राजनीति

यशवंत-शत्रुघ्न और प्रवीण तोगड़िया आज मंदसौर में

देश भर में चल रहे किसान आंदोलन का आज आठवां दिन है वही मध्य प्रदेश में चल रहे गांव बंद आंदोलन को भी विपक्ष का समर्थन मिल रहा है.इसी बीच मंदसौर में भाजपा सांसद शत्रुघ्न सिन्हा और पूर्व वित्त मंत्री …

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अमित शाह उद्धव ठाकरे से मिले ,गठबंधन पर नहीं खुले पत्ते

शिव सेना से जारी तनावपूर्ण संबंधों को ठीक करने के मकसद से भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने बुधवार की शाम शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे के साथ मातोश्री में लम्बी बैठक की.बंद कमरे में चली करीब सवा दो घंटे की इस बैठक में दोनों नेताओं ने विभिन्न विषयों पर चर्चा की.इस बैठक में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और युवा सेना अध्यक्ष आदित्य ठाकरे भी मौजूद थे. इस बैठक के बाद ऐसा कहा जा रहा है कि इस मुलाकात के बाद उद्धव के रुख में नरमी तो आई, लेकिन उन्होंने साथ मिलकर अगला लोकसभा चुनाव लड़ने के बारे में कोई खुलासा नहीं किया है.हालाँकि भाजपा इस भेंट को सफल मान रही है. सूत्रों के अनुसार उद्धव ने शाह से केंद्र और राज्य में शिवसेना की उपेक्षा पर नाराजगी जताई. शाह ने आगामी चुनाव भाजपा के साथ लड़ने की बात कहकर भरोसा दिलाया कि राजग में शिवसेना को पूरा सम्मान दिया जाएगा.शिवसेना की शिकायतों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से चर्चा कर निवारण करने की भी बात कही गई. बता दें कि मातोश्री में उद्धव के साथ हुई बैठक के बाद दोनों नेताओं की भाव भंगिमा देख कर यह अंदाजा लगाया गया कि दोनों के बीच सकारात्मक चर्चा हुई .इस बैठक के बाद अमित शाह ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के साथ सह्याद्री अतिथि गृह में भाजपा नेताओं के साथ देर रात तक पार्टी पदाधिकारियों के साथ बैठक की जिसमें उद्धव से हुई चर्चा पर शाह ने मंथन किया . हालाँकि भाजपा इस बैठक को सफल मान रही है , लेकिन शिव सेना द्वारा गठबंधन पर पत्ते नहीं खोलने से पेंच अभी भी फंसा हुआ दिख रहा है.

शिव सेना से जारी तनावपूर्ण संबंधों को ठीक करने के मकसद से भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने बुधवार की शाम शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे के साथ मातोश्री में लम्बी बैठक की.बंद कमरे में चली करीब सवा दो घंटे की इस …

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शर्मिष्ठा को प्रणब का नागपुर जाना रास नहीं आया

एक ओर जहां देश के पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी संघ मुख्यालय नागपुर में अपना सम्बोधन देंगे , वहीं दूसरी ओर उन्हीं की बेटी शर्मिष्ठा को अपने पिता का नागपुर जाना पसंद नहीं आया. पिता के इस फैसले को गलत बताते हुए शर्मिष्ठा ने कहा कि संघ मुख्यालय में उनका संबोधन भुला दिया जाएगा लेकिन इससे जुड़ीं तस्वीरें बनी रहेंगी. बता दें कि शर्मिष्ठा ने अपने ट्वीट में कहा कि संघ का न्योता स्वीकार कर पूर्व राष्ट्रपति ने भाजपा और संघ को झूठी कहानियां गढ़ने का मौका दे दिया है.पूर्व राष्ट्रपति जल्द ही समझ जाएंगे कि भाजपा की गंदी चालबाजी कैसे काम करती है. संघ कभी नहीं मानेगा कि अपने ( यानी प्रणब के) भाषण में आप इसके विचारों की तारीफ़ कर रहे हैं. उन्होंने संघ की नीयत पर सवाल उठाए हैं. उल्लेखनीय है कि शर्मिष्ठा का यह बयान उन खबरों के बाद आया है, जिनमें कहा गया है कि वह भाजपा में शामिल हो रही है.इन अफवाहों को खारिज करते हुए शर्मिष्ठा ने कहा कि वह कांग्रेस छोड़ने के बजाय राजनीति से संन्यास लेना पसंद करेंगी.कांग्रेस छोड़ने की अफवाह को बकवास बताया.उधर, दिल्ली कांग्रेस के प्रमुख अजय माकन ने भी शर्मिष्ठा के भाजपा में शामिल होने की अफवाहों का खंडन किया है.

