दुनिया

ट्रंप प्रशासन की आव्रजन नीति के खिलाफ अमेरिका में बड़ा प्रदर्शन

ट्रंप प्रशासन की नई आव्रजन नीति के खिलाफ अमेरिका में गुरुवार को बड़ा विरोध प्रदर्शन किया गया। प्रदर्शन के दौरान भारतीय मूल की सांसद प्रमिला जयपाल समेत करीब 600 महिलाओं को गिरफ्तार कर लिया गया। बाद में हालांकि उन्हें छोड़ दिया गया। अमेरिकी सीमाओं पर बिना दस्तावेज पकड़े जाने वाले अप्रवासी परिवारों से बच्चों को अलग करने वाली इस नीति का देश में भारी विरोध हो रहा है। इस नीति के चलते करीब दो हजार बच्चों को उनके माता-पिता से अलग कर दिया गया। इस नीति के खिलाफ अमेरिका के 17 राज्य कोर्ट में मुकदमा भी दायर कर चुके हैं। कैपिटल हिल पुलिस के अनुसार, महिलाओं को अवैध रूप से प्रदर्शन करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। उन्हें उस समय गिरफ्तार किया गया जब वे अमेरिकी सीनेट की हार्ट बिल्डिंग के पास धरने पर बैठी थीं। इससे पहले इन महिलाओं ने राजधानी वॉशिंगटन की सड़कों पर विरोध मार्च निकाला। मार्च में शामिल प्रमिला जयपाल ने कहा, "हम डोनाल्ड ट्रंप और उनके प्रशासन की उस अमानवीय नीति का विरोध कर रहे हैं जो शरण मांगने वाले परिवारों को अलग कर रही है।" प्रमिला अमेरिकी संसद के निचले सदन प्रतिनिधि सभा की पहली भारतवंशी महिला सांसद हैं। प्रमिला ने किया जेल का दौराप्रमिला संसद की पहली सदस्य हैं जिन्होंने एक संघीय जेल का दौरा किया। इस जेल में शरण मांगने वाले लोगों को बच्चों से अलग करके रखा गया है। यहां रखे गए लोगों ने प्रमिला को अपनी आपबीती सुनाई।

ट्रंप प्रशासन की नई आव्रजन नीति के खिलाफ अमेरिका में गुरुवार को बड़ा विरोध प्रदर्शन किया गया। प्रदर्शन के दौरान भारतीय मूल की सांसद प्रमिला जयपाल समेत करीब 600 महिलाओं को गिरफ्तार कर लिया गया। बाद में हालांकि उन्हें छोड़ …

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लीबिया के तट पर पलटी नाव, 3 मासूमों समेत 100 की मौत

लीबिया के तट पर प्रवासियों से भीर एक नौका पलटने से 100 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। शुक्रवार को हुए इस बड़े हादसे में 3 मासूम बच्चों के शव भी बरामद हुए हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार नौसेना प्रवक्ता अयूब कासेम ने बताया है कि नौसेना ने 16 लोगों को बचाया है वहीं तीन मासूमों के शव भी बरामद हुए हैं। जानकारी के अनुसार हादसा शुक्रवार को हुआ है। जिस नाव में लोग सवार थे वो रबड़ से बनी हुई थी और उसमें क्षमता से ज्यादा लोग थे। धमाका होने पर यह पलट गई और लोग समुद्र में डूबने लगे। एक बचाए गए शख्स के अनुसार नौका में अफ्रीका और अरब देशों के 125 लोग सवार थे। इनमें कई महिलाएं और बच्चे भी शामिल थे। यात्रा के दौरान नौका में धमाका हुआ और उसके बाद उसकी मोटर में आग लग गई। कोस्टगार्ड अधिकारी के अनुसार कोस्टगार्ड्स को मजबूरन शवों को उनके हाल पर छोड़ना पड़ा क्योंकि उनके पास इतने साधन उपलब्ध नहीं थे।

लीबिया के तट पर प्रवासियों से भीर एक नौका पलटने से 100 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। शुक्रवार को हुए इस बड़े हादसे में 3 मासूम बच्चों के शव भी बरामद हुए हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार …

