देश

सुप्रीम कोर्ट का फैसला आज, नमाज पढ़ने के लिए मस्जिद जरूरी है या नहीं.

अयोध्या रामजन्मभूमि मालिकाना हक के मुकदमे पर असर डालने वाले एक पहलू पर सुप्रीम कोर्ट गुरुवार को फैसला सुना सकता है। मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ मुस्लिम पक्ष की इस्माइल फारुकी फैसले के उस अंश पर पुनर्विचार की मांग पर अपना आदेश सुनाएगी जिसमें कहा गया है कि नमाज पढ़ने के लिए मस्जिद इस्लाम का अभिन्न हिस्सा नहीं है। इस मामले में कोर्ट ने गत 20 जुलाई को सभी पक्षों की बहस सुनकर फैसला सुरक्षित रख लिया था। सुप्रीम कोर्ट की पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने 1994 में अयोध्या मे भूमि अधिग्रहण को चुनौती देने वाली इस्माइल फारुकी की याचिका पर फैसला दिया था। उस फैसले में एक जगह कोर्ट ने कहा है कि नमाज पढ़ने के लिए मस्जिद इस्लाम का अभिन्न हिस्सा नहीं है। मस्जिद को इस्लाम का अभिन्न हिस्सा न मामले वाले 1994 के इस्माइल फारुकी फैसले पर पुनर्विचार की मांग पर सुप्रीम कोर्ट सुनाएगा फैसला। वैसे तो वह फैसला बहुत पुराना है, लेकिन अयोध्या में राम जन्मभूमि पर मालिकाना हक से जुड़ी अपीलों पर सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्ष ने फारुकी के फैसले में दी गई व्यवस्था को मुख्य मामले पर असर डालने वाला बताते हुए फैसले के उस अंश को पुनर्विचार के लिए सात न्यायाधीशों की पीठ को भेजे जाने की मांग की थी। मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा, अशोक भूषण और एस अब्दुल नजीर की पीठ ने फारुकी फैसले के उस अंश पर पुनर्विचार की जरूरत पर सभी पक्षों की लंबी बहस सुनकर गत 20 जुलाई को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने मांग की थी इस मामले को संविधान पीठ को भेजा जाना चाहिए क्योंकि फैसले में दी गई व्यवस्था गलत है और ये अयोध्या जन्मभूमि मामले के मालिकाना हक मुकदमें पर असर डालता है। उनका कहना था कि जिस पहलू पर बहस ही नहीं सुनी कोर्ट ने उस पर अपना नजरिया प्रकट कर दिया है। कोर्ट धर्म के अभिन्न हिस्से के मुद्दे पर साक्ष्यों को देखे और सुने बगैर यह नहीं कह सकता कि मस्जिद इस्लाम का अभिन्न हिस्सा नहीं है। हालांकि हिन्दू पक्ष ने मांग का विरोध किया था और कहा था कि फैसले के इतने वर्षो बाद इस पर पुनर्विचार की मांग करके मुस्लिम पक्ष अयोध्या विवाद के मुख्य मामले की सुनवाई में देरी करना चाहता है। उत्तर प्रदेश सरकार ने भी मांग का विरोध करते हुए इसे देरी की रणनीति कहा था। अब अगर तीन न्यायाधीशों की पीठ फारुकी फैसले के उस अंश पर पुनर्विचार की जरूरत महसूस करते हुए मामला सात जजों की पीठ को सुनवाई के लिए भेजती है तो निश्चित तौर पर अयोध्या विवाद के मुख्य मुकदमें की सुनवाई और आगे खिसक जाएगी। बतातें चलें कि अयोध्या में राम जन्मभूमि मालिकाना हक के मुख्य मुकदमें पर अभी तक सुनवाई शुरू नहीं हुई है। जबकि हाईकोर्ट का फैसला 2010 में आ गया था जिसमें राम जन्मभूमि को तीन बराबर के हिस्सों में बांटने का आदेश दिया गया था। तभी से सुप्रीम कोर्ट में फैसले के खिलाफ अपीलें लंबित हैं और सुप्रीम कोर्ट ने मामले में यथास्थिति कायम रखने के आदेश दे रखे हैं। इस मामले में भगवान रामलला विराजमान सहित सभी पक्षों ने सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की हैं।

अयोध्या रामजन्मभूमि मालिकाना हक के मुकदमे पर असर डालने वाले एक पहलू पर सुप्रीम कोर्ट गुरुवार को फैसला सुना सकता है। मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ मुस्लिम पक्ष की इस्माइल फारुकी फैसले के उस अंश …

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किन कीमतों पर मोदी सरकार ने खरीदा राफेल फ्रांस से, और कैसे बदली UPA कि डील.   

