प्रदेश

टिहरी में भूस्खलन से दो मकान ध्वस्त, छह की मौत; एक लापता

लगातार बारिश से नदी-नालों का उफान और भूस्खलन जानलेवा साबित हो रहा है। पहाड़ से लेकर मैदान तक नुकसान का दौर जारी है। टिहरी के भिलंगना क्षेत्र में दो मकान भूस्खलन के मलबे की चपेट में आकर जमींदोज हो गए। इसमें आठ लोग दब गए। अभी तक छह शव निकाले जा चुके हैं। वहीं, एक बच्ची को जिंदा निकाल लिया गया। चमोली जिले में पिंडर नदी के कटाव से हो रहे भूस्खलन के कारण पांच दुकानें जमींदोज हो गईं। टिहरी जनपद के भिलंगना के दूरस्थ गांव कोट बिशन में तड़के करीब चार बजे भारी बारिश से दो मकान ध्वस्त हो गए। सूचना पर एसडीआरएफ और प्रशासन की टीम गांव में रेस्क्यू को पहुंच गई। स्थानीय ग्रामीणों के साथ ही एसडीआरएफ, प्रशासन की टीम मलबे में दबे लोगों को निकालने में जुटी रही। एसडीएम पीआर चौहान के अनुसार अभी तक छह शव निकाले जा चुके हैं। वहीं, एक बच्ची को मलबे से जिंदा निकाल लिया गया। अभी एक महिला लापता हैं। दूरुस्थ क्षेत्र होने के कारण वहां संपर्क नही हो पा रहा है। उत्तराखंड में बारिश का दौर जारी, भूस्खलन से बंद यमुनोत्री हाईवे खुला; मकान ध्वस्त यह भी पढ़ें मृतकों के नाम 1-मोर सिंह (32वर्ष) उत्तराखंड में आफत की बारिश, नदी-नालों में उफान; दो लोगों की मौत यह भी पढ़ें 2आशीष पुत्र मोर सिंह 3-अतुल पुत्र हुकम सिंह उत्तराखंड में भारी बारिश का अलर्ट; यमुनोत्री हाईवे बंद यह भी पढ़ें 4- हंसा देवी (27 वर्ष) 5-संजू देवी (24 )पत्नी हुकम सिंह बारिश से मकान ध्वस्त, सड़कें बंद; अगले 24 घंटे होगी भारी बारिश यह भी पढ़ें 6-स्वाति पुत्री राकेश सिंह घायल कुमारी बबली (14 वर्ष) पुत्री मोर सिंह लापता का नाम 1-लक्ष्मी देवी धर्मपत्नी राकेश प्रदेश में मौसम का कहर थमने का नाम नहीं ले रहा है। समूचे उत्तराखंड में रुक-रुक कर बारिश का दौर जारी है। भूस्खलन से क्षतिग्रस्त सड़कों पर आना-जाना मुश्किल हो रहा है। प्रदेश में 150 से ज्यादा संपर्क मार्गों पर आवागमन बाधित है। भूस्खलन का सर्वाधिक प्रभाव पौड़ी जिले में है। यहां 80 सड़कें बाधित हैं। बदरीनाथ के पास लामबगड़ में हाईवे सातवें दिन भी नहीं खुल पाया है। सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) के जवान मलबा हटाने के लिए मशक्कत कर रहे हैं, लेकिन लगातार दरक रही पहाड़ी के कारण मार्ग खोलना चुनौती बन गया है। भूस्खलन प्रभावित इस भाग को यात्री पैदल ही वैकल्पिक मार्ग से पार कर रहे हैं। इसके अलावा चमोली जिले के नारायणबगड़ में पिंडर नदी का कटाव कस्बे पर भारी पड़ा। पिंडर के किनारे पांच दुकानें भरभरा कर ढह गईं। शुक्र यह रहा कि उस वक्त दुकानों में कोई नहीं था। दूसरी ओर हरिद्वार के लक्सर में बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है। तटबंध क्षतिग्रस्त होने से गंगा का पानी खेतों में जा घुसा, जिससे फसलों को नुकसान पहुंचा है। उत्तरकाशी में गंगोत्री हाईवे हेल्गुगाड के पास मलबा आने से बंद हो गया। वहीं, यमुनोत्री हाईवे डाबरकोट में अभी भी बंद है। दूसरी ओर कुमाऊं में मौसम का मिजाज सोमवार रात से गड़बड़ाया हुआ है। पिथौरागढ़ में मुनस्यारी के थापा गांव में भारी बारिश से भू-स्खलन हो गया। दो मकान धराशायी हो गए, जिसमें एक बाइक दब गई। सात परिवारों को रात में ही प्रशासन ने सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट कराया। नैनीताल जिले में बीती रात हुई तेज बारिश से मल्लीताल में सनवाल पब्लिक स्कूल के पीछे भूस्खलन हो गया और खेल मैदान का मलबा टिन से बने कक्षा कक्ष में जा घुसा। मलबा पूरी क्लास में जमा हुआ है। गनीमत रही कि घटना रात को हुई। स्कूल प्रबंधन ने खतरे को देखते हुए आज अवकाश घोषित कर दिया है। उधर बारिश से जिले में एक स्टेट हाइवे समेत दस ग्रामीण मार्ग बंद हैं। इसमें भोर्सा-पिनरौ, देवीपुरा-सौंड़, काठगोदाम- हैड़ाखान, गर्जिया-बेतालघाट, ओखलाढुंगा-तल्लीसेठी, रानीकोटा-गोतिया, पशयां, तपुआ-बबियाड़, हरीनगर-चंदादेवी आदि शामिल हैं। भीमताल मार्ग पर तीन जगह दरारें, धंसने का खतरा नैनीताल की लोअर मालरोड़ की तरह भीमताल हल्द्वानी मोटर मार्ग का एक बड़ा हिस्सा झील में समा सकता है। भीमताल और आसपास के क्षेत्र में भारी बरसात के चलते मल्लीताल के बाईपास डायवर्जन से तल्लीताल पंत पार्क तक तीन स्थानों पर दरारें दिख रही हैं। ये मार्ग तीन स्थानों पर धंसा हुआ है। हल्द्वानी-भीमताल मार्ग का लगभग डेढ़ किमी हिस्सा झील की दीवार पर टिका है। इस दीवार की मरम्मत न होने से जगह-जगह पत्थर आदि निकल आए हैं। ऐसे में दीवार के क्षतिग्रस्त होते ही सड़क के झील में विलीन होने का अंदेशा बढ़ता जा रहा है। इस मार्ग पर सुबह से रात तक कई सौ वाहन रोज गुजरते हैं। इससे इस मार्ग पर लोड भी अधिक है। इस बाबत लोक निर्माण विभाग सिंचाई विभाग को झील की दीवार की मरम्मत के लिए पत्र लिख चुका है।