राजनीति

अखिलेश ने कहा, योगी उद्घाटन का ही उद्घाटन करने वाले सीएम

समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा कि वह चाहते हैं कि देश का अगला प्रधानमंत्री भी उत्तर प्रदेश से हो. उन्होंने कहा कि वह खुद एक बार फिर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनकर विकास कार्यो को आगे बढ़ाना चाहते हैं. अखिलेश ने कहा, "मैं इतना बड़ा सपना नहीं देखता कि देश का प्रधानमंत्री बन जाऊं. मुझे देश का प्रधानमंत्री नहीं बनना है, मुझे तो सिर्फ एक बार फिर उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री ही बनना है और प्रदेश के विकास कार्यो को आगे बढ़ाना है." लखनऊ में आगामी लोकसभा चुनावों पर बात करते हुए उन्होंने कहा, "अभी तक तो यही होता आया है कि यूपी से ही कोई प्रधानमंत्री बनता आया है, हम यही चाहते हैं कि कोई नया प्रधानमंत्री बने और यूपी से ही बने. देश की पसंद हमारी पसंद बन जाएगी और देश को क्या मिला देश इसका आकलन करेगा." राहुल गांधी का जिक्र किए जाने पर अखिलेश ने कहा, "सपना देखना बुरी बात नहीं है, लेकिन कांग्रेस को इसके लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ेगी. हम साथ हैं, लोकसभा चुनाव में भी साथ रहेंगे, कई और भी पार्टियां साथ आएंगी." उन्होंने कहा, "इस समझौते के लिए हमें कोई कुर्बानी देनी पड़ी तो हम पीछे नहीं हटेंगे. हालांकि सीटों के बंटवारे को लेकर मैं इस समय कुछ नहीं बोलूंगा. हम मध्य प्रदेश में भी विधानसभा चुनाव लड़ने जा रहे हैं." अखिलेश ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को 'उद्घाटन का ही उद्घाटन करने वाला सीएम' करार दिया जो उनके राज्य में किये गए कार्यो का उद्घाटन कर विकास गिनवा रहे है.

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पत्थरबाजों की माफी मामले में नहीं होगा पुनर्विचार

भले ही जम्मू -कश्मीर में राज्यपाल का शासन लग गया हो लेकिन महबूबा मुफ्ती सरकार के दौरान पत्थरबाजों को माफी देने के फैसले पर पुनर्विचार नहीं किया जाएगा . यह जानकारी गृहमंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने दी . बता दें कि गृह मंत्रालय के इस अधिकारी ने बताया कि महबूबा मुफ्ती की सरकार के दौरान आम जनता के बीच सही संदेश देने के लिए कई फैसले लिए गए। इनमें पत्थरबाजों को माफी देने का फैसला भी शामिल है.इन फैसलों को अब वापस लेना न तो सम्भव है और न उचित है . राज्यपाल शासन लगने के बाद भी आम जनता के बीच पहुंच बनाने के प्रयास जारी रहेंगे. उल्लेखनीय है कि केंद्र की ओर से नियुक्त वार्ताकार दिनेश्वर शर्मा अब भी विभिन्न वर्गो से मुलाकात कर बातचीत से समस्या से समाधान खोज रहे हैं. ऐसे में पत्थरबाजों के खिलाफ वापस लिए मामलों को दोबारा शुरू नहीं किया जाएगा ,लेकिन वैसे फैसले वापस हो सकते हैं सेना के मनोबल को तोड़ते हैं.इनमें मेजर गोगोई के खिलाफ एफआईआर का मामला शामिल हैं.राज्यपाल शासन में सिर्फ आतंकियों से निपटने के तरीके में अंतर आ जाएगा और सुरक्षा बलों को उनके खिलाफ कार्रवाई की पूरी छूट होगी.

