कारोबार

डॉलर के मुकाबले रुपया 19 महीने के निचले स्तर पर, आपकी जेब पर ऐसे डालेगा असर

डॉलर के मुकाबले रुपया रिकॉर्ड 19 महीने के निचले स्तर पर आ गया है. आज शुरुआती कारोबार में रुपये में 30 पैसे की कमजोरी देखी गई. इसी के साथ डॉलर के मुकाबले रुपया 68.54 रुपये पर आ गया. डॉलर के मुकाबले …

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6 महीने में इन स्टॉक्स ने दिया 100% से ज्यादा रिटर्न

इन्वेस्टर्स इस वर्ष स्मॉल कैप स्टॉक्स में रूचि नहीं ले रहे है. लेकिन वैल्यूएशन संबंधी चिंताओं की वजह से इस सेगमेंट में काफी बिकवाली हुई है. साथ ही, प्रॉफिट ग्रोथ के मोर्चे पर कई कंपनियों के मायूस करने से भी …

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GST के तहत नहीं आ सकता पेट्रोल, आया तो सरकार को होगा भारी नुकसान

GST के तहत नहीं आ सकता पेट्रोल, आया तो सरकार को होगा भारी नुकसान

पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के तहत लाने को लेकर केंद्र सरकार लगातार अपना समर्थन जाहिर कर रही है. हालांकि पेट्रोलियम उत्पादों को जल्द जीएसटी के तहत लाने पर कोई फैसला होना मुश्किल लग रहा है. लेकिन नीति आयेाग के …

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वीडियोकॉन लोन विवाद: चंदा कोचर पर सेबी लगा सकता है 1 करोड़ का जुर्माना

वीडियोकॉन लोन विवाद: चंदा कोचर पर सेबी लगा सकता है 1 करोड़ का जुर्माना

वीडियोकॉन ग्रुप को लोन देने के मामले में हितों के टकराव का आरोप झेल रहीं आईसीआईसीआई बैंक की सीईओ चंदा कोचर फंसती नजर आ रही हैं. मार्केट रेग्युलेटर सेबी ने अपनी प्रथम दृष्टया जांच में पाया है कि इस मामले …

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महंगाई को जांचने के लिए अगली बैठक में भी रेपो रेट बढ़ा सकता है आरबीआई: HSBC

एचएसबीसी की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) मुद्रास्फीति को जांचने के लिए प्रमुख नीति दरों को फिर से बढ़ा सकता है। बीते महीने हुई बैठक में केंद्रीय बैंक ने रिटेल इन्फ्लेशन (खुदरा महंगाई) अनुमान को 0.30 फीसद बढ़ा दिया था और पॉलिसी स्टांस को न्यूट्रल जोन में रखा था। वहीं आरबीआई ने रेपो रेट को 0.25 फीसद बढ़ाकर 6.25 फीसद कर दिया था। एचएसबीसी में एशियाई आर्थिक शोध के सह-अध्यक्ष फ्रेडरिक न्यूमैन ने एक नोट में कहा, “भारत में दरें और बढ़ सकती हैं। तेल ने काफी मुश्किलें पैदा की हैं, व्यापार संतुलन को नुकसान पहुंचाया है और कीमतों पर दबाव डाला है। मुद्रास्फीति की अपेक्षाओं को जांचने के लिए, आरबीआई को दरों को फिर से बढ़ाने की आवश्यकता हो सकती है।” आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, मई में खुदरा मुद्रास्फीति चार महीने के उच्चतम स्तर के साथ 4.87 फीसद तक पहुंच गई थी, जिसकी प्रमुख वजह फलों, सब्जियों और अनाज जैसे महंगे खाद्य पदार्थों के महंगे होने के साथ साथ ईंधन की कीमतों में भी तेजी आना रहा। बीते साल मई महीने के दौरान महंगाई दर 2.18 फीसद रही थी। RBI ने रेपो रेट को बढ़ाकर 6.25 फीसद किया, महंगाई अनुमान भी बढ़ा यह भी पढ़ें एचएसबीसी की रिपोर्ट में कहा गया, “यह मुश्किल होगा कि केंद्रीय बैंक किसी फैसले के लिए फेड के रुख का इंतजार करे, यह अमेरिका को एक महत्वपूर्ण मार्जिन से पीछे छोड़ देगा।” रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया भर में मौद्रिक नीति में एक भिन्नता है।