एक ओर जहां देश के पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी संघ मुख्यालय नागपुर में अपना सम्बोधन देंगे , वहीं दूसरी ओर उन्हीं की बेटी शर्मिष्ठा को अपने पिता का नागपुर जाना पसंद नहीं आया. पिता के इस फैसले को गलत बताते …

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मोदी को रोकने राहुल ने बदली रणनीति

पिछले कुछ दिनों से राहुल गाँधी के न केवल व्यवहार में अंतर देखा जा रहा है , बल्कि पीएम मोदी को फिर सत्ता में न आने देने के लिए लगातार अपनी नीतियों में भी बदलाव कर रहे हैं. इसके तहत वे उन कुछ नेताओं के प्रति भी अपना रवैया बदल रहे हैं जिन्होंने पार्टी से दगा किया था . इसमें आंध्र के वाई.एस.आर. कांग्रेस के नेता जगनमोहन रेड्डी भी शामिल हैं , जिन्हें वह गले लगाना चाहते हैं. आपको बता दें कि इन दिनों कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी के स्वभाव में परिवर्तन देखा जा रहा है.यह बदलाव 2019 के लोकसभा चुनावों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को हर कीमत पर सत्ता में वापस आने से रोकने के लिए है .इसके लिए वे नापसंद लोगों को भी तरजीह देने लगे हैं. पहले उन्होंने कमलनाथ को पार्टी की मध्य प्रदेश यूनिट का अध्यक्ष बनाया , जबकि वह निजी तौर पर उन्हें पसंद नहीं करते. इसी तरह उन्होंने वाई.एस.आर. कांग्रेस के नेता जगनमोहन रेड्डी के साथ संबंध बनाने की संभावनाओं का पता लगाने को कहा है. कांग्रेस पार्टी आंध्र प्रदेश में वाई.एस.आर.रेड्डी को साथ मिलाना चाहती है. उल्लेखनीय है कि इन दिनों राहुल हर उस पार्टी के नेताओं से हाथ मिलाने को तैयार है , जो मोदी को सत्ता में आने से रोक सके.इस रणनीति के तहत ही दिग्विजय सिंह को आंध्र प्रदेश के प्रभारी पद से हटा कर केरल के पूर्व मुख्यमंत्री ओमान चांडी को पार्टी का महासचिव प्रभारी बनाया गया .स्मरण रहे कि चांडी वाई.एस. चंद्रशेखर रेड्डी के बहुत नजदीक हैं. राहुल गांधी इसी तरह की रणनीति हर राज्य में अपना रहे हैं. उनका मकसद भाजपा को हर कीमत पर सत्ता से हटाना हैपिछले कुछ दिनों से राहुल गाँधी के न केवल व्यवहार में अंतर देखा जा रहा है , बल्कि पीएम मोदी को फिर सत्ता में न आने देने के लिए लगातार अपनी नीतियों में भी बदलाव कर रहे हैं. इसके तहत वे उन कुछ नेताओं के प्रति भी अपना रवैया बदल रहे हैं जिन्होंने पार्टी से दगा किया था . इसमें आंध्र के वाई.एस.आर. कांग्रेस के नेता जगनमोहन रेड्डी भी शामिल हैं , जिन्हें वह गले लगाना चाहते हैं. आपको बता दें कि इन दिनों कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी के स्वभाव में परिवर्तन देखा जा रहा है.यह बदलाव 2019 के लोकसभा चुनावों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को हर कीमत पर सत्ता में वापस आने से रोकने के लिए है .इसके लिए वे नापसंद लोगों को भी तरजीह देने लगे हैं. पहले उन्होंने कमलनाथ को पार्टी की मध्य प्रदेश यूनिट का अध्यक्ष बनाया , जबकि वह निजी तौर पर उन्हें पसंद नहीं करते. इसी तरह उन्होंने वाई.एस.आर. कांग्रेस के नेता जगनमोहन रेड्डी के साथ संबंध बनाने की संभावनाओं का पता लगाने को कहा है. कांग्रेस पार्टी आंध्र प्रदेश में वाई.एस.आर.रेड्डी को साथ मिलाना चाहती है. उल्लेखनीय है कि इन दिनों राहुल हर उस पार्टी के नेताओं से हाथ मिलाने को तैयार है , जो मोदी को सत्ता में आने से रोक सके.इस रणनीति के तहत ही दिग्विजय सिंह को आंध्र प्रदेश के प्रभारी पद से हटा कर केरल के पूर्व मुख्यमंत्री ओमान चांडी को पार्टी का महासचिव प्रभारी बनाया गया .स्मरण रहे कि चांडी वाई.एस. चंद्रशेखर रेड्डी के बहुत नजदीक हैं. राहुल गांधी इसी तरह की रणनीति हर राज्य में अपना रहे हैं. उनका मकसद भाजपा को हर कीमत पर सत्ता से हटाना है