लगातार बारिश से नदी-नालों का उफान और भूस्खलन जानलेवा साबित हो रहा है। पहाड़ से लेकर मैदान तक नुकसान का दौर जारी है। टिहरी के भिलंगना क्षेत्र में दो मकान भूस्खलन के मलबे की चपेट में आकर जमींदोज हो गए। इसमें आठ लोग दब गए। अभी तक छह शव निकाले जा चुके हैं। वहीं, एक बच्ची को जिंदा निकाल लिया गया। चमोली जिले में पिंडर नदी के कटाव से हो रहे भूस्खलन के कारण पांच दुकानें जमींदोज हो गईं। टिहरी जनपद के भिलंगना के दूरस्थ गांव कोट बिशन में तड़के करीब चार बजे भारी बारिश से दो मकान ध्वस्त हो गए। सूचना पर एसडीआरएफ और प्रशासन की टीम गांव में रेस्क्यू को पहुंच गई। स्थानीय ग्रामीणों के साथ ही एसडीआरएफ, प्रशासन की टीम मलबे में दबे लोगों को निकालने में जुटी रही। एसडीएम पीआर चौहान के अनुसार अभी तक छह शव निकाले जा चुके हैं। वहीं, एक बच्ची को मलबे से जिंदा निकाल लिया गया। अभी एक महिला लापता हैं। दूरुस्थ क्षेत्र होने के कारण वहां संपर्क नही हो पा रहा है। उत्तराखंड में बारिश का दौर जारी, भूस्खलन से बंद यमुनोत्री हाईवे खुला; मकान ध्वस्त यह भी पढ़ें मृतकों के नाम 1-मोर सिंह (32वर्ष) उत्तराखंड में आफत की बारिश, नदी-नालों में उफान; दो लोगों की मौत यह भी पढ़ें 2आशीष पुत्र मोर सिंह 3-अतुल पुत्र हुकम सिंह उत्तराखंड में भारी बारिश का अलर्ट; यमुनोत्री हाईवे बंद यह भी पढ़ें 4- हंसा देवी (27 वर्ष) 5-संजू देवी (24 )पत्नी हुकम सिंह बारिश से मकान ध्वस्त, सड़कें बंद; अगले 24 घंटे होगी भारी बारिश यह भी पढ़ें 6-स्वाति पुत्री राकेश सिंह घायल कुमारी बबली (14 वर्ष) पुत्री मोर सिंह लापता का नाम 1-लक्ष्मी देवी धर्मपत्नी राकेश प्रदेश में मौसम का कहर थमने का नाम नहीं ले रहा है। समूचे उत्तराखंड में रुक-रुक कर बारिश का दौर जारी है। भूस्खलन से क्षतिग्रस्त सड़कों पर आना-जाना मुश्किल हो रहा है। प्रदेश में 150 से ज्यादा संपर्क मार्गों पर आवागमन बाधित है। भूस्खलन का सर्वाधिक प्रभाव पौड़ी जिले में है। यहां 80 सड़कें बाधित हैं। बदरीनाथ के पास लामबगड़ में हाईवे सातवें दिन भी नहीं खुल पाया है। सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) के जवान मलबा हटाने के लिए मशक्कत कर रहे हैं, लेकिन लगातार दरक रही पहाड़ी के कारण मार्ग खोलना चुनौती बन गया है। भूस्खलन प्रभावित इस भाग को यात्री पैदल ही वैकल्पिक मार्ग से पार कर रहे हैं। इसके अलावा चमोली जिले के नारायणबगड़ में पिंडर नदी का कटाव कस्बे पर भारी पड़ा। पिंडर के किनारे पांच दुकानें भरभरा कर ढह गईं। शुक्र यह रहा कि उस वक्त दुकानों में कोई नहीं था। दूसरी ओर हरिद्वार के लक्सर में बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है। तटबंध क्षतिग्रस्त होने से गंगा का पानी खेतों में जा घुसा, जिससे फसलों को नुकसान पहुंचा है। उत्तरकाशी में गंगोत्री हाईवे हेल्गुगाड के पास मलबा आने से बंद हो गया। वहीं, यमुनोत्री हाईवे डाबरकोट में अभी भी बंद है। दूसरी ओर कुमाऊं में मौसम का मिजाज सोमवार रात से गड़बड़ाया हुआ है। पिथौरागढ़ में मुनस्यारी के थापा गांव में भारी बारिश से भू-स्खलन हो गया। दो मकान धराशायी हो गए, जिसमें एक बाइक दब गई। सात परिवारों को रात में ही प्रशासन ने सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट कराया। नैनीताल जिले में बीती रात हुई तेज बारिश से मल्लीताल में सनवाल पब्लिक स्कूल के पीछे भूस्खलन हो गया और खेल मैदान का मलबा टिन से बने कक्षा कक्ष में जा घुसा। मलबा पूरी क्लास में जमा हुआ है। गनीमत रही कि घटना रात को हुई। स्कूल प्रबंधन ने खतरे को देखते हुए आज अवकाश घोषित कर दिया है। उधर बारिश से जिले में एक स्टेट हाइवे समेत दस ग्रामीण मार्ग बंद हैं। इसमें भोर्सा-पिनरौ, देवीपुरा-सौंड़, काठगोदाम- हैड़ाखान, गर्जिया-बेतालघाट, ओखलाढुंगा-तल्लीसेठी, रानीकोटा-गोतिया, पशयां, तपुआ-बबियाड़, हरीनगर-चंदादेवी आदि शामिल हैं। भीमताल मार्ग पर तीन जगह दरारें, धंसने का खतरा नैनीताल की लोअर मालरोड़ की तरह भीमताल हल्द्वानी मोटर मार्ग का एक बड़ा हिस्सा झील में समा सकता है। भीमताल और आसपास के क्षेत्र में भारी बरसात के चलते मल्लीताल के बाईपास डायवर्जन से तल्लीताल पंत पार्क तक तीन स्थानों पर दरारें दिख रही हैं। ये मार्ग तीन स्थानों पर धंसा हुआ है। हल्द्वानी-भीमताल मार्ग का लगभग डेढ़ किमी हिस्सा झील की दीवार पर टिका है। इस दीवार की मरम्मत न होने से जगह-जगह पत्थर आदि निकल आए हैं। ऐसे में दीवार के क्षतिग्रस्त होते ही सड़क के झील में विलीन होने का अंदेशा बढ़ता जा रहा है। इस मार्ग पर सुबह से रात तक कई सौ वाहन रोज गुजरते हैं। इससे इस मार्ग पर लोड भी अधिक है। इस बाबत लोक निर्माण विभाग सिंचाई विभाग को झील की दीवार की मरम्मत के लिए पत्र लिख चुका है।

