दुनिया

लंदन: माल्या के प्रत्यर्पण केस में आज फाइनल सुनवाई

शराब कारोबारी विजय माल्या के खिलाफ लंदन में चल रहे केस की सुनवाई का आज अहम दिन है. लंदन की वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट मंगलवार को इस मामले में फैसले की तारीख का ऐलान कर सकती है. बताया जा रहा है कि माल्या भी कोर्ट में पेश होंगे. गौरतलब है कि किंगफिशर एयरलाइंस के पूर्व मुखिया माल्या भारत को उनके प्रत्यर्पण के खिलाफ ब्रिटेन की अदालत में कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं. पिछले साल अप्रैल में गिरफ्तारी के बाद से माल्या जमानत पर हैं. इस मामले में भारतीय एजेंसियों का पक्ष रख रही क्राउन प्रॉसीक्यूशन सर्विस (सीपीएस) के प्रवक्ता ने कहा, "वरिष्ठ डिस्ट्रिक्ट न्यायाधीश एम्मा अर्बुथनाट मामले में अंतिम सुनवाई करेंगी. फैसले को आगे की तारीख के लिये सुरक्षित रखा जायेगा. पिछली सुनवाई (27 अप्रैल) के दौरान केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआई को उस समय बड़ी कामयाबी मिली थी जब न्यायाधीश अर्बुथनाट ने मामले में भारतीय एजेंसियों द्वारा पेश सबूतों को स्वीकार किया था. आज की सुनवाई से ये तय हो जाएगा कि क्या विजय माल्या भारत वापस आएगा या नहीं. हालांकि, अभी भी इसमें एक पेंच है क्योंकि अगर फैसला माल्या के खिलाफ जाता है तो भी उसके पास ऊपरी अदालत में अपील करने का मौका होगा. गौरतलब है कि भले ही माल्या भारत वापस ना आए लेकिन भारतीय एजेंसियों को कर्ज का पैसा वसूलने में आसानी हो सकती है. आपको बता दें कि माल्या पर भारतीय बैंकों के साथ कर्ज में 9,000 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी और मनी लांड्रिंग का आरोप है और वह अपने को भारत को सौंपे जाने की भारतीय एजेंसियों की ओर से दाखिल अर्जी का विरोध कर रहे हैं. फिलहाल 9 हजार करोड़ रुपए के कर्जदार माल्या पिछले 2 साल से लंदन में स्वनिर्वासित रह रहे हैं.

शराब कारोबारी विजय माल्या के खिलाफ लंदन में चल रहे केस की सुनवाई का आज अहम दिन है. लंदन की वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट मंगलवार को इस मामले में फैसले की तारीख का ऐलान कर सकती है. बताया जा रहा है कि …

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चीन ने डोकलाम में ‘भारतीय सेना से निपटने’ को बताया साल की बड़ी उपलब्ध‍ि

