सरकार टूटने के बाद यहाँ पर विपक्ष में बैठी नेशनल कॉन्फ्रेंस ने फिर चुनाव कराने के मांग की है. वहीं जम्मू …

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आज रिटायर्ड हो रहे है जस्टिस जे. चेलामेश्वर

जस्टिस जे. चेलामेश्वर आज शुक्रवार को रिटायर्ड हो रहे है. जिसके बाद उत्तराखंड हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस केएम जोसेफ का सुप्रीम कोर्ट में संभावित कद का बढ़ना जरा रुक सकता है. साथ ही सुप्रीम कोर्ट की कॉलेजियम की रूप रेखा भी बदलने के आसार है.फ़िलहाल कॉलेजियम के सदस्यों में जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस मदन बी लोकुर और जस्टिस कुरियन जोसेफ के नाम शामिल हैं. पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट में काम काज को लेकर और सरकार के लगातार कोर्ट के फैसलों में दखल अंदाजी को लेकर सुप्रीम कोर्ट के जज ने सार्वजनिक रूप से प्रेस वार्ता कर कई तरह की बातें कही थी जिसके बाद बवाल मच गया था. पिछले कुछ समय से जस्टिस जे. चेलामेश्वर लगातार विवादों में चल रहे थे. अपनी बात को सीधा सीधा बोलने के लिए जाने जाने वाले जस्टिस जे. चेलामेश्वर कोर्ट में हो रही कई तरह की वे बातें भी ओपन की थी जिसे आम जानता नहि जानती है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट और न्याय व्यवस्था को संकट में होने की बात भी कही थी. जस्टिस जे. चेलामेश्वर आज शुक्रवार को रिटायर्ड हो रहे है. जिसके बाद उत्तराखंड हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस केएम जोसेफ का सुप्रीम कोर्ट में संभावित कद का बढ़ना जरा रुक सकता है. साथ ही सुप्रीम कोर्ट की कॉलेजियम की रूप रेखा भी बदलने के आसार है.फ़िलहाल कॉलेजियम के सदस्यों में जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस मदन बी लोकुर और जस्टिस कुरियन जोसेफ के नाम शामिल हैं. पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट में काम काज को लेकर और सरकार के लगातार कोर्ट के फैसलों में दखल अंदाजी को लेकर सुप्रीम कोर्ट के जज ने सार्वजनिक रूप से प्रेस वार्ता कर कई तरह की बातें कही थी जिसके बाद बवाल मच गया था. पिछले कुछ समय से जस्टिस जे. चेलामेश्वर लगातार विवादों में चल रहे थे. अपनी बात को सीधा सीधा बोलने के लिए जाने जाने वाले जस्टिस जे. चेलामेश्वर कोर्ट में हो रही कई तरह की वे बातें भी ओपन की थी जिसे आम जानता नहि जानती है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट और न्याय व्यवस्था को संकट में होने की बात भी कही थी.

जस्टिस जे. चेलामेश्वर आज शुक्रवार को रिटायर्ड हो रहे है. जिसके बाद उत्तराखंड हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस केएम जोसेफ का सुप्रीम कोर्ट में संभावित कद का बढ़ना जरा रुक सकता है. साथ ही सुप्रीम कोर्ट की कॉलेजियम की रूप रेखा …

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गुलाम नबी आजाद के गांव में डॉ. जितेंद्र सिंह ने बनवाया डाकघर

मुख्यमंत्री से लेकर केंद्र सरकार में कई अहम विभागों के मंत्री रहे गुलाम नबी आजाद के पैतृक गांव गंदोह (डोडा) में आजादी के 70 वर्षों के बाद प्रधानमंत्री कार्यालय के राज्यमंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह के प्रयासों की बदौलत डाकघर खुला। इस बात की जानकारी बुधवार को जम्मू में डॉ. जितेंद्र सिंह ने दी। अपने संसदीय क्षेत्र में विकास का लेखाजोखा देते हुए उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार में 20 साल तक मंत्रिपदों पर रहे व इस समय राज्यसभा में विपक्ष के नेता के अपने गांव में डाकघर तक नहीं था। वह इस इलाके के सांसद भी रहे थे। अब भाजपा के कार्यकाल के दौरान कांग्रेस नेता के गांव में लोगों को डाकघर मिला है।

