राजनीति

चुनाव आयोग ने बताया वीवीपैट में गड़बड़ी का कारण

कैराना और भंडारा गोंदिया लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव के समय ईवीएम से जुड़ी वीवीपैट में गड़बड़ी आने का कारणों का शुक्रवार को चुनाव आयोग ने खुलासा कर कहा कि वीवीपैट में गड़बड़ी उनके अत्यधिक रोशनी के संपर्क में आने के कारण हुई थी. बता दें कि वीवीपैट में गड़बड़ी के शिकायत के बाद चुनाव आयोग ने दो जाँच टीमें बनाई थी जिनकी प्रारंभिक रिपोर्ट में कहा गया है कि वीवीपैट में दो अहम तकनीकी कारण कन्ट्रास्ट सेंसर और लेंथ सेंसर का विफल रहना बताया है, जो मतदान केंद्रों पर वीवीपैट के अत्यधिक रोशनी के संपर्क में आने के कारण आई थी. स्मरण रहे कि इन दोनों लोकसभा सीटों पर 10365 वीवीपैट का उपयोग हुआ था जिसमें से 1202 को बदला गया था. इसे लेकर यूपी और महाराष्ट्र की भाजपा सरकार पर गड़बड़ी करने के आरोप लगाए गए थे. उल्लेखनीय है कि अब चुनाव आयोग ने वीवीपैट मशीनों की निर्माता कंपनियों इलेक्ट्रॉनिक्स कारपोरेशन ऑफ इंडिया और भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड से अपनी तकनीकी विशेषज्ञ समिति को मशीनों की डिजाइन में सुधार करने के सुझाव मांगे हैं . इसके अलावा मतदान केंद्रों के लेआउट में भी बदलाव का सुझाव माँगा गया है. ताकि भविष्य में वीवीपैट को अत्यधिक रोशनी से बचाया जा सके.

कैराना और भंडारा गोंदिया लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव के समय ईवीएम से जुड़ी वीवीपैट में गड़बड़ी आने का कारणों का शुक्रवार को चुनाव आयोग ने खुलासा कर कहा कि वीवीपैट में गड़बड़ी उनके अत्यधिक रोशनी के संपर्क में आने …

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अब महागठबंधन में शामिल होंगे उपेंद्र कुशवाहा?

आने वाले लोकसभा चुनाव को लेकर देशभर की राजनीतिक पार्टियों में हलचल देखने को मिल रही है, इसी के तहत बिहार में एनडीए गठबंधन को लेकर घमसान मचा हुआ है. वहीं बिहार के राजनीतिक माहौल में लगातार हो रही बयानबाजी अपने चरम पर है. वहीं एनडीए गठबंधन की पार्टी राष्ट्रीय लोक समता पार्टी को विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने महागठबंधन में शामिल होने के न्यौता दिया है. बता दें, हाल ही में नितीश कुमार की अगुवाई में एनडीए ने डिनर की पार्टी रखी थी जिसमें सभी दलों को बुलाया गया था लेकिन एनडीए गठबंधन की मुख्य पार्टी माने जाने वाली राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (आरएलएसपी) प्रमुख और केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा इस पार्टी में शामिल नहीं हुए थे जिसके बाद बिहार की एनडीए में भूचाल सा आ गया. वहीं इन सब के बीच मीडिया में ख़बरें चलने लगी कि उपेंद्र कुशवाहा एनडीए से नाराज है, हालाँकि इसके बाद ही उपेंद्र कुशवाहा ने अपने बयान में इन बातों का खंडन किया. बिहार एनडीए में आने लोकसभा चुनाव को लेकर सीटों के बंटवारे को लेकर अभी से खींचतान शुरू हो चुकी है. वहीं बिहार एनडीए के प्रमुख जेडीयू के नितीश कुमार ने अपने लिए बिहार में करीब 25 सीटों की मांग की है, जिसमें फिलहाल अभी कोई घोषणा नहीं हुई लेकिन एनडीए के कई नेताओं ने नितीश कुमार को बिहार एनडीए के चेहरे के रूप में स्वीकार करने से मना कर दिया है.

