कारोबार

दस फीसदी से ज्यादा विकास दर की सोचें : पीएम

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को 50 खरब डॉलर की अर्थव्यवस्था वाले देशों की सूची में शामिल करने के लिए कम से कम दहाई अंकों की जीडीपी विकास दर का लक्ष्य रखने का आहवान किया है। उन्होंने यह भी कहा कि वैश्विक कारोबार (ग्लोबल ट्रेड) में देश की हिस्सेदारी दोगुना कर 3.4 फीसदी पर ले जाने के भी उपाय करने होंगे। वाणिज्य मंत्रालय के लिए नए वाणिज्य भवन की आधारशिला रखते हुए प्रधानमंत्री ने शुक्रवार को कहा कि पिछले चार वर्षों में उनकी सरकार ने कारोबार करने में सहूलियत यानी "ईज ऑफ डूइंग बिजनेस" के मोर्चे पर कई अहम कदम उठाए हैं। इसके साथ-साथ सरकार ने महंगाई, चालू खाता घाटा और राजकोषीय घाटा जैसे वृहत अर्थव्यवस्था के संकेतकों को भी सीमा के अंदर रखने में कामयाबी पाई है। मोदी ने कहा- "बीते वित्त वर्ष की आखिरी तिमाही में देश की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) विकास दर 7.7 फीसदी रही। लेकिन अब वह वक्त आ गया है, जब हमें विकास दर के मामले में सात-आठ फीसदी से आगे सोचना और दोहरे अंकों की विकास दर का एजेंडा तैयार करना होगा।" उन्होंने कहा कि दुनिया भारत की ओर देख रही और इस बात का इंतजार कर रही है कि वह कब तक 50 खरब डॉलर की अर्थव्यवस्था वाले देशों की सूची में शामिल होगा। निर्यात बढ़ाने की जरूरत पर बल देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि इस प्रयास में राज्यों की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि वाणिज्य विभाग को यह संकल्प लेना चाहिए कि कुल वैश्विक निर्यात में भारत की हिस्सेदारी मौजूदा 1.6 फीसदी से बढ़ाकर कम से कम 3.4 फीसदी किया जाए। प्रधानमंत्री ने कहा कि उत्पादों के अधिक से अधिक घरेलू निर्माण पर भी जोर दिया जाना चाहिए ताकि आयात पर निर्भरता न्यूनतम स्तर पर आ सके। इस संदर्भ में उन्होंने इलेक्ट्रॉनिक मैन्युफैक्चरिंग का उदाहरण दिया। अपनी सरकार की उपलब्धियों का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि देश अब "अटकाना, लटकाना और भटकाना" की कार्य संस्कृति से निकल चुका है। दर्जनों अप्रत्यक्ष करों के बदले पिछले साल पहली जुलाई से वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू हो चुका है। इससे कारोबार करना आसान हुआ है और कर आधार भी बढ़ा है। प्रधानमंत्री का कहना था कि जीएसटी के तहत 54 लाख नए करदाताओं ने पंजीकरण कराया है, जिससे अप्रत्यक्ष कर भुगतान करने वालों की संख्या एक करोड़ के ऊपर चली गई है। वहीं, प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) और विदेशी मुद्रा भंडार भी इस वक्त अपने-अपने चरम पर हैं। प्रधानमंत्री ने नए वाणिज्य भवन का निर्माण कार्य तय समय में पूरा हो जाने का भरोसा जताया। उन्होंने कहा कि "नए भारत" की कार्यशैली में ऐसे कई पुराने अंदाज पीछे छोड़ दिए गए हैं, जिनकी वजह से देश की राजधानी तक में परियोजनाएं बेवजह लटकती रहती थीं। इस परिप्रेक्ष्य में प्रधानमंत्री ने डॉ. आंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर, डॉ. आंबेडकर नेशनल मेमोरियल, प्रवासी भारतीय केंद्र और केंद्रीय सूचना आयोग के नए भवनों का हवाला दिया। करोड़ रुपए में बनेगा वाणिज्य भवन केंद्रीय निर्माण उपक्रम एनबीसीसी (इंडिया) लिमिटेड को निर्माणाधीन वाणिज्य भवन के निर्माण संबंधी गतिविधियों के क्रियान्वयन का जिम्मा सौंपा गया है। दो बेसमेंट और भूतल सहित पांच मंजिला भवन के निर्माण पर 226.83 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। इसका कुल क्षेत्रफल 4.3 एकड़ होगा, जिसके 39,500 वर्गमीटर बिल्ट-अप एरिया के 22 फीसदी हिस्से पर भवन निर्माण किया जाएगा। वहां 444 कारों के लिए पार्किंग सुविधा होगी। इसका निर्माण कार्य अगले वर्ष सितंबर तक पूरा हो जाने का लक्ष्य रखा गया है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को 50 खरब डॉलर की अर्थव्यवस्था वाले देशों की सूची में शामिल करने के लिए कम से कम दहाई अंकों की जीडीपी विकास दर का लक्ष्य रखने का आहवान किया है। उन्होंने यह भी कहा …