मुख्यमंत्री से लेकर केंद्र सरकार में कई अहम विभागों के मंत्री रहे गुलाम नबी आजाद के पैतृक गांव गंदोह (डोडा) में आजादी के 70 वर्षों के बाद प्रधानमंत्री कार्यालय के राज्यमंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह के प्रयासों की बदौलत डाकघर खुला। …

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धनासन: योग बना अच्छी कमाई का जरिया, दुनिया भर में फैल रहा कारोबार

योग मानसिक और भौतिक सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होता है. लेकिन बहुत से लोगों के लिए यह प्राचीन भारतीय पद्धति धन कमाने का भी अच्छा जरिया साबित हो रही है. इसका कारोबार दुनिया भर में फैल रहा है. सेहत और फिटनेस सेक्टर में योग का क्रेज निरंतर बढ़ता जा रहा है. पीएम मोदी के प्रयास से 21 जून को संयुक्त राष्ट्र संघ ने अंतरराष्ट्रीय योग दिवस घोषित किया जिसके बाद इसका प्रचार-प्रसार दुनिया भर में बढ़ा है. इसलिए योग को करियर के रूप में अपनाने वालों के लिए अवसर निरंतर बढ़ते जा रहे हैं. खासकर जून-जुलाई के दौरान तो योग स्टूडियो से लेकर योग के तमाम केंद्रों में योग शिक्षकों की मांग काफी बढ़ जाती है. नोएडा के योग स्टूडियो प्रणव योग के डायरेक्टर एम.एस. श्रीनाथ ने बताया, 'योग दिवस की वजह से हर साल जून और जुलाई के दौरान हमारा कारोबार 30 से 40 फीसदी तक बढ़ जाता है. हमारे साथ फिलहाल 300 योग प्रशिक्षु जुड़े हैं. पिछले कुछ वर्षों में योग अपनाने वाले लोगों की संख्या लगातार बढ़ रही है. पिछले दो महीने में ही 112 स्थायी सदस्य जुड़े हैं. योग दिवस के आसपास तो हमें प्रचार-प्रसार पर भी ज्यादा कुछ खर्च नहीं पड़ना है.' दिल्ली का मोरारजी देसाई नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ योग हर साल योग दिवस के आसपास लाखों रुपये के योग से जुड़े सामान और स्पोर्ट्स आइटम की खरीद करता है. इंडस्ट्री चैंबर एसोचैम की जून 2017 की एक रिपोर्ट के अनुसार देश में करीब 3 लाख योगा इंस्ट्रक्टर की कमी थी. एक अनुमान के अनुसार, दुनिया भर में योग इंडस्ट्री करीब 80 अरब डॉलर तक पहुंच गई है. भारत में वेलनेस इंडस्ट्री करीब 85,000 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है. अकेले अमेरिका में साल 2020 तक योग उद्योग 11.5 अरब डॉलर तक हो जाने का अनुमान है. अमेरिका में साल 2015 में 3.7 करोड़ लोग योग से जुड़ चुके थे और साल 2020 तक यह संख्या बढ़कर 5.5 करोड़ तक पहुंच जाने का अनुमान है.

योग मानसिक और भौतिक सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होता है. लेकिन बहुत से लोगों के लिए यह प्राचीन भारतीय पद्धति धन कमाने का भी अच्छा जरिया साबित हो रही है. इसका कारोबार दुनिया भर में फैल रहा है. सेहत …

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अखिलेश बोले- मैं फिर से CM बनना चाहता हूं, PM बनने का इरादा नहीं

