देश

पतंजलि फूड पार्क विवाद: पीएम मोदी के ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ पर खड़े हुए बड़े सवाल

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दावा करते हैं कि देश में ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ यानी कारोबार करना आसान हुआ है. लेकिन योगुरु बाबा रामदेव के पतंजलि फूड पार्क को लेकर जो विवाद शुरू हुआ है, उससे ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ को लेकर सवाल उठ रहे हैं. सवाल है कि जब पीएम मोदी के बेहद करीबी बाबा रामदेव जैसी ताकतवर शख्सियत को बिजनेस करने में मुश्किल आ रही है तो आम कारोबारियों का क्या हाल होता होगा? पीएम मोदी ने क्या दावा किया था? पिछले साल नवंबर में पीएम मोदी ने इंडिया बिजनेस रिफॉर्म्स के एक कार्यक्रम में कहा था, ‘’हमारी सरकार ने भारत में कारोबार करना आसान किया है. हमारे पास उपलब्ध आर्थिक संभावनाओं को टटोलने के लिये भारत दुनिया का स्वागत करता है. हम रिफॉर्म, परफॉर्म और ट्रांसफार्म के मंत्र के साथ रैंकिंग में और सुधार करने और अधिक आर्थिक वृद्धि हासिल करने के लिए प्रतिबद्ध हैं. भारत आज वहां पहुंच चुका है जहां से आगे बढ़ना और आसान है.’’ 'ईज ऑफ डूइंग बिजनेस' की रैंकिंग में भारत शीर्ष 100 देशों में शामिल बता दें कि 'ईज ऑफ डूइंग बिजनेस' की रैंकिंग में भारत शीर्ष 100 देशों में शामिल है. महज तीन साल के मामूली समय में भारत ने 42 पायदान की छलांग लगाई है. पीएम मोदी ने उस दौरान कहा था कि इस रैंकिंग को भले ही कारोबारी सुगमता कहते हैं लेकिन कि ये कारोबारी सुगमता के साथ ही जीवन यापन की सुगमता की भी रैंकिंग है. ये रैंकिंग सुधरने का मतलब है कि देश में आम नागरिक, देश के मध्यम वर्ग की जिंदगी और आसान हुई है. ऐसे में रामदेव के पतंजलि फूड पार्क से खड़ा हुआ विवाद भारत की इस रैंकिंग पर भी सवाल खड़े करता है. सरकार के लिए यह एक बड़ा झटका है. क्या है 'ईज ऑफ डूइंग बिजनेस' दरअसल 'ईज ऑफ डूइंग बिजनेस' की रिपोर्ट विश्व बैंक की तरफ से जारी होती है. इसके लिए दस कारकों को आधार बनाया जाता है. इनमें से आठ में भारत की स्थिति बेहतर हुई है. मसलन, छोटे निवेशकों के हितों की रक्षा, कर्ज पाने, कंस्ट्रक्शन परमिट हासिल करने, ठेके को लागू करने और दिवालिया प्रक्रिया पूरा करने जैसे मामलों में स्थिति बेहतर हुई है. विश्वबैंक की डूइंग बिजनेस की सूची में न्यूजीलैंड पहले स्थान पर जबकि सिंगापुर दूसरे पायदान पर है. वहीं भारत 100वें और उसके पड़ोसी देश चीन 15वें, पाकिस्तान 147वें और बांग्लादेश 177वें नंबर पर है. व्यापार के मामले में नोएडा 12वें नंबर पर भारत में व्यापार करने के मामले में पंजाब का लुधियाना शहर नंबर वन है. वहीं हैदराबाद दूसरे और भुवनेश्वर तीसरे नंबर पर है. राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली छठे, मुंबई 10वें, कोलकाता 17वें और जहां पतंजलि का फूडपार्क बनेगा यानी नोएडा 12वें नंबर पर है. क्या है रामदेव का पतंजलि विवाद? दरअसल यूपी सरकार ने ग्रेटर नोएडा में पतंजलि का मेगा फूड पार्क पहले रद्द कर दिया था. इसके बाद 6 हजार करोड़ की लागत से बनने वाले फूड पार्क से रामदेव ने हाथ खींच लिए थे और फूड पार्क यूपी से बाहर ले जाने का एलान कर दिया था. पतंजलि ने आरोप लगाया कि पतंजलि हर्बल एंड मेगा फ़ूड पार्क नाम के टाइटल को एनओसी देने के नाम पर योगी सरकार एक साल से ज्यादा समय से टालमटोल करती रही. गौरतलब है कि किसी भी कंपनी को मंत्रालय से फूड पार्क के लिए ग्रांट या अनुदान राशि के लिए जमीन का टाइटल, कंपनी का टाइटल और बैंक लोन एनओसी या बैंक के खाते की क्लोजर रिपोर्ट चाहिए होती है. पतंजलि को भी इस मामले में 15 जून तक क्लोजर रिपोर्ट जमा करने के लिए कहा गया था, लेकिन योगी सरकार की तरफ से पतंजलि को जमीन का टाइटल नहीं मिला. पतंजलि हर्बल एंड मेगा फ़ूड पार्क क्या है? बता दें कि फूड पार्क में तेल, आटा, बिस्किट समेत कई सामानों का उत्पादन किया जाता है. यूपी में अखिलेश सरकार के समय फूड पार्क को मंजूरी और जमीन दी गई थी. इसके बाद फूड पार्क की जमीन पर दफ्तर और किनारे की दीवारें भी बनाई जा चुकी थीं. पतंजलि ने इस फूड पार्क से करीब एक हजार लोगों को रोजगार दिए जाने का दावा किया था. इतना ही नहीं आसपास के इलाकों के हजारों किसानों को फायदा मिलने का भी दावा किया गया था.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दावा करते हैं कि देश में ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ यानी कारोबार करना आसान हुआ है. लेकिन योगुरु बाबा रामदेव के पतंजलि फूड पार्क को लेकर जो विवाद शुरू हुआ है, उससे ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ को …