पिछले कुछ दिनों से राहुल गाँधी  के न केवल व्यवहार में अंतर देखा जा रहा है , बल्कि पीएम मोदी को फिर सत्ता में न आने देने के लिए लगातार अपनी नीतियों में भी बदलाव कर रहे हैं. इसके तहत वे उन …

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शाह की बादल से भेंट से पहले कांग्रेस हुई बेचैन

चंडीगढ़ : संपर्क फॉर समर्थन के तहत भाजपा अध्यक्ष अमित शाह आज पुराने सहयोगी शिरोमणि अकाली दल के संरक्षक व पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल से यहां मुलाकात करेंगे. लेकिन इस मुलाकात से पहले ही कांग्रेस की बेचैनी उसके बयान से झलकने लगी है. कांग्रेस ने कहा है कि यह मुलाकात राहुल गांधी के कारण संभव हो रही है. बता दें कि शाह व बादल की बैठक से पहले ही कांग्रेस के प्रदेश प्रधान सांसद सुनील जाखड़ ने बुधवार को कहा कि यह मुलाकात राहुल गांधी के कारण संभव हो रही है. गुजरात व कर्नाटक चुनाव में राहुल के नेतृत्व का ही नतीजा है कि अब भाजपा को चार साल बाद अकाली दल की याद आई है . जाखड़ ने अकाली दल से शाह के सामने किसान समस्या,यमुना लिंक और श्री गुरु नानक देव जी के 550वें जन्म दिवस समारोह के लिए 2145.31 करोड़ रुपये केंद्र से मांगने का मुद्दा रखने की भी बात कही .जबकि इसका पलटवार करते हुए शिअद ने कहा कि कांग्रेस के नेता गांधी परिवार की खुशामद करने से कभी नहीं चूकते हैं. उल्लेखनीय है कि अमित शाह आज गुरुवार को पूर्व सीएम बादल के अलावा अकाली दल के अध्यक्ष व पूर्व डिप्टी सीएम सुखबीर सिंह बादल के साथ भी चंडीगढ़ में बैठक करेंगे. यह मुलाकात लोक सभा चुनाव 2019 के लिए अन्य दलों का समर्थन हासिल करने के उद्देश्य से आयोजित की गई है.हालाँकि अकाली दल भाजपा का पूर्व सहयोगी है.

चंडीगढ़ : संपर्क फॉर समर्थन के तहत भाजपा अध्यक्ष अमित शाह आज पुराने सहयोगी शिरोमणि अकाली दल के संरक्षक व पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल से यहां मुलाकात करेंगे. लेकिन इस मुलाकात से पहले ही कांग्रेस की बेचैनी उसके बयान …

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सांस्कृतिक सरोकारों ने खुद को मजबूत करेगी भाजपा

गोरखपुर और फूलपुर के बाद कैराना व नूरपुर की हार से चिंतित भाजपा के रणनीतिकार सांस्कृतिक सरोकारों से सियासी रंग को चटख करने की तैयारी में हैं। भगवा टोली ने विपक्षी दलों के गठबंधन से बनने वाले सामाजिक समीकरणों की …

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राम देव से मिलना करोड़ों लोगों से मिलने के बराबर – अमित शाह