भले ही जम्मू -कश्मीर में राज्यपाल का शासन लग गया हो लेकिन महबूबा मुफ्ती सरकार के दौरान पत्थरबाजों को माफी देने के फैसले पर पुनर्विचार नहीं किया जाएगा . यह जानकारी गृहमंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने दी . बता …

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पीडीपी से समर्थन वापस लेने का फैसला चुनावी नहीं – शाह

भाजपा अध्यक्ष अमित शाह का का कहना है कि जम्मू -कश्मीर में पीडीपी से समर्थन वापसी का फैसला 2019 के लोक सभा चुनाव को लेकर नहीं लिया गया. इसके लिए उन्होंने जम्मू-कश्मीर के दबाव समूहों को राज्य के तीनों क्षेत्रों (जम्मू, कश्मीर घाटी और लद्दाख) के लिए समान विकास से जुड़ी उनकी पार्टी की कोशिशों को बाधित करने का दोषी ठहराया. बता दें कि पीडीपी-भाजपा गठबंधन के टूटने के बाद पहली बार प्रतिक्रिया देते हुए शाह ने एक चैनल के साक्षात्कार में कहा कि पीडीपी से समर्थन वापस लेने का फैसला 2019 के लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए नहीं लिया गया. यदि ऐसा होता तो यह फैसला छह महीने बाद लिया जाता. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को पर्याप्त धनराशि दिए जाने के बावजूद कश्मीरी पंडितों और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से राज्य में पहुंचे लोगों को राहत एवं पुनर्वास उपलब्ध कराने की कोशिशों एवं अन्य मुद्दों में खास प्रगति नहीं हुई . उल्लेखनीय है कि इस विशेष साक्षात्कार में शाह ने कहा कि उपरोक्त मामलों में ज्यादा इंतजार नहीं किया जा सकता था.महबूबा मुफ्ती का इरादा गलत नहीं था लेकिन कई तरह के दबाव समूह आने से संतुलित विकास का सपना टूट गया. जम्मू, कश्मीर और लद्दाख के तीनों क्षेत्रों में जो संतुलित विकास होना चाहिए था, वह नहीं हुआ .साथ ही कानून व्यवस्था की स्थिति भी बदतर हुई. इसलिए यह फैसला लिया. 2015 में खंडित जनादेश में पीडीपी के साथ हाथ मिलाने के अलावा कोई विकल्प नहीं था.

भाजपा अध्यक्ष अमित शाह का का कहना है कि जम्मू -कश्मीर में पीडीपी से समर्थन वापसी का फैसला 2019 के लोक सभा चुनाव को लेकर नहीं लिया गया. इसके लिए उन्होंने जम्मू-कश्मीर के दबाव समूहों को राज्य के तीनों क्षेत्रों …

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BJP-PDP ALLIANCE: जम्मू-कश्मीर पुलिस प्रमुख वैद्य का कश्मीर पर बड़ा बयान

जम्मू-कश्मीर में मौजूदा बीजेपी और पीडीपी गठबंधन के टूटने के बाद यहाँ पर कुछ नए मोड़ सामने आ सकते है. हाल ही में सरकार गिरने के बाद जम्मू कश्मीर के पुलिस प्रमुख एस पी वैद्य का बयान इस ओर इशारा कर रहा है. एस पी वैद्य ने इस बारे में कहा है कि "रमजान के महीने में संघर्षविराम लगने के बाद यहाँ पर आतंकवादी गतिविधियों में तेजी आई थी जिसके चलते हम अभियान को आगे नहीं बढ़ा पाए जिसके बाद अब यहाँ अभियान तेज होंगे." वहीं कश्मीर में सुरक्षा के मद्देनजर आगे के प्लान पर बोलते हुए वैद्य ने कहा कि "रमजान में संघर्षविराम के समय आतंकवादी गतिविधियों में बढोत्तरी हुई. लेकिन हम कोई कसर नहीं छोड़ेंगे और अब आतंकवादियों के खिलाफ अभियान तेज करेंगे." वैद्य ने गठबंधन टूटने के बाद आगे कहा कि "अब कश्मीर में हालातों से लड़ना आसान हो जाएगा." बता दें, हाल ही में घाटी में संघर्ष विराम के बाद रमजान के महीने आतंकवादी गतिविधियों में तेजी आई थी जिसके चलते घाटी में शांति के लिए काम करने वाले पत्रकार शुजात बुखारी की आतंकवादियों ने हत्या कर दी थी, जिसके बाद कश्मीर के लिए एक और बुरी खबर आई थी, जिसमें सेना के जवान औंरगजेब की किडनैपिंग के बाद आतंकवादियों के द्वारा हत्या कर दी गई थी.