चीन सरकार ने डोकलाम में कथित रूप से 'भारतीय सेना के अतिक्रमण' से निपटने को साल 2017 की अपनी छह बड़ी कूटनीतिक उपलब्ध‍ियों में गिनाया है. चीन के विदेश मंत्रालय के नीति नियोजन विभाग द्वारा प्रकाशित आधिकारिक रिकॉर्ड 'चीन के विदेशी मामले 2018' में साल 2017 के दौरान चीन के कूटनीतिक कदमों की आधिकारिक समीक्षा और दुनिया के बारे में चीन के दृष्ट‍िकोण को प्रकाशित किया गया है. इस पुस्तक के दूसरे अध्याय में चीन की कूटनीति पर फोकस है. इसमें शी जिनपिंग सरकार की पिछले साल की कूटनीति में छह बड़ी सफलताओं का उल्लेख किया गया है. इसमें छठी सफलता के बारे में बताते हुए कहा गया है, 'चीन ने अपने डोंगलांग इलाके में भारतीय सीमा सैनिकों के अतिक्रमण को शांतिपूर्वक और कूटनीतिक तरीकों से हल किया. इस तरह चीन ने अपनी क्षेत्रीय संप्रुभता बनाए रखते हुए यह भी सुनिश्चित किया कि चीन-भारत के रिश्ते सही दिशा में आगे बढ़ें.' क्या था डोकलाम विवाद? गौरतलब है कि चीन डोकलाम इलाके को डोंगलांग नाम देते हुए इसे अपना हिस्सा बताता है, जबकि भूटान इस पर अपना अधिकार मानता है. साल 2017 में जुलाई-अगस्त के दौरान सिक्किम सीमा सेक्टर के पास डोकलाम में भारत और चीनी सेनाएं दो महीने से भी ज्यादा समय से आमने-सामने थीं. यह गतिरोध तब शुरू हुआ जब इस इलाके में चीनी सेना द्वारा किए जाने वाले सड़क निर्माण कार्य को भारतीय सैनिकों ने रोक दिया. भारत की चिंता यह है कि अगर चीन डोकलाम में सड़क बनाने में कामयाब रहता है तो उसके लिए कभी भी उत्तर-पूर्व के हिस्से तक शेष भारत की पहुंच को रोक देना आसान हो जाएगा. दो महीने के गतिरोध के बाद आखिर चीन ने वहां सड़क निर्माण रोक दिया था. तब इसे भारत की बड़ी कूटनीतिक जीत माना गया था. कम्युनिस्ट चीन बना ग्लोबलाइजेशन का रक्षक! इस किताब में साल 2017 की पहली उपलब्ध‍ि राष्ट्रपति शी के महत्वाकांक्षी बेल्ट ऐंड रोड इनिशिएटिव का 'खाका' तैयार करना और मई 2017 में बेल्ट ऐंड रोड फोरम का आयोजन करना बताया गया है. दूसरी उपलब्ध‍ि के रूप में कहा गया है कि इस दौरान चीन दुनिया में वैश्वीकरण के रक्षक के रूप में उभरा है. किताब में साल 2017 की प्रमुख कूटनीतिक घटनाओं में दिसंबर में दिल्ली में होने वाले 20वें दौर की सीमा वार्ता को शामिल किया गया है. किताब में भारतीय एनएसए अजित डोभाल और चीन के तत्कालीन स्टेट काउंसिलर यांग जिएची के बीच सीमा वार्ता के बाद हुए उस समझौते का उल्लेख किया गया है जिसमें दोनों देशों ने 'संचार और समन्वय बढ़ाने तथा सीमा पर शांति एवं स्थ‍िरता बनाए रखने के लिए सीमा विवाद को समुचित तरीके से हल करने की जरूरत' पर जोर दिया था. किताब में चीन के पश्चिम की दिशा में दो बड़े जोखिम के रूप में म्यांमार के रखाइन प्रांत के रोहिंग्या मसले और भारत-पाकिस्तान के कथित नाजुक रिश्ते को दिखाया गया है. किताब में यह भी कहा गया है कि दक्ष‍िण एशिया में भारत-अमेरिका का तालमेल बढ़ रहा है और ट्रंप की 'मुक्त और खुली भारत-प्रशांत रणनीति' की वजह से अमेरिका की भारत के साथ सामरिक साझेदारी बढ़ी है और उसने भारत को अफगानिस्तान में बड़ी भूमिका निभाने को प्रोत्साहित किया है.

चीन सरकार ने डोकलाम में कथित रूप से ‘भारतीय सेना के अतिक्रमण’ से निपटने को साल 2017 की अपनी छह बड़ी कूटनीतिक उपलब्ध‍ियों में गिनाया है.   चीन के विदेश मंत्रालय के नीति नियोजन विभाग द्वारा प्रकाशित आधिकारिक रिकॉर्ड ‘चीन …

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मोदी-इमरान के ‘मन की बात’, युद्ध नहीं बातचीत से निकले विवादों का समाधान

पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान में हुए आम चुनावों में बड़ी जीत हासिल कर इमरान खान प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बैठने को तैयार हैं. इस नई जिम्मेदारी से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इमरान खान से फोन पर बातचीत की और भारत-पाकिस्तान के अच्छे रिश्तों की कामना की. नेताओं की इस बातचीत में एक बार फिर दोनों देशों में शांति का संदेश गया है, लेकिन देखना होगा कि पाकिस्तान की नई सरकार किस तरह भारत के संबंध रखती है. मोदी-इमरान ने फोन पर की बात आपको बता दें कि पूर्व क्रिकेटर और पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ के प्रमुख इमरान खान ने सोमवार को ऐलान किया कि वह 11 अगस्त को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ लेंगे. जिसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फोन पर उन्हें बधाई दी. पीएम मोदी ने उम्मीद जताई कि पड़ोसी देश में लोकतंत्र अपनी जड़ें गहरी करेगा. प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा जारी किए गए एक बयान के अनुसार मोदी ने पाकिस्तान में लोकतंत्र के जड़े गहरी होने की उम्मीद जताई. बयान में कहा गया कि प्रधानमंत्री ने पूरे क्षेत्र में शांति एवं विकास का अपना विजन भी दोहराया. बातचीत से निकले हल इस बीच, इस्लामाबाद में खान की पार्टी ने एक बयान में कहा कि खान ने प्रधानमंत्री मोदी की शुभकामनाओं को लेकर उनका शुक्रिया अदा किया है. बयान में खान के हवाले से कहा गया है कि संघर्षों का समाधान वार्ता के जरिए निकाला जाना चाहिए. खान ने मोदी के साथ अपनी बातचीत में यह सुझाव भी दिया कि पाकिस्तान और भारत की सरकारों को अपने-अपने लोगों को गरीबी के जाल से मुक्त कराने के लिए एक संयुक्त रणनीति बनानी चाहिए. उन्होंने कहा कि संघर्षों का हल करने की बजाय युद्ध और खूनखराबा त्रासदियों को जन्म देंगे. जीत के बाद पहले भाषण में भी दिए थे शांति के संकेत आम चुनाव में जीत दर्ज करने के बाद इमरान खान ने अपने पहले भाषण में भारत-पाकिस्तान के अच्छे संबंधों की उम्मीद जताई थी. इमरान ने कहा था कि सबसे बड़ा मुद्दा कश्मीर है और वहां मानवाधिकारों का हनन हो रहा है. साथ ही समस्याओं के समाधान की आशा जाहिर करते हुए ये भी कहा था कि अगर भारत तैयार होता है तो हम भी बातचीत के लिए तैयार हैं. भारत 1 कदम उठाएगा तो हम 2 कदम चलने को तैयार हैं. इमरान के मुताबिक, अभी तक सिर्फ ब्लेमगेम रहा है, लेकिन बातचीत से ही मसले हल होंगे. बहुमत से दूर है PTI आपको बता दें कि पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी नेशनल असेंबली में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में तो उभरी है, लेकिन उसे बहुमत हासिल नहीं हुआ है. पाकिस्तान चुनाव आयोग (ECP) द्वारा जारी अंतिम आंकड़ों के मुताबिक उसे कुल 115 सीटें ही मिली हैं. पाकिस्तान के कानून के मुताबिक किसी पार्टी को सरकार बनाने के लिए उसके पास कम से कम 137 सीटें होनी चाहिए. पाकिस्तान में 25 जुलाई को चुनाव हुए थे.

पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान में हुए आम चुनावों में बड़ी जीत हासिल कर इमरान खान प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बैठने को तैयार हैं. इस नई जिम्मेदारी से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इमरान खान से फोन पर बातचीत की और भारत-पाकिस्तान …

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आव्रजन नीति पर ट्रंप ने दी डेमोक्रेट्स को शटडाउन की धमकी