राफेल डील विवाद देश की राजनीति का मुख्य मुद्दा बन गया है. पिछले कई दिनों से कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी इस मसले पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण पर आरोप लगा चुके हैं. इस डील में भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हुए राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री को चोर तक कह दिया था. लेकिन आखिर ये विवाद क्या है, डील क्या है. इस मामले की पूरी INSIDE STORY यहां पढ़ें... यूपीए सरकार ने 126 राफेल लड़ाकू विमान खरीदने का समझौता किया. इसमें 18 विमान तुरंत लेने की स्थिति में थे और बाकी 108 का निर्माण भारत में होना था. > 18 विमान जो तुरंत लेने की स्थिति में थे, उनका दाम 688 करोड़ रुपए प्रति एयरक्राफ्ट था. जबकि जिन 108 विमान का निर्माण HAL की सहायता से भारत में होना था, उनका दाम 911 करोड़ रुपए प्रति विमान था.   > 2013 में यूरो डिफेंस कंपनी ने विमान की कुछ आइटम पर 20 फीसदी डिसकाउंट का ऑफर दिया. हालांकि, उन्होंने विमान के बेस प्राइस में किसी तरह के बदलाव से इनकार किया. > राफेल विमान डील किसी तरह का ऑफर या फिर दामों में बदलाव के लिए इनकार करती रही. उनका कारण था कि क्योंकि ऑर्डर में लगातार देरी हो रही है इसलिए 1.22 फीसदी दाम बढ़ने की संभावना है. > 2013-2014 में भारत में जिन 108 विमानों का निर्माण होना था, वह डील टूट गई. > फ्रांस का मानना था कि अगर वह भारत में इनका निर्माण करते हैं तो सिर्फ 31 मिलियन घंटे की मैन पावर लगेगी, हालांकि HAL का कहना था ये करीब 100 मिलियन घंटे मैन पावर की खपत होगी. > 2014  में भारत ने इस पुराने कॉन्ट्रैक्ट को खत्म कर दिया. > इसके बाद भारत औऱ फ्रांस के बीच सरकार टू सरकार का एग्रीमेंट हुआ. जिसमें फ्रांस से कुल 36 विमान खरीदने का फैसला हुआ, जिसमें शुरुआती 18 विमान का दाम उसका बेस प्राइस जितना ही होगा. > 2014 में ही इस डील को आगे बढ़ाने के लिए एयर मार्शल भदौरिया को नियुक्त किया गया. इससे पहले इसके लिए ज्वाइंट सेकेट्ररी लेवल के अफसर तैनात थे. > जिस दाम पर यूपीए की सरकार सहमत हुई थी अगर उनके हिसाब माने तो 36 विमान की कीमत 9503 मिलियन यूरो रहती. > हालांकि, सौदे में होती लगातार देरी के कारण फ्रांस इसके दाम 11000 मिलियन यूरो तक करना चाहता था. > पूरी बातचीत के बाद 36 राफेल लड़ाकू विमान के दाम 7889 मिलियन यूरो तक तय हुए. > इन सभी में फ्रांस करीब 50 फीसदी ऑफसैट यानी 50 फीसदी इन्वेस्ट भारत में करने में राजी हो गया. साथ ही DRDO को इसके तहत सफरां एयरक्राफ्ट इंजन की टेक्नोलॉजी भी मिलनी तय थी. > भारत सरकार के मुताबिक, इस नए दाम के विमान में मुताबिक कुल 13 नए बदलाव हुए. जिसमें पायलट के लिए हेल्मेट वाली डिस्प्ले, विजुअल रेंज मिसाइल समेत अन्य कई बड़े बदलाव. > साथ ही अगले सात साल के लिए करीब 75 फीसदी मेंटेनेंस की सुविधा मिलना तय था. > एनडीए सरकार का दावा है कि ये डील 1.6 बिलियन डॉलर सस्ती है. > भारत सरकार ने फ्रांस की सरकार से अपील की है कि क्या वह राफेल के दाम जाहिर कर सकते हैं. अभी इस पर फैसला पेंडिंग है.

राफेल डील विवाद देश की राजनीति का मुख्य मुद्दा बन गया है. पिछले कई दिनों से कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी इस मसले पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण पर आरोप लगा चुके हैं. इस डील में भ्रष्टाचार के …

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दिल्ली में ऐसे 54 उपकरण लगाये जायेंगे जिससे दिल्ली कि हवा होगी साफ़ 