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अमित शाह से मुलाकात से पहले शिवसेना ने भाजपा पर किया हमला

भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे से बुधवार को होने वाली मुलाकात से पहले शिवसेना ने सामना के जरिये भाजपा पर करारा हमला किया है। सहयोगी दलों के साथ चार साल बाद बातचीत शुरू करने के भाजपा …

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2022 तक सबको पक्का घर देने का लक्ष्य, पहले राजनीतिक आधार पर किया जाता था चयन: पीएम

वर्ष 2022 तक सबको पक्का घर उपलब्ध कराने के सरकार के लक्ष्य की जानकारी देते हुए पीएम मोदी ने कांग्रेस पर इस मामले में राजनीति करने का आरोप लगाया। नरेंद्र मोदी एप के जरिए पीएम आवास योजना के लाभार्थियों से …

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यूनिवर्सल सोशल सिक्योरिटी योजना के तहत 50 करोड़ कामगारों को मोदी सरकार देगी सामाजिक सुरक्षा 

मोदी केयर योजना के तहत 50 करोड़ लोगों को स्वास्थ्य बीमा कवर देने के बाद अब मोदी सरकार की निगाहें कामगारों पर है। लोकसभा चुनाव में पूरे दमखम के साथ उतरने की तैयारियों में जुटी मोदी सरकार अब यूनिवर्सल सोशल …

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बड़ी खबर: बालकृष्ण की फूडपार्क पर धमकी से यूपी सरकार में मचा हड़कंप

पतंजलि आयुर्वेद के एमडी व पतंजलि योगपीठ के सह संस्थापक आचार्य बालकृष्ण द्वारा यमुना एक्सप्रेस वे (नोएडा) पर प्रस्तावित पतंजलि फूडपार्क को यूपी के बाहर ले जाने के एलान से सरकार में हड़कंप मच गया। हालांकि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने …

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पूर्व मुख्यमंत्रियों के बंगले खाली कराने के पीछे की कहानी