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रविवार को कहा कि अगर डेमोक्रेट आव्रजन नियमों में संशोधनों का समर्थन नहीं करते तो वे संघीय सरकार के शटडाउन की अनुमति दे देंगे। बता दें कि कंजरवेटिव रिपब्लिकन सदस्यों की तरफ से लाया गया आव्रजन बिल पिछले हफ्ते संसद से मंजूरी नहीं पा सका था। इसमें ट्रंप ने मैक्सिको के साथ लगती अमेरिका की दक्षिणी सीमा पर दीवार बनाने के लिए 25 अरब डॉलर मांगे थे। ट्रंप ने ट्वीट कर कहा, "अगर डेमोक्रेट मुझे सीमा सुरक्षा के लिए वोट नहीं देते जिसमें दीवार बनाने का मामला भी शामिल है, तो मैं सरकार के शटडाउन के लिए तैयार हूं। योग्यता के आधार पर ही आव्रजन लागू होना चाहिए। हमें अपने देश में महान लोगों की जरूरत है।" पिछले सप्ताह ही यूएस हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव के स्पीकर पॉल रेयान ने कहा था कि दीवार बनाने के लिए पहले ही 1.6 अरब डॉलर दिए जा चुके हैं और पांच अरब डॉलर जारी करने के संबंध में सांसद विचार कर रहे हैं। बता दें कि सरकार को धन उपलब्ध कराने के लिए उचित माध्यम पर बात करने के लिए पिछले सप्ताह ही सांसद ट्रंप से मिले थे। रेयान ने बुधवार को कहा था कि इस मुद्दे को दोबारा ट्रैक पर लाने के साथ ही हम सभी मुद्दों पर उनसे बात करने जा रहे हैं। ताकि साल के आखिर में हमारे पास इस तरह का कोई बड़ा बिल अधिशेष नहीं बचे।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रविवार को कहा कि अगर डेमोक्रेट आव्रजन नियमों में संशोधनों का समर्थन नहीं करते तो वे संघीय सरकार के शटडाउन की अनुमति दे देंगे। बता दें कि कंजरवेटिव रिपब्लिकन सदस्यों की तरफ से लाया गया …

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क्या खिचड़ी सरकार बनाएंगे इमरान? बहुमत जुटाने में छूट रहे पसीने