2019 लोकसभा चुनाव के लिए राजनीतिक दलों ने रणनीति बनानी शुरू कर दी है. हर पार्टी का नेता चुनावों को ध्यान में रखकर बयान दे रहा है. इस बीच समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने एक बड़ा बयान दिया. अखिलेश यादव ने बुधवार को कहा कि वह चाहते हैं कि देश का अगला प्रधानमंत्री भी उत्तर प्रदेश से हो. उन्होंने कहा कि वह खुद एक बार फिर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनकर विकास कार्यो को आगे बढ़ाना चाहते हैं. वर्ष 2019 में प्रधानमंत्री बनने के सवाल पर अखिलेश ने कहा, "मैं इतना बड़ा सपना नहीं देखता कि देश का प्रधानमंत्री बन जाऊं. मुझे देश का प्रधानमंत्री नहीं बनना है, मुझे तो सिर्फ एक बार फिर उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री ही बनना है और प्रदेश के विकास कार्यो को आगे बढ़ाना है." लखनऊ में एक समाचार चैनल से बातचीत में उन्होंने आगे कहा, "अभी तक तो यही होता आया है कि यूपी से ही कोई प्रधानमंत्री बनता आया है, हम यही चाहते हैं कि कोई नया प्रधानमंत्री बने और यूपी से ही बने. देश की पसंद हमारी पसंद बन जाएगी और देश को क्या मिला देश इसका आकलन करेगा." PM बनने का सपना देखना गलत नहीं राहुल गांधी का जिक्र किए जाने पर अखिलेश ने कहा, "सपना देखना बुरी बात नहीं है, लेकिन कांग्रेस को इसके लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ेगी. हम साथ हैं, लोकसभा चुनाव में भी साथ रहेंगे, कई और भी पार्टियां साथ आएंगी." बसपा संग जारी रहेगा साथ मायावती से गठबंधन के सवाल पर सपा मुखिया ने साफ कहा कि समाजवादी पार्टी 2019 का लोकसभा चुनाव बसपा के साथ मिलकर लड़ेगी. MP में भी लड़ेंगे चुनाव उन्होंने कहा, "इस समझौते के लिए हमें कोई कुर्बानी देनी पड़ी तो हम पीछे नहीं हटेंगे. हालांकि सीटों के बंटवारे को लेकर मैं इस समय कुछ नहीं बोलूंगा. हम मध्य प्रदेश में भी विधानसभा चुनाव लड़ने जा रहे हैं." अखिलेश अपने पुराने अंदाज में भाजपा पर वार करने से नहीं चूके. उन्होंने जहां नोटबंदी, काला धन पर अपने पुराने बयानों को दोहराया तो वहीं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को 'उद्घाटन का ही उद्घाटन करने वाला सीएम' बताया.

2019 लोकसभा चुनाव के लिए राजनीतिक दलों ने रणनीति बनानी शुरू कर दी है. हर पार्टी का नेता चुनावों को ध्यान में रखकर बयान दे रहा है. इस बीच समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने एक बड़ा बयान दिया. …

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मोदी के वैवाहिक जीवन पर आनंदीबेन के बोलवचन से जसोदाबेन नाराज

विडियो में बात कर रही जसोदाबेन के होनेकी पुष्टि खुद उनके भाई अशोक मोदी ने की हैं. उन्होंने आगे कहा, 'जब आनंदीबेन का बयान सोशल मीडिया पर आया तो हमें विश्वास ही नहीं हुआ. एक अखबार में जब यही खबर पहले पेज पर प्रकाशित हुई तब हमें लगा कि यह गलत नहीं हो सकती. ऐसे में हमने इसका जवाब देने का फैसला किया. हमने एक लिखित बयान रिकॉर्ड किया जिसे जसोदाबेन सेलफोन पर पढ़ती दिखती हैं. गौरतलब है कि मध्य प्रदेश की गवर्नर आनंदीबेन पटेल ने एक प्रेस वार्ता कहा था कि पीएम मोदी अविवाहित है जिसका वीडियो भी खूब वायरल हुआ था.

मध्य प्रदेश की गवर्नर आनंदीबेन पटेल ने कहा था कि मोदी अविवाहित हैं. मगर उनके इस बयान पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पत्नी जसोदाबेन को सख्त एतराज है. जसोदाबेन ने कहा, ‘मैं आश्चर्यचकित हूं कि आनंदीबेन प्रेस से कहती हैं …

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आज सुबह: मुरैना में ट्रैक्टर-जीप की भिड़ंत में गई 12 जाने

मध्यप्रदेश के मुरैना में अभी अभी सुबह ट्रैक्टर और जीप कि भिड़ंत में 12 लोगों की मौत हो गई है. ट्रैक्टर स्वराज 735 FE अवैध खनन की गई रेत ले जा रहा था और अनियत्रित हो कर सामने से आ रही जीप में जा घुसा जिसके बाद इस भीषण सड़क दुर्घटना में कुल 12 लोगों ने जान गवाई और आठ अन्य घायल हो गए जिन्हे अस्पताल में भर्ती किया गया है. मुरैना वैसे भी अवैध खनन के लिए बदनाम रहा है. मगर आज ये अवैध धंधा 12 लोगों की जान ले गया . सवाल अब पुलिस और प्रशासन पर भी है कि सब कुछ जान लेने के बाद भी क्यों अब तक ये इलाका इस तरह की गतिविधियों से मुक्त नहीं हो पा रहा है. जहा सूबे में हर जगह भाषण में सरकार खुद की तारीफ करने का एक भी मौका नहीं छोड़ती. वही मुरैना पता नहीं कब से इस दंश को झेल रहा है और समय समय पर मासूम लोगों की जाने इस तरह से जाती रही है. बिना मिली भगत इतना ओपन और व्यापक धंधा नहीं पनप सकता क्योकि रेत खनन चार दीवारी के बीच तो नहीं किया जा सकता, बहरहाल घटना स्थल पर पुलिस पहुंची है और राहत और बचाव कार्य किए जा रहे है.