लगातार बारिश से नदी-नालों का उफान और भूस्खलन जानलेवा साबित हो रहा है। पहाड़ से लेकर मैदान तक नुकसान का दौर जारी है। टिहरी के भिलंगना क्षेत्र में दो मकान भूस्खलन के मलबे की चपेट में आकर जमींदोज हो गए। …

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यमुना प्राधिकरण क्षेत्र में दो कंपनियों ने किया करोड़ों का निवेश

यमुना प्राधिकरण क्षेत्र में दो कंपनियों ने करोड़ों रुपये का निवेश किया है। दोनों कंपनियां मित्सुबिशी की सहयोगी हैं। प्राधिकरण ने इन कंपनियों को सेक्टर 32 में बीस हजार वर्गमीटर भूमि आवंटित की है। इसके अलावा प्राधिकरण को निवेश के लिए तीन और कंपनियों के प्रस्ताव मिले हैं। इसमें दो कंपनियों गारमेंट सेक्टर जुड़ी हैं। प्रदेश सरकार ने गौतमबुद्ध जिले को एक जिला एक उत्पाद योजना के तहत रेडीमेड गारमेंट के लिए चिह्नित किया है। यमुना प्राधिकरण ने औद्योगिक निवेश बढ़ाने के लिए भूखंड योजना निकाल रखी है। इस योजना के तहत प्राधिकरण को निवेश के प्रस्ताव मिल रहे हैं। प्रत्येक शुक्रवार को प्राधिकरण निवेश प्रस्ताव के अध्ययन के बाद भूखंड आवंटन का फैसला ले रहा है। उन कंपनियों को वरीयता है, जो एक मुश्त पूंजी निवेश, अनुभवी के साथ स्थानीय युवाओं को अधिक से अधिक रोजगार देने के लिए तैयार हैं। प्राधिकरण ने मित्सुबिशी की सहयोगी कंपनियां क्वार्डेंट लिमिटेड व सिकोया सेफ्टी प्रोडक्ट इंडिया लिमिटेड को दस-दस हजार वर्गमीटर के भूखंड सेक्टर 32 में आवंटित किए हैं। क्वार्डेंट कंपनी इंजीनिय¨रग क्षेत्र के लिए प्लास्टिक उत्पाद तैयार करती है। कंपनी ने तीस फीसद रोजगार स्थानीय युवाओं को देने का भी दावा किया है। ग्रेनो प्राधिकरण ने यमुना से मांगे अपने अधिकारी वापस यह भी पढ़ें इसके अलावा बॉडी केयर ने बीस हजार वर्गमीटर, दिव्या गारमेंट ने करीब छह सौ वर्गमी व शार्प साफ्टइट कंपनी ने इकाई स्थापित करने के लिए पचास हजार वर्गमीटर भूमि मांगी है। इन कंपनियों को सेक्टर 29 में भूखंड आवंटन का प्रस्ताव है। यह सेक्टर प्राधिकरण ने गारमेंट इकाईयों के लिए आरक्षित किया है। शुक्रवार को इन कंपनियों को भूखंड आवंटन पर मुहर लगाने की उम्मीद है। इन कंपनियों के निवेश से प्राधिकरण क्षेत्र में रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। प्राधिकरण को औद्योगिक निवेश के प्रस्ताव मिले हैं। दो कंपनियों को भूखंड आवंटन कर दिया गया है। इसमें तीस फीसद रोजगार स्थानीय को मिलेगा। कुछ और कंपनियों के निवेश प्रस्ताव का अध्ययन किया जा रहा है।

यमुना प्राधिकरण क्षेत्र में दो कंपनियों ने करोड़ों रुपये का निवेश किया है। दोनों कंपनियां मित्सुबिशी की सहयोगी हैं। प्राधिकरण ने इन कंपनियों को सेक्टर 32 में बीस हजार वर्गमीटर भूमि आवंटित की है। इसके अलावा प्राधिकरण को निवेश के …

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उत्‍तराखंड में लखवाड़ बिजली परियोजना के लिए छह राज्यों ने मिलाए हाथ