जम्मू-कश्मीर में मौजूदा बीजेपी और पीडीपी गठबंधन के टूटने के बाद यहाँ पर कुछ नए मोड़ सामने आ सकते है. हाल ही में सरकार गिरने के बाद जम्मू कश्मीर के पुलिस प्रमुख एस पी वैद्य का बयान इस ओर इशारा …

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निर्मला सीतारमण के पति ने आंध्र के सलाहकार का पद त्यागा

रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण के पति पी प्रभाकर ने अंततः आंध्र प्रदेश सरकार के सलाहकार (संचार) के पद से इस्तीफा दे ही दिया. जब से टीडीपी ने एनडीए से बाहर होने का निर्णय लिया उसके बाद से ही यह संभावना व्यक्त की जा रही थी. बता दें कि प्रभाकर मुख्यमंत्री के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी के रूप में कार्यरत थे. बता दें कि पी प्रभाकर ने मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू को कल मंगलवार को दो पेज का त्यागपत्र भेज दिया. जिसमें उन्होंने लिखा कि ‘मेरे सलाहकार के पद पर बने रहने से राज्य के हितों के लिए केंद्र से लड़ने की आपकी प्रतिबद्धता पर सवाल नहीं उठने चाहिए. मेरे कारण सरकार की विश्वसनीयता पर भी असर नहीं पड़ना चाहिए.' हालाँकि प्रभाकर का कार्यकाल वैसे भी करीब एक पखवाड़े के बाद समाप्त होने वाला था. उल्लेखनीय है कि आंध्र को विशेष राज्य का दर्जा देने के मामले को लेकर टीडीपी ने एनडीए से गठबंधन तोड़ लिया था.इसके बाद से ही प्रभाकर निशाने पर आ गए थे.इस मामले में वाईएसआर कांग्रेस सहित कुछ विपक्षी दलों ने प्रभाकर के पद पर बने रहने पर मुख्यमंत्री की प्रतिबद्धता पर सवाल उठाया था. विपक्ष इस मामले में सरकार पर हमलावर था. आपको जानकारी दे दें कि 1994 में प्रभाकर नरसापुर सीट पर कांग्रेस से चुनाव लड़ चुके हैं.

रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण के पति पी प्रभाकर ने अंततः आंध्र प्रदेश सरकार के सलाहकार (संचार) के पद से इस्तीफा दे ही दिया. जब से टीडीपी ने एनडीए से बाहर होने का निर्णय लिया उसके बाद से ही यह संभावना …

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योगेंद्र यादव का ट्वीट, खूब हुई केजरीवाल की पब्लिसिटी…..

मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल नौ दिनों से उप राज्यपाल के दफ्तर में धरने पर बैठे. कल उसका अंत हुआ मगर केजरीवाल पर विपक्षी हमले जारी है.इसी बीच टीम केजरीवाल के बागी भी पीछे नहीं है. अब योगेंद्र यादव ने ट्वीट किया कि खेल खत्म, फुटेज हजम. दस दिन के इस ड्रामे से आखिर दिल्ली की जनता को क्या मिला. मुख्यमंत्री ने अफसरों से अपील की, अफसरों और मंत्रियों की मीटिंग तय हो गई. क्या एलजी ने बैठक बुलाई, हड़ताल तुड़वाई? आखिर राशन डिलीवरी की मांग कहां गई, हां पब्लिसिटी खूब हुई. और क्या चाहिए. धरना ख़त्म होने के बाद दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने प्रेस कॉन्फ्रेंस भी की. उन्होंने कहा कि ज्यादातर अधिकारी काम पर लौट आए हैं. अधिकारियों ने मंत्रियों की बैठक में हिस्सा लिया. मनीष सिसोदिया ने दूसरे मंत्रियों के साथ मंगलवार को कामकाज संभाला था. हालांकि, मनीष सिसोदिया ने कहा कि हमने एलजी हाउस पर धरना नहीं दिया था, हम LG साहब से मिलने के लिए इंतज़ार कर रहे थे. राशन की बात अब हम जनता के बीच में जाकर ही करेंगे. मनीष सिसोदिया ने कहा कि सभी मंत्रियों की तरफ से कुछ रिव्यू बैठक बुलाई गई है. दलाई लामा को एक कार्यक्रम में दिल्ली आना है, उस आयोजन के लिए कल एक बैठक बुलाई गई है.

मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल नौ दिनों से उप राज्यपाल के दफ्तर में धरने पर बैठे. कल उसका अंत हुआ मगर केजरीवाल पर विपक्षी हमले जारी है.इसी बीच टीम केजरीवाल के बागी भी पीछे नहीं है. अब योगेंद्र यादव ने ट्वीट किया …

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8 बार लग चूका है घाटी में राज्यपाल का शासन, जानिए क्यों

जम्मू-कश्मीर में इस समय हालत बद से बदतर बने हुए है, ऐसे दौर में कश्मीर में शान्ति की वकालत करने वाले कुछ लोगों के लिए भाजपा और पीडीपी गठबंधन का टूटना निराशाजनक फैसला है. ऐसे में आपको बता दें, कश्मीर में राज्यपाल का शासन लगने वाला है लेकिन उसके विपरीत यह कश्मीर के लिए कोई नई बात नहीं है यहाँ पर पिछले 40 सालों में आठ बार राज्यपाल का शासन लग चूका है. बता दें, राज्य में 2008 से राज्यपाल का पद संभाले हुए एन एन वोहरा के रहते हुए ही यह चौथा मौका है जब कश्मीर में सरकारों के बीच मतभेद नजर आ रहे है, हालाँकि कुछ जगह राज्यपाल शासन लगाने के पीछे दूसरे कारण थे जिनमें पिछली बार मुफ्ती मोहम्मद सईद के निधन के बाद आठ जनवरी 2016 को जम्मू-कश्मीर में राज्यपाल शासन लागू हुआ था. उस दौरान पीडीपी और भाजपा ने कुछ समय के लिए सरकार गठन को टालने का निर्णय किया था. कश्मीर के हालातों की मुख्य वजह जो है वो यह है कि 2015 के जम्मू कश्मीर विधानसभा चुनाव के बाद यहाँ पर भाजपा और पीडीपी में गठबंधन हुआ था. दोनों दलों ने यहाँ पर मिलकर सरकार चलाने का ऐलान किया था लेकिन मंगलवार को भाजपा ने इस गठबंधन से अपना नाम वापस ले लिया, जिसके बाद एक बार यहाँ पर हालात एक बार ऐसे हो गए है जब कश्मीर के लोगों के लिए किसी प्रकार का कोई नेतृत्व यहाँ पर मौजूद नहीं है.

जम्मू-कश्मीर में इस समय हालत बद से बदतर बने हुए है, ऐसे दौर में कश्मीर में शान्ति की वकालत करने वाले कुछ लोगों के लिए भाजपा और पीडीपी गठबंधन का टूटना निराशाजनक फैसला है. ऐसे में आपको बता दें, कश्मीर …

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मनोज तिवारी का वार, केजरीवाल खुद को बदलने को तैयार नहीं

केजरीवाल के धरने के खिलाफ हाइकोर्ट ने सोमवार को कहा कि 'दिल्ली की जनता पानी के लिए परेशान है और सीएम धरना दे रहे हैं?' इसपर मनोज तिवारी ने कहा कि "पानी को लेकर जो टिप्पणी की है कोर्ट ने वो बहुत महत्वपूर्ण है और लगता है कि दिल्ली के लोग अब राहत की सांस लेंगे". अफसरों से सीएम द्वारा उनकी सुरक्षा की गारंटी लेने वाली अपील पर भी मनोज तिवारी ने कहा कि 'केजरीवाल के खाने के दांत कुछ और हैं जबकि दिखाने के दांत कुछ और हैं.'