राजधानी दिल्ली में हर साल जाड़ों के दौरान होने वाले वाले वायु प्रदूषण से निबटने के लिए तैयारियां शुरू हो गई हैं। सरकार ने खासतौर पर हवा साफ करने वाले उपकरण लगाए हैं, जो दिल्ली में 54 जगहों पर लगेंगी। इन्हें 15 अक्टूबर तक लगाया जाना है। मंगलवार को विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन गुप्ता ने वायु प्रदूषण को नियंत्रण करने वाली डिवाइसेज का उदघाटन किया। वायु (विंड ऑग्मेंटेशन प्यूरिफाइंग यूनिट) नाम की ये डिवाइसेज 500 स्क्वायर मीटर का क्षेत्र प्रदूषण मुक्त रखेंगी। इन डिवाइसेज को फिलहाल दिल्ली के व्यस्त चौराहों में से एक आईटीओ और मुकरबा चौक पर लगाया गया है। मंत्रालय के मुताबिक वायु डिवाइसेज को सीएसआईआर (काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च) और नीरी (नेशनल इंनवायरनमेंटल रिसर्ट इंस्टीट्यूट) ने मिल कर विकसित किया है। जबकि सूचना एवं प्रौद्योगिकी विभाग ने इसके लिए धन मुहैया कराया। केंद्रीय मंत्री ने बताया कि इन डिवाइसेज को स्वदेश में निर्मित किया गया है और इनकी क्षमता 500 स्क्वायर मीटर के क्षेत्र को साफ रखने की है। वहीं ये डिवाइसेज 10 घंटे में केवल आधी यूनिट बिजली ही खर्च करती हैं, जबकि इनकी मैंटिनेंस कॉस्ट केवल 1500 रुपए प्रति माह है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि हम इन डिवाइसेज का बड़ा वर्जन डेवलप करने की योजना पर काम कर रहे हैं, जो 10 हजार स्क्वायर मीटर के क्षेत्र को प्रदूषण मुक्त कर सकेंगी। साथ ही इन्हें बस शेल्टर में भी लगाया जा सकेगा। ये डिवाइसेज हवा में मौजूद वायु प्रदूषकों और सक्रिय तत्वों को साफ करेंगी। इनमें पार्टिकुलेट मैटर और एक्टीवेटेड कार्बन यानी चारकोल और अल्ट्रा वायलेट लैंप्स भी लगे हैं, जो जहरीली गैसों जैसे कार्बन मोनोक्साइड को सोखेंगे।

राजधानी दिल्ली में हर साल जाड़ों के दौरान होने वाले वाले वायु प्रदूषण से निबटने के लिए तैयारियां शुरू हो गई हैं। सरकार ने खासतौर पर हवा साफ करने वाले उपकरण लगाए हैं, जो दिल्ली में 54 जगहों पर लगेंगी। …

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अब सार्क बैठक पर मंडरा रहे है संकट के बादल, भारत-पाक वार्ता हुई रद्द 