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ओपेक रोजना 10 लाख बैरल बढ़ाएगा कच्चे तेल का उत्पादन, सस्ते होंगे पेट्रोल और डीजल

पेट्रोलियम निर्यातक देशों के संगठन ओपेक उत्पादन बढ़ाएगा। माना जा रहा है कि शुक्रवार को हुई बैठक में सऊदी अरब कट्टर प्रतिद्वंद्वी ईरान को इस मामले में सहयोग के लिए राजी कर लिया है। बैठक से एक दिन पहले तक ईरान इसके लिए तैयार नहीं था। सऊदी अरब के ऊर्जा मंत्री खालिद अल-फलीह ने कहा कि उत्पादकों ने भारी बहुमत से रोजाना 10 लाख बैरल उत्पादन बढ़ाने की सिफाशि की है। उन्होंने कहा, "हम आपूर्ति की किल्लत रोकना चाहते हैं। हम वैसे हालात नहीं चाहते, जैसा 2007-08 में देखा गया था।"ओपेक देशों द्वारा कच्चे तेल का उत्पादन बढ़ाए जाने का सबसे बड़ा फायदा भारत जैसे बड़े तेल आयातक देशों को होगा क्योंकि आपूर्ति बढ़ने के कारण कीमतें घटेंगी। दरअसल अमेरिका, चीन और भारत ने ही ओपेक से उत्पादन बढ़ाने की अपील की थी, जिसके बाद उन्होंने इस मसले पर सहमति बनाने के लिए बैठक की। भारत, अमेरिका और चीन चाहते हैं कि कच्चे तेल के दाम कम हों और बाजार में आपूर्ति की दिक्कत न हो क्योंकि इसके कारण वैश्विक अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंच सकता है। दिक्कत यह है कि ओपेक को उत्पादन बढ़ाने को लेकर किसी फैसले तक पहुंचने के लिए सभी सदस्य देशों की रजामंदी जरूरी है। अब तक ईरान इसके लिए तैयार नहीं था, लेकिन शुक्रवार को उसकी तरफ से नरम रुख के संकेत मिले। ओपेक की बैठक शुरू होने से पहले फलीह से मुलाकात के बाद ईरान के पेट्रोलियम मंत्री बिजान नामदार जंगानेह ने कहा, "हम कुछ कर रहे हैं।"ईरान की अहमियत इसलिएईरान ओपेक का तीसरा सबसे बड़ा तेल उत्पादक देश है। उत्पादन बढ़ाने की दिशा में आगे बढ़ने के मामले में यह अब तक सबसे बड़ा रोड़ा रहा है। चूंकि ईरान अमेरिका का कट्टर विरोधी रहा है, लिहाजा उसने ओपेक के अन्य देशों से अपील की थी कि उन्हें अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की तरफ से उत्पादन बढ़ाने के लिए बनाए जा रहे दबाव को खारिज कर देना चाहिए। ट्रंप से तल्खी की वजह असल में इसी साल मई में ट्रंप ने ईरान पर नए प्रतिबंध लगा दिए थे। तेल बाजार पर नजर रखने वालों को संदेह था कि अमेरिका की तरफ से उठाए गए कदम के नतीजे में ईरान 2018 के अंत तक कच्चे तेल के उत्पादन में करीब एक तिहाई कटौती करेगा। ईरान की तकलीफ यह है कि उसे लगता है कि उत्पादन बढ़ाने से उसे बहुत कम फायदा होगा, जबकि सबसे बड़े निर्यातक सऊदी अरब सबसे ज्यादा फायदे में रहेगा। एक समय लगा कि नहीं बन पाएगी बात इससे पहले ईरान के पेट्रोलियम मंत्री ओपेक की बैठक छोड़कर बाहर चले गए थे क्योंकि सऊदी अरब कच्चे तेल का उत्पादन बढ़ाने पर जोर दे रहा था। इस वजह से ईरान के साथ उसकी तनातनी बढ़ गई थी। ओपेक बैठक की पूर्व संध्या पर मंत्रियों के समूह ने तेल उत्पादन बढ़ाने को लेकर चर्चा की थी। इसके बाद ईरान के पेट्रोलियम मंत्री बिजान नामदार जंगानेह ने संवाददाताओं से कहा, "मुझे नहीं लगता है कि हम किसी समझौते तक पहुंच सकते हैं।"इस वार्ता को ओपेक बैठक की तैयारी के रूप में देखा जा रहा था। 14 सदस्यों वाले इस संगठन के ज्यादातर देश कच्चे तेल की आपूर्ति बढ़ाना चाहते हैं। जनवरी, 2017 से ही ओपेक देशों में उत्पादन कटौती जारी है, लेकिन अब सऊदी अरब ने कच्चे तेल की बढ़ती मांग पूरी करने के लिए उत्पादन बढ़ाने की वकालत की है।