अरविंद केजरीवाल का धरना हाइकोर्ट और विपक्षी दल दोनों को नागवार गुजरा है. बीजेपी के दिल्ली अध्यक्ष मनोज तिवारी इस मौके को छोड़ने वालो में से नहीं है. उत्तर पूर्वी दिल्ली से सांसद मनोज तिवारी ने हाइकोर्ट की टिप्पणी के …

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कम्युनिस्ट पार्टी ने राज्यपालों की भूमिका पर सवाल उठाए

सीपीएम के महासचिव सीताराम येचुरी और सीपीआई के सचिव अतुल अंजान ने राज्यपालों की भूमिका पर सवाल उठाते हुए इनके राजनीतिक दुरुपयोग का आरोप लगाया.उन्होंने भाजपा को सत्ता से बाहर करने को जरुरी बताया. यह बात उन्होंने जयपुर में मीडिया के सामने कही . जयपुर में सीपीएम के महासचिव सीताराम येचुरी और सीपीआई के सचिव अतुल अंजान ने राज्यपालों की भूमिका लो लेकर आपत्ति ली.उन्होंने कहा कि कर्नाटक के राज्यपाल का इस्तेमाल जनादेश को हड़पने के लिए किया गया, वहीं दिल्ली में उपराज्यपाल चुनी हुई सरकार को काम नहीं करने दिया जा रहा है. पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी और केरल में कांग्रेस के साथ चुनाव पूर्व गठबंधन नहीं होने लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर चुनाव के बाद गठबंधन के रास्ते खुले रखने के भी संकेत दिए. उल्लेखनीय है कि केंद्र की भाजपा सरकार की आर्थिक मोर्चे पर असफलता का जिक्र करते हुए कहा कि आज देश में हर वर्ग के लोगों के जीवन में गिरावट आई सिवाय अमीरों को छोड़कर .भाजपा सांप्रदायिक ध्रुवीकरण कर देश में नफरत फैला रही है.धर्मनिरपेक्ष वोटों का बंटवारा रोकने के लिए सभी दल एकजुट होकर भाजपा को हराएंगे.राजस्थान विधानसभा चुनाव के लिए अतुल अंजान ने समान विचारधारा वाले दलों के साथ गठबंधन करने की इच्छा जाहिर की.

सीपीएम के महासचिव सीताराम येचुरी और सीपीआई के सचिव अतुल अंजान ने राज्यपालों की भूमिका पर सवाल उठाते हुए इनके राजनीतिक दुरुपयोग का आरोप लगाया.उन्होंने भाजपा को सत्ता से बाहर करने को जरुरी बताया. यह बात उन्होंने जयपुर में मीडिया …

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कांग्रेस के 43 साल पुराने दर्द पर ऐसे जश्न मनाएगी भाजपा

बता दे कि इससे पहले भी कई बार भाजपा कांग्रेस को इस घटना के लिए कोसती रही हैं. बताया जा रहा है कि 25 जून को भाजपा नेता, मंत्री और भाजपा समर्थक अपने-अपने इलाकों में जाकर लोगों को आपातकाल के बारे में बताएंगे कि कैसे उस वक्त इंदिरा गांधी के राज ने किस प्रकार शासन किया था.

देश की दो दिग्गज राजनीतिक पार्टियां विपक्ष कांग्रेस और सत्ता दल भारतीय जनता पार्टी के बीच लगातार आए दिन आरोप-प्रत्यारोप का दौर देखने को मिलता हैं. सत्ता दल भाजपा कभी कांग्रेस को आड़े हाथों लेती है, तो वहीं कांग्रेस भी …

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