सुप्रीम कोर्ट ने एक जन हित याचिका पर फैसला सुनाते हुए कहा कि पूर्व मुख्यमंत्रियों को अपने बंगले खाली करना पड़ेंगे. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद बड़ी मुश्किल से उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्रीअखिलेश यादव और मायावती ने अपने सरकारी बंगलों को खाली किया. दरअसल सुप्रीम कोर्ट का ये निर्णय जनहित में होकर अति विशिष्ट व्यक्तियों की संस्कृति के खिलाफ भी था. लेकिन बहुत कम लोगों को जानकारी है कि जिस जनहित याचिका को कोर्ट में दाखिल किया था वे लोक प्रहरी रिटायर आईएएस एसएन शुक्ला हैं . आपको बता दें कि 75 वर्षीय एस एन शुक्ला सेवा निवृत्ति के 15 सालों बाद भी लोकतंत्र को मजबूत करने की लड़ाई लड़ रहे हैं . सरकारी बंगलों पर कब्जा करने वाले मुख्यमंत्रियों की सूची में अखिलेश यादव, मायावती, एनडी तिवारी, राजनाथ सिंह, कल्याण सिंह और मुलायम सिंह जैसे बड़े नेताओं के नाम थे. जो सालों से सरकारी बंगलों में रह रहे थे.इनको यहां से बेदखल करने का श्रेय इन्हीं को जाता है.एस एन शुक्ला समाजसेवी के अलावा वकील और पूर्व आईएएस अधिकारी भी रह चुके हैं. आपको बता दें कि यह एनजीओ जो कुछ पूर्व आईएएस अधिकारियों, जज और दूसरे सरकारी अधिकारियों ने मिलकर बनाया था , जिससे शुक्ला 2003 में जुड़ गए थे.पूर्व सीएम से बंगले खाली करवाने के अलावा इस एनजीओ ने 2013 में अदालत में दोषी नेताओं के खिलाफ याचिका दर्ज की थी जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया कि सज़ायाफ्ता सांसद या विधायक सजा की तारीख से पद पर रहने के अयोग्य होंगे.इसके अलावा इसी एनजीओ ने 2015 में अदालत में चुनाव के समय नेताओं की पत्नियों और संबंधियों की संपत्ति के स्त्रोतों की जानकारी देने की भी मांग की थी.जिसे कोर्ट के आदेश से लागू किया गया. यह भी देखें

सुप्रीम कोर्ट ने एक जन हित याचिका पर फैसला सुनाते हुए कहा कि पूर्व मुख्यमंत्रियों को अपने बंगले खाली करना पड़ेंगे. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद बड़ी मुश्किल से उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्रीअखिलेश यादव और मायावती ने अपने …

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ज़हरीली होती भोपाल की हवा, इंदौर फिर भी बेहतर

विश्व पर्यावरण दिवस पर अगर बात राजधानी भोपाल कि जाये तो स्वच्छता सर्वेक्षण 2017 और 2018 में लगातार भोपाल देश में दूसरे स्थान पर काबिज रहा मगर वायु प्रदूषण के आंकड़े जरा उलट है. भोपाल में वायु प्रदुषण लगातार बढ़ रहा है. वही इंदौर इस मामले में सुधार की ओर अग्रसर है. जानकारी मप्र प्रदूषण नियंत्रण मंडल (पीसीबी) की रिपोर्ट से ली गई है जिसके अनुसार भोपाल शहर में 6 स्थानों पर वायु मापन केंद्र बनाए गए हैं. एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) के आंकड़ों में रेस्पायरेबल सस्पेंडेड पार्टीकुलर मेटर (आरएसपीएम-10) यानी बड़े धूल के कण और पीएम 2.5 (धूल के सूक्ष्म कण) के परिणाम सबसे अधिक पाए गए हैं. वर्ष 2018 में जनवरी से जून महीने तक प्रदूषण स्तर बढ़ा हुआ मिला है. जबकि पिछले साल इन्हीं महीनों में एक्यूआई के आंकड़े संतोषजनक थे. रिपोर्ट के अनुसार सबसे अधिक प्रदूषण हमीदिया रोड, कोलार रोड, बैरागढ़, गोविंदपुरा, होशंगाबाद रोड पर है. सिर्फ पर्यावरण परिसर (अरेरा कॉलोनी) क्षेत्र में प्रदूषण का स्तर संतोषजनक व अच्छा मिला है. वहीं, इंदौर में विजय नगर, सांवेर रोड, कोठारी मार्केट में वायु प्रदूषण मापक उपकरण लगाए गए हैं.यहां वर्ष 2017 और 18 की रिपोर्ट आशा से बेहतर है. पीसीबी के मानकों के मुताबिक 0 से 50 एक्यूआर इंडेक्स तक की हवा को अच्छा और श्वसन के लिए बेहतर माना जाता है. भोपाल में अगर वायु प्रदुषण के कारण की बात करे तो रिपोर्ट के अनुसार हमीदिया रोड, कोलार, बैरागढ़ और होशंगाबाद रोड पर वाहनों की संख्या के कारण धुआं और धूल के कण हवा में घुलते हैं. सड़क के किनारे या सेंट्रल वर्ज पर पौधे नहीं हैं. सड़क की नियमित सफाई और धुलाई नहीं होने से धूल के कण हवा में लगातार उड़ते रहते हैं. जिससे आरएसपीएम 10 और पीएम 2.5 की मात्रा बढ़ी हुई है.