नेपाल ने कहा है कि संयुक्त राष्ट्र महासभा के हाशिये पर होने वाली दक्षिण एशिया के विदेश मंत्रियों की बैठक में वो सार्क की प्रक्रिया आगे बढ़ाने का आग्रह करेगा. नेपाल के विदेश मंत्री ने कहा कि किन्हीं दो देशों के आपसी मतभेदों के कारण दक्षिण एशिया के मुद्दों पर संवाद की प्रक्रिया नहीं रुकनी चाहिए. हाल ही में भारत ने सीमा पर हिंसा और पाकिस्तान की ओर से आतंकियों के महिमामंडन करने वाले डाक टिकट जारी करने के बाद संयुक्त राष्ट्र में होने वाली विदेश मंत्रियों की वार्ता रद्द कर दी गई थी. संयुक्त राष्ट्र महासभा में शरीक होने पहुंचे नेपाली विदेश मंत्री प्रदीप ज्ञवली ने एबीपी न्यूज से खास बातचीत में कहा कि सार्क को मौजूदा प्रधान होने के नाते नेपाल इस बात का पक्षधर है कि दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन की शिखर बैठक होनी चाहिए. ज्ञवली ने कहा कि विदेशमंत्रियों की मुलाकात के दौरान नेपाल इस बात का आग्रह भी करेगा. नेपाल ने भारत और पाकिस्तान का नाम लिए बिना कहा कि किन्हीं भी दो देशों के मतभेदों के कारण क्षेत्रीय संवाद नहीं रुकना चाहिए. समस्याओं के समाधान के लिए ज़रूरी है कि हम बात करते रहें. महत्वपूर्ण है कि 2016 में आतंकी हुए कई हमलों को लेकर भारत ही नहीं बांग्लादेश और अफगानिस्तान के विरोध के बाद पाकिस्तान सार्क शिखर बैठक की मेजबानी नहीं कर पाया था. एक सवाल के जवाब में विदेश मंत्री ज्ञवली का कहना था कि आतंकवाद एक साझा समस्या है. कोई भी देश ऐसा नहीं है जो आतंकवाद के प्रति रियायत बरतता हो या उसका समर्थन करे. लिहाजा इस साझा समस्या के समाधान के लिए भी जरूरी है कि बातचीत की जाए और सहयोग का रास्ता निकाला जाए. इस बीच ज्ञवली ने सोमवार को जहां भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से द्विपक्षीय मुलाकात की वहीं मंगलवार को पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ले भी वो मिले. चीन-नेपाल ट्रेड एंड ट्रांजिट समझौते से भारत को खतरा नहीं बीते दिनों चीन के अपने चार समुद्री बंदरगाह और तीन ड्रायपोर्ट नेपाल के लिए मुकर्रर किए जाने को लेकर भारत में उठी चिंताओं को निराधार करार दिया. ज्ञवली ने कहा कि भारत और नेपाल के संबंध नियती से बंधे हैं.नेपाल यह स्पष्ट कर चुका है कि वो अपनी जमीन का इस्तेमाल किसी भी अन्य देश के खिलाफ नहीं होने देगा. नेपाली विदेश मंत्री के मुताबिक भारत भी यह समझेगा की नेपाल को अपने कारोबार के लिए बंदरगाहों तक पहुंचने की ज़रूरत है. चीन के साथ नेपाल ने ट्रेड एंड ट्रांज़िट एग्रीमेंट किया था. उसी के तहत प्रोटोकॉल पर दस्तखत हुए. इससे भारत और नेपाल के रिश्ते कतई खराब नहीं होते. बिम्सटेक में नहीं बनी थी सैन्य अभ्यास पर कोई सहमति काठमांडू में बिम्सटेक शिखर सम्मेलन की मेजबानी के बाद भारत में आयोजित बिमस्टेक संयुक्त सैन्य अभ्यास में नेपाल के शरीक न होने के फैसले को भी ज्ञवली ने जायज ठहराया. इस बारे में पूछे जाने पर उनका कहना था कि बिम्सटेक एक आर्थिक और तकनीकी सहयोग संगठन है. उसमें सैन्य सहयोग का कोई पक्ष नहीं है.साथ ही बिम्सटेक सम्मेलन में भारत की तरफ से संयुक्त सैन्य अभ्यास का प्रस्ताव ज़रूर आया था लेकिन इसके लिए कोई सहमति नहीं बनी थी. इसलिए हमने केवल ऑब्जर्वर भेजे थे..द्विपक्षीय स्तर पर भारत और नेपाल के बीच सैन्य अभ्यास की मजबूत परम्परा है.

नेपाल ने कहा है कि संयुक्त राष्ट्र महासभा के हाशिये पर होने वाली दक्षिण एशिया के विदेश मंत्रियों की बैठक में वो सार्क की प्रक्रिया आगे बढ़ाने का आग्रह करेगा. नेपाल के विदेश मंत्री ने कहा कि किन्हीं दो देशों …

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लश्कर कमांडर सहित दो आतंकी हुए ढेर, जम्मू-कश्मीर के सोपोर में सेना का बड़ा ऑपरेशन 

जम्मू कश्मीर के बारामुला जिले के सोपोर में सेना ने एनकाउंटर के दौरान दो आतंकवादियों को ढेर किया है. मंगलवार देर रात से सोपोर जिले में सुरक्षाबलों और जम्मू कश्मीर पुलिस के संयुक्त ऑपरेशन में करीब 8 घंटे बाद आतंकियों को मार गिराया है. इलाके में सुरक्षाबलों और जम्मू कश्मीर पुलिस का संयुक्त अभियान अब भी जारी है.  जानकारी के मुताबिक, मंगलवार देर रात सेना को सोपोर के टुज्जर गांव में 2-3 आतंकियों के छिपे होने की जानकारी मिली थी. आतंकियों की सूचना मिलने के बाद 22 राष्ट्रीय राइफल्स, जम्मू-कश्मीर स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के जवानों ने इलाके सर्च अभियान चलाया.  लश्कर के दो आतंकवादी ढेर देर रात गोलीबारी में सेना ने दो आतंकियों को मार गिराया है. मारे गए आतंकी लश्कर-ए-तैयबा संगठन से जुड़े हुए हैं. इसमें से एक नॉर्थ कश्मीर का लश्कर कमांडर अबू मार्ज और उसका साथी था. पुलिस को काफी लंबे समय से इनकी तलाश थी. बताया जा रहा है कि इन दोनों आतंकियों पर सोपोर में तीन स्थानीय नागरिकों की हत्या का आरोप है.

