राजनीति

जंयती विशेष : संयुक्त राष्ट्र जनरल असेंबली की अध्यक्ष बनने वाली पहली महिला थीं विजय लक्ष्मी पंडित

जंयती विशेष : संयुक्त राष्ट्र जनरल असेंबली की अध्यक्ष बनने वाली पहली महिला थीं विजय लक्ष्मी पंडित

स्वतंत्रता सेनानी मोतीलाल नेहरू की बेटी विजय लक्ष्मी पंडित संयुक्त राष्ट्र जनरल असेंबली की अध्यक्ष बनने वाली पहली भारतीय महिला थीं। आज उनकी 118वी जयंती है। आईये उनकी जन्मतिथि के इस अवसर पर हम आपको उनके जीवन से रूबरू कराते …

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कर्नाटक बाढ़ : 11,000 से ज्यादा घर क्षतिग्रस्त, राहत कार्य में जुटे हजारों सुरक्षाकर्मी

कर्नाटक बाढ़ : 11,000 से ज्यादा घर क्षतिग्रस्त, राहत कार्य में जुटे हजारों सुरक्षाकर्मी

केरल के अलावा कर्नाटक में भी बारिश और बाढ़ से हालात बेहद खराब हो रखे हैं। सेना और एनडीआरएफ की टीमों ने रेस्क्यू ऑपरेशन का मोर्चा संभाल रखा है। दक्षिण कन्नड़, उडुपी, चिकमंगलूर, कोडगू, हासन के कुछ इलाके और उत्तर …

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जानिए, अपनी किन खूबियों से हर खासो-आम को मुरीद बना लेते थे वाजपेयी

जानिए, अपनी किन खूबियों से हर खासो-आम को मुरीद बना लेते थे वाजपेयी

1971- 74 के बीच देश के पूर्व प्रधानमंत्री दिवंगत अटल बिहारी वाजपेयी पहली बार जनसंघ के एक कार्यक्रम में आरा आए थे। शहर के भलुहीपुर के बाशिंदे जगदीश बाबू के खपरैल के मकान में संघ के प्रमुख लोगों के साथ …

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एक शलाका पुरूष का जाना

प्रदुम्न तिवारी : लखनऊ । आज जब जननायक अटल बिहारी वाजपेयी चिरनिद्रा में सो चुके हैं, तो उनके बारे में कुछ लिखने में हाथ कांप रहे हैं । लेखनी और वाणी के धनी अटल में क्या नहीं था । वह …

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वाजपेयी ने क्यों कहा था कि वे राजीव गांधी की वजह से जिंदा हैं

घोर राजनीतिक मतभेदों के बीच सभी दलों के नेताओं से व्यक्तिगत एवं आत्मीय रिश्ते कायम करने में अटल बिहारी वाजपेयी को हमेशा याद किया जाएगा। यही वजह है कि सभी दलों के नेताओं ने उन्हें बराबर सम्मान दिया। अटल जी ने उसे सार्वजनिक रूप से स्वीकार करने में कभी कोताही नहीं बरती। 'द अनटोल्ड वाजपेयीः पॉलिटिशियन एंड पैराडॉक्स' पुस्तक में ऐसे ही एक वाकये का जिक्र है। इसमें अटल जी ने बताया है कि कैसे तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने बीमारी में उनकी मदद की थी। विपरीत राजनीतिक ध्रुवों पर खड़े इन दोनों नेताओं के बीच मधुर संबंध आज के राजनेताओं के लिए मिसाल है, जो एक-दूसरे को फूटी आंख नहीं सुहाते। इस पुस्तक में अटल जी के हवाले से लिखा गया है, 'जब राजीव गांधी को पता चला कि मुझे किडनी की बीमारी है और उसके इलाज के लिए मुझे विदेश जाना होगा, तो उन्होंने मुझे अपने दफ्तर में बुलाया। जब मैं वहां पहुंचा तो राजीव ने बताया कि उन्होंने मुझे संयुक्त राष्ट्र के प्रतिनिधिमंडल में शामिल कर लिया है। राजीव ने उम्मीद जताई कि इस विदेश दौरे में मुझे अपनी बीमारी का इलाज कराने का मौका मिल जाएगा। मैं न्यूयार्क गया और आज मैं जिंदा हूं तो इसकी बड़ी वजह राजीव गांधी हैं।' अटल बिहारीः देशभर में शोक की लहर, विपक्षी नेताओं ने कहा- भारत ने महान बेटा खो दिया यह भी पढ़ें 1984 से 1989 तक प्रधानमंत्री रहे राजीव गांधी ने अपने अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिया था कि जब तक अटल जी का इलाज पूरा न हो जाए, उन्हें वहीं रहने दिया जाए। अटल जी तब विपक्ष के नेता थे।