मध्यप्रदेश के मुरैना में अभी अभी सुबह ट्रैक्टर और जीप कि भिड़ंत में 12 लोगों की मौत हो गई है. ट्रैक्टर स्वराज 735 FE  अवैध खनन की गई रेत ले जा रहा था और अनियत्रित हो कर सामने से आ …

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जम्मू-कश्मीर में क्यों टूटा बीजेपी-पीडीपी गठबंधन? ये है बड़ी वजह

रातनीति में यह तय है की कुछ भी तय नहीं है. करीब तीन साल पहले राजनीतिक विचारधारा को दरकिनार कर सत्ता के लिए एकजुट हुई भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) ने कल एक-दूसरे से नाता तोड़ लिया. सूबे में राज्यपाल शासन लागू कर दिया गया है. यानि केंद्र अप्रत्यक्ष रूप से राज्य में शासन चलाएगी. गठबंधन टूटने के पीछे दोनों पार्टी एक दूसरे को जिम्मेदार ठहरा रही है. बीजेपी कल तक सरकार में रहने के बावजूद आरोप लगा रही है कि महबूबा मुफ्ती आतंकवाद को रोकने में नाकामयाब रही. वहीं पीडीपी का कहना है कि घाटी में जोर-जबरदस्ती की नीति कारगर नहीं होगी. गठबंधन टूटने की ये वो वजहें हैं जो आधिकारिक प्रेस कांफ्रेंस में गिनाई गई. लेकिन असल कारण केवल यही नहीं है. दरअसल, फरवरी 2015 में जब बीजेपी-पीडीपी ने गठबंधन का रास्ता चुना तभी से यह सवाल उठने लगा था कि यह गठबंधन कितने दिनों तक खींचेगी? तब मुफ्ती मोहम्मद सईद (दिवंगत) ने कहा था कि यह नॉर्थ पोल और साउथ पोल का गठबंधन है. हालांकि दोनों दलों ने कॉमन मिनिमम प्रोग्राम का फॉर्मूला तैयार किया और सरकार चलती रही. लेकिन बीजपी और पीडीपी के बीच वैचारिक मतभेद कभी कम नहीं हुई. अफस्पा, अनुच्छेद 35ए, अलगाववादियों की गिरफ्तारी, पाकिस्तान से बातचीत, कठुआ गैंगरेप जांच को लेकर बीजेपी-पीडीपी में मतभेद ही नहीं मनभेद भी रहे. BJP के समर्थन खींचने के बाद जम्मू-कश्मीर में गिरी महबूबा सरकार, राज्यपाल शासन लागू अनुच्छेद 370: भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) कश्मीर को लेकर पूरे देश में प्रचारित करती रही है कि वह अनुच्छेद 370 को लेकर उसका रुख साफ है और वह खत्म करेगी. वहीं पीडीपी किसी भी कीमत पर इसके लिए न तैयार थी और न ही होगी. यही वजह थी की कॉमन मिनिमम प्रोग्राम में अनुच्छेद 370 को अलग रखा गया था. कल ही पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने कहा कि हमें संविधान के अनुच्छेद 370 और राज्य के विशेष दर्जे के बारे में आशंका थी. हमने अनुच्छेद 370 और अनुच्छेद 35 ए की रक्षा की है. क्या है धारा 370? साल 1954 में राष्ट्रपति के एक आदेश के बाद संविधान में यह अनुच्छेद जोड़ा गया था, जो जम्मू एवं कश्मीर के लोगों को विशेषाधिकार प्रदान करता है, और राज्य विधानसभा को कोई भी कानून बनाने का अधिकार देता है, जिसकी वैधता को चुनौती नहीं दी जा सकती. यह अनुच्छेद जम्मू एवं कश्मीर के लोगों को छोड़कर बाकी भारतीय नागरिकों को राज्य में अचल संपत्ति खरीदने, सरकारी नौकरी पाने और राज्य सरकार की छात्रवृत्ति योजनाओं का लाभ लेने से रोकता है. सुरक्षाबलों को मिली बड़ी कामयाबी, त्राल में जैश के ऑपरेशन कमांडर सहित तीन ढेर अनुच्छेद 35 ए: अनुच्छेद 35 ए अनुच्छेद 370 का ही हिस्सा है. इसपर बीजेपी और पीडीपी में शुरुआत से ही मतभेद रहा है. अनुच्छेद 35 ए के तहत जम्मू-कश्मीर के लोगों को विशेषाधिकार और सुरक्षा हासिल है. पीडीपी