समर्थन के लिए संपर्क अभियान के तहत अमित शाह ने सोमवार को योग गुरु रामदेव से मिलने के बाद कहा कि योग गुरु से मिलना करोड़ों लोगों से मिलने के समान है. बता दें कि इस दौरान शाह ने केंद्र की मोदी सरकार की चार साल की उपलब्धियां गिनाने के लिए सम्पर्क किया. बता दें कि इस मौके पर बाबा रामदेव ने पीएम मोदी की खूब प्रशंसा करते हुए कहा कि पीएम मोदी ने देश को उस समय नया रास्ता दिखाया जिस समय पूरे देश में असमंजस की स्थिति बनी हुई थी. उन्होंने कालेधन पर लगाम लगाने के लिए एसआईटी गठित की और कई नए कानून भी बनाए. उल्लेखनीय है कि भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की समर्थन के लिए सम्पर्क अभियान के तहत देश की 50 चुनिंदा हस्तियों से मुलाकात करने की योजना है . वे अब तक पूर्व सेना प्रमुख जनरल दलबीर सिंह सुहाग, संविधान विशेषज्ञ सुभाष कश्यप और पूर्व क्रिकेटर कपिल देव से मिल चुके हैं . अमित शाह ने कल देर शाम सुप्रीम कोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस आरसी लाहोटी से नोएडा स्थित उनके आवास पर भेंट कर मोदी सरकार द्वारा पिछले चार साल में उठाए गए ऐतिहासिक कदमों और उपलब्धियों की जानकारी दी . यह जानकारी शाह ने अपने ट्वीट में दी

समर्थन के लिए संपर्क अभियान के तहत अमित शाह ने सोमवार को योग गुरु रामदेव से मिलने के बाद कहा कि योग गुरु से मिलना करोड़ों लोगों से मिलने के समान है. बता दें कि इस दौरान शाह ने केंद्र …

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कर्नाटक: मंत्रिमंडल का विस्तार कल संभव