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चरमराई अर्थव्यवस्था के मालिक पाक को भारत की फिक्र

खुद पाई पाई को मोहताज होने की कगार पर खड़ा पाकिस्तान भारत की अर्थव्यवस्था में पाक की भागीदारी गिनवा रहा है. विश्व समुदाय से आर्थिक मदद और भी बंद किये जाने के हालात बनते देख बौखलाए पाक के पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार नसीर जन्जुआ जो इस पद पर तीन साल तक रहने के बाद पिछले सप्ताह इस्तीफा दे चुके है ने शुक्रवार को कहा कि भारत को अपनी अर्थव्यवस्था की जरूरत के लिए पाकिस्तान के साथ सम्मान का संबंध रखना चाहिए. उन्होंने कहा कि यूरोपीय बाजारों तक मध्य एशिया के जरिये पहुंच के लिए पाकिस्तान ही एकमात्र देश है जो उसकी इस जरूरत को पूरा कर सकता है. दक्षिण एशिया में संपर्क और भू अर्थशास्त्र पर क्षेत्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए जन्जुआ ने कहा कि अर्थव्यवस्था और सुरक्षा एक ही सिक्के के दो पहलू हैं और दोनों के बीच कारण और परिणाम का संबंध है. जन्जुआ ने कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था को मध्य एशिया के जरिये यूरोप के अमीर बाजारों तक पहुंच की जरूरत है. पाकिस्तान एकमात्र देश है जो भारत को यह पहुंच उपलब्ध करा सकता है. रिपोर्ट के अनुसार जन्जुआ ने कहा कि संपर्क के लिए दक्षिण एशिया में स्थिरता जरूरी है. सिर्फ संपर्क या कनेक्टिविटी के जरिये ही वृद्धि और स्थिरता लाई जा सकती है. इस्लामाबाद के शोध संस्थान पाकिस्तान शांति अध्ययन संस्थान (पीआईपीएस) ने इस सम्मेलन का आयोजन किया था. आंतकवाद का पालनहार साबित होने के बाद फ़िलहाल ब्लैक लिस्ट होने की कगार पर खड़ा पाक उस देश को अर्थ शास्त्र समझा रहा है जिसे फ़िलहाल विश्व का हर देश हाथ मिलाने के लिए निहार रहा है.

खुद पाई पाई को मोहताज होने की कगार पर खड़ा पाकिस्तान भारत की अर्थव्यवस्था में पाक की भागीदारी गिनवा रहा है. विश्व समुदाय से आर्थिक मदद और भी बंद किये जाने के हालात बनते देख बौखलाए पाक के पूर्व राष्ट्रीय …

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आतंकवाद पर पाक को फिर अमरीकी चेतावनी

संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका की राजदूत निक्की हेली ने अपनी भारत यात्रा के दौरान ऑब्जर्वर रिसर्च फाउन्डेशन (ओआरएफ) द्वारा आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पाकिस्तान को फिर चेताते हुए कहा कि वह उसकी सरकार के आतंकवादियों को पनाह मुहैया कराने को बर्दाश्त नहीं कर सकता. उसने यह भी कहा कि वॉशिंगटन और नई दिल्ली को आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में अवश्य वैश्विक अगुवा बनना चाहिए. भारत-अमेरिका संबंधों को आगे बढ़ाने पर यहां अपने भाषण में संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका की राजदूत निक्की हेली ने कहा कि दोनों में से कोई भी देश आतंकवादियों को शरण देने और उनका समर्थन करने वाली व्यवस्था के प्रति आंखें नहीं मूंद सकता. उन्होंने कहा कि अमेरिका का पाकिस्तान के साथ संबंधों के प्रति रवैया पहले से अलग है. उन्होंने कहा कि हालांकि पाकिस्तान कई मामलों में अमेरिका का भागीदार है, लेकिन आतंकवादियों को पाकिस्तानी सरकार या किसी अन्य सरकार के पनाह देने को वह बर्दाश्त नहीं कर सकता. 46 वर्षीय भारतीय-अमेरिकी नागरिक हेली ने कहा, 'हम इसे बर्दाश्त नहीं करेंगे. हम पाकिस्तान को पहले की तुलना में अधिक सख्ती से यह संदेश दे रहे हैं और हमें बदलाव की उम्मीद है.' अमेरिका और भारत दोनों के आतंकवाद के दर्द का अनुभव करने की बात पर गौर करते हुए उन्होंने कहा कि दोनों देश आतंकवादियों और उन्हें प्रेरित करने वाली घृणा की विचारधारा को परास्त करने के लिये प्रतिबद्ध हैं. हेली ने कहा, 'हमें खतरा पहुंचाने वाले आतंकवादी नेटवर्क का सफाया करने और आतंकवादियों और उसके प्रायोजकों से परमाणु हथियारों को दूर रखने में हमारी दिलचस्पी है.' उन्होंने कहा, 'दोनों देशों ने एक दशक पहले खौफनाक मुंबई हमले में अपने नागरिकों को गंवाया. लोकतंत्र के तौर पर अमेरिका और भारत को आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में अवश्य वैश्विक अगुवा बनना चाहिये.'

संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका की राजदूत निक्की हेली ने अपनी भारत यात्रा के दौरान ऑब्जर्वर रिसर्च फाउन्डेशन (ओआरएफ) द्वारा आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पाकिस्तान को फिर चेताते हुए कहा कि वह उसकी सरकार के आतंकवादियों को पनाह मुहैया …

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स्विस बैंकों में डेढ़ गुना हुआ भारतीयों का धन

भारत में कालेधन पर एक के बाद एक चोट के बीच स्विस बैंकों को पिछले साल भारतीयों ने मालामाल कर दिया है। स्विट्जरलैंड में बैंकों के नियामक स्विस नेशनल बैंक (एसएनबी) द्वारा गुरुवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक भारतीयों ने पिछले वर्ष स्विस बैंकों में 101 करोड़ स्विस फ्रैंक (करीब 7,000 करोड़ रुपये) जमा किए हैं, जो 2016 के मुकाबले 50.2 फीसद ज्यादा है। इसमें भारतीयों और आप्रवासी भारतीयों द्वारा दूसरे देशों की इकाइयों के रूप में जमा रकम शामिल नहीं है। वर्ष 2004 में 56 फीसद बढ़ोतरी के बाद स्विस बैंकों में भारतीयों द्वारा जमा रकम में यह सबसे बड़ा इजाफा है। पिछले वर्ष से पहले लगातार तीन वर्षों तक स्विस बैंकों में भारतीयों द्वारा जमा की गई रकम में गिरावट देखी गई थी। स्विस बैंकों में भारतीयों द्वारा जमा की गई रकम का आंकड़ा इसलिए चौंकाने वाला है, क्योंकि भारत पिछले कुछ समय से दुनियाभर में भारतीयों द्वारा छुपाए गए कालेधन को वापस लाने की लगातार कोशिशें कर रहा है। गौरतलब है कि गोपनीयता कानूनों की आड़ में स्विस बैंक दुनियाभर के कालेधन की सुरक्षित पनाहगाह बने हुए थे। हालांकि भारत में स्विस बैंक की कुल संपत्ति लगातार दूसरे वर्ष गिरावट के साथ पिछले वर्ष के आखिर में 320 करोड़ स्विस फ्रैंक रह गई। इसमें रियल एस्टेट और इस तरह की अन्य संपत्तियां शामिल नहीं हैं। गुरुवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक 2016 में स्विस बैंकों में भारतीयों द्वारा जमा की गई रकम 45 फीसद गिर गई थी, और यह सबसे बड़ी सालाना गिरावट थी। उस साल भारतीयों ने स्विस बैंक में महज 4,500 करोड़ रुपये जमा कराए थे। आंकड़ों के हवाले से कहा गया है कि पिछले वर्ष भारतीयों द्वारा स्विस बैंकों में खुद जमा कराई रकम 6,891 करोड़ रुपये, जबकि वेल्थ मैनेजरों के जरिये जमा कराई गई रकम 112 करोड़ रुपये पर पहुंच गई है। पिछले वर्ष के आखिर में स्विस बैंकों