एचएसबीसी की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) मुद्रास्फीति को जांचने के लिए प्रमुख नीति दरों को फिर से बढ़ा सकता है। बीते महीने हुई बैठक में केंद्रीय बैंक ने रिटेल इन्फ्लेशन (खुदरा महंगाई) अनुमान …

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ग्लोबल बाजारों में तेजी के रुख से सोने के दाम बढ़े, चांदी में बड़ी गिरावट

मजबूत ग्लोबल रुख के बीच लोकल ज्वैलर्स की लिवाली से आज लगातार दूसरे दिन सोने में मजबूती रही. दिल्ली सर्राफा बाजार में आज सोना 15 रुपये बढ़कर 31,600 रुपये प्रति दस ग्राम पर पहुंच गया. क्यों आई सोने में तेजी बाजार सूत्रों ने कहा कि ग्लोबल स्तर पर मजबूत रुख के साथ लोकल कारोबारियों की लगातार खरीदारी से हाजिर बाजार में सोने के भाव में तेजी देखी गयी. वैश्विक स्तर पर सिंगापुर में सोना 0.16 फीसदी बढ़कर 1268.90 डॉलर प्रति औंस रहा राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में , 99.9 फीसदी और 99.5 फीसदी शुद्धता वाला सोना 15-15 रुपये बढ़कर क्रमश: 31,600 रुपये और 31,450 रुपये प्रति दस ग्राम हो गया. इससे पहले कल भी सोना 15 रुपये चढ़ा था. हालांकि आठ ग्राम वाली गिन्नी 24,800 रुपये प्रति यूनिट पर ही टिकी रही. चांदी के दाम वहीं सिक्का निर्माताओं और औद्योगिक इकाइयों का उठाव बढ़ने से चांदी 250 रुपये सुधरकर वापस 41,000 रुपये प्रति किलोग्राम के स्तर पर पहुंच गयी. चांदी हाजिर 250 रुपये बढ़कर 41,000 रुपये प्रति किलोग्राम और साप्ताहिक डिलीवरी चांदी 200 रुपये चढ़कर 39,795 रुपये प्रति किलोग्राम हो गयी. वैश्विक स्तर पर सिंगापुर में चांदी 0.89 फीसदी बढ़कर 16.43 डॉलर प्रति औंस पर पहुंच गई. चांदी सिक्का लिवाल और बिकवाल क्रमश : 76,000 और 77,000 रुपये प्रति सैकड़ा के पूर्व स्तर पर टिके रहे.

मजबूत ग्लोबल रुख के बीच लोकल ज्वैलर्स की लिवाली से आज लगातार दूसरे दिन सोने में मजबूती रही. दिल्ली सर्राफा बाजार में आज सोना 15 रुपये बढ़कर 31,600 रुपये प्रति दस ग्राम पर पहुंच गया. क्यों आई सोने में तेजी …

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दस फीसदी से ज्यादा विकास दर की सोचें : पीएम