पेट्रोलियम निर्यातक देशों के संगठन ओपेक उत्पादन बढ़ाएगा। माना जा रहा है कि शुक्रवार को हुई बैठक में सऊदी अरब कट्टर प्रतिद्वंद्वी ईरान को इस मामले में सहयोग के लिए राजी कर लिया है। बैठक से एक दिन पहले तक …

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सस्ते पेट्रोल-डीजल का रास्ता हो सकता तैयार, OPEC देशों की आज बैठक

ऑर्गनाइजेशन ऑफ पेट्रोलियम एक्सपोर्ट‍िंग कंट्रीज अथवा ओपेक देशों के मंत्र‍ियों की आज ऑस्ट्र‍िया के वियना में बैठक है. 14 देशों के इस समूह की बैठक में जो भी फैसला होगा, वो आने वाले दिनों में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कटौती और बढ़ोतरी का रास्ता तैयार करेगा. शुक्रवार को हो रही इस बैठक में एक अहम प्रस्ताव पर चर्चा होनी है, जो अगर पास हो गया तो आपको सस्ते पेट्रोल और डीजल का तोहफा आगे भी मिलता रहेगा. क्रूड प्रोडक्शन बढ़ाने पर जोर ओपेक देशों की बैठक में कच्चे तेल का प्रोडक्शन बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है. भारत भी अपनी तरफ से ओपेक देशों से अपील कर चुका है कि वह कच्चे तेल की आपूर्ति को बेहतर बनाए रखने पर जोर दें. इस खातिर बैठक में एक प्रस्ताव भी लाया जा रहा है. इस प्रस्ताव में कच्चे तेल का प्रोडक्शन बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है. सुधरेगी कच्चे तेल की आपूर्ति अगर यह प्रस्ताव बैठक में पास हो जाता है, तो सभी ओपेक देश कच्चे तेल का प्रोडक्शन बढ़ा देंगे. इससे कच्चे तेल की बेहतर आपूर्ति हो सकेगी. अच्छी सप्लाई होने का फायदा यह होगा कि कच्चे तेल की कीमतों में कटौती की संभावना बढ़ जाएगी. इसका सीधा फायदा घरेलू स्तर पर सस्ते पेट्रोल और डीजल के तौर पर मिलेगा. लेक‍िन ईरान फंसा रहा पेंच सऊदी अरब ने कहा है कि वह कच्चे तेल का प्रोडक्शन बढ़ाने के इस प्रस्ताव को पास करने के लिए जो हो सकेगा, वो करेगा. लेक‍िन दूसरी तरफ, ईरान ने इस प्रस्ताव का विरोध शुरू कर दिया है. उसका कहना है कि वह इस प्रस्ताव का कतई समर्थन नहीं करेगा. ऐसी आशंका जताई जा रही है कि कई और