में भारतीय व्यक्तिगत ग्राहकों द्वारा जमा रकम 3,200 करोड़ रुपये, अन्य बैंकों द्वारा जमा रकम 1,050 करोड़ रुपये जबकि सिक्युरिटीज और अन्य देनदारियों के मद में जमा रकम 2,640 करोड़ रुपये पर पहुंच गई। हालांकि 2007 तक सिक्युरिटीज और अन्य मदों में स्विस बैंकों में जमा भारतीय रकम अरबों रुपये में हुआ करती थी। लेकिन भारतीय नियामकों की सख्ती के बाद उसमें गिरावट आनी शुरू हुई। वर्ष 2006 के अंत में भारतीयों द्वारा सभी मदों में स्विस बैंकों में जमा रकम 23,000 करोड़ रुपये के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर थी। लेकिन एक दशक बाद यह आंकड़ा महज 10वें हिस्से तक रह गया। भारत और कई अन्य देशों द्वारा घपलों-घोटालों के साक्ष्य मुहैया कराने के बाद स्विट्जरलैंड ने विदेशी ग्राहकों की जानकारी देनी पहले ही शुरू कर दी है। अब वह ऑटोमेटिक इन्फॉरमेशन एक्सचेंज संबंधी करार के बाद कालेधन के खिलाफ भारत की लड़ाई में और मदद करने को राजी हो गया है। इससे पहले स्विट्जरलैंड ने कहा था कि कालेधन पर चोट के बाद भारतीयों द्वारा सिंगापुर और हांगकांग जैसे फाइनेंशियल हब के मुकाबले स्विस बैंकों में जमा रकम का आंकड़ा बहुत कम रह गया है। रिपोर्ट में एसएनबी ने कहा है कि विदेशी ग्राहकों द्वारा स्विस बैंकों में जमा रकम का आकार पिछले वर्ष के आखिर में करीब तीन फीसद बढ़कर 100 लाख करोड़ रुपये के आसपास पहुंच गया है। पाकिस्तान फिर भी आगे हालांकि एसएनबी के मुताबिक पिछले वर्ष पाकिस्तानियों द्वारा स्विस बैंकों में किया निवेश 21 फीसद घटा है। लेकिन 7,700 करोड़ रुपये के साथ पाकिस्तान स्विस बैंकों में रकम जमा करने के मामले में भारत से आगे ही है। आंकड़ों के आईने में - 980 करोड़ स्विस फ्रैंक पर पहुंच गया स्विस बैंकों का लाभ पिछले वर्ष - 100 लाख करोड़ के आसपास पहुंच गई विदेशी ग्राहकों द्वारा जमा राशि - 56 फीसद इजाफा हुआ था भारतीय जमा में वर्ष 2004 के दौरान, उसके बाद पिछले वर्ष सबसे ज्यादा

भारत में कालेधन पर एक के बाद एक चोट के बीच स्विस बैंकों को पिछले साल भारतीयों ने मालामाल कर दिया है। स्विट्जरलैंड में बैंकों के नियामक स्विस नेशनल बैंक (एसएनबी) द्वारा गुरुवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक भारतीयों ने …

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मैक्सिको: नामांकन से लेकर चुनाव प्रचार तक 133 नेताओं की हत्या