आने वाले लोकसभा चुनाव को लेकर देशभर की राजनीतिक पार्टियों में हलचल देखने को मिल रही है, इसी के तहत बिहार में एनडीए गठबंधन को लेकर घमसान मचा हुआ है. वहीं बिहार के राजनीतिक माहौल में लगातार हो रही बयानबाजी …

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हमने विपक्ष से 14 राज्यों की सत्ता छीन ली – अमित शाह

जयपुर ग्रामीण के एक सार्वजनिक कार्यक्रम में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने राहुल गाँधी को न केवल बबुआ कहकर उनका मजाक उड़ाया, बल्कि खुद को भाग्यशाली बताया कि उन्हें ऐसा विपक्ष मिला. शाह ने दशकों तक शासन करने वाली कांग्रेस से तीन पीढ़ियों के कामकाज का ब्योरा भी मांग लिया. आपको बता दें कि जयपुर ग्रामीण लोकसभा क्षेत्र में आयोजित एक कार्यक्रम में कार्यकर्ताओं को सम्बोधित करते हुए भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने उपचुनावों में भाजपा को मिली हार पर खुश होने वाले विपक्ष को लेकर उन्होंने तंज कसा कि वह खुद को भाग्यशाली मानते हैं कि उन्हें एक ऐसा विपक्ष मिला है, जो कुछ उपचुनावों में मिली जीत को लेकर ही खुश है, जबकि वह कई राज्यों में सत्ता से बाहर हो गया है. शाह ने कहा आठ उपचुनाव हारे हैं, लेकिन 14 राज्यों में उनसे (विपक्षी पार्टी) सत्ता छीन ली है. उल्लेखनीय है कि केंद्रीय मंत्री राज्यवर्द्धन सिंह राठौर के प्रतिनिधित्व वाले इस इलाके में हुई सभा में शाह ने राहुल गाँधी को बबुआ कह कर उन पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि राहुल गांधी कहते हैं कि यह नहीं हुआ, वह नहीं हुआ. ‘अरे बबुआ’, मुझे बताओ भाई आपलोगों ने 70 साल में क्या किया.यदि उन्होंने ये काम किया होता तो लोगों को शौचालय और गरीब माताओं को सिलेंडर उपलब्ध करने का हमे सौभाग्य नहीं मिलता. शाह ने राहुल के बिना कहे छुट्टी पर जाने और लौटने पर भी सवाल उठाए. शाह ने विधानसभा चुनाव में पार्टी की जीत के लिए कार्यकर्ताओं से ओवरटाइम काम करने को कहा

जयपुर ग्रामीण के एक सार्वजनिक कार्यक्रम में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने राहुल गाँधी को न केवल बबुआ कहकर उनका मजाक उड़ाया, बल्कि खुद को भाग्यशाली बताया कि उन्हें ऐसा विपक्ष मिला. शाह ने दशकों तक शासन करने वाली कांग्रेस …

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आरएसएस और बीजेपी को राजधर्म की याद