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को 50 खरब डॉलर की अर्थव्यवस्था वाले देशों की सूची में शामिल करने के लिए कम से कम दहाई अंकों की जीडीपी विकास दर का लक्ष्य रखने का आहवान किया है। उन्होंने यह भी कहा कि वैश्विक कारोबार (ग्लोबल ट्रेड) में देश की हिस्सेदारी दोगुना कर 3.4 फीसदी पर ले जाने के भी उपाय करने होंगे। वाणिज्य मंत्रालय के लिए नए वाणिज्य भवन की आधारशिला रखते हुए प्रधानमंत्री ने शुक्रवार को कहा कि पिछले चार वर्षों में उनकी सरकार ने कारोबार करने में सहूलियत यानी "ईज ऑफ डूइंग बिजनेस" के मोर्चे पर कई अहम कदम उठाए हैं। इसके साथ-साथ सरकार ने महंगाई, चालू खाता घाटा और राजकोषीय घाटा जैसे वृहत अर्थव्यवस्था के संकेतकों को भी सीमा के अंदर रखने में कामयाबी पाई है। मोदी ने कहा- "बीते वित्त वर्ष की आखिरी तिमाही में देश की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) विकास दर 7.7 फीसदी रही। लेकिन अब वह वक्त आ गया है, जब हमें विकास दर के मामले में सात-आठ फीसदी से आगे सोचना और दोहरे अंकों की विकास दर का एजेंडा तैयार करना होगा।" उन्होंने कहा कि दुनिया भारत की ओर देख रही और इस बात का इंतजार कर रही है कि वह कब तक 50 खरब डॉलर की अर्थव्यवस्था वाले देशों की सूची में शामिल होगा। निर्यात बढ़ाने की जरूरत पर बल देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि इस प्रयास में राज्यों की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि वाणिज्य विभाग को यह संकल्प लेना चाहिए कि कुल वैश्विक निर्यात में भारत की हिस्सेदारी मौजूदा 1.6 फीसदी से बढ़ाकर कम से कम 3.4 फीसदी किया जाए। प्रधानमंत्री ने कहा कि उत्पादों के अधिक से अधिक घरेलू निर्माण पर भी जोर दिया जाना चाहिए ताकि आयात पर निर्भरता न्यूनतम स्तर पर आ सके। इस संदर्भ में उन्होंने इलेक्ट्रॉनिक मैन्युफैक्चरिंग का उदाहरण दिया। अपनी सरकार की उपलब्धियों का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि देश अब "अटकाना, लटकाना और भटकाना" की कार्य संस्कृति से निकल चुका है। दर्जनों अप्रत्यक्ष करों के बदले पिछले साल पहली जुलाई से वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू हो चुका है। इससे कारोबार करना आसान हुआ है और कर आधार भी बढ़ा है। प्रधानमंत्री का कहना था कि जीएसटी के तहत 54 लाख नए करदाताओं ने पंजीकरण कराया है, जिससे अप्रत्यक्ष कर भुगतान करने वालों की संख्या एक करोड़ के ऊपर चली गई है। वहीं, प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) और विदेशी मुद्रा भंडार भी इस वक्त अपने-अपने चरम पर हैं। प्रधानमंत्री ने नए वाणिज्य भवन का निर्माण कार्य तय समय में पूरा हो जाने का भरोसा जताया। उन्होंने कहा कि "नए भारत" की कार्यशैली में ऐसे कई पुराने अंदाज पीछे छोड़ दिए गए हैं, जिनकी वजह से देश की राजधानी तक में परियोजनाएं बेवजह लटकती रहती थीं। इस परिप्रेक्ष्य में प्रधानमंत्री ने डॉ. आंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर, डॉ. आंबेडकर नेशनल मेमोरियल, प्रवासी भारतीय केंद्र और केंद्रीय सूचना आयोग के नए भवनों का हवाला दिया। करोड़ रुपए में बनेगा वाणिज्य भवन केंद्रीय निर्माण उपक्रम एनबीसीसी (इंडिया) लिमिटेड को निर्माणाधीन वाणिज्य भवन के निर्माण संबंधी गतिविधियों के क्रियान्वयन का जिम्मा सौंपा गया है। दो बेसमेंट और भूतल सहित पांच मंजिला भवन के निर्माण पर 226.83 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। इसका कुल क्षेत्रफल 4.3 एकड़ होगा, जिसके 39,500 वर्गमीटर बिल्ट-अप एरिया के 22 फीसदी हिस्से पर भवन निर्माण किया जाएगा। वहां 444 कारों के लिए पार्किंग सुविधा होगी। इसका निर्माण कार्य अगले वर्ष सितंबर तक पूरा हो जाने का लक्ष्य रखा गया है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को 50 खरब डॉलर की अर्थव्यवस्था वाले देशों की सूची में शामिल करने के लिए कम से कम दहाई अंकों की जीडीपी विकास दर का लक्ष्य रखने का आहवान किया है। उन्होंने यह भी कहा …

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ओपेक रोजना 10 लाख बैरल बढ़ाएगा कच्चे तेल का उत्पादन, सस्ते होंगे पेट्रोल और डीजल