मैक्सिको में इस रविवार चुनाव होने वाले हैं, लेकिन मतदान से पहले ही एक रिपोर्ट से पूरे देश में भूचाल मचा है. रिपोर्ट के मुताबिक, चुनाव से पहले ही कुल 133 नेताओं की हत्या की जा चुकी है. परामर्श देने वाली एटलेक्ट संस्था के एक अध्ययन में यह दावा किया गया. संस्था के मुताबिक देश में बढ़ रही हिंसा ने रिकॉर्ड स्तर पर राजनीति को भी अपनी चपेट में ले लिया है. हत्या के इन अपराधों को सितंबर में उम्मीदवारों के पंजीकरण से शुरू होने और चुनाव प्रचार खत्म होने तक दर्ज दिया गया है. हाल ही में पश्चिमी राज्य मिकोआकैन में एक अंतरिम मेयर की हत्या कर दी गई थी. ज्यादातर हत्याएं स्थानीय स्तर के नेताओं की गई जो अक्सर मैक्सिको के ताकतवर मादक पदार्थ माफिया के निशाने पर रहते हैं. चुनाव संबंधी हिंसा का अध्ययन करने वाली संस्था एटलेक्ट ने बताया कि मृतकों में 48 उम्मीदवार वो थे जो चुनाव में खड़े हुए थे जिनमें से 28 की हत्या प्रारंभिक प्रचार के दौरान की गई और 20 की आम चुनाव प्रचार के दौरान. संस्था के निदेशक रूबेन सालाजर ने कहा , “ यह हिंसा स्थानीय स्तर पर केंद्रित है. इनमें से कम से कम 71 प्रतिशत हमले निर्वाचित अधिकारियों और स्थानीय स्तर पर चुनाव लड़ रहे उम्मीदवारों के खिलाफ किए गए. संस्था ने कहा यह मैक्सिको में हुआ अब तक सबसे हिंसक चुनाव है. मैक्सिको सरकार के 2006 में मादक पदार्थ तस्करी से लड़ने के लिए सेना की तैनाती किए जाने के बाद यहां हिंसा बहुत बढ़ गई है.मैक्सिको में इस रविवार चुनाव होने वाले हैं, लेकिन मतदान से पहले ही एक रिपोर्ट से पूरे देश में भूचाल मचा है. रिपोर्ट के मुताबिक, चुनाव से पहले ही कुल 133 नेताओं की हत्या की जा चुकी है. परामर्श देने वाली एटलेक्ट संस्था के एक अध्ययन में यह दावा किया गया. संस्था के मुताबिक देश में बढ़ रही हिंसा ने रिकॉर्ड स्तर पर राजनीति को भी अपनी चपेट में ले लिया है. हत्या के इन अपराधों को सितंबर में उम्मीदवारों के पंजीकरण से शुरू होने और चुनाव प्रचार खत्म होने तक दर्ज दिया गया है. हाल ही में पश्चिमी राज्य मिकोआकैन में एक अंतरिम मेयर की हत्या कर दी गई थी. ज्यादातर हत्याएं स्थानीय स्तर के नेताओं की गई जो अक्सर मैक्सिको के ताकतवर मादक पदार्थ माफिया के निशाने पर रहते हैं. चुनाव संबंधी हिंसा का अध्ययन करने वाली संस्था एटलेक्ट ने बताया कि मृतकों में 48 उम्मीदवार वो थे जो चुनाव में खड़े हुए थे जिनमें से 28 की हत्या प्रारंभिक प्रचार के दौरान की गई और 20 की आम चुनाव प्रचार के दौरान. संस्था के निदेशक रूबेन सालाजर ने कहा , “ यह हिंसा स्थानीय स्तर पर केंद्रित है. इनमें से कम से कम 71 प्रतिशत हमले निर्वाचित अधिकारियों और स्थानीय स्तर पर चुनाव लड़ रहे उम्मीदवारों के खिलाफ किए गए. संस्था ने कहा यह मैक्सिको में हुआ अब तक सबसे हिंसक चुनाव है. मैक्सिको सरकार के 2006 में मादक पदार्थ तस्करी से लड़ने के लिए सेना की तैनाती किए जाने के बाद यहां हिंसा बहुत बढ़ गई है.

मैक्सिको में इस रविवार चुनाव होने वाले हैं, लेकिन मतदान से पहले ही एक रिपोर्ट से पूरे देश में भूचाल मचा है. रिपोर्ट के मुताबिक, चुनाव से पहले ही कुल 133 नेताओं की हत्या की जा चुकी है. परामर्श देने …

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नॉर्थ कोरिया की वजह से टली भारत-अमेरिका टू प्लस टू वार्ता!

