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निर्मला सीतारमण के पति ने आंध्र के सलाहकार का पद त्यागा

रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण के पति पी प्रभाकर ने अंततः आंध्र प्रदेश सरकार के सलाहकार (संचार) के पद से इस्तीफा दे ही दिया. जब से टीडीपी ने एनडीए से बाहर होने का निर्णय लिया उसके बाद से ही यह संभावना व्यक्त की जा रही थी. बता दें कि प्रभाकर मुख्यमंत्री के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी के रूप में कार्यरत थे. बता दें कि पी प्रभाकर ने मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू को कल मंगलवार को दो पेज का त्यागपत्र भेज दिया. जिसमें उन्होंने लिखा कि ‘मेरे सलाहकार के पद पर बने रहने से राज्य के हितों के लिए केंद्र से लड़ने की आपकी प्रतिबद्धता पर सवाल नहीं उठने चाहिए. मेरे कारण सरकार की विश्वसनीयता पर भी असर नहीं पड़ना चाहिए.' हालाँकि प्रभाकर का कार्यकाल वैसे भी करीब एक पखवाड़े के बाद समाप्त होने वाला था. उल्लेखनीय है कि आंध्र को विशेष राज्य का दर्जा देने के मामले को लेकर टीडीपी ने एनडीए से गठबंधन तोड़ लिया था.इसके बाद से ही प्रभाकर निशाने पर आ गए थे.इस मामले में वाईएसआर कांग्रेस सहित कुछ विपक्षी दलों ने प्रभाकर के पद पर बने रहने पर मुख्यमंत्री की प्रतिबद्धता पर सवाल उठाया था. विपक्ष इस मामले में सरकार पर हमलावर था. आपको जानकारी दे दें कि 1994 में प्रभाकर नरसापुर सीट पर कांग्रेस से चुनाव लड़ चुके हैं.

रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण के पति पी प्रभाकर ने अंततः आंध्र प्रदेश सरकार के सलाहकार (संचार) के पद से इस्तीफा दे ही दिया. जब से टीडीपी ने एनडीए से बाहर होने का निर्णय लिया उसके बाद से ही यह संभावना …

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योगेंद्र यादव का ट्वीट, खूब हुई केजरीवाल की पब्लिसिटी…..

मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल नौ दिनों से उप राज्यपाल के दफ्तर में धरने पर बैठे. कल उसका अंत हुआ मगर केजरीवाल पर विपक्षी हमले जारी है.इसी बीच टीम केजरीवाल के बागी भी पीछे नहीं है. अब योगेंद्र यादव ने ट्वीट किया कि खेल खत्म, फुटेज हजम. दस दिन के इस ड्रामे से आखिर दिल्ली की जनता को क्या मिला. मुख्यमंत्री ने अफसरों से अपील की, अफसरों और मंत्रियों की मीटिंग तय हो गई. क्या एलजी ने बैठक बुलाई, हड़ताल तुड़वाई? आखिर राशन डिलीवरी की मांग कहां गई, हां पब्लिसिटी खूब हुई. और क्या चाहिए. धरना ख़त्म होने के बाद दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने प्रेस कॉन्फ्रेंस भी की. उन्होंने कहा कि ज्यादातर अधिकारी काम पर लौट आए हैं. अधिकारियों ने मंत्रियों की बैठक में हिस्सा लिया. मनीष सिसोदिया ने दूसरे मंत्रियों के साथ मंगलवार को कामकाज संभाला था. हालांकि, मनीष सिसोदिया ने कहा कि हमने एलजी हाउस पर धरना नहीं दिया था, हम LG साहब से मिलने के लिए इंतज़ार कर रहे थे. राशन की बात अब हम जनता के बीच में जाकर ही करेंगे. मनीष सिसोदिया ने कहा कि सभी मंत्रियों की तरफ से कुछ रिव्यू बैठक बुलाई गई है. दलाई लामा को एक कार्यक्रम में दिल्ली आना है, उस आयोजन के लिए कल एक बैठक बुलाई गई है.

मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल नौ दिनों से उप राज्यपाल के दफ्तर में धरने पर बैठे. कल उसका अंत हुआ मगर केजरीवाल पर विपक्षी हमले जारी है.इसी बीच टीम केजरीवाल के बागी भी पीछे नहीं है. अब योगेंद्र यादव ने ट्वीट किया …

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8 बार लग चूका है घाटी में राज्यपाल का शासन, जानिए क्यों

जम्मू-कश्मीर में इस समय हालत बद से बदतर बने हुए है, ऐसे दौर में कश्मीर में शान्ति की वकालत करने वाले कुछ लोगों के लिए भाजपा और पीडीपी गठबंधन का टूटना निराशाजनक फैसला है. ऐसे में आपको बता दें, कश्मीर में राज्यपाल का शासन लगने वाला है लेकिन उसके विपरीत यह कश्मीर के लिए कोई नई बात नहीं है यहाँ पर पिछले 40 सालों में आठ बार राज्यपाल का शासन लग चूका है. बता दें, राज्य में 2008 से राज्यपाल का पद संभाले हुए एन एन वोहरा के रहते हुए ही यह चौथा मौका है जब कश्मीर में सरकारों के बीच मतभेद नजर आ रहे है, हालाँकि कुछ जगह राज्यपाल शासन लगाने के पीछे दूसरे कारण थे जिनमें पिछली बार मुफ्ती मोहम्मद सईद के निधन के बाद आठ जनवरी 2016 को जम्मू-कश्मीर में राज्यपाल शासन लागू हुआ था. उस दौरान पीडीपी और भाजपा ने कुछ समय के लिए सरकार गठन को टालने का निर्णय किया था. कश्मीर के हालातों की मुख्य वजह जो है वो यह है कि 2015 के जम्मू कश्मीर विधानसभा चुनाव के बाद यहाँ पर भाजपा और पीडीपी में गठबंधन हुआ था. दोनों दलों ने यहाँ पर मिलकर सरकार चलाने का ऐलान किया था लेकिन मंगलवार को भाजपा ने इस गठबंधन से अपना नाम वापस ले लिया, जिसके बाद एक बार यहाँ पर हालात एक बार ऐसे हो गए है जब कश्मीर के लोगों के लिए किसी प्रकार का कोई नेतृत्व यहाँ पर मौजूद नहीं है.

जम्मू-कश्मीर में इस समय हालत बद से बदतर बने हुए है, ऐसे दौर में कश्मीर में शान्ति की वकालत करने वाले कुछ लोगों के लिए भाजपा और पीडीपी गठबंधन का टूटना निराशाजनक फैसला है. ऐसे में आपको बता दें, कश्मीर …

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पाक आम चुनाव: पूर्व पीएम अब्बासी और इमरान खान के नामांकन पत्र खारिज

बड़े नेताओं को झटका देते हुए पाकिस्तान के निर्वाचन आयोग ने इस्लामाबाद के एनए- 53 निर्वाचन क्षेत्र के लिए पूर्व प्रधानमंत्री और पीएमएल-एन नेता शाहिद खाकान अब्बासी और पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ के प्रमुख इमरान खान के नामांकन पत्र आज खारिज किए. डॉन अखबार की एक खबर के मुताबिक निर्वाचन अधिकारी ने एनए- 53 के लिए अब्बासी और उनके वैकल्पिक उम्मीदवार सरदार महताब के नामांकन पत्र खारिज कर दिए. दोनों उम्मीदवार आवश्यकता के अनुसार हलफनामा दायर करने में नाकाम रहे थे. चुनाव अधिकारी के मुताबिक अब्बासी ने अपने दस्तावेजों के साथ टैक्स रिटर्न की जानकारी जमा नहीं की. उम्मीदवारों ने मंगलवार को चुनाव न्यायाधिकरण में फैसले को चुनौती देने की बात कही है. खान के नामांकन पत्र को भी पूरी जानकारी ना होने के चलते खारिज कर दिया गया. ऐतिहासिक हैं ये चुनाव आपको बता दें की पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान में 25 जुलाई को आम चुनाव होने हैं. ये चुनाव इसलिए ऐतिहासिक हैं क्योंकि पिछली सरकार ऐसी दूसरी सरकार थी जिसने अपने पांच सालों का कार्यकाल पूरा किया था. आपको मालूम होगा कि भारत और पाकिस्तान को एक साथ आज़ादी मिली थी. लेकिन एक तरफ जहां भारत में 1975 में तकरीबन 18 महीनों के लिए लगाई गई इमरजेंसी के अलावा हमेशा लोकतांत्रिक सरकार रही है. वहीं, पाकिस्तान में पिछली दो सरकारों को छोड़कर कोई भी लोकतांत्रिक सरकार अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाई है.