मंगलवार को नेशनल मीडिया सेंटर नई दिल्ली में लखवाड़ बहुद्देशीय परियोजना के निर्माण के लिए छह राज्यों के मध्य एमओयू किया गया है। ऊपरी यमुना बेसिन क्षेत्र में 3966.51 करोड़ रुपये की लागत वाली लखवाड़ बहुद्देशीय परियोजना के एमओयू पर केंद्रीय जल संसाधन मंत्री नितिन गडकरी की उपस्थिति में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत, उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ, राजस्थान की सीएम वसुंधरा राजे, हरियाणा के सीएम मनोहर लाल, हिमाचल प्रदेश के सीएम जयराम ठाकुर और दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने हस्ताक्षर किए। लखवाड़ परियोजना के तहत उत्तराखंड में देहरादून जिले के लोहारी गांव के पास यमुना नदी पर 204 मीटर ऊंचा कंक्रीट का बांध बनाया जाना है। बांध की जल संग्रहण क्षमता 330.66 एमसीएम होगी। इससे 33,780 हेक्टेयर भूमि की सिंचाई की जा सकेगी। इसके अलावा इससे यमुना बेसिन क्षेत्र वाले छह राज्यों में घरेलू तथा औद्योगिक इस्तेमाल और पीने के लिए 78.83 एमसीएम पानी उपलब्ध कराया जा सकेगा। परियोजना से 300 मेगावाट बिजली का उत्पादन होगा। परियोजना निर्माण का काम उत्तराखंड जल विद्युत निगम लिमिटेड करेगा। छह राज्यों के मुख्यमंत्री सुलझाएंगे लखवाड़ का मसला, जल्‍द होगी बैठक यह भी पढ़ें परियोजना पर आने वाले कुल 3966.51 करोड़ रुपये की लागत में से बिजली उत्पादन पर होने वाले 1388.28 करोड़ का खर्च उत्तराखंड सरकार वहन करेगी। परियोजना पूरी हो जाने के बाद तैयार बिजली का पूरा फायदा भी उत्तराखंड को ही मिलेगा। परियोजना से जुड़े सिंचाई और पीने के पानी की व्यवस्था वाले हिस्से के कुल 2578.23 करोड़ के खर्च का 90 प्रतिशत (2320.41 करोड़ रुपये) केंद्र सरकार वहन करेगी, जबकि बाकी 10 प्रतिशत का खर्च छह राज्यों के बीच बांट दिया जाएगा। इसमें हरियाणा को 123.29 करोड़ रुपये, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में से प्रत्येक राज्य को 86.75 करोड़ रुपये, राजस्थान को 24.08 करोड़ रुपये, दिल्ली को 15.58 करोड़ रुपये तथा हिमाचल प्रदेश को 8.13 करोड़ रुपये देने होंगे। लखवाड़ परियोजना के तहत संग्रहित जल का बंटवारा यमुना के बेसिन क्षेत्र वाले छह राज्यों के बीच 12.05.1994 को किए गए समझौता ज्ञापन की व्यवस्थाओं के अनुरूप होगा। लखवाड़ बांध जलाशय का नियमन यूवाईआरबी के जरिए किया जाएगा। सीमन उत्पादन के लिए शनिवार को होगा एमओयू यह भी पढ़ें लखवाड़ बहुउद्देशीय परियोजना के अलावा ऊपरी यमुना क्षेत्र में किसाऊ और रेणुकाजी परियोजनाओं का निर्माण भी होना है। किसाऊ परियोजना के तहत यमुना की सहायक नदी टौंस पर देहरादून जिले में 236 मीटर ऊंचा कंक्रीट का बांध बनाया जाएगा। वहीं रेणुकाजी परियोजना के तहत यमुना की सहायक नदी गिरि पर हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले में 148 मीटर ऊंचे बांध का निर्माण किया जाएगा। उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि लखवाड़ राष्ट्रीय परियोजना है। इससे सभी साझेदार छह राज्यों को लाभ होगा। उत्तराखंड की बिजली जरूरतों को पूरा करने में यह योजना महत्वपूर्ण साबित होगी।

मंगलवार को नेशनल मीडिया सेंटर नई दिल्ली में लखवाड़ बहुद्देशीय परियोजना के निर्माण के लिए छह राज्यों के मध्य एमओयू किया गया है। ऊपरी यमुना बेसिन क्षेत्र में 3966.51 करोड़ रुपये की लागत वाली लखवाड़ बहुद्देशीय परियोजना के एमओयू पर …

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स्वच्छ भारत अभियान का अगला चरणः खुले में मूत्रत्याग पर भी रोक लगायेगी सरकार