पाकिस्तान की जनता ने इमरान खान को जीत तो दी है, लेकिन कुछ सीटों की जो कमी रह गई है, उसकी वजह से सरकार बनाने के लिए उनकी पार्टी को एड़ी-चोटी एक करनी पड़ रही है. सबसे मुश्किल यह है कि इमरान जो सरकार बनाएंगे, वह दो-चार सांसदों वाली कई छोटी पार्टियों के साथ बनी खिचड़ी सरकार होगी. पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी नेशनल एसेंबली में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में तो उभरी है, लेकिन उसे बहुमत हासिल नहीं हुआ है. पाकिस्तान चुनाव आयोग (ECP) द्वारा जारी अंतिम आंकड़ों के मुताबिक उसे कुल 115 सीटें ही मिली हैं. पाकिस्तान के कानून के मुताबिक किसी पार्टी को सरकार बनाने के लिए उसके पास कम से कम 137 सीटें होनी चाहिए. पाकिस्तान में 25 जुलाई को चुनाव हुए थे. इस नतीजे के हिसाब से पहली नजर में तो लग रहा है कि इमरान साधारण बहुमत से 22 सीटें दूर हैं. लेकिन गणित इनता साधारण नहीं है, इसमें एक पेच है. पीटीआई के कुछ नेता कई सीटों पर विजयी हुए हैं और वे केवल एक सीट पर ही बने रह सकते हैं. जैसे खुद इमरान खान पांच सीट पर चुनाव जीते हैं और उन्हें चार सीटें छोड़नी होंगी. पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (PML-N) को 64 और पाकिस्तान पीपल्स पार्टी (PPP) को 43 सीटें मिली हैं. दोनों दल मिलकर पीटीआई सरकार को संसद में कड़ी टक्कर देंगे. पाकिस्तानी अखबार डॉन के अनुसार, पीटीआई के एक नेता सरवर खान भी दो सीटों से खड़े थे और उन्हें भी एक सीट छोड़नी होगी. खैबर पख्तूनवा के पूर्व मुख्यमंत्री परवेज खताक नेशनल एसेंबली और प्रांतीय एसेंबली, दोनों की सीटों पर विजयी हुए हैं, और वह भी नेशनल एसेंबली की सीट छोड़ेंगे. इस तरह पीटीआई के पास महज 109 सीटें बचती हैं. पीटीआई ने साफ किया है कि वह सरकार बनाने के लिए PML-N और PPP की मदद नहीं लेगी, इसलिए अब इमरान को कई छोटे-छोटे गुटों का सहारा लेना होगा. उन्हें साधारण बहुमत हासिल करने के लिए 137 सीटें चाहिए. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, पीटीआई के नेता मुत्ताहिदा कौमी मूवमेंट-पाकिस्तान (MQM-P) और कई निर्दलियों के संपर्क में हैं. एमक्यूएम-पी के पास छह सीटें हैं. नेशनल एसेंबली में 13 निर्दलीय चुनकर आए हैं. पीटीआई नेताओं ने सिंध के ग्रैंड डेमोक्रेटिक अलायंस (जीडीए) से भी समर्थन के लिए संपर्क किया है. जीडीए के पास दो सांसद हैं. हालांकि, अभी तक जीडीए ने समर्थन का संकेत नहीं दिया है. एक अन्य दल पीएमएल-कायद (PML-Q) के पास भी चार सीटें हैं, लेकिन इसमें भी पंजाब के पूर्व सीएम चौधरी परवेज इलाही दो सीटों से विजयी हुए हैं. यानी अगर इस पार्टी ने इमरान सरकार को समर्थन दिया भी तो सिर्फ तीन सांसदों का ही समर्थन मिलेगा. इमरान सरकार को बलूचिस्तान आवामी पार्टी (BAP) का भी समर्थन मिल सकता है. इस दल के पास चार सीटें हैं. तो जीडीए, एमक्यूम-पी, पीएमएल-क्यू और अवामी मुस्लिम आदि को मिलाकर इमरान को कुल 122 सांसदों का समर्थन हासिल होगा, यानी इसके बावजूद उनके पास बहुमत से 15 संख्या कम होगी. इतने तो निर्दलीय भी जीतकर नहीं आए हैं. कैसे बनेगी सरकार? PTI 109 सीट MQM-P 6 सीट PML-Q 3 सीट BAP 4 सीट इमरान को कुल संभावित समर्थन- 122 बहुमत के लिए चाहिए 137 घट रही सीटें- 15 निर्दलीय- 13 जीडीए- 2 नेशनल एसेंबली में कुछ और छोटी पार्टियां भी जीतकर आई हैं, जो किस तरफ जाएंगी, अभी कोई संकेत नहीं है. बलूचिस्तान नेशनल पार्टी-मेंगल (BNP-M) के तीन सदस्य हैं. इसके अलावा जम्हूरी वतन पार्टी, अवामी नेशनल पार्टी और पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसानियत पार्टी की एक-एक सीटें हैं.

पाकिस्तान की जनता ने इमरान खान को जीत तो दी है, लेकिन कुछ सीटों की जो कमी रह गई है, उसकी वजह से सरकार बनाने के लिए उनकी पार्टी को एड़ी-चोटी एक करनी पड़ रही है. सबसे मुश्किल यह है …

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कंगाल पाकिस्तान, विदेशी कर्ज का बढ़ता बोझ, कैसे अर्थव्यवस्था को उबारेंगे इमरान खान….

पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी पाकिस्तान नेशनल एसेंबली में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभर रही है और कयास लग रहा है कि पाकिस्तान की नई सरकार इमरान खान के नेतृत्व में बनने जा रही है. ऐसा हुआ तो पाकिस्तान की सत्ता इमरान खान के लिए कांटों भरा ताज साबित होने जा रहा है. कम से कम पाकिस्तान की मौजूदा आर्थिक स्थिति को देखते हुए ऐसा कहा जा सकता है. पाकिस्तान के सामने असंख्य आर्थिक चुनौतियां खड़ी हैं लेकिन पीएमएल-एन की पूर्व सरकार ने अपने कार्यकाल के दौरान देश में आर्थिक गतिविधियों को तेजी देने में विफलता पाई है. यह विफलता पाकिस्तान की आर्थिक चुनौतियों को अधिक विकट कर देती हैं. क्योंकि पूर्व सरकार के कार्यकाल के दौरान वैश्विक बाजार में कच्चे तेल की कीमतें अपने न्यूनतम स्तर पर रहीं. इसके अलावा वैश्विक स्तर पर ब्याज दर बेहद नीचे रहे और पाकिस्तान की सरकार इन दोनों राहत के बावजूद अपनी अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में विफल हो गई. इसी विफलता के चलते अब इमरान खान को वसीयत में पाकिस्तान का वह खजाना संभालने के लिए दिया जा सकता है जो दोनों विदेशी और घरेलू कर्ज के बोझ से दबा हुआ है. इसके अलावा असंतुलित व्यापार के चलते पाकिस्तान के सामने एक गंभीर बैलेंस ऑफ पेमेंट की समस्या खड़ी है जिसे संभालना नई सरकार के लिए बड़ा सिरदर्द बन सकता है. वहीं आईएमएफ बेलआउट, खत्म होता विदेशी मुद्रा भंडार, चालू खाता और ट्रेड घाटा नई सरकार के नए वित्त मंत्री के लिए बड़ी चुनौती साबित होगा. इसे पढ़ें: फॉर्मूला भारत का, मॉडल चीन का, ऐसे 'नया पाकिस्तान' बनाएंगे इमरान खान गौरतलब है कि दिसंबर 2017 से लेकर इस साल मध्य जुलाई 2018 तक स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान चार बार विमुद्रीकरण करते पाकिस्तानी रुपये की डॉलर के मुकाबले कीमत 21 फीसदी गिरा दी जिससे निर्यात को बढ़ावा दिया जा सके. वहीं 13 जुलाई तक पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार चार साल के निचले स्तर पर पहुंचकर 9 हजार मिलियन पर दर्ज हुआ. इस दौरान आयात 15 फीसदी बढ़ते हुए लगभग 60 बिलियन डॉलर के रिकॉर्ड स्तर पर जा पहुंचा. इसके चलते वित्त वर्ष 2018 के दौरान पाकिस्तान का व्यापार घाटा 37 बिलियन डॉलर के स्तर पर पहुंच गया. खासबात है कि वित्त वर्ष 2018 के दौरान पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था 5.8 फीसदी से बढ़ी है जो कि एक दशक की सबसे तेज ग्रोथ है. इसके बावजूद हाल ही में फिच ने चेतावनी जारी की थी कि पाकिस्तान की नई सरकार के पास देश के कर्ज की समस्या को हल करने के लिए बेहद कम समय रहेगा. फिच ने दावा किया है कि 2019 के साथ ही पाकिस्तान की आर्थिक समस्याएं और तेजी से गंभीर होने की दिशा में जाना शुरू कर देगी. अब देखना यह है कि सत्ता की बागडोर संभालने से पहले आर्थिक चुनौतियों को केन्द्र में रखने वाले पाकिस्तान के नए प्रधानमंत्री क्या उन्हें हल करने में सफल होंगे.

पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी पाकिस्तान नेशनल एसेंबली में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभर रही है और कयास लग रहा है कि पाकिस्तान की नई सरकार इमरान खान के नेतृत्व में बनने जा रही है. ऐसा हुआ तो पाकिस्तान की सत्ता इमरान …

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ट्रम्प ने अमेरिकी मीडिया को बताया ‘देशद्रोही’

ट्रम्प ने अमेरिकी मीडिया को बताया 'देशद्रोही'

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प अपने विवादित बयानों के लिए हमेशा चर्चाओं में रहते हैं, अपने हालिया बयान से उन्होंने फिर सनसनी मचा दी है, उन्होंने अमेरिकी मीडिया पर देशद्रोह का इलज़ाम लगते हुए कहा है कि मीडिया ने अपनी खबरों …

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जेल में नवाज़ की तबियत नाजुक, अस्पताल ले जाया गया

पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की जेल के अंदर अचानक सेहत बिगड़ने के बाद रविवार को अस्थायी (केयरटेकर) सरकार के आदेश पर उन्हें देश के शीर्ष अस्पताल में भर्ती कराया गया. 'संजू' देख ख़ुद को रोने से रोक नही पाईं इमरान की पत्नी शरीफ ने सीने में दर्द की शिकायत की थी, जिसके बाद डॉक्टरों ने उनका चेकअप किया और सलाह दी कि उन्हें तत्काल इस्लामाबाद के पाकिस्तान इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज की हृदय चिकित्सा इकाई में भर्ती कराया जाए. पूर्व प्रधानमंत्री की हालत स्थिर बताई जा रही है. तीन बार पाकिस्तान के प्रधानमंत्री रहे शरीफ (68) और उनकी बेटी मरियम (44) रावलपिंडी की अडियाला जेल में क्रमश: 10 और सात साल की जेल की सजा काट रहे हैं. वह 13 जुलाई से रावलपिंडी की अडियाल जेल में हैं. जब PM मोदी को देख घबरा उठे थे इमरान खान पिछले हफ्ते खबर आई थी कि शरीफ की किडनी ने काम करना बंद कर दिया है और डॉक्टरों ने सलाह दी कि उन्हें तत्काल अस्पताल ले जाने की जरुरत है. शरीफ को अस्पताल भेजने का फैसला पंजाब सरकार ने लिया क्योंकि अडियाला जेल उसके प्रशासनिक नियंत्रण में है. डॉक्टरों की एक टीम ने बताया था कि शरीफ को उचित चिकित्सा एवं देखभाल की जरुरत है क्योंकि उनके दोनों बाहों में तेज दर्द था जो संभवत: रक्तसंचार की कमी की वजह से था.

पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की जेल के अंदर अचानक  सेहत बिगड़ने के बाद रविवार को अस्थायी (केयरटेकर) सरकार के आदेश पर उन्हें देश के शीर्ष अस्पताल में भर्ती कराया गया. शरीफ ने सीने में दर्द की शिकायत की …

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अमेरिका: कैलिफोर्निया के जंगलों में भीषण आग, 2 की मौत

अमेरिका के कैलिफोर्निया में जंगल की आग की चपेट में आकर दो दमकलकर्मियों की मौत हो गई है. करीब 38,000 लोगों को उनके घरों से निकाल कर सुरक्षित जगहों पर ले जाया गया है. आग में सैंकड़ों घर तबाह हो गए और अन्य प्रतिष्ठानों के जलने का भी खतरा पैदा हो गया है. शास्ता काउंटी में कम से कम 500 ढांचों को तबाह करने वाली आग को कार्र नाम दिया गया है, आग सोमवार को लगी थी. एबीसी न्यूज के मुताबिक, कैलिफोर्निया नेशनल गार्ड ने कहा कि इस कार्र आग से निपटने के लिए लगभग 800 जवानों और एयरमैन को लगाया गया है. अधिकारी ने कहा, "शास्ता और केसविक में समुदायों को तबाह करने के बाद, आग रात के दौरान स्कारमेंटो नदी के आस-पास फैल गई और रैडलिंग के बाहरी इलाके में कई घर इसकी चपेट में आ गए. इस शहर में 95,000 लोग रहते हैं." दमकलकर्मियों के साथ आग बुझाने का प्रयास करने के दौरान रैडलिंग में एक बुलडोजर ऑपरेटर की मौत हो गई. आग की चपेट में आकर एक अन्य रैडलिंग दमकलकर्मी की मौत हो गई.

अमेरिका के कैलिफोर्निया में जंगल की आग की चपेट में आकर दो दमकलकर्मियों की मौत हो गई है. करीब 38,000 लोगों को उनके घरों से निकाल कर सुरक्षित जगहों पर ले जाया गया है. आग में सैंकड़ों घर तबाह हो …

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PAK चुनाव: फाइनल नतीजे घोषित, पढ़ें बहुमत से कितनी दूर इमरान