सदस्य देश भी ईरान का इसमें साथ दे सकते हैं. ईरान के मन की हुई तो... अगर बैठक में ईरान के मन की होती है और प्रोडक्शन बढ़ाने का प्रस्ताव पास नहीं हो पाता है, तो कच्चे तेल की सप्लाई पर इसका असर पड़ना तय है. इससे कच्चे तेल की कीमतें बढ़ सकती हैं. ऐसा होने पर पेट्रोल और डीजल की बढ़ती कीमतों से राहत मिलने की उम्मीद कम हो जाएगी. बेनतीजा रहेगी बैठक? ऐसे में देखना होगा कि आज ऑयल प्रोड्यूसर इन 14 देशों की बैठक में क्या फैसला लिया जाता है. विशेषज्ञों का मानना है कि यह बैठक बेनतीजा साबित हो सकती है. क्योंकि एक तरफ सऊदी अपने रुख पर अड़ा हुआ है. वहीं, ईरान भी प्रोडक्शन न बढ़ाने को लेकर अपना पक्ष मजबूत कर रहा है.

ऑर्गनाइजेशन ऑफ पेट्रोलियम एक्सपोर्ट‍िंग कंट्रीज अथवा ओपेक देशों के मंत्र‍ियों की आज ऑस्ट्र‍िया के वियना में बैठक है. 14 देशों के इस समूह की बैठक में जो भी फैसला होगा, वो आने वाले दिनों में पेट्रोल और डीजल की कीमतों …

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बाजार की मजबूत शुरुआत, सेंसेक्स 92 और निफ्टी 26 अंक बढ़कर खुला

बाजार की मजबूत शुरुआत, सेंसेक्स 92 और निफ्टी 26 अंक बढ़कर खुला

इस कारोबारी हफ्ते के चौथे दिन शेयर बाजार ने तेज शुरुआत की है. गुरुवार को वैश्व‍िक बाजार से मिले मजबूत संकेतों के बूते घरेलू बाजार भी मजबूत हुआ है. गुरुवार को सेंसेक्स ने 92.13 अंकों की बढ़ोतरी के साथ 35,639.46 के स्तर …

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सरकार ने दिया भरोसा, कहा- सरकारी बैंकों में आपका पैसा पूरी तरह सुरक्ष‍ित

पिछले दिनों आरबीआई गवर्नर उर्जिट पटेल ने कहा था कि केंद्रीय बैंक के पास ज्यादा शक्त‍ियां नहीं हैं. इस पर गोयल ने कहा कि वैसे तो आरबीआई के पास संपूर्ण अध‍िकार हैं. हालांकि फिर भी अगर ऐसा लगता है कि अतिरिक्त अध‍िकार दिए जाने चाहिए, तो इसके लिए भी सरकार तैयार है. बता दें कि उर्जित पटेल ने संसदीय समिति के सामने कहा था कि उसके पास पीएनबी में हुए जैसे बड़े घोटाले रोकने के लिए पर्याप्त अध‍िकार नहीं हैं.

