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इंडोनेशिया में मनाने जा रहे थे रमजान खत्म होने का जश्न, बोट पलटी तो गई 13 की जान

रमजान के पूरे महीने रोजा रख खुदा की इबादत की और जब इस इबादत के पूरे होने का वक्त आया तो मौत ने 13 लोगों को अपने आगोश में ले लिया घटना इंडोनेशिया के सुलावेसी द्वीप की है जहां एक यात्री नाव के पलट जाने से कम से कम 13 लोगों की मौत हो गई। बुधवार को हुए इस हादसे में मारे गए लोग नाव में सवार होकर रमजान के अंत का जश्न मनाने के लिए छुट्टियों में अपने घर जा रहे थे। स्थानीय मीडिया रिपोर्टों में कहा गया है कि नाव दक्षिण सुलावेसी की प्रांतीय राजधानी मक्कासर से 15 किमी उत्तर-पश्चिम में बर्रांग लोम्पो के रिज़ॉर्ट द्वीप की तरफ यात्रा कर रही थी। दुर्घटना में कम से कम 22 यात्रियों को बचाया गया है जिन्हें इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया। कई लोग अभी भी लापता है। जानकारी के मुताबिक खराब मौसम के कारण समुद्री लहरों के बीच नाव असंतुलित हो गई और पलट गई। लापता लोगों के लिए खोज अभियान चलाया जा रहा है। आपको बता दें कि इंडोनेशिया में इस तरह की दुर्घटनाएं आम हैं, खासकर ईद के दौरान जब देश भर में लाखों मुसलमान अपने गृह नगर यात्रा करते हैं।

रमजान के पूरे महीने रोजा रख खुदा की इबादत की और जब इस इबादत के पूरे होने का वक्त आया तो मौत ने 13 लोगों को अपने आगोश में ले लिया घटना इंडोनेशिया के सुलावेसी द्वीप की है जहां एक …

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कंगाली की कगार पर पाकिस्तान! भारतीय रुपये से आधी हो गई करेंसी की कीमत

ईद के त्योहार के कुछ दिनों पहले ही पड़ोसी देश पाकिस्तान की आर्थिक चिंताएं काफी बढ़ गई हैं. पिछले कुछ समय से लगातार पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था गोते लगा रही है, इसके साथ ही कर्ज का दबाव भी बढ़ रहा है. मंगलवार के आंकड़ों के अनुसार, एक अमेरिकी डॉलर के मुकाबले पाकिस्तानी रुपये की कीमत अब 122 हो गई है. सिर्फ सोमवार को ही पाकिस्तानी रुपया की कीमत करीब 3.8 फीसदी तक गिर गई. यानी अगर पाकिस्तान की तुलना भारत से की जाए तो वह काफी बदतर स्थिति में दिखाई पड़ता है. भारतीय रुपये की कीमत अभी 67 रुपये है, यानी भारत की एक अठन्नी अब पाकिस्तानी रुपये के बराबर हो गई है. गौरतलब है कि अगले महीने ही पाकिस्तान में आम चुनाव है, ऐसे में देश की माली हालत बिगड़ना चुनावों में भी एक बड़ा मुद्दा बन सकती है. इस तरह की अटकलें हैं कि पाकिस्तान चुनाव के बाद अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) से कर्ज मांग सकता है. देश में भुगतान संतुलन संकट की आशंका है, इससे पहले देश 2013 में मुद्राकोष के पास गया था. 10 हफ्ते में कंगाल हो जाएगा पाकिस्तान, चीन भी नहीं बचा पाएगा कार्यवाहक वित्त मंत्री शमशाद अख्तर ने कहा, ‘हमें 25 अरब डालर के अपने व्यापार घाटे के अंतर को हमारे भंडार के जरिए पाटना होगाऔर कोई विकल्प नहीं है.’ उन्होंने कहा कि हमारी सरकार के समक्ष यह प्रमुख चिंता है. देश के केंद्रीय बैंक ने रुपये में 3.7% का अवमूल्यन किया है. बता दें कि हाल ही में आई एक रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान के पास अब 10.3 अरब डॉलर का ही विदेशी मुद्रा भंडार है, जो पिछले साल मई में 16.4 अरब डॉलर था. रॉयटर्स एजेंसी के मुताबिक, पाकिस्तान का चीन और इसके बैंकों से इस वित्तीय वर्ष में लिया गया कर्ज करीब 5 बिलियन डॉलर तक पहुंचने के कगार पर है. पाकिस्तानी अखबार डॉन के मुताबिक, पाकिस्तान भुगतान संकट के चलते चीन से 1-2 बिलियन डॉलर (68- 135 अरब रुपए) का नया लोन लेने जा रहा है. यह इस बात का एक और संकेत है कि पाकिस्तान बीजिंग पर आर्थिक तौर पर किस कदर निर्भर हो चुका है. विदेशी मुद्रा भंडार की खस्ता हालत- चीन से लिए गए इस नए लोन का इस्तेमाल पाकिस्तान अपने विदेशी मुद्रा भंडार की हालत ठीक करने में करेगा.