बड़े नेताओं को झटका देते हुए पाकिस्तान के निर्वाचन आयोग ने इस्लामाबाद के एनए- 53 निर्वाचन क्षेत्र के लिए पूर्व प्रधानमंत्री और पीएमएल-एन नेता शाहिद खाकान अब्बासी और पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ के प्रमुख इमरान खान के नामांकन पत्र आज खारिज किए. …

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संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद से बाहर हुआ अमेरिका

अमेरिकी राष्ट्रपति ने एक और बड़ा फैसला लेते हुए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद से बाहर होने का फैसला कर लिया है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार संयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी राजदूत निक्की हैली ने एक बयान में कहा है कि अमेरिका यह कदम उठाने जा रहा है क्योंकि मानवाधिकार परिषद इस नाम के योग्य नहीं है। जानकारी के अनुसार हैली ने कहा कि जब तथाकथित मानवाधिकार परिषद वेनेजुएला और ईरान में हो रहे मानवाधिकारों के उल्लंघन पर कुछ नहीं बोल पाती और कांगो जैसे देश का अपने नए सदस्य के तौर पर स्वागत करता है तो वह मानवाधिकार काउंसिल कहलाने का अधिकार खो देती है। अमेरीका के विदेश मंत्री माइक पोम्पियो और संयुक्त राष्ट्र के लिए अमेरीका की दूत निकी हेली ने एक साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इस बात की घोषणा की. निकी हैली ने कहा कि अमेरिका संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद से बाहर हो रहा है। उन्‍होंने कहा, 'मैं यह स्पष्ट कर देना चाहती हूं कि यह कदम हमारे मानवाधिकार प्रतिबद्धताओं से पीछे हटना नहीं है। ये इसके विपरीत है। हमने यह कदम इसलिए उठाया, क्योंकि हमारी प्रतिबद्धता हमें एक पाखंडी और आत्म-सेवा संगठन का हिस्सा बनने की अनुमति नहीं देती है, जो मानव अधिकारों का मजाक उड़ाती है।' हेली ने पिछले साल ही सदस्यता वापस लेने की धमकी दी थी। उस समय उन्होंने इजरायल के खिलाफ परिषद पर पक्षपात करने का आरोप लगाया था। लेकिन मंगलवार की घोषणा यूएन मानवाधिकार परिषद प्रमुख द्वारा ट्रंप प्रशासन की निंदा किए जाने के एक दिन बाद की गई है। एक दिन पहले यूएन मानवाधिकार परिषद प्रमुख ने अप्रवासी बच्चों को उनके माता-पिता से अलग करने के लिए ट्रंप प्रशासन की निंदा की थी। गौरतलब है कि अमेरिका ने पूर्व राष्ट्रपति जॉर्ज डब्‍ल्‍यू बुश के शासन काल में भी तीन साल तक मानवाधिकार परिषद का बहिष्‍कार किया था, लेकिन ओबामा के राष्‍ट्रपति बनने के बाद 2009 में वह इस परिषद में फिर से शामिल हुआ था।

अमेरिकी राष्ट्रपति ने एक और बड़ा फैसला लेते हुए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद से बाहर होने का फैसला कर लिया है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार संयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी राजदूत निक्की हैली ने एक बयान में कहा है कि अमेरिका …

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गाजा विवाद बढ़ा, इजरायल ने मार गिराईं 25 मिसाइलें

गाजा पट्टी पर चल रही हिंसा अब बड़ा रूप लेती जा रही है. मंगलवार देर शाम को गाजा की तरफ से करीब 30 मिसाइलें इजरायल की तरफ दागी गईं थीं. बुधवार सुबह इजरायली सेना ने बयान जारी कर कहा कि 30 में से 25 टारगेट को मार गिराया गया है. पहले भी बनाया था निशाना इससे पहले भी इजरायली वायुसेना ने सोमवार को गाजा पट्टी पर हमास के नौ ठिकानों को निशाना बनाते हुए हमले किए. समाचार एजेंसी 'एफे' के अनुसार, इजरायली सेना ने दो सैन्य शिविरों और गोला बारूद के एक कारखाने को निशाना बनाया था. रिपोर्ट में कहा गया कि ये हमले पिछले कुछ सप्ताह के दौरान इजराइली क्षेत्र में जलते हुए गुब्बारों और पतंगें छोड़ने की घटना के प्रतिक्रियास्वरूप किए गए हैं. हालांकि, इस दौरान किसी को चोट नहीं आई है. क्यों है विवाद? इजरायली सेना ने कहा कि प्रदर्शनकारियों ने बाड़बंदी के पास तैनात इजरायली सैनिकों पर देसी बम, जलते हुए टायर तथा पत्थर फेंके थे. दूतावास संबंधी यह कदम विवादास्पद है क्योंकि फिलिस्तीनी लोग यरूशलम के एक हिस्से को अपनी भविष्य की राजधानी मानते हैं. अरब जगत में अनेक लोगों के लिए यह इस्लाम से संबंधित सबसे पवित्र स्थलों में से एक है. शहर में यहूदियों और ईसाइयों के भी धार्मिक स्थल हैं. मुद्दा इतना विवादास्पद है कि अंतरराष्ट्रीय वार्ताकारों ने शांति समझौतों के अंतिम चरणों में यरूशलम से जुड़े प्रश्न को छोड़ दिया था. सयुंक्त राष्ट्र ने भी की निंदा संयुक्त राष्ट्र महासचिव एतोनियो गुतारेस ने भी प्रदर्शन के दौरान इस्राइल की गोलीबारी में बड़ी संख्या में फलस्तीनियों की मौत पर दुख जताते हुए चेतावनी दी थी कि गाजा युद्ध की कगार पर खड़ा है. गुतारेस ने कहा कि 30 मार्च को शुरू हुए प्रदर्शन के बाद से हताहत हुए फिलस्तिनियों की संख्या से वो काफी स्तब्ध हैं. जिसमें अब तक 132 फिलस्तीनी मारे जा चुके हैं और रेड क्रॉस के आंकड़ों के अनुसार 13,000 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं. आपको बता दें कि अभी कुछ ही दिनों पहले गाजा पट्टी के पास लाखों फिलिस्तीनी प्रदर्शन करने उतरे थे. इस दौरान उनपर गोलीबारी की गई थी. जिसके विश्वस्तर पर काफी निंदा हुई थी.