पेट्रोलियम निर्यातक देशों के संगठन ओपेक उत्पादन बढ़ाएगा। माना जा रहा है कि शुक्रवार को हुई बैठक में सऊदी अरब कट्टर प्रतिद्वंद्वी ईरान को इस मामले में सहयोग के लिए राजी कर लिया है। बैठक से एक दिन पहले तक ईरान इसके लिए तैयार नहीं था। सऊदी अरब के ऊर्जा मंत्री खालिद अल-फलीह ने कहा कि उत्पादकों ने भारी बहुमत से रोजाना 10 लाख बैरल उत्पादन बढ़ाने की सिफाशि की है। उन्होंने कहा, "हम आपूर्ति की किल्लत रोकना चाहते हैं। हम वैसे हालात नहीं चाहते, जैसा 2007-08 में देखा गया था।"ओपेक देशों द्वारा कच्चे तेल का उत्पादन बढ़ाए जाने का सबसे बड़ा फायदा भारत जैसे बड़े तेल आयातक देशों को होगा क्योंकि आपूर्ति बढ़ने के कारण कीमतें घटेंगी। दरअसल अमेरिका, चीन और भारत ने ही ओपेक से उत्पादन बढ़ाने की अपील की थी, जिसके बाद उन्होंने इस मसले पर सहमति बनाने के लिए बैठक की। भारत, अमेरिका और चीन चाहते हैं कि कच्चे तेल के दाम कम हों और बाजार में आपूर्ति की दिक्कत न हो क्योंकि इसके कारण वैश्विक अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंच सकता है। दिक्कत यह है कि ओपेक को उत्पादन बढ़ाने को लेकर किसी फैसले तक पहुंचने के लिए सभी सदस्य देशों की रजामंदी जरूरी है। अब तक ईरान इसके लिए तैयार नहीं था, लेकिन शुक्रवार को उसकी तरफ से नरम रुख के संकेत मिले। ओपेक की बैठक शुरू होने से पहले फलीह से मुलाकात के बाद ईरान के पेट्रोलियम मंत्री बिजान नामदार जंगानेह ने कहा, "हम कुछ कर रहे हैं।"ईरान की अहमियत इसलिएईरान ओपेक का तीसरा सबसे बड़ा तेल उत्पादक देश है। उत्पादन बढ़ाने की दिशा में आगे बढ़ने के मामले में यह अब तक सबसे बड़ा रोड़ा रहा है। चूंकि ईरान अमेरिका का कट्टर विरोधी रहा है, लिहाजा उसने ओपेक के अन्य देशों से अपील की थी कि उन्हें अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की तरफ से उत्पादन बढ़ाने के लिए बनाए जा रहे दबाव को खारिज कर देना चाहिए। ट्रंप से तल्खी की वजह असल में इसी साल मई में ट्रंप ने ईरान पर नए प्रतिबंध लगा दिए थे। तेल बाजार पर नजर रखने वालों को संदेह था कि अमेरिका की तरफ से उठाए गए कदम के नतीजे में ईरान 2018 के अंत तक कच्चे तेल के उत्पादन में करीब एक तिहाई कटौती करेगा। ईरान की तकलीफ यह है कि उसे लगता है कि उत्पादन बढ़ाने से उसे बहुत कम फायदा होगा, जबकि सबसे बड़े निर्यातक सऊदी अरब सबसे ज्यादा फायदे में रहेगा। एक समय लगा कि नहीं बन पाएगी बात इससे पहले ईरान के पेट्रोलियम मंत्री ओपेक की बैठक छोड़कर बाहर चले गए थे क्योंकि सऊदी अरब कच्चे तेल का उत्पादन बढ़ाने पर जोर दे रहा था। इस वजह से ईरान के साथ उसकी तनातनी बढ़ गई थी। ओपेक बैठक की पूर्व संध्या पर मंत्रियों के समूह ने तेल उत्पादन बढ़ाने को लेकर चर्चा की थी। इसके बाद ईरान के पेट्रोलियम मंत्री बिजान नामदार जंगानेह ने संवाददाताओं से कहा, "मुझे नहीं लगता है कि हम किसी समझौते तक पहुंच सकते हैं।"इस वार्ता को ओपेक बैठक की तैयारी के रूप में देखा जा रहा था। 14 सदस्यों वाले इस संगठन के ज्यादातर देश कच्चे तेल की आपूर्ति बढ़ाना चाहते हैं। जनवरी, 2017 से ही ओपेक देशों में उत्पादन कटौती जारी है, लेकिन अब सऊदी अरब ने कच्चे तेल की बढ़ती मांग पूरी करने के लिए उत्पादन बढ़ाने की वकालत की है।

पेट्रोलियम निर्यातक देशों के संगठन ओपेक उत्पादन बढ़ाएगा। माना जा रहा है कि शुक्रवार को हुई बैठक में सऊदी अरब कट्टर प्रतिद्वंद्वी ईरान को इस मामले में सहयोग के लिए राजी कर लिया है। बैठक से एक दिन पहले तक …

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सस्ते पेट्रोल-डीजल का रास्ता हो सकता तैयार, OPEC देशों की आज बैठक