विश्व पर्यावरण दिवस पर अगर बात राजधानी भोपाल कि जाये तो स्वच्छता सर्वेक्षण 2017 और 2018 में लगातार भोपाल देश में दूसरे स्थान पर काबिज रहा मगर वायु प्रदूषण के आंकड़े जरा उलट है. भोपाल में वायु प्रदुषण लगातार बढ़ …

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रामनवमी के दौरान भड़की हिंसा पर NHRC ने ममता सरकार पर उठाए सवाल

रामनवमी के मौके पर पश्चिम बंगाल के रानीगंज और आसनसोल में भड़की हिंसा पर राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग ने राज्य की ममता सरकार पर सवाल उठाए हैं. आयोग की ओर से कहा गया है कि हालात से निपटने में पुलिस और सुरक्षा एजेंसियां नाकाम रहीं. साथ ही पुलिस हिंसा पीड़ितों की सुरक्षा करने की बजाय खुद को सुरक्षित रखने में लगी रही. मानव अधिकार आयोग ने अपने रिपोर्ट में कहा है कि 28 मार्च रात आसनसोल में भड़की हिंसा प्रशासनिक विपलता का साफ उदाहरण हैं. पुलिस ने हिंसा रोकने के लिए कोई कदम नहीं उठाए इसी वजह से स्थानीय लोगों को खुद भागकर अपनी जान बचानी पड़ी. कई परिवार तो ऐसे हैं जो अभी तक वापस अपने घर नहीं लौटे, यहां तक कि पुलिस ने पीड़ितों की शिकायत भी नहीं दर्ज की. आयोग की टीम के दौरे से पहले रानीगंज में 3 और आसनसोल में 11 FIR दर्ज की गई थीं लेकिन वहां जाने पर पीड़ितों ने कहा कि वह शिकायत दर्ज कराने तो गए थे लेकिन पुलिस ने अबतक उनका बयान तक नहीं दर्ज किया है. साथ ही रिपोर्ट में कहा गया है कि राज्य पुलिस ने हिंसा के दौरान दर्ज 14 मामलों में सिर्फ एक मामले में ठीक ढंग से सबूत जुटा पाई है. इसके अलावा पुलिस के बैकअप प्लान पर भी गंभीर सवाल उठाए गए हैं. घटना के बाद वरिष्ठ अधिकारियों ने हिंसाग्रस्त इलाके का दौरा तक नहीं किया. आयोग ने मांगी रिपोर्ट आयोग ने अब राज्य के चीफ सेक्रेटरी और ममता सरकार से जवाब मांगा है. साथ ही इस मामले में दर्ज सभी FIRs का ब्यौरा और हर शिकायत की अलग से FIR दर्ज करने के निर्देश दिए गए हैं. इसके अलावा एक टीम का गठन कर पीड़ितों को होने वाले नुकसान का ब्यौरा जमा करने के लिए भी कहा गया है. केंद्र में सत्ताधारी बीजेपी लगातार हिंसा को लेकर ममता सरकार पर सवाल उठाती रही है. पार्टी का दावा है कि ममता सरकार का पुलिसिया तंत्र पूरी तरह विफल रहा है और टीएमसी के कार्यकर्ताओं के इशारों पर काम कर रहा है. अब इस रिपोर्ट के जरिए बीजेपी को टीएमसी सरकार पर घेरने का एक और मौका मिल गया है. राज्य में चुनावों से पहले बीजेपी लगातार अपनी पकड़ बढ़ा रही है. बता दें कि रामनवमी के मौके पर जुलूस को लेकर बर्धमान जिले के रानीगंज इलाके में तनाव की स्थिति पैदा हो गई थी. हालात आगजनी और फायरिंग तक पहुंच गए थे. पुलिस ने हिंसा के आरोप में कई लोगों को गिरफ्तार भी किया था. पूरे सूबे में बीजेपी और उससे जुड़े हिंदुवादी संगठनों ने रामनवमी के मौके पर तलवार और दूसरे हथियारों के साथ जुलूस निकाला था.