जम्मू कश्मीर के बारामुला जिले के सोपोर में सेना ने एनकाउंटर के दौरान दो आतंकवादियों को ढेर किया है. मंगलवार देर रात से सोपोर जिले में सुरक्षाबलों और जम्मू कश्मीर पुलिस के संयुक्त ऑपरेशन में करीब 8 घंटे बाद आतंकियों को मार …

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आज आ सकता है सुप्रीम कोर्ट की बेंच का फैसला प्रमोशन में आरक्षण के मामले पर चल रही सुनवायी

सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ का आज आधार और प्रमेाशन में आरक्षण मामले में फैसला आ सकता है। आधार मामले में मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधानपीठ ने गत 10 मई को सभी पक्षों की बहस सुनकर फैसला सुरक्षित रख लिया था। प्रमोशन में आरक्षण मामले में यह तय होगा कि प्रमोशन में आरक्षण मामले में नागराज मामले में पुनर्विचार किया जाए या नहीं, यह तय किया जाएगा। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट में कल ही कोर्ट की लाइव सुनवाई को लेकर भी फैसला आ सकता है।  सेवानिवृत जज पुत्तासामी और कई अन्य लोगों ने आधार कानून की वैधानिकता को चुनौती दी है। याचिकाओं में विशेषतौर पर आधार के लिए एकत्र किये जाने वाले बायोमेट्रिक डाटा से निजता के अधिकार का हनन होने की दलील दी गई है। आधार की सुनवाई के दौरान ही कोर्ट मे निजता के अधिकार के मौलिक अधिकार होने का मुद्दा उठा था जिसके बाद कोर्ट ने आधार की सुनवाई बीच में रोक कर निजता के मौलिक अधिकार पर नौ न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने सुनवाई की और निजता को मौलिक अधिकार घोषित किया। इसके बाद पांच न्यायाधीशों ने आधार की वैधानिकता पर सुनवाई शुरू की थी। इस मामले की कुल साढ़े चार महीने में 38 दिनों तक सुनवाई हुई थी। याचिकाकर्ताओं की ओर से दलील दी गई थी कि एकत्र किये जा रहे डाटा की सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम नहीं हैं। ये भी आरोप लगाया गया है कि सरकार ने हर सुविधा और सर्विस से आधार को जोड़ दिया है जिसके कारण गरीब लोग आधार का डाटा मिलान न होने के कारण सुविधाओं का लाभ लेने से वंचित हो रहे हैं।  ये भी कहा गया था कि सरकार ने आधार बिल को मनी बिल के तौर पर पेश कर जल्दबाजी में पास करा लिया है। आधार को मनी बिल नहीं कहा जा सकता। उधर, दूसरी ओर केन्द्र सरकार, यूएआईडी, गुजरात और महाराष्ट्र सरकार सहित कई संस्थाओं ने सुप्रीम कोर्ट में आधार कानून को सही ठहराते हुए याचिकाओं को खारिज करने की अपील की थी। सरकार की ओर से कहा गया था कि आधार कानून इसलिए लाया गया है ताकि सुविधाओं का लाभ वास्तविक जरूरतमंद तक पहुंचे। बीच में उसका लीकेज न हो। यह भी कहा था कि एकत्र किया गया डेटा सरकार के पास सुरक्षित है इसके अलावा डेटा सुरक्षित रखने के बारे में कानून बनाने पर विचार हो रहा है।  एम नागराज फैसले पर पुनर्विचार की जरूरत पर सुनाएगा फैसला  एससी एसटी को प्रोन्नति में आरक्षण के लिए पिछड़ेपन और अपर्याप्त प्रतिनिधित्व के आंकड़े जुटाने की व्यवस्था देने वाले एम नागराज फैसले पर पुनर्विचार की मांग पर सुप्रीम कोर्ट बुधवार को अपना फैसला सुनाएगा।  सरकार और आरक्षण समर्थकों ने 2006 के एम नागराज के फैसले को पुनर्विचार के लिए सात न्यायाधीशों की संविधान पीठ को भेजे जाने की मांग की है। मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस मांग पर सभी पक्षों की बहस सुनकर गत 30 अगस्त को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। सरकार और आरक्षण समर्थकों का कहना है कि एम नागराज फैसले में दी गई व्यवस्था सही नहीं है। एससी एसटी अपने आप में पिछड़े माने जाते हैं। राष्ट्रपति द्वारा जारी सूची में शामिल होने के बाद उनके पिछड़ेपन के अलग से आंकड़े जुटाने की जरूरत नहीं है। जबकि आरक्षण विरोधियों ने एम नागराज फैसले को सही ठहराते हुए कहा था कि उस फैसले में पांच न्यायाधीशों की पीठ द्वारा दी गई व्यवस्था सही कानून है। फैसले के एक भाग पर नहीं बल्कि फैसला आने की पूरी परिस्थितियों पर विचार होना चाहिए। उनका कहना था कि आरक्षण हमेशा के लिए नहीं है ऐसे में पिछड़ेपन के आंकड़े जुटाए बगैर यह कैसे पता चलेगा कि सरकारी नौकरियों में एससी एसटी का पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं है और इसलिए इन्हें प्रोन्नति में आरक्षण देने की जरूरत है।

सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ का आज आधार और प्रमेाशन में आरक्षण मामले में फैसला आ सकता है। आधार मामले में मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधानपीठ ने गत 10 मई को सभी पक्षों की बहस …

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मनमोहन सिंह के 86 जन्मदिन पर मोदी जी और राहुल गांधी ने दी शुभकामनाएं 

देश के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का आज जन्मदिन है. मनमोहन सिंह 86 बरस के हो गए हैं. देश में आर्थिक सुधारों के सूत्रधार माने जाने वाले मनमोहन का जन्म 26 सितंबर, 1932 को अविभाजित भारत के पंजाब प्रांत में हुआ था. मनमोहन सिंह 2004 से 2014 तक भारत के प्रधानमंत्री रहे. 10 साल के कार्यकाल के दौरान मनमोहन सिंह की चुप्पी पर कई सवाल उठे, लेकिन यही सादगी उनकी सबसे बड़ी विशेषता भी रही. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी मनमोहन सिंह को जन्मदिन की बधाई दी. PM मोदी के अलावा कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी मनमोहन सिंह को जन्मदिन की बधाई दी. गौरतलब है कि बीते कई दिनों में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने मोदी सरकार को कई अहम मुद्दों पर घेरा है. नोटबंदी, जीएसटी, राफेल डील पर लगातार मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर वार करते आए हैं. आपको बता दें कि 2004 से 2014 तक प्रधानमंत्री रहे मनमोहन सिंह के शासन पर भ्रष्टाचार के कई आरोप लगे थे. हालांकि, मनमोहन सिंह खुद हमेशा बेदाग ही रहे. मनमोहन की अगुवाई में ग्लोबल बना भारत 1991 में जब भारत को दुनिया के बाजार के लिए खोला गया तो मनमोहन सिंह ही देश के वित्त मंत्री थे. देश में आर्थिक क्रांति और ग्लोबलाइजेशन की शुरुआत इन्होंने ही की थी. इसके बाद पीएम रहते हुए मनरेगा की शुरुआत भी एक बड़ा फैसला रहा, मनरेगा के कारण कई गरीब लोगों को रोजगार मिल पाया.

देश के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का आज जन्मदिन है. मनमोहन सिंह 86 बरस के हो गए हैं. देश में आर्थिक सुधारों के सूत्रधार माने जाने वाले मनमोहन का जन्म 26 सितंबर, 1932 को अविभाजित भारत के पंजाब प्रांत में हुआ था. मनमोहन सिंह …

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12वीं पास छात्रों के लिए ISRO ने दिया तोहफा निकाली नयी वैकेंसी, इंटरव्यू के आधार पर होगा चयन… 

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने 205 पदों पर वैकेंसी निकाली है। इच्छुक उम्मीदवार ISRO की ऑफिशियल वेबसाइट iprc.gov.in पर जाकर आवेदन कर सकते हैं। पदों की संख्या: 205 पदों के नाम ग्रेजुएट अप्रेंटिस, टेक्नीशियन अप्रेंटिस और ट्रेड अप्रेंटिस शैक्षणिक योग्यता ग्रेजुएट अप्रेंटिस: किसी भी मान्यता प्राप्त संस्थान ने इंजीनियरिंग डिग्री ली हो। टेक्नीशियन अप्रेंटिस: किसी भी मान्यता प्राप्त संस्थान से इंजीनियरिंग में डिप्लोमा। ट्रेड अप्रेंटिस : किसी भी मान्यता प्राप्त संस्थान से 12वीं पास किया हो और साथ में आईटीआई/ एनटीसी/ एनएसी कोर्सेज का भी सर्टिफिकेट लिया हो। आयु सीमा आयु 35 साल से अधिक न हो। सैलरी:  3542 से 7200 रुपए चयन प्रक्रिया:  चयन इंटरव्यू के आधार पर होगा आवेदन भेजने की अंतिम तिथि:  11 अक्टूबर, 2018 इंटरव्यू डेट:  ग्रेजुएट अप्रेंटिस: 29 सितंबर 2018 टेक्नीशियन अप्रेंटिस: 6 अक्टूबर 2018 ट्रेड अप्रेंटिस: 13 अक्टूबर 2018 इंटरव्यू का पता: इसरो प्रोपल्सन कॉम्प्लेक्स (IPRC), महेंद्रगिरी, तिरुनेलवेली जिला, तमिलनाडु

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने 205 पदों पर वैकेंसी निकाली है। इच्छुक उम्मीदवार ISRO की ऑफिशियल वेबसाइट iprc.gov.in पर जाकर आवेदन कर सकते हैं। पदों की संख्या: 205 पदों के नाम ग्रेजुएट अप्रेंटिस, टेक्नीशियन अप्रेंटिस और ट्रेड अप्रेंटिस शैक्षणिक योग्यता ग्रेजुएट …

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सुषमा और कुरैशी लंच टेबल पर होंगे आमने सामने साथ ‘संयुक्त राष्ट्र’. 