आवास और शहरी विकास मंत्रालय ने खुले में शौंच से रोकने की महात्वाकांक्षी योजना के बाद अब ओडीएफ+ और ओडीएफ++मतलब खुले में मूत्र त्याग को भी रोकने का नियम लागू करने का प्रोटोकॉल जारी किया है। जो कि स्वच्छ भारत मिशन शहरी के लिये अगला कदम है और इनका लक्ष्य स्वच्छता परिणामों में स्थायित्व सुनिश्चित करना है। नए मानदंडों के तहत, ओडीएफ+ (खुले में शौच से मुक्त प्लस) घोषित करने के इच्छुक शहरों और कस्बों को खुले में शौच से मुक्त होने के आलावा लोगों द्वारा खुले में मूत्रत्याग से भी मुक्त होना चाहिये। यह पहली बार है कि स्वच्छ भारत मिशन शहरी आधिकारिक तौर पर लोगों द्वारा खुले में मूत्रत्याग की समाप्ति को अपने एजेंडे में शामिल कर रहा है। यह मिशन बुनियादी ढांचे और नियामक परिवर्तनों पर केंद्रित है और साथ ही इस धारणा पर आधारित है कि इससे लोगों के व्यवहार में परिवर्तन आएगा। स्वच्छ भारत मिशन के ग्रामीण प्रभाग ने पहले कहा था कि लोगों द्वारा खुले में मूत्रत्याग की समाप्ति उनके एजेंडे में नहीं है लेकिन हाल ही में जारी प्रोटोकाल में कहा गया है कि अब ओडीएफ++ के तहत लोगों को खुले में मूत्रत्याग करने की अादत में बदलाव लाने का प्रयास किया जायेगा। Ban: यूपी में सेहत के लिए घातक पॉलीथिन पर आज से प्रतिबंध यह भी पढ़ें मंत्रालय ने 73 शहरों की रैंकिंग के लिए जनवरी 2016 में स्वच्छ सर्वेक्षण-2016 शुरू किया था। इसके बाद 434 शहरों की रैंकिंग के लिए जनवरी-फरवरी 2017 में स्वच्छ सर्वेक्षण-2017 आयोजित किया गया। हाल में पूरा होने वाले स्वच्छ सर्वेक्षण-2018 में 4203 शहरों की रैंकिंग की गयी। वहीं स्वच्छ भारत मिशन (शहरी) के तहत 18 राज्यों के शहरी इलाके तथा कुल 3223 शहर खुले में शौच से मुक्त हो चुके हैं। इसके अलावा स्वतंत्र तीसरे पक्ष के जरिए 2712 शहरों को खुले में शौच से मुक्त प्रमाणित किया जा चुका है। इसी उद्देश्य के मद्देनजर ओडीएफ + एवं ओडीएफ ++ प्रोटोकॉल की भी शुरूआत की गई है। परीक्षा संस्थाओं के लिए चुनौती है भर्ती माफियायों का नेटवर्क यह भी पढ़ें बताते चलें कि मार्च 2016 में जारी मूल ओडीएफ प्रोटोकॉल के अनुसार, "एक शहर, वार्ड को ओडीएफ तब अधिसूचित किया जायेगा जब उस शहर या वार्ड में दिन के किसी भी समय, एक भी व्यक्ति खुले में शौच न करता हो।" भारत सरकार की इस योजना के तहत अब तक 2,741 शहरों को ओडीएफ के रूप में घोषित किया जा चुका है। कुछ दिन पहले जारी किये गए नए ओडीएफ+ प्रोटोकॉल के अनुसार एक शहर, वार्ड या कार्य क्षेत्र ओडीएफ+ घोषित किया जा सकता है। मायावती और अखिलेश के मंत्रियों समेत अफसरों पर कसेगा शिकंजा यह भी पढ़ें यदि "दिन के किसी भी समय, एक भी व्यक्ति द्वारा खुले में शौच और/या मूत्रत्याग न किया जाता हो तथा सभी सामुदायिक एवं सार्वजनिक शौचालय कार्यात्मक स्थिति में हों और साथ ही बेहतर ढंग से अनुरक्षित हों। "ओडीएफ++ प्रोटोकॉल इस शर्त को जोड़ता है कि "मानव अपशिष्ट गाद, सेप्टेज और सीवेज सुरक्षित रूप से प्रबंधित और उपचारित किया जाए; नालियों, जल निकायों या खुले क्षेत्रों में अनुपचारित मानव अपशिष्ट नालियों से बाहर न रहे। जयपुर कोर्ट लगा चुका है जुर्माना मेरठ में देश की नंबर वन महिला टीम तैयार करने में जुटी आरएएफ बटालियन यह भी पढ़ें जयपुर में एक सरकारी परिसर की चारदिवारी के निकट सार्वजनिक रूप से पेशाब करने पर जयपुर की महानगर मजिस्ट्रेट संख्या 23 की अदालत ने कुल 12 बार सुनवाई के बाद फैसला सुनाते हुए अरोपी पर 5 हजार के अर्थदण्ड का जुर्माना लगाया था।

आवास और शहरी विकास मंत्रालय ने खुले में शौंच से रोकने की महात्वाकांक्षी योजना के बाद अब ओडीएफ+ और ओडीएफ++मतलब खुले में मूत्र त्याग को भी रोकने का नियम लागू करने का प्रोटोकॉल जारी किया है। जो कि स्वच्छ भारत …

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कार्बेट नेशनल पार्क में सुरक्षा पर खड़े अनुत्तरित सवाल