पंजाब नेशनल बैंक में सामने आए 13400 करोड़ रुपये से ज्यादा के घोटाले के बाद लोगों के मन में अपने पैसे की सुरक्षा को लेकर चिंता बढ़ गई है. इसको देखते हुए केंद्र सरकार ने भरोसा दिया है. सरकार ने …

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जेटली की दो टूक- पेट्रोल, डीजल सस्ता किया तो कांग्रेस की तरह विदेश से लेना पड़ेगा कर्ज

वरिष्ठ बीजेपी नेता और केन्द्र सरकार में वित्त मंत्री अरुण जेटली (फिलहाल स्वास्थ्य लाभ के लिए अवकाश पर) ने एक लेख लिखते हुए दो टूक कहा है कि देश में सस्ता पेट्रोल-डीजल देना सरकार के बस में नहीं है. वित्त मंत्री के मुताबिक मौजूदा वैश्विक परिस्थितियों में यदि सरकार अपने राजस्व को कम करते हुए पेट्रोल-डीजल पर आम आदमी को राहत देने का काम करती है तो उसके सामने कांग्रेस सरकार वाली परिस्थिति पैदा हो जाएगी जहां विकास कार्यों के लिए उसे विदेशी बैंकों से कर्ज का सहारा लेना पड़ेगा. जेटली ने कहा कि बीते चार साल में मोदी सरकार के कार्यकाल के दौरान केन्द्र सरकार के राजस्व और जीडीपी के अनुपात में अच्छा सुधार दर्ज हुआ है. जहां कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में यह औसत 10 फीसदी था वहीं मोदी सरकार में यह 11.5 फीसदी दर्ज हुआ है. जेटली के मुताबिक इस वृद्धि का आधा इजाफा यदि पेट्रोल-डीजल पर टैक्स की कमाई से दर्ज हुआ है तो वहीं दूसरा आधा गैर पेट्रोल-डीजल पर एकत्र हुए राजस्व के कारण है. इनमें इनकम टैक्स और गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स के जरिए राजस्व में इजाफा अहम है. इसे पढ़ें: न ड्यूटी घटेगी-न वैट होगा कम, पेट्रोल के बढ़ते दाम से आपको ऐसे राहत देगी सरकार? हालांकि गैर पेट्रोल-डीजल राजस्व केन्द्र सरकार के लिए बड़ी चुनौती है. बीते चार साल के दौरान देश में राजस्व की स्थिति को देखते हुए यह दावा नहीं किया जा सकता है कि भारत में लोग इमानदारी से अपना टैक्स अदा करते हैं. ऐसा वित्त मंत्री का कहना है. जेटली ने कहा कि देश में सैलरी पाने वाले लोग टैक्स अदा करने में सबसे आगे हैं. इनके अलावा अन्य वर्गों को अब टैक्स अदा करने में इमानदारी दिखाने की जरूरत है. जेटली ने कहा कि जिस तरह सरकार ने बीते चार साल के दौरान जीडीपी की तुलना में अपने राजस्व में 1.5 फीसदी का इजाफा किया है उसी तर्ज पर वह अगले चार साल में एक बार फिर टैक्स-डीजीपी अनुपात में 1.5 फीसदी का इजाफा करना चाहती है. हालांकि इसके लिए वह गैर पेट्रोल-डीजल राजस्व पर अपना ध्यान केन्द्रित करेगी. इसका साफ मतलब है कि जेटली संकेत दे रहे हैं कि अगले कुछ वर्षों के दौरान केन्द्र सरकार की कवायद गैर पेट्रोल-डीजल पर टैक्स से राजस्व में इजाफा करने की है. यह स्वाभाविक भी है कि केन्द्र सरकार के पास पेट्रोल-डीजल पर और टैक्स लगाने की गुंजाइश नहीं बची है. इसे पढ़ें: ऑडी के CEO जर्मनी में गिरफ्तार, कबूला- सॉफ्टवेयर से छिपाते थे प्रदूषण लिहाजा, अरुण जेटली ने दलील दी कि देश में लोगों को देशभक्ति की भावना के साथ अपना टैक्स अदा करने की जरूरत है. जेटली ने कहा कि फिलहाल देश में कुछ इमानदार लोग ही टैक्स अदा करते हैं. इन इमानदार टैक्स पेयर्स के ऊपर टैक्स की चोरी करने वालों का खामियाजा अदा करने का भी दबाव रहता है. इस सच्चाई का बयान करते हुए जेटली ने देश की सभी राजनीतिक पार्टियों से अपील की कि वह देश में टैक्स की चोरी को पूरी तरह से खत्म करने में मदद करें जिससे सरकार के राजस्व को बढ़ा जा सके. जेटली ने कहा कि जबतक केन्द्र सरकार के राजस्व में गैर-पेट्रोल-डीजल टैक्स से अच्छी कमाई नहीं होगी, किसी भी केन्द्र सरकार के लिए पेट्रोल और डीजल की कीमतों में राहत पहुंचाने का फैसला लेना असंभव है. अपने लेख में अरुण जेटली ने कांग्रेस नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम के पेट्रोल-डीजल पर टैक्स घटाने की सलाह को गलत ठहराते हुए कहा कि मोदी सरकार कांग्रेस कार्यकाल की गलतियों को नहीं दोहराएगी.