ऑर्गनाइजेशन ऑफ पेट्रोलियम एक्सपोर्ट‍िंग कंट्रीज अथवा ओपेक देशों के मंत्र‍ियों की आज ऑस्ट्र‍िया के वियना में बैठक है. 14 देशों के इस समूह की बैठक में जो भी फैसला होगा, वो आने वाले दिनों में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कटौती और बढ़ोतरी का रास्ता तैयार करेगा. शुक्रवार को हो रही इस बैठक में एक अहम प्रस्ताव पर चर्चा होनी है, जो अगर पास हो गया तो आपको सस्ते पेट्रोल और डीजल का तोहफा आगे भी मिलता रहेगा. क्रूड प्रोडक्शन बढ़ाने पर जोर ओपेक देशों की बैठक में कच्चे तेल का प्रोडक्शन बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है. भारत भी अपनी तरफ से ओपेक देशों से अपील कर चुका है कि वह कच्चे तेल की आपूर्ति को बेहतर बनाए रखने पर जोर दें. इस खातिर बैठक में एक प्रस्ताव भी लाया जा रहा है. इस प्रस्ताव में कच्चे तेल का प्रोडक्शन बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है. सुधरेगी कच्चे तेल की आपूर्ति अगर यह प्रस्ताव बैठक में पास हो जाता है, तो सभी ओपेक देश कच्चे तेल का प्रोडक्शन बढ़ा देंगे. इससे कच्चे तेल की बेहतर आपूर्ति हो सकेगी. अच्छी सप्लाई होने का फायदा यह होगा कि कच्चे तेल की कीमतों में कटौती की संभावना बढ़ जाएगी. इसका सीधा फायदा घरेलू स्तर पर सस्ते पेट्रोल और डीजल के तौर पर मिलेगा. लेक‍िन ईरान फंसा रहा पेंच सऊदी अरब ने कहा है कि वह कच्चे तेल का प्रोडक्शन बढ़ाने के इस प्रस्ताव को पास करने के लिए जो हो सकेगा, वो करेगा. लेक‍िन दूसरी तरफ, ईरान ने इस प्रस्ताव का विरोध शुरू कर दिया है. उसका कहना है कि वह इस प्रस्ताव का कतई समर्थन नहीं करेगा. ऐसी आशंका जताई जा रही है कि कई और सदस्य देश भी ईरान का इसमें साथ दे सकते हैं. ईरान के मन की हुई तो... अगर बैठक में ईरान के मन की होती है और प्रोडक्शन बढ़ाने का प्रस्ताव पास नहीं हो पाता है, तो कच्चे तेल की सप्लाई पर इसका असर पड़ना तय है. इससे कच्चे तेल की कीमतें बढ़ सकती हैं. ऐसा होने पर पेट्रोल और डीजल की बढ़ती कीमतों से राहत मिलने की उम्मीद कम हो जाएगी. बेनतीजा रहेगी बैठक? ऐसे में देखना होगा कि आज ऑयल प्रोड्यूसर इन 14 देशों की बैठक में क्या फैसला लिया जाता है. विशेषज्ञों का मानना है कि यह बैठक बेनतीजा साबित हो सकती है. क्योंकि एक तरफ सऊदी अपने रुख पर अड़ा हुआ है. वहीं, ईरान भी प्रोडक्शन न बढ़ाने को लेकर अपना पक्ष मजबूत कर रहा है.

ऑर्गनाइजेशन ऑफ पेट्रोलियम एक्सपोर्ट‍िंग कंट्रीज अथवा ओपेक देशों के मंत्र‍ियों की आज ऑस्ट्र‍िया के वियना में बैठक है. 14 देशों के इस समूह की बैठक में जो भी फैसला होगा, वो आने वाले दिनों में पेट्रोल और डीजल की कीमतों …

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बाजार की मजबूत शुरुआत, सेंसेक्स 92 और निफ्टी 26 अंक बढ़कर खुला

बाजार की मजबूत शुरुआत, सेंसेक्स 92 और निफ्टी 26 अंक बढ़कर खुला

इस कारोबारी हफ्ते के चौथे दिन शेयर बाजार ने तेज शुरुआत की है. गुरुवार को वैश्व‍िक बाजार से मिले मजबूत संकेतों के बूते घरेलू बाजार भी मजबूत हुआ है. गुरुवार को सेंसेक्स ने 92.13 अंकों की बढ़ोतरी के साथ 35,639.46 के स्तर …

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