मई दिवस की भारतीय शताब्दी पर विशेष भारत में मजदूर दिवस मनाए जाने का यह शताब्दी वर्ष है। मई दिवस की शुरुआत 1 मई 1886 को अमेरिका से हुई थी लेकिन 1923 में भारत में आज ही के दिन चेन्नई …
Read More »लेख
कर्मभोगी नहीं, कर्मयोगी बनें
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस पर जब हमें अमृतकाल के पांच प्रण बताए तो उसमें नागरिकों का कर्तव्य सबसे आखिरी और सबसे खास संकल्प है। नागरिक चेतना और उसकी सतत सहभागिता ही किसी लोकतंत्र के जीवंत होने का प्रमाण …
Read More »समाजवादी तब श्रमजीवी होते थे !
के. विक्रम राव : आज सुबह हम मेहनतकशों की होली रही। दिवाली थी शाम को। विश्व मई (श्रमिक) दिवस है : मई माह की पहली तारीख। मगर दौर और हालात अब बदल गए। जब सदीपूर्व इसको मनाया जाना शुरू हुआ था …
Read More »“राष्ट्रबोध कराता है मन की बात”
किसी भी राष्ट्र की उन्नति के लिए आवश्यक है कि उसके प्रधानमंत्री की बात जनता तक पहुंचे तथा जनता की बात प्रधानमंत्री तक पहुंचे। इससे दोनों के मध्य तालमेल बना रहता है। इससे जनता को पता चलता है कि उनका …
Read More »(पृथ्वी दिवस पर विशेष ) अमृत सरोवर योजना : जल संरक्षण से बदलेगी स्थिति
पृथ्वी हमारा निवास स्थान है। मनुष्य सहित सभी प्राणी इसी धरती पर जन्म लेते हैं और इसी पर जीवन यापन करते हैं। पृथ्वी हमारे जीवन का आधार है। पृथ्वी से हमें वायु, जल और भोजन प्राप्त होता है। यह कहना …
Read More »मुसलमान सपा का हुस्न, सूची तो हिजाब है !
#निकाय चुनाव प्रचार के स्टार प्रचारकों की सूची में एक भी मुसलमान नहीं, आज़म और अब्दुल्ला भी नहींं। यादव भी दाल में नमक के बराबर। हिजाब हुस्न को ढकने के लिए होता है। इससे ना किसी की नज़र पड़ती है …
Read More »नवाब मीर जाफर की मौत ने तोड़ा लखनऊ का आईना
किसी शेर का एक मिसरा है- हमने जन्नत तो नहीं देखी है, मां देखी है। ऐसे ही जब हम लखनऊ के नवाबों और नवाबीन के दौर के तसव्वुर को हक़ीक़त में देखना चाहते थे तो हम जनाब नवाब मीर जाफर …
Read More »हत्यारों का पत्रकार का वेश धरना पत्रकारों के लिए खतरे की घंटी बनेगा
रत्नाकर सिंह : प्रयागराज मेडिकल कॉलेज में इलाज के लिए गए अतीक और अशरफ जैसे दुर्दांत आतंकवादी माफिया सरगना को जिस प्रकार भारी पुलिस भीड़ और पत्रकारों की भीड़ के बीच गोलियों से भून दिया गया, यह पत्रकारों के लिए एक …
Read More »लेकिन हत्यारों और अन्य अपराधियों को मीडिया को इस तरह इंज्वाय करने से ज़रुर बचना चाहिए
दयानंद पांडेय : यह तो होना ही था। योगी सरकार ने तो नहीं , 3 सिरफिरे हत्यारों ने अतीक़ अहमद और उस के भाई अशरफ़ को मिट्टी में मिला दिया। मीडिया तो अपराधियों को इंज्वाय करने का अभ्यस्त हो ही …
Read More »जयंती (14 अप्रैल)पर विशेष : बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर और ‘मूकनायक’
“अगर कोई इंसान, हिंदुस्तान के क़ुदरती तत्वों और मानव समाज को एक दर्शक के नज़रिए से फ़िल्म की तरह देखता है, तो ये मुल्क नाइंसाफ़ी की पनाहगाह के सिवा कुछ नहीं दिखेगा।” बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर ने आज से 102 …
Read More »