देश के पहले राष्ट्रीय उद्यान और उत्तर भारत में बाघों की प्रमुख पनाहगाह कार्बेट नेशनल पार्क में सुरक्षा को लेकर एक नहीं अनेक सवाल खड़े हैं, लेकिन इनके निदान की दिशा में सिवाय दावों के कोई ठोस पहल होती नहीं दिख रही। कहने को तो चौकसी बढ़ाने के मद्देनजर कभी उप्र के साथ मिलकर सीमा पर सघन गश्त की बात होती है तो कभी वाच टावरों के जरिए पूरे पार्क क्षेत्र पर निगहबानी की, मगर ये कोशिशें परवान नहीं चढ़ पा रहीं। और तो और पूर्व में भारतीय वन्यजीव संस्थान की ओर से अध्ययन के लिहाज से पार्क में लगवाए गए कैमरा ट्रैप भी हटवा दिए गए। यही नहीं, खुफिया तंत्र को मजबूती देने के प्रयास भी पूरी तरह से फलीभूत नहीं हो पाए हैं। उधर, अपर सचिव वन धीरज पांडे ने माना कि कुछ खामियां हैं। इन्हें दूर करने की दिशा में सभी स्तरों पर प्रयास होने हैं और इसके लिए कवायद शुरू कर दी गई है। उत्तर प्रदेश की सीमा से सटे कार्बेट नेशनल पार्क को वन्यजीव सुरक्षा के लिहाज से बेहद संवेदनशील माना जाता है। बाघों समेत दूसरे वन्यजीवों पर नजरें गड़ाए कुख्यात बावरिया गिरोहों के इसी सीमा से पार्क में घुसने की खबरें पूर्व में सुर्खियां बनती रही हैं। 2016 में बरामद हुई बाघ की छह खालों के मामले में जब शिकारी पकड़े गए तो बात सामने आई थी कि इनका शिकार कार्बेट में हुआ। कुख्यात बावरिया गिरोह पार्क की इसी सीमा से होकर घुसे थे। हालांकि, बाद में यह मसला सीमा विवाद में उलझाकर रख दिया गया। वन्यजीवों के शिकार के 70 फीसद मामलों में बावरिया गिरोहों की सक्रियता की बातें सामने आती रही हैं। इस क्रम में पूर्व में राज्य में सक्रिय पांच कुख्यात गिरोह चिह्नित किए गए। बावजूद इसके इन गिरोहों से जुड़े करीब 80 लोगों पर शिकंजा कसने को प्रभावी पहल का अब तक इंतजार है। कार्बेट नेशनल पार्क में ही खतरे में हैं बाघ, सवाल तो उठेंगे ही यह भी पढ़ें यह स्थिति तब है, जबकि वाइल्ड लाइफ क्राइम कंट्रोल ब्यूरो शिकारी गिरोहों का डेटा बेस बनाने के साथ ही शिकारियों-तस्करों के संबंध में एक-दूसरे राज्यों से जानकारी शेयर करने पर लगातार जोर देता रहा है। यही नहीं, सुरक्षा के मद्देनजर राज्य पुलिस व एसटीएफ समेत अन्य एजेंसियों के मध्य बेहतर तालमेल के दावे भी अक्सर होते रहे हैं, लेकिन कार्बेट में इनकी कलई जब-तब खुलती रही है। पार्क में बाघ सुरक्षा के लिए वॉच टावर, ई-वॉच योजना की पूर्व में पहल तो हुई, लेकिन बाद में इस कवायद में रखरखाव का पेच फंस गया। पार्क की उप्र से लगी सीमा पर दोनों राज्यों के कार्मिकों की सघन गश्त के अलावा पार्क के भीतर की गश्त पर भी अक्सर प्रश्न उठते रहे हैं। हालांकि, अब विभाग का दावा है कि इन बिंदुओं पर लगातार काम किया जा रहा है।

देश के पहले राष्ट्रीय उद्यान और उत्तर भारत में बाघों की प्रमुख पनाहगाह कार्बेट नेशनल पार्क में सुरक्षा को लेकर एक नहीं अनेक सवाल खड़े हैं, लेकिन इनके निदान की दिशा में सिवाय दावों के कोई ठोस पहल होती नहीं …

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बसपा सुप्रीमो मायावती को हाईकोर्ट ने बड़ी राहत, जमीन घोटाले की याचिका खारिज

बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बड़ी राहत दी है। उनके खिलाफ जमीन घोटाले की जनहित याचिका खारिज कर दी गई है। याचिकाकर्ता संदीप भाटी ने बदलापुर गांव की इस जमीन पर अवैध निर्माण की सीबीआई जांच कराने की मांग को लेकर याचिका दाखिल की थी। आज इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मायावती के खिलाफ दायर जनहित याचिका खारिज को खारिज कर दिया। इस याचिका में नोएडा के बादलपुर गांव की जमीन को अधिग्रहण मुक्त कराकर बेचने का आरोप था। याचिकाकर्ता संदीप भाटी ने इस जमीन पर अवैध निर्माण की सीबीआई जांच कराने की मांग को लेकर याचिका दाखिल की थी। इस मामले की सुनवाई करते हुए आज इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डीबी भोसले और जस्टिस यशवंत वर्मा की खंण्डपीठ ने याचिका को खारिज कर दिया। इससे पहले 2017 में हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती इनके पिता प्रभु दयाल व भाई आनन्द कुमार को नोटिस जारी किया था। इन पर आबादी की 47433 वर्गमीटर खेती की जमीन को आबादी घोषित कराकर करोड़ों के मुआवजे के घोटाले का आरोप है। याचिका में इनके खिलाफ सीबीआइ जांच की मांग की गई थी। –– ADVERTISEMENT –– बसपा के उत्तर प्रदेश में सत्ता में आने पर आएंगे अच्छे दिन : मायावती यह भी पढ़ें इस जमीन पर बसपा सुप्रीमो पूर्व मुख्यमंत्री मायावती का विशाल भवन बना हुआ है। जिस जमीन पर भवन बना हुआ है, पहले वह मायावती और उनके पिता प्रभुदयाल के नाम पर थी। इसके बाद में मायावती ने दान रजिस्ट्री से इसे भाई आनंद कुमार व एक अन्य के नाम करा दिया था। याचिका में आरोप लगाया गया था कि मायावती ने सत्ता का दुरुपयोग कर जमीन का प्राधिकरण से आवंटन कराया है। मायावती ने 2002 से 2005 के बीच गांव के आधा दर्जन किसानों से पचास बीघा जमीन खरीदी थी। इस मामले में आरोप है कि जमीन पर बिना किसी निर्माण धारा-143 (आबादी) घोषित करा दी गई।

बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बड़ी राहत दी है। उनके खिलाफ जमीन घोटाले की जनहित याचिका खारिज कर दी गई है। याचिकाकर्ता संदीप भाटी ने बदलापुर गांव की इस जमीन पर अवैध निर्माण की सीबीआई …

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मोदी जी अमिताभ ठाकुर को फोन पर धमकी मामले में मुलायम यादव को जेल कबतक :

राघेवन्द्र प्रताप सिंह, लखनऊ :मोदी जी समाजवादी पार्टी के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव को कब तक जेल होगी ? इन्होंने सूबे के वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर ( आईजी ) को फोन पर धमकी आज से ढाई साल …

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उत्‍तराखंड में रुक रुककर हो रही बारिश, देहरादून में फटा बादल; गंगा का जलस्‍तर बढ़ा