ईद के त्योहार के कुछ दिनों पहले ही पड़ोसी देश पाकिस्तान की आर्थिक चिंताएं काफी बढ़ गई हैं. पिछले कुछ समय से लगातार पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था गोते लगा रही है, इसके साथ ही कर्ज का दबाव भी बढ़ रहा है. मंगलवार …

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OPCW ने कहा- सीरिया में हुए 2 हमलों में हुआ था केमिकल का इस्तेमाल

OPCW ने एक बयान जारी कर कहा कि लतामनेह पर 24 मार्च 2017 को किए गए हमले में संभावित तौर पर रासायनिक हथियारों का इस्तेमाल किया गया था. संगठन के मिशन ने यह भी बताया कि उसी दिन लतामनेह के एक अस्पताल पर किए गए हमले में संभावित तौर पर क्लोरीन का इस्तेमाल किया गया था. हाल ही में सीरिया में दो केमिकल हमले हुए थे. आखिरी बार 2017 में सीरिया में केमिकल हमले की बात सामने आई थी. इसमें काफी संख्या में नागरिकों की मौत हो गई थी. अमेरिका ने इस हमले के लिए सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल असद को जिम्मेदार ठहराया था. हालांकि इस पर रूस ने सीरिया सरकार का बचाव किया था. इसके बाद प्रतिबंधित केमिकल हथियारों के इस्तेमाल को लेकर अमेरिका ने फ्रांस और ब्रिटेन के साथ मिलकर सीरिया पर हमला किया था. अमेरिका ने सीरिया में 100 से ज्यादा मिसाइलें दागी थी. इससे पहले हुए केमिकल हमले का आरोप भी सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल असद पर लगा था.OPCW ने एक बयान जारी कर कहा कि लतामनेह पर 24 मार्च 2017 को किए गए हमले में संभावित तौर पर रासायनिक हथियारों का इस्तेमाल किया गया था. संगठन के मिशन ने यह भी बताया कि उसी दिन लतामनेह के एक अस्पताल पर किए गए हमले में संभावित तौर पर क्लोरीन का इस्तेमाल किया गया था. हाल ही में सीरिया में दो केमिकल हमले हुए थे. आखिरी बार 2017 में सीरिया में केमिकल हमले की बात सामने आई थी. इसमें काफी संख्या में नागरिकों की मौत हो गई थी. अमेरिका ने इस हमले के लिए सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल असद को जिम्मेदार ठहराया था. हालांकि इस पर रूस ने सीरिया सरकार का बचाव किया था. इसके बाद प्रतिबंधित केमिकल हथियारों के इस्तेमाल को लेकर अमेरिका ने फ्रांस और ब्रिटेन के साथ मिलकर सीरिया पर हमला किया था. अमेरिका ने सीरिया में 100 से ज्यादा मिसाइलें दागी थी. इससे पहले हुए केमिकल हमले का आरोप भी सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल असद पर लगा था.