रामनवमी के मौके पर पश्चिम बंगाल के रानीगंज और आसनसोल में भड़की हिंसा पर राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग ने राज्य की ममता सरकार पर सवाल उठाए हैं. आयोग की ओर से कहा गया है कि हालात से निपटने में पुलिस …

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शरद पवार के ऑफर के बीच शिवसेना को साधने में लगे अमित शाह, कल उद्धव से मिलेंगे

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) प्रमुख शरद पवार के शिवसेना को दिए ऑफर के बाद बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह कल शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे से मुलाकात करेंगे. अमित शाह और उद्धव ठाकरे की मुलाकात कल शाम छह बजे उद्धव ठाकरे के घर मातोश्री में होगी. पालघर लोकसभा उपचुनाव की वजह से बीजेपी और शिवसेना के बीच बढ़ती तल्खी और शरद पवार के बयान की वजह से ये बैठक काफी अहम है. पवार ने शिवसेना को दिया ये ऑफर महाराष्ट्र की गोंदिया भंडारा लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव में जीत से एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार जोश में हैं. शरद पवार ने शिवसेना को साथ आने का ऑफर दिया है. उन्होंने कहा है कि पालघर के नतीजे के बाद बीजेपी विरोधियों को एक साथ होना चाहिए. बता दें कि पालघर में शिवसेना और बीजेपी आमने-सामने थी, जिसमें बीजेपी को जीत मिली थी. शरद पवार ने कहा, ''पालघर में बीजेपी के खिलाफ शिवसेना, सीपीएम और हितेलक ठाकूर को ज्यादा वोट मिले. इसे देखते हुए पूरे विपक्ष को बीजेपी के खिलाफ एकजुट होकर चुनाव लड़ना चाहिए. जिस भी राज्य में जो भी दल बीजेपी को हराने में सक्षम हो उसे साथ मिलकर गठबंधन बनाना चाहिए. जो संविधान का सन्मान करते है और कॉमन प्रोग्राम का का सम्मान कर सकते हैं, उन्हें एक साथ आना चाहिए.'' केंद्र सरकार पर हमला बोलते रहे हैं उद्धव बता दें कि शिवसेना महाराष्ट्र में बीजेपी के साथ सरकार में है लेकिन समय समय पर पार्टी के नेताओँ के साथ खुद शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे भी केंद्र सरकार पर हमला बोलते रहे हैं. हाल ही में उपचुनावों के दौरान उद्धव ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर भी तीखे हमले किए थे. चुनाव पूर्व शिवसेना से गठबंधन की कोशिश करें- फडणवीस कल महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व में महाराष्ट्र प्रदेश पदाधिकारी बैठक में आने वाले चुनावो में शिवसेना को साथ लेने की कोशिशों पर चर्चा हुई थी. देवेन्द्र फडणवीस ने पार्टी पदाधिकारियों से कहा है कि वह चुनाव पूर्व शिवसेना से गठबंधन की कोशिश करें. सूबे में अगले साल पहले लोकसभा और फिर विधानसभा चुनाव के लिए वोट डाले जाएंगे. महाराष्ट्र विधानसभा की स्थिति साल 2014 के विधानसभा चुनाव में 288 सीटों में से बीजेपी ने 122, शिवसेना ने 60, कांग्रेस ने 42, एनसीपी ने 41 सीटें जीती थीं. इस चुनाव में बीजेपी और शिवसेना अलग-अलग लड़े थे. क्योंकि चुनाव से पहले शिवसेना ने बीजेपी से गठबंधन तोड़ लिया था. हालांकि बाद में बीजेपी ने शिवसेना से गठबंधन करके राज्य में अपनी सरकार बना ली थी. वहीं, साल 2014 के लोकसभा चुनाव में महाराष्ट्र की 48 सीटों में से बीजेपी और शिवसेना ने 42 सीटें जीती थीं. ऐसे में अगले साल होने वाले विधानसभा और लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी शिवसेना से सभी मतभेदों को दूर करना चाहेगी. क्योंकि हाल के उपचुनाव में बीजेपी को विपक्ष से कड़ी टक्कर मिली है. आज चुनाव आयोग जाएगी कांग्रेस पालघर लोकसभा सीट के नतीजों को लेकर कांग्रेस चुनाव आयोग का दरवाजा खटखटाएगी. कांग्रेस नेता पालघर के परिणामों को चुनाव से पहले महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के विवादित वायरल बयान को लेकर शिकायत करेंगे. कांग्रेस नेता आज सुबह 11 बजे चुनाव आयोग जा सकते हैं.