हाल ही में दो दिनों से देश में पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की आरएसएस के मुख्यालय जाने की चर्चा जोरो पर थी, इस दौरे के बाद जहाँ कांग्रेस के कुछ नेता नाराज थे वहीं प्रणव मुखर्जी का वहां जाना देश में बड़ा बहस का मुद्दा बन गया था जिसके बाद कल प्रणब मुखर्जी के भाषण के बाद कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने आरएसएस और बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि "प्रणब मुखर्जी ने आरएसएस और मोदी को राजधर्म की याद दिलाई." इस बारे में सुरजेवाला ने कहा कि "मुखर्जी ने नागपुर में आरएसएस मुख्यालय में आरएसएस को सच का आईना दिखाया है. उनको बहुलवाद, सहिष्णुता, धर्मनिरपेक्षता और समग्रता के बारे में पाठ पढ़ाया है. प्रणब मुखर्जी के इस भाषण के बाद बीजेपी और आरएसएस को आत्मसात कर सोचना चाहिए और खुद में सुधार करना चाहिए." सुरजेवाला ने आरएसएस पर निशाना साधते हुए कहा कि देश की आजादी की लड़ाई में आरएसएस का कहीं भी कोई जिक्र नहीं है. बता दें, प्रणब मुखर्जी के नागपुर दौरे से पहले कई कांग्रेसी नेताओं ने उन्हें रोकने की कोशिश की वहीं प्रणब मुखर्जी की बेटी शर्मिष्ठा मुखर्जी भी प्रणब दा से नाराज दिखाई दी, जिसका जिक्र उन्होंने ट्वीट कर किया. हालाँकि प्रणब दा के भाषण के बाद कोंग्रेसियों ने अपने सुर बदल दिए और आरएसएस पर निशाना साधने लगे.

हाल ही में दो दिनों से देश में पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की आरएसएस के मुख्यालय जाने की चर्चा जोरो पर थी, इस दौरे के बाद जहाँ कांग्रेस के कुछ नेता नाराज थे वहीं प्रणव मुखर्जी का वहां जाना देश …

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भाजपा का बिहार में मुश्किलों से पार पाना आसान नहीं

आगामी लोक सभा चुनाव को लेकर भाजपा इन दिनों अपने सहयोगी दलों को साधने के चक्कर में उलझी हुई है . शिव सेना को मनाने की कोशिशों के बीच बिहार में सीटों को लेकर सहयोगी दलों की खींचतान को लेकर चिंतित है . अब जेडीयू राजग में शामिल हो गई है , जिससे राजनीतिक समीकरण गड़बड़ा गए हैं . पूर्व में राजग का सदस्य नहीं रहने वाली जेडीयू के लिए सीटों की गुंजाईश कम है. बता दें कि कल गुरुवार को हुए सहयोगी दलों के भोज से पहले लोजपा का सात सीटों पर दावा, रालोसपा के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा की भोज से बनाई दूरी ने खटपट के संकेत दे दिए हैं.जदयू को 25:15 के पुराने फार्मूले का राग जोर पकड़ रहा है .जबकि भाजपा भी जानती है कि जेडीयू को ज्यादा देने के लिए कुछ नहीं है.इसीलिए लोजपा और रालोसपा को अपनी सीटें कम होने का खतरा हो रहा है . उल्लेखनीय है कि गत लोक सभा चुनाव के समय जेडीयू राजग में नहीं थी .तब भाजपा 30, लोजपा 7 और रालोसपा 3 सीटों पर चुनाव लड़ी थी. राजग को कुल 31 सीटें (भाजपा 22, लोजपा 6 और रालोसपा 3) मिली थी. यदि तीनों दल पुरानी सीटों पर मान भी गए तो जदयू को लड़ने के लिए सिर्फ वे 9 सीटें ही मिल सकती है ,जहाँ राजद का प्रभाव है.हालाँकि डिप्टी सीएम सुशील मोदी का खेमा लोकसभा चुनाव में बड़ी जीत हासिल करने के लिए जदयू के लिए त्याग करने की अपील कर रहा है .दलित मुद्दे पर घिरी पार्टी न तो पासवान और न ही नाराज कुशवाह को छोड़ना चाहेगी. ऐसे में भाजपा अंत समय में सीटों के पत्ते खोलेगी, ताकि विकल्प कम रहें .