सीरिया में किए गए हमलों में केमिकल हथियारों के इस्तेमाल की पुष्टि हो गई है. विश्व में रासायनिक हथियारों पर प्रतिबंध की पैरोपकार संस्था रासायनिक हथियार निषेध संगठन (OPCW) ने कहा कि पिछले साल मार्च में उत्तर पश्चिमी सीरिया के …

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इमरान खान अब ‘सादिक’ और ‘आमीन’ नहीं रहे

पाकिस्तान में क्रिकेटर से नेता बने इमरान खान की पूर्व पत्नी रेहम खान ने अपनी किताब में लिखा है कि इमरान खान समलैंगिक हैं. इमरान खान की पत्नी रहीं रेहम खान की आत्मकथा में उन्होंने अपने इस पूर्व क्रिकेटर पति के बारे में और पाकिस्तान की राजनीतिक में भूचाल लेन जैसा कुछ लिख दिया है. पाकिस्तान के संविधान की धारा 62 कहती है कि देश के हर सांसद को 'सादिक' और 'आमीन' होना चाहिए जिसका अर्थ होता है 'विश्वास के योग्य' और 'ईमानदार'. संविधान की इस धारा के दम पर विपक्षी इमरान को घेरना चाहते हैं. इन सब के बीच रेहम खान ने कहा है कि अभी उनकी किताब को बाजार में आना है. लेकिन किताब के जरिए इमरान के बारे में सनसनीखेज खुलासे पर उन्होंने कहा, 'मैं चाहती हूं कि मतदाता यह जरूर जानें कि वो किसे वोट देने जा रहे हैं, मैं उनकी गवाह रही हूं, उनके राजनीतिक करियर को बेहद करीब से देखा है और पाकिस्तान को उनके हकीकत के बारे में जानने की जरूरत है. साथ ही रेहम ने यह भी कहा कि किताब में उनकी निजी यात्रा की कहानी है, जिसमें उन्होंने अपनी निजी जिंदगी और पेशेवर जिंदगी के बारे में विस्तार से बताया है. इमरान को समलैंगिक होने की बात कहे जाने पर रेहम ने कहा कि इस बारे में थोड़ा इंतजार करना चाहिए. किताब में विस्तार से इस बारे में बताया गया है. इमरान और उनकी पार्टी ने अपनी ताकत का दुरुपयोग कर किया है. पार्टी में पोजिशन के लिए सेक्सुएल संबंधों का सहारा लिया गया.

पाकिस्तान में क्रिकेटर से नेता बने इमरान खान की पूर्व पत्नी रेहम खान ने अपनी किताब में लिखा है कि इमरान खान समलैंगिक हैं. इमरान खान की पत्नी रहीं रेहम खान की आत्मकथा में उन्होंने अपने इस पूर्व क्रिकेटर पति …

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अक्ल विरासत में नहीं मिलती – अरुण जेटली

राहुल गांधी की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर बार -बार आक्षेप लगाए जाने के बाद केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने उन पर पलटवार करते हुए कांग्रेस अध्यक्ष की अक्ल पर सवालिया निशान लगाते हुए कहा कि यह पिता से विरासत में नहीं मिलती, बल्कि ये लगातार अध्ययन से ही हासिल की जा सकती है. बता दें कि जेटली ने एक फेसबुक पोस्ट में कांग्रेस को विचारधारा विहीन पार्टी बताते हुए कहा कि कांग्रेस का जूनून सिर्फ पीएम नरेंद्र मोदी के लिए है.जेटली ने अपनी फेस बुक पोस्ट में कांग्रेस नेतृत्व वाली यूपीए सरकार के 2008 से 2014 के सत्ता काल में 15 बड़े लोन डिफाल्टरों को अंधाधुंध राशि कर्ज में देने की बात इसलिए कही क्योंकि राहुल गाँधी ने मुद्रा योजना की आलोचना कर ये आरोप लगाया था कि उसने बड़े कॉरपोरेट घरानों के करीब 2.5 लाख करोड़ रुपये के कर्ज माफ कर दिए हैं. उल्लेखनीय है कि जेटली ने राहुल गाँधी को गोबेलियन परंपरा को पसंद करने वाला बताते हुए कहा कि एक राष्ट्रीय दल के अध्यक्ष का बैंक के कामकाज के बुनियादी तरीके को भी नहीं समझ पाना पूरे देश के लिए चिंता का विषय होना चाहिए . जेटली ने राहुल गाँधी के कोकाकोला के संस्थापक को शिकंजी बेचने वाला बताने के बयान पर भी तंज कसते हुए लिखा, ‘द डिस्कवरी ऑफ इंडिया’ लिखने वाले के महान नाती ने अपनी परंपरागत त्रुटियों के साथ एक दिन देश को ‘द रिडिस्कवरी ऑफ कोकाकोला’ की महान खोज दे दी.