रिश्तों में तल्खी और आपसी तनाव के चलते भारत और पाकिस्तान के विदेशमंत्रियों की न्यूयॉर्क में द्विपक्षी मुलाकात मेज पर तो नहीं लेकिन दोपहर भोज के दस्तरख्वान के साथ ज़रूर रूबरू होंगे. संयुक्त राष्ट्र महासभा के हाशिए पर दोनों नेताओं का पहला आमना-सामना 27 सितंबर की होगा जब दक्षिण एशियाई देशों के विदेशमंत्री निर्धारित परम्परा के अनुसार मुलाकात करेंगे. इस बीच भरत की विदेशमंत्री सुषमा स्वराज और पाकिस्तानी विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी, दोनों बीते 48 घण्टे से न्यूयॉर्क में हैं. संयुक्त राष्ट्र संघ की कई बैठकों में शिरकत भी कर रहे हैं. मगर दोनों नेताओं का अभी तक आमना-सामना नहीं हुआ है. भारतीय उच्च पदस्थ अधिकारियों के मुताबिक न्यूयॉर्क के वेस्टिन होटल में सभी सार्क मुल्कों के विदेशमंत्री मुलाकत करेंगे. यह एक अनौपचारिक बैठक है इसलिए इसका कोई एजेंडा तय नहीं है. लिहाज़ा नेता अपनी सुविधा और प्राथमिकता के अनुसार मुद्दे उठाते सकते हैं. आतंकवाद के मुद्दे पर अफगानिस्तान, बांग्लादेश पड़ोसियों की नाराजगी के चलते पाकिस्तान 2016 में सार्क की मेजबानी नहीं कर पाया था. इसके बाद से पाकिस्तान लगातार सार्क की मेजबानी को लेकर दबाव बना रहा है. वहीं भारत यह स्पष्ट कर चुका है कि फिलहाल ऐसी क्षेत्रीय बैठक के लिए माहौल ठीक नहीं है. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने पीएम मोदी के नाम लिखी चिट्ठी में विदेश मंत्रियों की बैठक का प्रस्ताव रखने के साथ साथ सार्क शिखर सम्मेलन इस्लामाबाद में कराए जाने की बात भी कही थी. हालांकि नाटकीय घटनाक्रम में भरत ने जहां पहले विदेशमंत्रियों की बैठक का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया था. वहीं महज़ 24 घण्टे के भीतर भारत का इकरार इनकार में बदल गया. इसकी वजह भी आतंकवाद बन गया. खासतौर पर पाकिस्तान में जिस तरह बुरहान वानी जैसे आतंकी का महिमामंडन करते हुए डाक टिकट जारी किए गए.. साथ ही एक बीएसएफ जवान और जम्मू कश्मीर पुलिस के तीन पुलिसकर्मीयों की नृशंस हत्या का हवाला देते न्यूयॉर्क में होने वाली वार्ता रद्द कर दी हुई.

रिश्तों में तल्खी और आपसी तनाव के चलते भारत और पाकिस्तान के विदेशमंत्रियों की न्यूयॉर्क में द्विपक्षी मुलाकात मेज पर तो नहीं लेकिन दोपहर भोज के दस्तरख्वान के साथ ज़रूर रूबरू होंगे. संयुक्त राष्ट्र महासभा के हाशिए पर दोनों नेताओं …

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वसुन्द्रा की 52 हजार करोड़ की योजनाओं से क्‍यों खफा हुई कांग्रेस? 