25 जुलाई को पाकिस्तान में हुए आम चुनाव के आधिकारिक नतीजे शनिवार को जारी हुए. पाकिस्तान चुनाव आयोग की ओर से जारी किए गए अंतिम नतीजों के मुताबिक इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) आम चुनावों में 116 सीटें हासिल कर सबसे बड़ी पार्टी बन गई है. नेशनल असेंबली की कुल 270 सीटों पर चुनाव हुए थे. बीते 25 जुलाई को हुए मतदान के बाद वोटों की धीमी गिनती और चुनावों में धांधली के आरोपों के बीच आयोग ने अंतिम नतीजों का ऐलान किया. चुनाव आयोग को वोटों की गिनती कराने में दो दिन से ज्यादा का वक्त लग गया. पाकिस्तान चुनाव आयोग (ईसीपी) के अनुसार, संसद के निचले सदन नेशनल असेंबली के लिए हुए चुनावों में पीटीआई ने 116 सीटें जीतकर अपनी स्थिति काफी मजबूत कर ली है. भ्रष्टाचार के आरोप में जेल में बंद पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की पार्टी पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) 64 सीटों के साथ दूसरे नंबर पर जबकि पूर्व राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी की पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) 43 सीटों के साथ तीसरे पायदान पर है. मुत्ताहिदा मजलिस-ए-अमल (एमएमएपी) 13 सीटों के साथ चौथे स्थान पर रही. 13 निर्दलीय उम्मीदवारों ने भी जीत दर्ज की है, जिनकी भूमिका अहम होगी क्योंकि पीटीआई को केंद्र में सरकार बनाने के लिए उनके समर्थन की जरूरत होगी. 16,857,035 वोटों के साथ पीटीआई पहले, 12,894,225 वोटों के साथ पीएमएल-एन दूसरे और 6,894,296 वोटों के साथ पीपीपी तीसरे पायदान पर है. चुनाव आयोग ने कहा कि वोटरों की ओर से डाले गए कुल वोटों के लिहाज से निर्दलीय उम्मीदवार चौथे सबसे बड़े समूह के तौर पर उभरे हैं और उन्हें कुल 6,011,297 वोट मिले हैं. बहरहाल, इमरान की पीटीआई को साधारण बहुमत के लिए जरूरी 137 सीटें नहीं मिल पाई. कराची में दशकों तक शासन करने वाले मुत्ताहिदा कौमी मूवमेंट पाकिस्तान (एमक्यूएमपी) को सिर्फ छह सीटें मिल सकीं. आयोग ने चुनावों में हर पार्टी को मिले वोटों की कुल संख्या भी जारी की है. धार्मिक पार्टियों में एमएमएपी को 2,530452, तहरीक-ए-लबैक पाकिस्तान को 2,191,679 और अल्लाह-ओ-अकबर तहरीक को 171,441 वोट मिले हैं. आयोग ने नेशनल असेंबली एवं प्रांतीय विधानसभाओं के लिए हुए चुनावों में वोटरों के अंतिम वोट प्रतिशत भी जारी किए. इसके अनुसार, नेशनल असेंबली (एनए) के लिए हुए चुनाव में 51.7 प्रतिशत, पंजाब विधानसभा चुनाव में 55 प्रतिशत, सिंध विधानसभा चुनाव में 47.6 प्रतिशत, खैबर पख्तूनख्वा विधानसभा चुनाव में 45.5 और बलूचिस्तान विधानसभा चुनाव में 45.2 प्रतिशत वोट पड़े थे. प्रांतीय विधानसभाओं के लिए हुए चुनावों के नतीजे भी घोषित कर दिए गए. पंजाब में 129 सीटों के साथ पीएमएल-एन जबकि सिंध में 76 सीटों के साथ पीपीपी सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरी है. खैबर-पख्तूनख्वा में पीटीआई 66 सीटों के साथ और बलूचिस्तान में बलूचिस्तान अवामी पार्टी 15 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनी. कट्टरपंथी सुन्नी बरेलवी पंथ को मानने वालों की पार्टी तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (टीएलपी) को सिंध विधानसभा में दो सीटें मिली. टीएलपी ने पहली बार चुनावों में हिस्सा लिया था. चुनावों के नतीजों के ऐलान में देरी होने की वजह से हारने वाली पार्टियों में गुस्सा देखा गया. उन्होंने साजिश और धोखाधड़ी के आरोप लगाए.

25 जुलाई को पाकिस्तान में हुए आम चुनाव के आधिकारिक नतीजे शनिवार को जारी हुए. पाकिस्तान चुनाव आयोग की ओर से जारी किए गए अंतिम नतीजों के मुताबिक इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) आम चुनावों में 116 सीटें …

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