उत्तराखंड में रुक-रुक कर बारिश का दौर जारी है। गढ़वाल से लेकर कुमाऊं में भूस्खलन से मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। दून के रायपुर क्षेत्र के सोडा ग्वाड़ गांव में आज बादल फट गया। इससे गांव की पेयजल योजना, नहर, रास्ते को नुकसान हुआ है। ऋषिकेश में आकाशीय बिजली गिरने से बापू ग्राम के दो घरों में मकान की दीवारें फट गईं। वहीं, गंगा का जलस्तर ऋषिकेश और हरिद्वार में चेतावनी रेखा से ऊपर बह रहा है। चमोली में बदरीनाथ हाईवे क्षेत्रपाल, छिनका और लामबगड़ में भूस्‍खलन के कारण मलबा आने से बंद हैं। देहरादून के इस गांव फटा बादल देहरादून के रायपुर क्षेत्र के सोडा ग्वाड़ गांव में बादल फटने की सूचना है। प्रशासन की टीम क्षेत्र की पटवारी मीनाक्षी कठैत के नेतृत्व में मौके के लिए रवाना हो गई है। जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी दीपशिखा रावत ने बताया कि गांव के एक गधेरे में अचानक शुक्रवार सुबह पानी बढ़ गया। इससे गांव की पेयजल योजना, नहर, रास्ते को नुकसान हुआ है। उन्होंने बताया कि नदी नाले में किसी के बहने की सूचना नहीं है। गांव के प्रधान महेंद्र सिंह ने बताया कि नाले में पानी बढ़ने से रास्ते और खेती को नुकसान की बात कही। इधर प्रभारी डीएम जीएस रावत ने बताया कि नाले में पानी बढ़ने की सूचना मिली है। इस पर टीम मौके पर रवाना हो गई है। नुकसान का आकलन कराया जा रहा है। रिपोर्ट मिलने के बाद जरूरी कदम उठाए जाएंगे। उत्‍तराखंड में मूसलाधार बारिश से नदी-नालों में उफान, कई इलाकों में बाढ़ का खतरा यह भी पढ़ें चिड़ियापुर में नदी में बहा एक आयल टैंकर बरस रही आफत, चमोली में दो जगह फटा बादल; भारी बारिश की चेतावनी से स्कूल बंद यह भी पढ़ें रात में कई जिलों में हुई बारिश के चलते जिले में गंगा का जलस्तर सुबह 293.10 मीटर पर पहुंच गया, जो चेतावनी रेखा 293 मीटर से ऊपर है। सुबह दस बजे गंगा का जलस्तर 293.30 मीटर रेकॉर्ड किया गया है। चिड़ियापुर में एक आयल टैंकर कोटावली नदी में बह गया है। इसमें पांच लोग बैठे बताए जा रहे हैं। जिला आपदा कंट्रोल रूम से मिली जानकारी के अनुसार चार सुरक्षित निकल गए हैं। मौके पर जल पुलिस के जवान पहुंचे हैं वहीं, जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी मीरा कैंतुरा ने बताया सभी को अलर्ट करते हुए तटबंधों की निगरानी बढ़ा दी गई है। गंगा किनारे बसे लोगों को तैयार रहने को कहा गया है। दो घरों में गिरी आकाशीय बिजली यमुनोत्री हाईवे पर रुक-रुककर गिर रहा मलबा, पिथौरागढ़ में अभी कई मार्ग बंद यह भी पढ़ें ऋषिकेश में शुक्रवार तड़के पांच बजे आकाशीय बिजली गिरने से बापू ग्राम के दो घरों में मकान की दीवारें फट गईं। दोनों घरों में शार्ट सर्किट हो गया। ऋषिकेश आसपास क्षेत्र में बीती रात से ही बारिश जारी है। रात से ही बादलों की गर्जना लोगों को डरा रही थी। तड़के करीब पांच बजे बापू ग्राम के सुमन विहार गली नंबर एक में आकाशीय बिजली गिरने से पूरा क्षेत्र थर्रा गया। स्थानीय निवासी सूरज सिंह कंडारी व जय सिंह रावत के घर आसपास हैं। इनकी छत से आकाशीय बिजली गिरी और सूरज सिंह कंडारी की घर के दीवार को फाड़ती हुई निकल गई। दोनों घरों में शॉर्ट सर्किट हो गया। जिससे घर में लगे सभी विद्युत उपकरण फुंक गए। गनीमत रहे कि घर मे मौजूद लोगों को कोई नुकसान नहीं पंहुचा। ऋषिकेश में चेतावनी रेखा से ऊपर बह रही गंगा ऋषिकेश में गंगा ने पार की चेतावनी रेखा, दहशत में लोग यह भी पढ़ें लगातार हो रही बारिश से गंगा के जलस्तर में भारी वृद्धि हुई है। शुक्रवार को तड़के चार बजे ऋषिकेश में गंगा ने चेतावनी रेखा को छू लिया था, जबकि इसके बाद गंगा का जलस्तर चेतावनी रेखा से 15 सेंटीमीटर ऊपर चला गया। हालांकि सात बजे गंगा के जलस्तर में 5 सेंटीमीटर की कमी आयी है। बीते कुछ दिनों से मैदानी वह पर्वतीय इलाकों में लगातार बारिश हो रही है। गंगा घाटी व सहायक नदियों की घाटियों में भी लगातार बारिश जारी है। जिससे गंगा के जलस्तर में इजाफा हो रहा है। इस वर्ष मानसून काल में ऋषिकेश में गंगा ने तीन बार चेतावनी रेखा को छुआ है। जबकि शुक्रवार प्रातः चार बजे गंगा का जलस्तर चेतावनी रेखा 339.50 मीटर पहुंच गया। प्रात: छह बजे चेतावनी रेखा से 15 सेंटीमीटर ऊपर यानी 339.65 मीटर जा पहुंचा। मानसून काल में इस वर्ष का गंगा मैया सर्वाधिक जलस्तर है। अभी भी गंगा चेतावनी रेखा से ऊपर बह रही है। गंगा के बढते जलस्तर को देखते हुए प्रशासन ने तटीय इलाकों में अलर्ट जारी कर दिया है। तीर्थनगरी में में प्रसिद्ध त्रिवेणी घाट के मुख्य प्लेटफार्म तक गंगा का पानी पहुंच गया है। इसके अलावा लक्ष्मण झूला, स्वर्गाश्रम व मुनिकीरेती क्षेत्र के सभी पक्के घाट जलमग्न हो गए हैं। गंगा के जलस्तर से तटीय इलाकों में एक बार फिर से बाढ़ का खतरा मंडराने लगा है। पांच जिलों में भारी बारिश का अलर्ट मौसम विभाग के अनुसार शुक्रवार और शनिवार को भी मौसम में बदलाव नहीं होने वाला। विशेषकर देहरादून, हरिद्वार, पौड़ी, नैनीताल और ऊधमसिंह नगर जिलों में भारी से भारी बारिश की आशंका है। मौसम की चेतावनी के मद्देनजर शासन ने सभी जिलाधिकारियों को अलर्ट जारी किया है। आपदा प्रबंधन से जुड़े विभागों को सजग रहने को कहा गया है।