भारत और अमेरिका के बीच होने वाली टू प्लस टू बैठक अमेरिका की तरफ से टाल दी गई है. अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो अब 6 जुलाई को उत्तर कोरिया के नेता किम-जोंग-उन के साथ वार्ता में शामिल होने प्योंगयांग जा रहे हैं. फाइनेंशियल टाइम्स की खबर के मुताबिक अमेरिकी प्रशासन का कहना है कि विदेश मंत्री पोम्पियो की प्योंगयांग यात्रा की वजह से भारत-अमेरिका के बीच होने वाली अहम टू प्लस टू बैठक टाल दी गई है. पोम्पियो ने सुषमा से जताया था खेद इससे पहले अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने भारत के साथ होने वाली वार्ता के टालने पर खेद प्रकट करते हुए विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से जल्द ही वार्ता के लिए नई तिथियां तय करने की बात कही थी. तय कार्यक्रम के अनुसार ये वार्ता 6 जुलाई को अमेरिका में भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज, रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण और अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पेयो, रक्षा मंत्री जेम्स मैटिस के बीच होनी थी. जिसमे दोनो देशों के संबंधो, रक्षा और व्यापार को लेकर कई अहम फैसले होने थे. इसे पढ़े : ट्रंप को अब भी नहीं किम पर ऐतबार, उत्तर कोरिया पर 1 साल और जारी रहेगा प्रतिबंध उत्तर कोरिया पर परमाणु कार्यक्रम बंद करने का है दबाव 12 जून को सिंगापुर में अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रम्प और उत्तर कोरिया के नेता किम-जोंग-उन के बीच कोरियाई प्रायद्वीय को पूरी तरह से परमाणु हथियारों से मुक्त करने की दिशा में आगे बढ़ने पर सहमति बनी थी. साथ ही यह भी तय हुआ था कि दक्षिण कोरिया में भी अगर अमरीका की परमाणु पनडुब्बियां और हथियार हैं तो वे भी अमरीका को वापस लेने होंगे. लेकिन इस समझौते में इस बात का ब्यौरा नहीं दिया गया था कि उत्तर कोरिया कब और कैसे अपने हथियार छोड़ेगा. अमेरिकी विदेश मंत्री पोम्पियो को जिम्मेदारी की गई है कि वे उत्तर कोरिया को उसके परमाणु कार्यक्रमों को बंद करने के लिए राजी करें. पॉम्पियो पहले ही कह चुके हैं कि उत्तर कोरिया की ओर से निरस्त्रीकरण दर्शाने के बाद ही उस पर लगी आर्थिक पाबंदियां हटाई जाएंगी.

भारत और अमेरिका के बीच होने वाली टू प्लस टू बैठक अमेरिका की तरफ से टाल दी गई है. अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो अब 6 जुलाई को उत्तर कोरिया के नेता किम-जोंग-उन के साथ वार्ता में शामिल होने प्योंगयांग …

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पाक में चुनाव: कोई नया ही होगा इस बार गद्दी पर !

अगले महीने पाकिस्‍तान में आम चुनाव है और बड़े सियासतदारों के नामो के निस्तेनाबूत होने और नकारे जाने का सिलसिला जारी है. ऐसे में पाक की कमान किसी नए चेहरे के हाथ में आने से इंकार नहीं किया जा सकता. बड़े चेहरे कही न कही उलझे हुए है. पाकिस्‍तान के पूर्व प्रधानमंत्री खाकन अब्‍बासी पर चुनाव न्यायाधिकरण ने रावलपिंडी से भी चुनाव लड़ने पर रोक लगा दी है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश से पूर्व सैन्य शासक परवेज मुशर्रफ का नामांकन खारिज हुआ. नवाज शरीफ का जिक्र करना तो अब बेमानी ही होगी. इमरान खान का दूसरा परिचय अब पाकिस्तान में विवाद ही है. हर दिन एक नए मामले के साथ वे अखबारों में है. इस्लामाबाद से पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी के प्रमुख इमरान खान का नामांकन स्वीकार है पर मुश्किलें सिर्फ नामांकन भरने तक नहीं रहती. पहले निर्वाचन अधिकारी ने उनका नामांकन खारिज भी कर दिया था, और रही सही कसर उनकी पूर्व पत्‍नी रेहम खान की पुस्तक रिलीज से पहले ही कर चुकी है. शाहबाज शरीफ जो पंजाब के मुख्यमंत्री रहे से भी उम्‍मीद काफी कम है.उनके ऊपर भी कई तरह के आरोप हैं. इन सब बातो से इस बात का यकीं किया जाना इतना मुश्किल नहीं है कि पाक में इस बार नई बयार देखी जा रही है और पाक का नया मुस्तकबिल कोई नया चेहरा ही होगा. साथ ही ये भी देखना दिलचस्प होगा कि उसके सेना से कैसे संबंध है या होंगे.