राहुल गांधी की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर बार -बार आक्षेप लगाए जाने के बाद केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने उन पर पलटवार करते हुए कांग्रेस अध्यक्ष की अक्ल पर सवालिया निशान लगाते हुए कहा कि यह पिता से …

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इसलिए राजस्थान में कांग्रेस बीएसपी का साथ नहीं चाहती

एक ओर कांग्रेस बीएसपी को साथ लेकर राष्ट्रीय स्तर पर महागठबंधन करने के लिए कोशिश कर रही है , वहीं दूसरी ओर राजस्थान में हालात बिलकुल अलग है.यहां राज्य कांग्रेस बीएसपी का साथ नहीं चाहती है. बता दें कि दिल्ली में कांग्रेस इस प्रयास में है कि बसपा के साथ गठबंधन कर लिया जाए ,लेकिन कांग्रेस की राज्य इकाई ने इस तरह के किसी भी गठबंधन से इंकार कर दिया.राजस्थान में 17 प्रतिशत दलित हैं जो काफी अहम साबित हो सकते है. राजस्थान में दलितों के लिए 34 सीटें आरक्षित हैं. कांग्रेस के इंकार पर बीएसपी ने राजस्थान में अपनी तैयारी तेज़ करने को कहा है. वहीं कांग्रेस के पूर्व मंत्री और दलित नेता बाबूलाल नागर ने कहा कि बसपा के साथ गठबंधन करने की कोई ज़रूरत नहीं है.उनका कहना है कि पिछले चुनाव में कांग्रेस दलितों के लिए आरक्षित सभी सीटों पर हार गई थी.दलितों को सिर्फ पार्टी अफेयर्स में शामिल किया जा सकता है. जबकि दूसरी ओर सेंटर फॉर दलित राइट्स के डायरेक्टर पीएल मिमरोथ का कहना है कि पिछले दिनों की कुछ घटनाओं ने दलितों को कांग्रेस पार्टी ने निराश किया है. कांग्रेस दलितों की भावनाओं पर खरी नहीं उतर पाई. नागर के अनुसार लोगों को बीएसपी को वोट देना वोट बर्बाद करना लगता है.जबकि कहा जाता है कि बीएसपी को मिलने वाला हर वोट कांग्रेस का है और ये बात कांग्रेस को समझना चाहिए.जबकि अलवर के खेमचंद धमानी बीएसपी से गठबंधन के पक्ष में है.

एक ओर कांग्रेस बीएसपी को साथ लेकर राष्ट्रीय स्तर पर महागठबंधन करने के लिए कोशिश कर रही है , वहीं दूसरी ओर राजस्थान में हालात बिलकुल अलग है.यहां राज्य कांग्रेस बीएसपी का साथ नहीं चाहती है. बता दें कि दिल्ली …

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मप्र बीजेपी के 130 विधायकों का पत्ता साफ होने के संकेत