उत्तराखंड में रुक-रुक कर बारिश का दौर जारी है। गढ़वाल से लेकर कुमाऊं में भूस्खलन से मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। दून के रायपुर क्षेत्र के सोडा ग्वाड़ गांव में आज बादल फट गया। इससे गांव की पेयजल योजना, नहर, …

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आगरा में भी होगी अटल बिहारी तेरहवीं, भाजपा विधायक 29 को करेंगे आयोजन

भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की तेरहवीं का आयोजन आगरा में भी होगा। 29 अगस्त को वैसे तो उनके पैतृक गांव बटेश्वर में स्वर्गीय अटल बिहारी के परिवारीजन तेरहवीं का आयोजन करेंगे लेकिन आगरा में भारतीय जनता पार्टी के विधायक जगन प्रसाद गर्ग अलग आयोजन करेंगे। आगरा उत्तर क्षेत्र से भारतीय जनता पार्टी के विधायक जगन प्रसाद गर्ग ने उनके निधन पर शोक में सिर का मुंडन भी कराया था। विधायक जगन प्रसाद गर्ग का कहना है कि अटल बिहारी वाजपेयी उनके राजनीतिक पिता थे। आज वे जो कुछ भी हैं, सब अटल बिहारी वाजपेयी का मार्गदर्शन है। इसी कारण वे अटल बिहारी वाजपेयी की अंत्येष्टि में दिल्ली जाकर शामिल हुए। जगन प्रसाद गर्ग 29 अगस्त को आगरा में अटल बिहारी वाजपेयी की तेरहवीं भी कराएंगे। इसकी तैयारियां शुरू कर दी गई हैं। मदिया कटरा रोड पर होटल वैभव पैलेस में तेरहवीं का आयोजन 29 अगस्त को किया जाएगा। इस त्रयोदशी संस्कार की पूरी क्रियाएं आगरा उत्तर विधानसभा से विधायक जगन प्रसाद गर्ग पूरी करेंगे। इसके लिए आमंत्रण पत्र भी बंटना शुरू हो गए हैं। वो कौन सा शहर है जिसके समोसे, बेड़ई और गोलगप्पे बेहद पसंद रहे अटल जी को यह भी पढ़ें भाजपा विधायक जगन प्रसाद गर्ग ने पुत्र की हैसियत से अटल जी के देहांत के बाद मुंडन कराया था। उन्होंने बताया कि अटल बिहारी वाजपेयी उनके राजनीतिक पिता थे। आज वह जो कुछ भी हैं, सब अटल बिहारी वाजपेयी का मार्गदर्शन है। उन्होंने पुत्र का कर्तव्य निभाते हुए अपने बाल राजनीतिक पिता यानी अटल बिहारी वाजपेयी को समर्पित कर दिए हैं। अंत्येष्टि के तत्काल बाद मुंडन संस्कार कराया और अब पुत्र का कर्तव्य निभाते हुए तेरहवीं संस्कार कराने जा रहे हैं। अटल बिहारी वाजपेयी के निधन से बटेश्वर गांव के सपनों की मौत यह भी पढ़ें छप गए आमंत्रण पत्र विधायक जगन प्रसाद गर्ग ने बताया कि 29 अगस्त को आगरा के होटल वैभव पैलेस, मदिया कटरा में अटल बिहारी वाजपेयी का त्रयोदशी संस्कार किया जाएगा। इसमें सबसे पहले 25 ब्राह्मणों को भोजन कराया जाएगा। फिर भाजपा कार्यकर्ताओं को भोजन कराएंगे। इसके लिए आमंत्रण पत्र छप गए हैं, इनका अब तो वितरण भी शुरू हो गया है।

भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की तेरहवीं का आयोजन आगरा में भी होगा। 29 अगस्त को वैसे तो उनके पैतृक गांव बटेश्वर में स्वर्गीय अटल बिहारी के परिवारीजन तेरहवीं का आयोजन करेंगे लेकिन आगरा में भारतीय जनता पार्टी …

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यूपी भाजपा मुख्यालय से अटल बिहारी की अस्थि कलश यात्रा झूलेलाल वाटिका रवाना

लखनऊ। भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की कलश यात्रा में लखनऊ में जनसैलाब उमड़ पड़ा है। चौधरी चरण सिंह इंटरनेशनल एयरपोर्ट, अमौसी से उत्तर प्रदेश भाजपा मुख्यालय तक सड़क के दोनों तरफ लोग उनके अंतिम दर्शन को व्याकुल थे। …

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