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) प्रमुख शरद पवार के शिवसेना को दिए ऑफर के बाद बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह कल शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे से मुलाकात करेंगे. अमित शाह और उद्धव ठाकरे की मुलाकात कल शाम छह बजे उद्धव …

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कश्मीर के शिक्षित युवाओं को लुभा रहा है आतंकवाद

कश्मीर में पिछले तीन दशकों से चल रहे आतंकवादी हालातों और वर्तमान के परिदृश्य को लेकर जम्मू कश्मीर के पूर्व पुलिस प्रमुख कुलदीप खोदा ने पत्थरबाज और आतंकवाद से ग्रसित युवाओं को टारगेट करते हुए कहा है कि कश्मीर के शिक्षित युवाओं को भी आजकल आकर्षक लग रहा है आतंकवाद, बन्दुक उठाना युवाओं का शौक बन चूका है. खोड़ा ने कश्मीर के वर्तमान मुद्दों पर अपने एक ब्लॉग में कहा कि "घाटी में आतंकवाद पिछले तीन दशकों से मौजूद है वहीं अब यह वहां पर अपनी एक मजबूत जगह बना चूका है. यहाँ बन्दुक उठाना महज आसान विकल्प ही नहीं बल्कि युवाओं के लिए आकर्षण का विकल्प बन चूका है. युवा अपने शौक के लिए यहाँ पर बन्दुक उठाते है. इसके साथ ही कुलदीप खोड़ा ने कई उदाहरण के माध्यम से भी अपनी बात रखने की कोशिश की है. उन्होंने कहा कि, " पहले नहीं सुना जाता था, लेकिन अब सच्चाई ये है कि बड़ी संख्या में शिक्षित युवक आतंकवाद से जुड़ रहे हैं. अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में पढ़ने वाला एक स्थानीय पीएचडी कर रहा युवक, कश्मीर विश्वविद्यालय का एक संकाय सदस्य जो मुठभेड़ में मारा गया, एक चर्चित अलगाववादी का एमबीए डिग्रीधारक बेटा, हाल में आतंकवाद से जुड़े शिक्षित युवाओं के कुछ उदाहरण हैं.’’ पिछले साल रिटायर होने से पहले खोड़ा राज्य के मुख्य सतर्कता आयुक्त के रूप में भी सेवा कर चुके हैं.

कश्मीर में पिछले तीन दशकों से चल रहे आतंकवादी हालातों और वर्तमान के परिदृश्य को लेकर जम्मू कश्मीर के पूर्व पुलिस प्रमुख कुलदीप खोदा ने पत्थरबाज और आतंकवाद से ग्रसित युवाओं को टारगेट करते हुए कहा है कि कश्मीर के …

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