जबलपुर दौरे के बाद अमित शाह ने कहा है कि करीब 130 ऐसे विधायकों के टिकट काटे जाएंगे जिनकी जीत की संभावना बिलकुल नहीं है. भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के इस बयान ने मध्य प्रदेश के भाजपा नेताओं, विधायकों और मंत्रियों के लिए तकलीफे पैदा कर दी है. आला कमान के सख्त रवैये से सभी की फिक्र बढ़ा दी है. जबलपुर दौरे पर शाह ने पार्टी नेताओं को साफ संदेश दे दिया कि इस बार लड़ाई कहीं ज्यादा कठिन है. अमित शाह के जबलपुर दौरे को लेकर मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने कहा कि प्रदेश में भाजपा की जमीन खिसक रही है, इसलिए भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष को बार-बार मध्य प्रदेश के दौरे पर आना पड़ रहा है. भाजपा को अपनी हार साफ दिख रही है. शाह ने जीत का जो फॉर्मूला बताया, उसमें किसान, व्यापारी और आदिवासियों को खुश करना प्रमुख है. एमपी के मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा है कि भाजपा अध्यक्ष अमित शाह जहां भी गए हैं, वहां पर भाजपा की सरकार बनी है. साथ ही उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पर तंज कसा है कि वह जहां भी गए हैं, वहां कांग्रेस को हार मिली है.

जबलपुर दौरे के बाद अमित शाह ने कहा है कि करीब 130 ऐसे विधायकों के टिकट काटे जाएंगे जिनकी जीत की संभावना बिलकुल नहीं है. भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के इस बयान ने मध्य प्रदेश के …

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तमिलनाडु की सियासत का एक बड़ा फैसला आज

एआईएडीएमके की पलानीस्वामी सरकार से टी. टी. दिनाकरण गुट के 18 विधायकों ने पिछले साल समर्थन वापस ले लिया था मगर उन पर फैसला आज आना है. लगभग साल भर पहले इन विधायकों को विधानसभा स्पीकर ने अयोग्य घोषित कर दिया था. जिसके बाद इन्होंने मद्रास हाईकोर्ट की शरण ली थी. अयोग्य घोषित किए गए विधायकों के नाम थंगा तमिल सेलवन, आर मुरुगन, मारियुप कन्नेडी, के काथीरकमू, सी जयंती पद्मनाभन, पी पलनिअप्पन, वी सेंथिल बालाजी, सी मुथैया, पी वेत्रिवेल, एन जी पार्थीबन, एम कोठांदपानी, टीए एलुमलै, एम रंगासामी, आर थंगादुराई, आर बालासुब्रमणी, एसजी सुब्रमण्यम, आर सुंदरराज और के उमा महेरी हैं.आज इस मामले में फैसला होगा जो राज्य सरकार पर बड़ा असर डाल सकता है. फैसले से पहले मुख्यमंत्री पलानीस्वामी के घर सूबे के बड़े नेताओं का जमावड़ा हुआ है. संभावित समीकरण की बात करे तो - -अगर कोर्ट स्पीकर के फैसले को बदलता है तो फ्लोर टेस्ट की सम्भावना है. - ऐसे में ई. पलानीस्वामी को मुश्किल - कुछ AIADMK विधायक अपना पाला बदल सकते हैं. -अगर कोर्ट स्पीकर के फैसले का साथ देता है तो सभी 18 विधानसभाओं पर चुनाव हो सकता है. -अगर दो जजों की बेंच कोई फैसला नहीं निकाल पाती है तो ये केस तीन जजों के बेंच के पास जाएगा. तमिलनाडु विधानसभा आकड़ों में - कुल संख्या - 234 डीएमके - 98 टीटीवी - 1 एआईएडीएमके - 114 18 विधायक (जिनपर मद्रास हाईकोर्ट फैसला करेगा)

एआईएडीएमके की पलानीस्वामी सरकार से टी. टी. दिनाकरण गुट के 18 विधायकों ने पिछले साल समर्थन वापस ले लिया था मगर उन पर फैसला आज आना है. लगभग साल भर पहले इन विधायकों को विधानसभा स्पीकर ने अयोग्य घोषित कर …

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बाजार में दिसंबर तक आ सकता है 20 रुपये का सिक्का