खबर थी कि कर्नाटक में मंत्रिमंडल का विस्तार 5 जून को किया जाना है. मगर अब किन्ही करने से यही नहीं हो सका और इसके लिए कल यानी 6 जून को संभावना ये जताई जा रही है. सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के अनुसार 6 जून को मंत्रिमंडल का पहला विस्तार संभव है. गौरतलब है कि मंत्रियों के विभागों के बंटवारे को लेकर कांग्रेस-जेडी(एस) के बीच खींचतान अब सुलझ गई है और कर्नाटक में एचडी कुमारस्वामी के नेतृत्व में दोनों दलों में विभागों के बंटवारे पर सहमति बन गई है.सूत्रों की मानें तो दोनों पार्टियां अपने-अपने कोटे के 2-3 पद खाली रखेगी. कांग्रेस के 22 में ले 19-20 और जेडीएस के 12 में से 9-10 मंत्री शपथ ले सकते हैं. बताया जा रहा है कि ऊर्जा मंत्रालय को लेकर दोनों पार्टी में खींचतान चल रही है. फ़िलहाल कांग्रेस को गृह, सिंचाई, बेंगलुरु डेवलेपमेंट, उद्योग एवं शुगर इंडस्ट्री, स्वास्थ्य, राजस्व, समाज कल्याण, महिला एवं बाल कल्याण जैसे 22 मंत्रालय देने कि बात चल रही है वही जेडीएस के हिस्से में सूचना विभाग, खुफिया विभाग, वित्त एवं आबकारी, पीडब्ल्यूडी, बिजली विभाग, पर्यटन, कॉपरेशन, शिक्षा एवं मेडिकल शिक्षा, पशुपालन, बागवानी, छोटे उद्योग, परिवहन विभाग सहित 12 मंत्रालय दिए जाने पर सहमति बनी है. कांग्रेस ने पहले ही साफ कर दिया है कि कुमार स्वामी को बतौर मुख्यमंत्री पांच तक समर्थन दिया जायेगा. दोनों पार्टियां मिलकर 2019 का लोकसभा चुनाव लड़ेंगी. सारे अटकलों पर विराम लगाते हुए कांग्रेस के महासचिव अशोक गहलोत ने कहा था कि हमारा फोकस केवल विभागों के बंटवारे पर नहीं है. गठबंधन को मजबूत बनाने और दोनों दलों में बेहतर तालमेल के लिए एक को-ऑर्डिनेशन कमिटी के साथ ही कॉमन मिनिमम प्रोग्राम बनाने जा रहे हैं. अहम मंत्रालयों को लेकर कांग्रेस और जेडी(एस) के बीच बात बन गई है. वित्त मंत्रालय जेडी(एस) के पास रहेगा, वहीं गृह मंत्रालय कांग्रेस के मंत्री संभालेंगे. जेडी(एस) के महासचिव ने दानिश अली ने बताया, 'सभी मसलों को सुलझाकर गठबंधन सरकार को पांच साल तक कांग्रेस समर्थन देने के लिए राजी है और यह फैसला लिखित रूप में ऐलान किया जाएगा. हम चाहते हैं हर चीज लिखित हो, जिससे सरकार चलाने में मदद मिले. दोनों दलों के बीच यह सहमति बन गई है कि एचडी कुमारस्वामी ही पांच साल तक मुख्यमंत्री रहेंगे.खबर थी कि कर्नाटक में मंत्रिमंडल का विस्तार 5 जून को किया जाना है. मगर अब किन्ही करने से यही नहीं हो सका और इसके लिए कल यानी 6 जून को संभावना ये जताई जा रही है. सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के अनुसार 6 जून को मंत्रिमंडल का पहला विस्तार संभव है. गौरतलब है कि मंत्रियों के विभागों के बंटवारे को लेकर कांग्रेस-जेडी(एस) के बीच खींचतान अब सुलझ गई है और कर्नाटक में एचडी कुमारस्वामी के नेतृत्व में दोनों दलों में विभागों के बंटवारे पर सहमति बन गई है.सूत्रों की मानें तो दोनों पार्टियां अपने-अपने कोटे के 2-3 पद खाली रखेगी. कांग्रेस के 22 में ले 19-20 और जेडीएस के 12 में से 9-10 मंत्री शपथ ले सकते हैं. बताया जा रहा है कि ऊर्जा मंत्रालय को लेकर दोनों पार्टी में खींचतान चल रही है. फ़िलहाल कांग्रेस को गृह, सिंचाई, बेंगलुरु डेवलेपमेंट, उद्योग एवं शुगर इंडस्ट्री, स्वास्थ्य, राजस्व, समाज कल्याण, महिला एवं बाल कल्याण जैसे 22 मंत्रालय देने कि बात चल रही है वही जेडीएस के हिस्से में सूचना विभाग, खुफिया विभाग, वित्त एवं आबकारी, पीडब्ल्यूडी, बिजली विभाग, पर्यटन, कॉपरेशन, शिक्षा एवं मेडिकल शिक्षा, पशुपालन, बागवानी, छोटे उद्योग, परिवहन विभाग सहित 12 मंत्रालय दिए जाने पर सहमति बनी है. कांग्रेस ने पहले ही साफ कर दिया है कि कुमार स्वामी को बतौर मुख्यमंत्री पांच तक समर्थन दिया जायेगा. दोनों पार्टियां मिलकर 2019 का लोकसभा चुनाव लड़ेंगी. सारे अटकलों पर विराम लगाते हुए कांग्रेस के महासचिव अशोक गहलोत ने कहा था कि हमारा फोकस केवल विभागों के बंटवारे पर नहीं है. गठबंधन को मजबूत बनाने और दोनों दलों में बेहतर तालमेल के लिए एक को-ऑर्डिनेशन कमिटी के साथ ही कॉमन मिनिमम प्रोग्राम बनाने जा रहे हैं. अहम मंत्रालयों को लेकर कांग्रेस और जेडी(एस) के बीच बात बन गई है. वित्त मंत्रालय जेडी(एस) के पास रहेगा, वहीं गृह मंत्रालय कांग्रेस के मंत्री संभालेंगे. जेडी(एस) के महासचिव ने दानिश अली ने बताया, 'सभी मसलों को सुलझाकर गठबंधन सरकार को पांच साल तक कांग्रेस समर्थन देने के लिए राजी है और यह फैसला लिखित रूप में ऐलान किया जाएगा. हम चाहते हैं हर चीज लिखित हो, जिससे सरकार चलाने में मदद मिले. दोनों दलों के बीच यह सहमति बन गई है कि एचडी कुमारस्वामी ही पांच साल तक मुख्यमंत्री रहेंगे.

खबर थी कि कर्नाटक में मंत्रिमंडल का विस्तार 5 जून को किया जाना है. मगर अब किन्ही करने से यही नहीं हो सका और इसके लिए कल यानी 6 जून को संभावना ये जताई जा रही है. सूत्रों के हवाले …

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क्या होगा तिलमिलाए शरद यादव का अगला कदम