नई दिल्‍ली: राजस्‍थान के चुनावी मौसम में इन दिनों वादों की बरसात के साथ घोषणाओं के बादल की भी बड़ी तेजी से गरज रहे हैं. आलम यह है कि बीते 30 दिनों में राजस्‍थान की मुख्‍यमंत्री वसुंधरा राजे ने करीब 52 हजार करोड़ रुपए से अधिक की योजनाओं की घोषणा की है. वहीं, मुख्‍यमंत्री वसुंधरा राजे द्वारा की जा रही इन घोषणाओं से कांग्रेस बेहद खफा है. कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि बीते पांच सालों के दौरान मुख्‍यमंत्री वसुंधरा राजे के नेतृत्‍व वाली बीजेपी सरकार ने सूबे में कुछ भी नहीं किया, अब चुनाव की बैतरणी पार लगाने के लिए वसुंधरा राजे सरकार घोषणा पर घोषणा किया जा रही है.  2013 में किए गए वादे अब तक पूरे नहीं राजस्‍थान प्रदेश कांग्रेस अध्‍यक्ष सचिन पायलट का कहना है कि वसुंधरा राजे सरकार ने पिछले 5 सालों में प्रदेश की तरक्‍की को पीछे ढकेल दिया है. अब चुनाव आने पर रानी सा (मुख्‍यमंत्री वसुंधरा राजे) केवल शिलान्यास और पुराने योजनाओं के नाम बदलकर वोट लेना चाहती हैं. राजस्‍थान विधानसभा चुनाव 2013 से पहले बीजेपी की तरफ से किए गए तमाम वादे आज तक पूरे नहीं हुए हैं. उन्‍होंने कहा कि प्रदेश की जनता बीजेपी सरकार की वादाखिलाफी, झूठे आश्वासन और कुशासन से तंग आ चुकी है. आगामी राजस्‍थान विधानसभा चुनाव 2018 में सूबे की जनता अब बीजेपी को दोबारा मौका नहीं देगी. राजे का गृह जिला भी नहीं हुआ विकसित  राजस्‍थान प्रदेश कांग्रेस अध्‍यख सचिन पायलट ने वसुंधरा राजे के गृह जिले झालावाड़ का जिक्र करते हुए कहा कि मुख्‍यमंत्री ने अपने गृह जिले में 17 हजार करोड़ से विकास कार्य करने का दावा किया है. वहीं दूसरी तरफ, झालावाड़ के कलेक्टर ने केंद्र सरकार ससे आग्रह किया कि झालावाड़ में बुनियादी सुविधाएं भी नहीं हैं, लिहाजा इस जिले को पिछड़े जिलों की सूची में शामिल किया जाए. उन्‍होंने बताया कि झालावाड़ के कलेक्टर द्वारा केंद्र को भेजी गई चिट्ठी में बताया गया है कि वहां पानी, बिजली, शिक्षा, चिकित्सा जैसी बुनियादी सुविधाएं भी नहीं हैं, लिहाजा, इसको पिछड़े जिलों की सूची में शामिल किया जाए.  जनता को अभी भी है सुविधाओं का इंतजार मुख्‍यमंत्री वसुंधरा राजे पर आरोप लगाते हुए सचिन पायलट ने कहा कि डूंगरपुर सागवाड़ा विधानसभा क्षेत्र में 2013 चुनाव से पहले भले ही सड़क और पुल जैसी सुविधाएं देने के वादे किए गए थे, लेकिन आज भी कटारा की सड़कें खटारा ही पड़ी है. अवलर का जिक्र करते हुए उन्‍होंने कहा कि 5 साल पहले के वादे आज तक पूरे नही हुए. बानसूर नगर पालिका, बहरोड़ में RTDC मिडवे, रामगढ़ में अनाज मंडी, रैफरल अस्पताल की क्षमता 150 बेड तक करने, राजगढ़ में रोडवेज सब डिपो, मालाखेड़ा में कॉलेज और रेलवे ओवरब्रिज निर्माण कार्य का इंतजार अभी भी अलवर की जनता को है. चुनाव आगमन पर अब शिलान्यास का दौर चला है.  मुख्‍यमंत्री द्वारा बीते एक महीने में की गई घोषणाएं  कुम्भाराम नहर लिफ्ट परियोजना के दूसरे चरण के लिए करीब 700 करोड़ रूपये की स्वीकृति अलवर और दौसा जिले में जलआपूर्ति की समस्‍या खत्‍म करने के लिए 37 हजार करोड़ रुपए की ईआरसीपी योजना.  दौसा और सवाई माधोपुर जिले को जोड़ने वाली बहुप्रतीक्षित दौसा-गंगापुर रेलवे लाइन में 700 करोड़ रुपए का निवेश.  लालसोट से कौथून के बीच 615 करोड़ रुपये की लागत से फोरलेन सड़क का निर्माण.  सुमेरपुर विधानसभा क्षेत्र की 38 हजार हेक्‍टेयर भूमि की सिंचाई के लिए 600 करोड रुपए की दो परियोजनाएं.  जैसलमेर जिले के रामदेवरा में करीब 95 करोड़ रूपये के विभिन्न विकास कार्यों का लोकार्पण-शिलान्यास जैसलमेर में 61 करोड़ रूपये 66 लाख से अधिक के विकास कार्यों के लोकार्पण. फलोदी में करीब 37 करोड़ रूपये से अधिक के विकास कार्यों के लोकार्पण और शिलान्यास. जोधपुर जिले में विकास कार्यों पर 13 हजार 600 करोड़ रूपये की स्‍वीकृति.  तिंवरी-मथानिया-ओसियां-भोलालगढ़ पेयजल परियोजना के लिए 499 करोड़ रूपये का आवंटन. ओसियां में 105 करोड़ रुपये से अधिक के विकास कार्यों का लोकार्पण एवं शिलान्यास.

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