वरिष्ठ बीजेपी नेता और केन्द्र सरकार में वित्त मंत्री अरुण जेटली (फिलहाल स्वास्थ्य लाभ के लिए अवकाश पर) ने एक लेख लिखते हुए दो टूक कहा है कि देश में सस्ता पेट्रोल-डीजल देना सरकार के बस में नहीं है. वित्त …

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वीडियोकॉन लोन मामला : ICICI बैंक में होगा बड़ा फेरबदल, ये शख्स बनेगा CEO-रिपोर्ट

 वीडियोकॉन लोन मामले के बाद आईसीआईसीआई बैंक के टॉप मैनेजमेंट में बदलाव होने की खबर पर जल्द ही विराम लग सकता है. पिछले दिनों भी खबर आई थी कि बैंक की सीईओ चंदा कोचर को लंबी छुट्टियों पर भेज दिया गया है. जिसके कुछ दिन …

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सेंसेक्स 73 अंक गिरकर 35548 पर, निफ्टी 10800 से नीचे बंद

 सोमवार के सत्र में भारतीय शेयर बाजार गिरावट के साथ कारोबार कर बंद हुआ है। बम्बई स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) का इंडेक्स सेंसेक्स 73.88 अंक की गिरावट के साथ 35548 के स्तर पर  और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का इंडेक्स निफ्टी …

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नीरव मोदी की बढ़ी मुसीबत, आधा दर्जन भारतीय पासपोर्ट रखने के आरोप में नई एफआईआर दर्ज

पंजाब नेशनल बैंक के साथ करीब 13 हजार करोड़ रुपये का कर्ज घोटाला करने के आरोप में फरार चल रहे हीरा कारोबारी नीरव मोदी के लिए मुसीबत और बढ़ गई है। जांच एजेंसियों के सामने मोदी के कम से कम …

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एक ही कार्ड NCMC से देश भर की मेट्रो, बस, टोल का किराया कर सकेंगे चुक्ता