इस अनुच्छेद को सुरक्षित रखना चाहती है और बीजेपी देश के सभी नागरिकों के लिए समान विशेषाधिकार चाहती है. इस धारा को एनजीओ वी द सिटिजन्स ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है, जिस पर केंद्र सरकार ने कहा है कि इस धारा को असंवैधानिक घोषित करने के लिए इस मुद्दे पर पर्याप्त बहस करने की जरूरत है. अफस्पा: जम्मू-कश्मीर में अफ्सपा यानि (आर्म्ड फोर्सेस स्पेशल पावर एक्ट) लागू है. केंद्र इसे हटाने पर सहमत नहीं है वहीं पीडीपी इसे हटाने के पक्ष में रही है. सेना का आतंकियों के खिलाफ बड़े स्तर पर राज्य में ऑपरेशन जारी है. ऐसे समय में केंद्र सरकार झुके यह संभव नहीं था. अफस्पा सेना को 'डिस्टर्ब्ड एरिया' में कानून व्यवस्था बनाए रखने की ताकत देता है. इसके तहत सेना पांच या इससे ज्यादा लोगों को एक जगह इक्ट्ठा होने से रोक सकती है. इसके तहत सेना को वॉर्निंग देकर गोली मारने का भी अधिकार है. ये कानून सेना को बिना वारंट के किसी को भी गिरफ्तार करने की ताकत देता है. इसके तहत सेना किसी के घर में बिना वारंट के घुसकर तलाशी ले सकती है. जम्मू कश्मीर: आखिर महबूबा मुफ्ती से चूक कहां हो गई? पाकिस्तान से बातचीत: कश्मीर में आतंकियों को भेजने की फैक्ट्री पाकिस्तान को लेकर पीडीपी और बीजेपी में विवाद रहा. सीमा पर पाकिस्तान की तरफ से लगातार गोलीबारी और आतंकियों की घुसपैठ के बावजूद पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती पाकिस्तान से बातचीत का राग अलापती रही. वहीं केंद्र की बीजेपी सरकार ने साफ कर दिया की वह तब तक बातचीत नहीं करेगी जबतक कि पाकिस्तान सीमा पर शांति बहाल नहीं करता है. रमजान सीजफायर: रमजान के मौके पर जम्मू-कश्मीर में सीजफायर लागू करने के लिए महबूबा मुफ्ती ने दबाव बनाया था. जिसके बाद केंद्र ने 16 मई को सीजफायर की घोषणा की. जिसकी वजह से आतंकी वारदातों में बढ़ोतरी हुई. केंद्र सरकार को आलोचनाओं का सामना करना पड़ा. पिछले दिनों केंद्र ने फिर से सीजफायर खत्म कर दिया. अलगाववादियों की गिरफ्तारी: केंद्र में मोदी सरकार बनने के बाद अलगाववादियों के खिलाफ बड़े स्तर पर कार्रवाई शुरू हुई. टेरर फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में शब्बीर शाह समेत कम से कम 11 अलगाववादी नेताओं को केंद्रीय जांच एजेंसियों ने गिरफ्तार किया. पीडीपी का कहना था कि गिरफ्तारी से राज्य की स्थिति और खराब हो सकती है. इन कारणों से बीजेपी ने छोड़ा महबूबा मुफ्ती का 'साथ' पत्थरबाजी: जम्मू-कश्मीर में सुरक्षाबलों के खिलाफ पत्थरबाजी आम है. पीडीपी हमेशा पत्‍थरबाजों पर रहम की मांग करती रही है. जब पत्थरबाजों से बचने के लिए मेजर लीतुल गोगोई ने एक शख्स को मानव ढाल बनाया तो जम्मू-कश्मीर सरकार उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करने से भी नहीं चूकी. वहीं बीजेपी की इस मामले में बिल्कुल अलग राय है. वह पत्थरबाजों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का दावा करती रही है. कठुआ गैंगरेप: जम्मू-कस्मीर में नाबालिग लड़की से गैंगरेप के मामले की जांच को लेकर राज्य बीजेपी के कई नेता और मंत्री सवाल उठाते रहे. बीजेपी के दो मंत्रियों ने आरोपियों के पक्ष में रैलियां निकाली. दोनों मंत्रियों को काफी आलोचनाओं के बाद इस्तीफा देना पड़ा.