आगामी लोक सभा चुनाव को लेकर भाजपा इन दिनों अपने सहयोगी दलों को साधने के चक्कर में उलझी हुई है . शिव सेना को मनाने की कोशिशों के बीच बिहार में सीटों को लेकर सहयोगी दलों की खींचतान को लेकर …

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8 जूनः सुबह की बड़ी खबरें, आज बनी रहेंगी इन पर नजर

लोजपा प्रमुख व केन्द्रीय मंत्री राम विलास पासवान ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अनुसूचित जाति/जनजाति कानून को लेकर अध्यादेश लाने पर सहमत है. यह बात लोजपा प्रमुख व केन्द्रीय मंत्री राम विलास पासवान ने पटना के पार्टी कार्यालय में उनसे मिलने आए अनुसूचित जाति, जनजाति अधिकारी-कर्मचारी संघ के प्रतिनिधिमंडल से कही. बता दें कि खुद रामविलास पासवान ने पीएम से मिलकर कानून को सख्ती से लागू करने की पहल और अध्यादेश लाने का आग्रह किया था.इस मौके पर अजा वर्ग के संघ के नेताओं ने पदोन्नति में आरक्षण देने के उच्चतम न्यायालय के आदेश पर पासवान को बधाई देते हुए आभार प्रकट किया. पासवान ने नेताओं से कहा कि उनकी पार्टी शुरू से ही अनुसूचित जाति, जनजाति की लड़ाई लड़ती रही है. उल्लेखनीय है कि केंद्रीय मंत्री पासवान ने कहा कि केन्द्र सरकार भी इस वर्ग की समस्याओं को लेकर चिन्तित होने के साथ ही इसके समाधान के लिए कोशिश कर रही है.स्मरण रहे कि पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट ने अजा /अजजा वर्ग के लिए पदोन्नति में आरक्षण की व्यवस्था को अनुमति दे दी .लेकिन यह अनुमति इस मामले के अंतिम समाधान होने तक जारी रहेगी

लोजपा प्रमुख व केन्द्रीय मंत्री राम विलास पासवान ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अनुसूचित जाति/जनजाति कानून को लेकर अध्यादेश लाने पर सहमत है. यह बात लोजपा प्रमुख व केन्द्रीय मंत्री राम विलास पासवान ने पटना के पार्टी कार्यालय में …

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यशवंत-शत्रुघ्न और प्रवीण तोगड़िया आज मंदसौर में

देश भर में चल रहे किसान आंदोलन का आज आठवां दिन है वही मध्य प्रदेश में चल रहे गांव बंद आंदोलन को भी विपक्ष का समर्थन मिल रहा है.इसी बीच मंदसौर में भाजपा सांसद शत्रुघ्न सिन्हा और पूर्व वित्त मंत्री …

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अमित शाह उद्धव ठाकरे से मिले ,गठबंधन पर नहीं खुले पत्ते

शिव सेना से जारी तनावपूर्ण संबंधों को ठीक करने के मकसद से भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने बुधवार की शाम शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे के साथ मातोश्री में लम्बी बैठक की.बंद कमरे में चली करीब सवा दो घंटे की इस बैठक में दोनों नेताओं ने विभिन्न विषयों पर चर्चा की.इस बैठक में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और युवा सेना अध्यक्ष आदित्य ठाकरे भी मौजूद थे. इस बैठक के बाद ऐसा कहा जा रहा है कि इस मुलाकात के बाद उद्धव के रुख में नरमी तो आई, लेकिन उन्होंने साथ मिलकर अगला लोकसभा चुनाव लड़ने के बारे में कोई खुलासा नहीं किया है.हालाँकि भाजपा इस भेंट को सफल मान रही है. सूत्रों के अनुसार उद्धव ने शाह से केंद्र और राज्य में शिवसेना की उपेक्षा पर नाराजगी जताई. शाह ने आगामी चुनाव भाजपा के साथ लड़ने की बात कहकर भरोसा दिलाया कि राजग में शिवसेना को पूरा सम्मान दिया जाएगा.शिवसेना की शिकायतों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से चर्चा कर निवारण करने की भी बात कही गई. बता दें कि मातोश्री में उद्धव के साथ हुई बैठक के बाद दोनों नेताओं की भाव भंगिमा देख कर यह अंदाजा लगाया गया कि दोनों के बीच सकारात्मक चर्चा हुई .इस बैठक के बाद अमित शाह ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के साथ सह्याद्री अतिथि गृह में भाजपा नेताओं के साथ देर रात तक पार्टी पदाधिकारियों के साथ बैठक की जिसमें उद्धव से हुई चर्चा पर शाह ने मंथन किया . हालाँकि भाजपा इस बैठक को सफल मान रही है , लेकिन शिव सेना द्वारा गठबंधन पर पत्ते नहीं खोलने से पेंच अभी भी फंसा हुआ दिख रहा है.