सिक्कों की खनखनाती दुनिया में अब नए मूल्य वर्ग का सिक्का जुड़ने जा रहा है। यह सिक्का न केवल डिजाइन में अलग होगा बल्कि थीम भी आधुनिक होगी। दो धातुओं वाले इस सिक्के की डिजाइन पर काम शुरू हो गया है। माना जा रहा कि इस साल दिसंबर तक यह सिक्का बाजार में आ जाएगा। अभी देश में तकरीबन 26 हजार करोड़ रुपये के सिक्के चलन में हैं। सरकार पहली बार 20 रुपये के सिक्के को वैध करेंसी के तौर पर लाने की तैयारी कर रही है। अभी तक इस मूल्य वर्ग के सिक्के स्मारक सिक्के के रूप में ही जारी हुए हैं। दरअसल, दस रुपये के नए नोटों की छपाई सीमित है और बीस रुपये के नोट की छपाई बंद है। बाजार में दस और बीस रुपये के पुराने नोट अधिक हैं। इस समय तकरीबन 80 हजार करोड़ रुपये कीमत के पांच से बीस रुपये के मूल्य वर्ग वाले 57 अरब नोट चलन में हैं। इस समय 50 हजार करोड़ रुपये से अधिक के दस और बीस रुपये के गंदे व फटे-गले नोट हैं। चूंकि क्लीन नोट पॉलिसी के तहत ऐसे नोट आरबीआइ के पास वापस जमा होंगे। ऐसे में चलन में पर्याप्त करेंसी बनाए रखने के लिए छोटे नोट की सप्लाई करनी होगी। रिजर्व बैंक को इसके लिए करीब 40 अरब नोट छापने होंगे। इसमें करीब सात-आठ हजार करोड़ रुपये का खर्च आएगा। नोट बमुश्किल पांच साल चल पाते हैं। ऐसे में प्रचलन में अच्छे नोट बनाए रखने के लिए जल्दी-जल्दी बदलने होते हैं। इसके विपरीत सिक्का लंबे समय चलन रहता है। चूंकि दस रुपये का सिक्का बाजार में बहुतायत में है इसलिए आरबीआइ ने बीस रुपये का सिक्का निकालने का निर्णय लिया गया है।

सिक्कों की खनखनाती दुनिया में अब नए मूल्य वर्ग का सिक्का जुड़ने जा रहा है। यह सिक्का न केवल डिजाइन में अलग होगा बल्कि थीम भी आधुनिक होगी। दो धातुओं वाले इस सिक्के की डिजाइन पर काम शुरू हो गया …

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अब राज्यसभा के उपसभापति की लड़ाई, क्या यहां भी संयुक्त विपक्ष से मिलेगी बीजेपी को हार!