देश के सभी महानगरों में मेट्रो रेल, लोकल बस और ऑटो टैक्सी आदि सार्वजनिक परिवहन के सभी साधनों के किराए का भुगतान एक ही कार्ड से करने की सुविधा में टोल टैक्स और पार्किंग के भुगतान को भी शामिल कर लिया गया है. केंद्रीय आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय ने ‘नेशनल कॉमन मोबिलिटी कार्ड’ (एनसीएमसी) से मिलने वाली सुविधाओं में इजाफा करते हुए टोल प्लाजा और पार्किंग एजेंसियों से इस कार्ड को अपनी ऑनलाइन भुगतान सेवा से जोड़ने को कहा है. आवास एवं शहरी मामलों के राज्यमंत्री हरदीप सिंह पुरी ने हाल ही में इस परियोजना की समीक्षा बैठक में एनसीएमसी की सुविधाओं का दायरा बढ़ाते हुये संबद्ध प्राधिकरणों को यथाशीघ्र कार्ड को भुगतान सेवा से जोड़ने को कहा है. बता दें कि एनसीएमसी को लागू करने के लिए मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव की अध्यक्षता में गठित समिति की रिपोर्ट आधार पर सितंबर 2015 में भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (एनपीसीआई) को स्थानीय परिवहन सेवा के लिए पूरे देश में एक ही भुगतान कार्ड को विकसित करने की जिम्मेदारी दी गई थी. किराया वसूली की स्वचालित प्रणाली – सार्वजनिक क्षेत्र की सॉफ्टवेयर कंपनी सीडेक को देश भर में मेट्रो रेल के किराया वसूली की स्वचालित प्रणाली विकसित करने के कहा गया था. तैयारियां पूरी ऑनलाइन से जुड़ने का इंतजार अधिकारी ने बताया मंत्रालय की ओर से नेशनल कॉमन मोबिलिटी कार्ड सेवा राष्ट्रीय स्तर पर शुरू करने की तैयारी पूरी कर ली गई है. सभी शहरों में इस्तेमाल किए जा सकने वाले कार्ड भी बनकर तैयार है. सिर्फ टोल प्लाजा और पार्किंग का संचालन करने वाली एजेंसियों द्वारा इसे अपनी ऑनलाइन भुगतान सेवा से जोड़ने का इंतजार है. स्मार्ट शहरों में NCMC का होगा उपयोग परियोजना से जुड़े मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि शुरुआती चरण में एनसीएमसी का उपयोग मेट्रो रेल परियोजनाओं से जुड़े सभी स्मार्ट शहरों में किया जाएगा. पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर फिलहाल दिल्ली और कोच्चि में मेट्रो रेल और लोकल बस में एक ही कार्ड से किराए का भुगतान किया जा रहा है. डेबिट कार्ड तरह सुविधा होगी – परियोजना का उद्देश्य भविष्य में एनसीएमसी को डेबिट कार्ड की तरह इस्तेमाल करने की सुविधा से लैस करना है. – कार्डधारक सार्वजनिक परिवहन के साधनों के किराये, टोल टैक्स, पार्किंग और सामान्य खुदरा खरीददारी का भुगतान भी NCMCसे कर सकेंगे. यहां के लिए मिली मंजूरी – एनसीएमसी के इस्तेमाल को दिल्ली और कोच्चि के अलावा मुंबई, नागपुर, बेंगलुरु और अहमदाबाद में लोकल बस और मेट्रो प्राधिकरणों ने लागू करने की मंजूरी दे दी है. – मंत्रालय ने बाद में इस कार्ड के द्वारा टोल, पार्किंग और मामूली खरीददारी के भुगतान को भी जोड़ने का फैसला किया ईएमवी ओपन कार्ड अपनाने का सुझाव – इसे लागू करने के लिए राष्ट्रीय सूचना केंद्र (एनआईसी), सीडेक, एनपीसीआई, भारतीय मानक ब्यूरो और वित्त मंत्रालय के विशेषज्ञों की एक समिति ने दुनिया भर में प्रचलित कॉमन कार्ड के मॉडल का अध्ययन कर भारत में ईएमवी ओपन लूप कार्ड अपनाने का सुझाव दिया है. छोटे बड़े शहरों में लागू करने की योजना अधिकारी ने बताया कि समिति की सिफारिशों के आधार पर एनसीएमसी की कार्यप्रणाली तय करते हुये कार्ड तैयार कर लिया गया है. भविष्य में इसे देश के सभी छोटे बड़े शहरों में लागू करने की महत्वाकांक्षी योजना है.

देश के सभी महानगरों में मेट्रो रेल, लोकल बस और ऑटो टैक्सी आदि सार्वजनिक परिवहन के सभी साधनों के किराए का भुगतान एक ही कार्ड से करने की सुविधा में टोल टैक्स और पार्किंग के भुगतान को भी शामिल कर …

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