शिव सेना से जारी तनावपूर्ण संबंधों को ठीक करने के मकसद से भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने बुधवार की शाम शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे के साथ मातोश्री में लम्बी बैठक की.बंद कमरे में चली करीब सवा दो घंटे की इस …

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शर्मिष्ठा को प्रणब का नागपुर जाना रास नहीं आया

एक ओर जहां देश के पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी संघ मुख्यालय नागपुर में अपना सम्बोधन देंगे , वहीं दूसरी ओर उन्हीं की बेटी शर्मिष्ठा को अपने पिता का नागपुर जाना पसंद नहीं आया. पिता के इस फैसले को गलत बताते हुए शर्मिष्ठा ने कहा कि संघ मुख्यालय में उनका संबोधन भुला दिया जाएगा लेकिन इससे जुड़ीं तस्वीरें बनी रहेंगी. बता दें कि शर्मिष्ठा ने अपने ट्वीट में कहा कि संघ का न्योता स्वीकार कर पूर्व राष्ट्रपति ने भाजपा और संघ को झूठी कहानियां गढ़ने का मौका दे दिया है.पूर्व राष्ट्रपति जल्द ही समझ जाएंगे कि भाजपा की गंदी चालबाजी कैसे काम करती है. संघ कभी नहीं मानेगा कि अपने ( यानी प्रणब के) भाषण में आप इसके विचारों की तारीफ़ कर रहे हैं. उन्होंने संघ की नीयत पर सवाल उठाए हैं. उल्लेखनीय है कि शर्मिष्ठा का यह बयान उन खबरों के बाद आया है, जिनमें कहा गया है कि वह भाजपा में शामिल हो रही है.इन अफवाहों को खारिज करते हुए शर्मिष्ठा ने कहा कि वह कांग्रेस छोड़ने के बजाय राजनीति से संन्यास लेना पसंद करेंगी.कांग्रेस छोड़ने की अफवाह को बकवास बताया.उधर, दिल्ली कांग्रेस के प्रमुख अजय माकन ने भी शर्मिष्ठा के भाजपा में शामिल होने की अफवाहों का खंडन किया है.

एक ओर जहां देश के पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी संघ मुख्यालय नागपुर में अपना सम्बोधन देंगे , वहीं दूसरी ओर उन्हीं की बेटी शर्मिष्ठा को अपने पिता का नागपुर जाना पसंद नहीं आया. पिता के इस फैसले को गलत बताते …

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मोदी को रोकने राहुल ने बदली रणनीति