घोर राजनीतिक मतभेदों के बीच सभी दलों के नेताओं से व्यक्तिगत एवं आत्मीय रिश्ते कायम करने में अटल बिहारी वाजपेयी को हमेशा याद किया जाएगा। यही वजह है कि सभी दलों के नेताओं ने उन्हें बराबर सम्मान दिया। अटल जी …

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पीएम मोदी का भावुक ब्लॉग- अटल जी.. मेरी आंखों के सामने हैं, स्थिर हैं

पीएम मोदी का भावुक ब्लॉग- अटल जी.. मेरी आंखों के सामने हैं, स्थिर हैं

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के निधन के बाद पूरा देश शोकाकुल है। गुरुवार शाम अटल के निधन के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने गुरू को श्रद्धांजलि अर्पित की। मोदी ने अटल को याद करते हुए एक भावुक ब्लॉग …

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सियासत का एक साहित्य, राजनीति का अजातशत्रु, कुछ ऐसे रहे अटल बिहारी वाजपेयी

सियासत का एक साहित्य, राजनीति का अजातशत्रु, कुछ ऐसे रहे अटल बिहारी वाजपेयी

हिंदुस्तान की सियासत का एक अजातशत्रु, किसी कविता के प्रवाह का उदाहरण हैं अटल बिहारी वाजपेयी। हिंदुस्तानी सियासत पर एक कभी ना मिटने वाला दस्तखत, तो आज की राजनीति के उतार-चढ़ाव के बीच एक ठहराव भी। हिंदुस्तान की सियासत के …

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अटल के अंतिम दर्शन, BJP दफ्तर के बाहर उमड़ा जनसैलाब; विदेश से भी पहुंच रहे नेता

अटल के अंतिम दर्शन, BJP दफ्तर के बाहर उमड़ा जनसैलाब; विदेश से भी पहुंच रहे नेता

भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी अब हमारे बीच नहीं रहे, लेकिन ‘अटल’ व्यक्तित्व वाले वाजपेयी हमेशा देशवासियों की यादों में अमर रहेंगे। लंबे वक्त से मौत से जंग लड़ रहे वाजपेयी का गुरुवार शाम 5.05 बजे दिल्ली के …

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धमकियों से भी नहीं डिगे थे सम्पादक अटल

प्रद्युम्न तिवारी लखनऊ। छह दशक पूर्व लखनऊ के लोगों ने राजनीति की रपटीली राहों पर निकले जिस पथिक को पहचानने से इंकार कर दिया था, बाद के दौर में उसे ही सिर आंखों पर बिठाकर पांच बार संसद तक भेजा …

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अटल बिहारी वाजपेयी और डॉ. अब्दुल कलाम, एक धरोहर की दो धूरियां थे

अटल बिहारी वाजपेयी और डॉ. अब्दुल कलाम, एक धरोहर की दो धूरियां थे

अटल बिहारी वाजपेयी और अब्दुल कलाम ये दोनों ही देश और दुनिया में कई लोगों के लिए प्रेरणा के स्रोत हैं। यह दोनों ही ऐसी प्रतिभा के धनी थे कि लोग इन्हें सदियों याद रखेंगे। एक वाजपेयी थे, जिन्हें भारतीय …

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