अगले महीने पाकिस्‍तान में आम चुनाव है और बड़े सियासतदारों के नामो के निस्तेनाबूत होने और नकारे जाने का सिलसिला जारी है. ऐसे में पाक की कमान किसी नए चेहरे के हाथ में आने से इंकार नहीं किया जा सकता. …

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अमेरिका: अखबार के दफ्तर पर हमले में पांच जाने गई

अमेरिका: अखबार के दफ्तर पर हमले में पांच जाने गई

अमेरिका में एक अखबार के दफ्तर पर हुए हमले में गोलीबारी में 5 लोग मारे गए हैं. घटना मेरीलैंड स्थित एनापोलिस शहर में हुई जिसमे कई लोग घायल भी हो गए. घटना की सुचना मिलते ही पुलिस ने मोर्चा सँभालते …

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मलेशिया के पूर्व पीएम नजीब रजाक के यहां छापा, 273 मिलियन डॉलर का सामान जब्त

भ्रष्टाचार के आरोप में सत्ता से बेदखल हुए मलेशिया के पूर्व पीएम नजीब रजाक के खिलाफ कार्रवाई जारी है। इसी कड़ी में उनके 6 ठिकानों पर पड़े छापे में 273 मिलियन डॉलर का संपत्ति जब्त हुआ है। मलेशियाई पुलिस ने इसे इतिहास में अब तक की सबसे बड़ी रिकवरी करार दिया है। छापे के बाद पुलिस ने बताया कि निष्‍कासित मलेशियाई नेता नजीब रजाक के 6 विभिन्‍न आवासों से कैश समेत गहने और कीमती लग्‍जरी हैंडबैग्‍स जब्‍त हुए हैं, इनकी कीमत 273 मिलियन डॉलर है। पुलिस प्रमुख अमर सिंह ने बताया, ‘जब्‍त किए गए सभी सामान की कुल कीमत 910 मिलियन से 1.1 बिलियन रिंगिट है। जो 225 मिलियन डॉलर से 273 मिलियन डॉलर के बराबर है।' इससे पहले भी पुलिस ने रजाक के घर से इतना सामान बरामद किया था कि उन्हें ढोने के लिए पांच ट्रक लगाने पड़े। पुलिस के अनुसार, उस वक्‍त जब्‍त नकदी में 26 तरह की करेंसी शामिल थी। नजीब पर सरकारी कंपनी 1 एमडीबी से 70 करोड़ डॉलर (करीब 4,760 करोड़ रुपये) अपने निजी अकाउंट में स्थानांतरित करने का आरोप है। इस साल मई माह में हुए चुनाव में नजीब रजाक के नेतृत्व वाले बीएन गठबंधन को हार का सामना करना पड़ा। जिसके बाद नई महातिर सरकार बनी और इन्‍होंने नजीब व उनके परिवार के देश छोड़ने पर रोक लगा दी। 1957 में आजादी के बाद से मलेशिया में बीएन गठबंधन सत्ता में थी। इस बार के चुनाव में पहली बार बीएन गठबंधन सत्ता से बाहर हुई। महातिर भी बीएन गठबंधन का हिस्सा रहने के दौरान मलेशिया के प्रधानमंत्री रहे थे। हालांकि बाद में उन्होंने बीएन गठबंधन से नाता तोड़ लिया था।

भ्रष्टाचार के आरोप में सत्ता से बेदखल हुए मलेशिया के पूर्व पीएम नजीब रजाक के खिलाफ कार्रवाई जारी है। इसी कड़ी में उनके 6 ठिकानों पर पड़े छापे में 273 मिलियन डॉलर का संपत्ति जब्त हुआ है। मलेशियाई पुलिस ने …

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