पिछले कुछ दिनों से राहुल गाँधी के न केवल व्यवहार में अंतर देखा जा रहा है , बल्कि पीएम मोदी को फिर सत्ता में न आने देने के लिए लगातार अपनी नीतियों में भी बदलाव कर रहे हैं. इसके तहत वे उन कुछ नेताओं के प्रति भी अपना रवैया बदल रहे हैं जिन्होंने पार्टी से दगा किया था . इसमें आंध्र के वाई.एस.आर. कांग्रेस के नेता जगनमोहन रेड्डी भी शामिल हैं , जिन्हें वह गले लगाना चाहते हैं. आपको बता दें कि इन दिनों कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी के स्वभाव में परिवर्तन देखा जा रहा है.यह बदलाव 2019 के लोकसभा चुनावों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को हर कीमत पर सत्ता में वापस आने से रोकने के लिए है .इसके लिए वे नापसंद लोगों को भी तरजीह देने लगे हैं. पहले उन्होंने कमलनाथ को पार्टी की मध्य प्रदेश यूनिट का अध्यक्ष बनाया , जबकि वह निजी तौर पर उन्हें पसंद नहीं करते. इसी तरह उन्होंने वाई.एस.आर. कांग्रेस के नेता जगनमोहन रेड्डी के साथ संबंध बनाने की संभावनाओं का पता लगाने को कहा है. कांग्रेस पार्टी आंध्र प्रदेश में वाई.एस.आर.रेड्डी को साथ मिलाना चाहती है. उल्लेखनीय है कि इन दिनों राहुल हर उस पार्टी के नेताओं से हाथ मिलाने को तैयार है , जो मोदी को सत्ता में आने से रोक सके.इस रणनीति के तहत ही दिग्विजय सिंह को आंध्र प्रदेश के प्रभारी पद से हटा कर केरल के पूर्व मुख्यमंत्री ओमान चांडी को पार्टी का महासचिव प्रभारी बनाया गया .स्मरण रहे कि चांडी वाई.एस. चंद्रशेखर रेड्डी के बहुत नजदीक हैं. राहुल गांधी इसी तरह की रणनीति हर राज्य में अपना रहे हैं. उनका मकसद भाजपा को हर कीमत पर सत्ता से हटाना हैपिछले कुछ दिनों से राहुल गाँधी के न केवल व्यवहार में अंतर देखा जा रहा है , बल्कि पीएम मोदी को फिर सत्ता में न आने देने के लिए लगातार अपनी नीतियों में भी बदलाव कर रहे हैं. इसके तहत वे उन कुछ नेताओं के प्रति भी अपना रवैया बदल रहे हैं जिन्होंने पार्टी से दगा किया था . इसमें आंध्र के वाई.एस.आर. कांग्रेस के नेता जगनमोहन रेड्डी भी शामिल हैं , जिन्हें वह गले लगाना चाहते हैं. आपको बता दें कि इन दिनों कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी के स्वभाव में परिवर्तन देखा जा रहा है.यह बदलाव 2019 के लोकसभा चुनावों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को हर कीमत पर सत्ता में वापस आने से रोकने के लिए है .इसके लिए वे नापसंद लोगों को भी तरजीह देने लगे हैं. पहले उन्होंने कमलनाथ को पार्टी की मध्य प्रदेश यूनिट का अध्यक्ष बनाया , जबकि वह निजी तौर पर उन्हें पसंद नहीं करते. इसी तरह उन्होंने वाई.एस.आर. कांग्रेस के नेता जगनमोहन रेड्डी के साथ संबंध बनाने की संभावनाओं का पता लगाने को कहा है. कांग्रेस पार्टी आंध्र प्रदेश में वाई.एस.आर.रेड्डी को साथ मिलाना चाहती है. उल्लेखनीय है कि इन दिनों राहुल हर उस पार्टी के नेताओं से हाथ मिलाने को तैयार है , जो मोदी को सत्ता में आने से रोक सके.इस रणनीति के तहत ही दिग्विजय सिंह को आंध्र प्रदेश के प्रभारी पद से हटा कर केरल के पूर्व मुख्यमंत्री ओमान चांडी को पार्टी का महासचिव प्रभारी बनाया गया .स्मरण रहे कि चांडी वाई.एस. चंद्रशेखर रेड्डी के बहुत नजदीक हैं. राहुल गांधी इसी तरह की रणनीति हर राज्य में अपना रहे हैं. उनका मकसद भाजपा को हर कीमत पर सत्ता से हटाना है

पिछले कुछ दिनों से राहुल गाँधी  के न केवल व्यवहार में अंतर देखा जा रहा है , बल्कि पीएम मोदी को फिर सत्ता में न आने देने के लिए लगातार अपनी नीतियों में भी बदलाव कर रहे हैं. इसके तहत वे उन …

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