रातनीति में यह तय है की कुछ भी तय नहीं है. करीब तीन साल पहले राजनीतिक विचारधारा को दरकिनार कर सत्ता के लिए एकजुट हुई भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) ने कल एक-दूसरे से नाता तोड़ …

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सेना ने बनाई आतंकियों की हिटलिस्ट, टॉप 10 में शामिल हैं ये दहशतगर्द

करीब एक महीने के सीजफायर के बाद सुरक्षाबलों ने आतंकियों के खिलाफ एक बार फिर कमर कस ली है. 17 जून को गृह मंत्रालय के आदेश के बाद से ही सेना और सुरक्षा एजेंसियों ने अपनी नयी हिटलिस्ट तैयार कर ली है. इस लिस्ट में राइफलमैन औरंगजेब की हत्या की पूरी साजिश करने वाले ठोकर का नाम सबसे ऊपर है. 1. जहूर अहमद ठोकर- जहूर पुलवामा का रहने वाला है और पहले भारतीय सेना की टेरिटोरियल आर्मी विंग में था, लेकिन 2017 के आखिर में ये हिज्बुल मुजाहिदीन में शामिल हो गया. 2. जाकिर मूसा- दरअसल, समीर टाइगर के मरने के बाद से ही मूसा अपने आप में आतंकियों के लिए बड़ा नाम बन गया है. सुरक्षा एजेंसियों की हिटलिस्ट में दूसरा नाम जाकिर मूसा का है जिसे a++ कैटेगरी में रखा गया है. इसने अपना नया संगठन गजावत उल हिन्द बनाया है. 3. जाहिद टाइगर- डाहिद पुलवामा के डरबगम का रहने वाला है और आतंकी समीर टाइगर का चचेरा भाई है. समीर टाइगर वो ही आतंकी था जिसमें कुछ दिन पहले सेना ने उसके अंजाम तक पहुंचाया था. 4. बिलाल भट्ट- बिलाल दक्षिण कश्मीर का रहने वाला है और पिछले साल ही ये हिज्बुल मुजाहिदीन में शामिल हुआ है. 5. दानिश खलिम- दानिश कश्मीर में आतंक का गढ़ माने जाने वाले त्राल का रहने वाला है. सुरक्षाबलों को जो जानकारी मिली है उसके अनुसार बुरहान वानी के सफाये के बाद से ही ये आतंकियों के सम्पर्क में आया और 2017 में आतंकी संगठन जैश ए मोहम्मद में शामिल हुआ. 6. समीर अहमद सेह- समीर पढ़ा-लिखा और काफी टेक्नो सेवी आतंकी है. समीर कोड वर्ड में वकास भाई के नाम से मशहूर है. समीर शोपियां का रहने वाला है. 7. जुबेर टाइगर- जुबेर दक्षिण कश्मीर का रहने वाला है. कुछ समय पहले ही ये हिज्बुल मुजाहिदीन में शामिल हुआ है. 8. कासिम लश्करी- कासिम विदेशी आतंकी है जो कि इस्लामाबाद का रहने वाला है. सुरक्षा एजेंसियों के मुताबिक कासिम का मुख्य टारगेट 16 से 20 साल के वो युवा होते हैं जो स्कूल और कॉलेज के ड्रॉप आउट होते हैं. कासिम a++ कैटेगरी का आतंकी है. 9. लियाकत हिजबी- लियाकत पुलवामा का रहने वाला है और कई बार कासिम लश्करी के साथ कई बार देखा गया है. 10. मनास वानी और आदिल नोमान- ये दोनों आतंकी कश्मीर में एक ही गांव के हैं और अक्सर साथ ही देखे गए हैं.

करीब एक महीने के सीजफायर के बाद सुरक्षाबलों ने आतंकियों के खिलाफ एक बार फिर कमर कस ली है. 17 जून को गृह मंत्रालय के आदेश के बाद से ही सेना और सुरक्षा एजेंसियों ने अपनी नयी हिटलिस्ट तैयार कर …

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