मौजूदा सियासत में विपक्ष की मजबूत धुरियों में से एक जेडीयू के पूर्व अध्यक्ष शरद यादव भी विपक्षी एकजुटता का राग अलाप रहे है . वही दिल्ली हाईकोर्ट ने संसद की सदस्यता से जुड़े उनके मामले पर एक खंडपीठ को सुनवाई करने की सिफारिश की है. शरद यादव ने संसद की सदस्यता से उन्हें अयोग्य करार दिए जाने के राज्यसभा के सभापति के आदेश को चुनौती दी थी. राज्यसभा में जेडीयू के नेता राम चंद्र प्रसाद सिंह के वकील ने कहा कि यादव को अयोग्य ठहराये जाने से जुड़े विषय की सुनवाई अन्य मामलों में सुप्रीम कोर्ट की व्यवस्था के मुताबिक एक खंडपीठ द्वारा की जानी चाहिए. न्यायमूर्ति राजीव शकधर ने कहा कि सिंह को इस सिलसिले में एक अलग याचिका दायर करनी चाहिए. सिंह ने वरिष्ठ अधिवक्ता दिनेश द्विवेदी के जरिये अदालत के पिछले साल 15 दिसंबर के उस आदेश में संशोधन करने की मांग की, जिसके तहत यादव को सांसद के तौर पर वेतन भत्ता और बंगला की सुविधा पाने की इजाजत दी गई थी. गौरतलब है कि यादव को पिछले साल चार दिसंबर को सदन की सदस्यता से अयोग्य करार दिया गया था. साथ ही, उनके सहकर्मी अली अनवर को भी उच्च सदन की सदस्यता के लिए अयोग्य करार दिया गया था. राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू ने इस संबंध में अपनी विज्ञप्ति में कहा कि तत्काल प्रभाव से उनकी राज्यसभा की सदस्यता समाप्त की जाती है. राज्यसभा के सभापति जेडीयू के इस तर्क से सहमत थे कि दोनों वरिष्ठ नेताओं ने पार्टी के निर्देशों का उल्लंघन करते हुए और विपक्षी दलों के कार्यक्रमों में शामिल होकर स्वेच्छा से अपनी सदस्यता त्याग दी. जिसके बाद से शरद यादव तिलमाये हुए है.

मौजूदा सियासत में विपक्ष की मजबूत धुरियों में से एक जेडीयू के पूर्व अध्यक्ष शरद यादव भी विपक्षी एकजुटता का राग अलाप रहे है . वही दिल्ली हाईकोर्ट ने संसद की सदस्यता से जुड़े उनके मामले पर एक खंडपीठ को …

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एनडीए गठबंधन में तनातनी, जेडीयू बोली नीतीश है बॉस

देश में आम चुनावों की दस्तक साफ तौर पर देश की राजनीतिक पार्टियों में देखी जा सकती है. एक तरफ जहाँ एक विचारधारा की विपक्षी पार्टियों ने मिलकर महागठबंधन की घोषणा कर दी वहीं एनडीए ने भी आगामी चुनावों लेकर अपनी कोशिशें तेज कर दी है. अब एनडीए में सीटों के बंटवारे को लेकर बिहार में पेंच फंसता जा रहा है. एक तरफ जहाँ एनडीए समर्थित पार्टी जेडीयू अपने लिए ज्यादा सीटों की मांग कर रही है वहीं बीजेपी नरेंद्र मोदी के चेहरे को लेकर बिहार में अपना हक मांग रही है. बता दें, हाल ही में आये बिहार के जोकीहाट विधानसभा उपचुनाव के परिणामों में एनडीए के उम्मीदवार को आरजेडी की तरफ से हार का सामना करना जिसके बाद यहाँ पर सीटों की तनातनी शुरू हो गई है. जेडीयू का कहना है कि बिहार में एनडीए का मुख्य चेहरा नीतीश कुमार है इस हिसाब से उन्हें ज्यादा सीटें मिलनी चाहिए, वहीं बीजेपी अपने 2014 के चुनावों का जिक्र करते हुए लोकसभा चुनाव के लिए नरेंद्र मोदी को आगे कर रही है. इस बारे में सबसे अहम सवाल जो पैदा हो रहा है वो यह है कि इन चुनावों में सीटों के बंटवारे को लेकर आधार किसे बनाया जाएगा? जेडीयू के 2014 के ख़राब प्रदर्शन को या फिर 2019 में जेडीयू और बीजेपी ने साथ में चुनाव लड़ा था उसके परिणामों को, या फिर 2015 में बिहार में हुए विधानसभा चुनावों को, जिसमें जेडीयू ने बीजेपी का साथ छोड़कर कांग्रेस और आरजेडी के साथ गठबंधन कर लिया था. अब देखने वाली बात यह होगी कि एनडीए समर्थित इन पार्टियों में सुलह किस नतीजे पर पहुंचकर होती है.

देश में आम चुनावों की दस्तक साफ तौर पर देश की राजनीतिक पार्टियों में देखी जा सकती है. एक तरफ जहाँ एक विचारधारा की विपक्षी पार्टियों ने मिलकर महागठबंधन की घोषणा कर दी वहीं एनडीए ने भी आगामी चुनावों लेकर …

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