राज्यसभा के उप सभापति की लड़ाई में पहली बार संसद में बीजेपी को संयुक्त विपक्ष के गणित का सामना करना होगा. बीजेपी के पास राज्यसभा में सबसे ज्यादा सांसद हैं, लेकिन अगर विपक्ष एकजुट रहा तो उसे हार का सामना करना पड़ सकता है. ऐसा लग रहा है कि इस बार कोई गैर बीजेपी, गैर कांग्रेस सदस्य राज्यसभा का उपसभापति बन सकता है. राज्यसभा के मौजूदा उपसभापति पी.जे. कुरियन का कार्यकाल 30 जून को खत्म होने जा रहा है. अगर बीजेपी को हार मिली तो इससे मोदी सरकार के कार्यकाल के अंतिम साल में महत्वपूर्ण विधेयकों को पारित करा सकने की बीजेपी की क्षमता पर सवाल खड़े हो सकते हैं. विपक्ष अपना गणित लगा रहा है और ज्यादा से ज्यादा दलों को एकजुट करने की कोशिश हो रही है. कांग्रेस को भी नहीं होगा फायदा हालांकि इस कवायद में कांग्रेस को भी कोई फायदा नहीं मिलने वाला. अभी जो संकेत मिल रहे हैं उसके मुताबिक राज्यसभा में दूसरे सबसे बड़े दल कांग्रेस को भी अपना कैंडिडेट उतारने या उसे जिताने का मौका शायद ही मिले. ऐसे संकेत हैं कि तृणमूल कांग्रेस जैसे किसी क्षेत्रीय दल के कैंडिडेट को विपक्ष का समर्थन मिल सकता है. टीडीपी के एक नेता ने कहा, 'सब कुछ ठीक रहा तो टीएमसी के सुकेंदु रॉय सर्वसम्मति से विपक्ष के उम्मीदवार हो सकते हैं.' राज्यसभा में एक विपक्षी दल के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, 'क्षेत्रीय दल कांग्रेस को मनाने की कोशिश कर रहे हैं कि वह उन पार्टियों को अपने साथ लाना सुनिश्चित करे जिनकी फिलहाल बीजेपी-कांग्रेस से संयुक्त दूरी है, ताकि विपक्ष में टूट न होने पाए. टीडीपी के प्रमुख चंद्रबाबू नायडू सहित कई क्षेत्रीय दलों के नेताओं से फोन से संपर्क कर रणनीति बनाई जा रही है. इस तरह का हो सकता है गणित राज्यसभा में फिलहाल कुल 241 सांसद हैं. किसी भी कैंडिडेट को जीतने के लिए कम से कम 121 वोटों की जरूरत होगी, यदि सभी सदस्य वोट करते हैं तो. फिलहाल बीजेपी और उसके सहयोगी दलों के कुल मिलाकर 106 वोट ही हैं. बीजेपी के 69 सदस्य हैं. कांग्रेस गठबंधन के पास भी महज 86 वोट हैं. कांग्रेस के कुल 51 सदस्य हैं. ऐसे में टीएमसी जैसे क्षेत्रीय दलों की भूमिका बढ़ जाती है. अपनी ताकत को देखते हुए ही क्षेत्रीय दल एक गैर भाजपा, गैर सदस्य को राज्यसभा का उपसभापति बनाने के लिए जुट रहे हैं. टीएमसी के पास राज्यसभा में 13 सदस्य, आम आदमी पार्टी के 3 सदस्य, टीडीपी के 6 सदस्य, सीपीएम के 6 सदस्य, आईएनएलडी का एक सदस्य है. इस गुट को एक निर्दलीय का भी समर्थन मिल सकता है जिससे कुल 30 वोट हो जाते हैं. यानी अगर यह गुट एकजुट होता है और कांग्रेस गठबंधन का साथ मिलता है तो भी इसे जीत नहीं मिलेगी. ऐसे में अकेले चलने वाले उन दलों की भूमिका भी बढ़ गई है जिनके पास कुल 17 वोट हैं और इन पर दोनों गुटों की नजर हैं. इनमें बीजेडी के पास 9, वाईएसआर कांग्रेस के पास 2 और टीआरएस के पास 6 वोट हैं. अगर बीजू जनता दल हाल के कई वाकयों की तरह इस चुनाव में भी राज्यसभा में अनुपस्थित रहता है, तो वोट की संख्या घटकर 232 रह जाएगी, जिससे जीत के लिए जरूरी 116 वोट विपक्ष आसानी से जुटा सकता है. बीजेपी के साथ सहयोगी दलों और निर्दलियों के साथ मिलाकर फिलहाल महज 108 वोट ही जाते दिख रहे हैं. सू्त्र बता रहे हैं कि अमित शाह राज्यसभा के उपसभापति सीट को बीजेपी के पास बनाए रखने के लिए अपने दांव खेलने में लग गए हैं. उन्होंने शिवसेना को ऑफर दिया है कि वह अपने कैंडिडेट खड़े करे जिसे बीजेपी जिताएगी. इस तरह से एक तीर से दो शिकार हो सकता है, राज्यसभा का कैंडिडेट भी जीतेगा और रूठे सहयोगी को भी मना लिया जाएगा.

राज्यसभा के उप सभापति की लड़ाई में पहली बार संसद में बीजेपी को संयुक्त विपक्ष के गणित का सामना करना होगा. बीजेपी के पास राज्यसभा में सबसे ज्यादा सांसद हैं, लेकिन अगर विपक्ष एकजुट रहा तो उसे हार का सामना …

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