गाजा पट्टी पर चल रही हिंसा अब बड़ा रूप लेती जा रही है. मंगलवार देर शाम को गाजा की तरफ से करीब 30 मिसाइलें इजरायल की तरफ दागी गईं थीं. बुधवार सुबह इजरायली सेना ने बयान जारी कर कहा कि …

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ट्रंप ने कनाडा पर लगाया अमेरिकी जूतों की तस्करी का आरोप

ट्रंप ने बताया बेईमान ट्रंप ने अपने ट्वीट में लिखा कि पीएम जस्टिन ट्रूडो ने जी-7 सम्मेलन के दौरान बहुत की हल्का व्यवहार किया और कहा कि अमेरिका ने जो टैरिफ लगाए हैं वो अपमानजनक हैं. ट्रंप ने आगे उन्हें बेईमान और कमजोर लिखते हुए कहा कि हमारे टैरिफ डेयरी पर उनके (ट्रूडो) 270% के बदले हैं.

अमेरिका और कनाडा के संबंध लगातार बिगड़ते जा रहे हैं. राष्ट्रीय सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए कनाडाई धातुओं पर शुल्क लगाने के बाद अब डोनाल्ड ट्रम्प ने अमेरिका के उत्तरी पड़ोसी पर फिर से निशाना साधा है और दावा …

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इमरान खान का नामांकन रद्द

तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी के प्रमुख और पूर्व क्रिकेटर इमरान खान की मुश्किलें कम होने का नाम ही नहीं ले रही है. जहा एक ओर हर रोज एक नया विवाद उनके दामन से चिपक रहा है वही अब पाकिस्तान चुनाव आयोग ने मंगलवार को इमरान खान का नामांकन पत्र खारिज कर दिया. पाकिस्तान में अगले महीने होने वाले चुनावों के लिए सरगर्मिया तेज हो गई है. आयोग ने इससे पहले पूर्व प्रधानमंत्री और पीएमएल एन नेता शाहिद खाकान अब्बासी और पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ का नामांकन पत्र भी खारिज कर दिए है. 25 जुलाई को पाक में आम चुनाव होने हैं और फिलहाल वहां कार्यवाहक सरकार देश को चला रही है. पाकिस्तान में कुल 10.5 करोड़ मतदाता है जिनमे करीब 6 करोड़ पुरुष और 4.6 करोड़ महिला वोटर्स है. निर्वाचन अधिकारी ने इस्लामाबाद के एनए-53 के लिए अब्बासी और उनके वैकल्पिक उम्मीदवार सरदार महताब के नामांकन पत्र खारिज कर देने के बाद अब इमरान को भी झटका दिया है. ये खबर पाकिस्तान के मुख्य अख़बार डॉन के मुताबिक मिली है. दोनों उम्मीदवार आयोग के सामने जरूरी हलफनामा और टैक्स रिटर्न की जानकारी मुहैया नहीं करवा पाए .इमरान खान इन दिनों लगातार विवादों में है. उनकी पूर्व पत्नी रेहम खान की एक किताब ने उनकी जिंदगी में भूचाल लाया हुआ है. वही वे खुद नारीवाद पर विवादित बयान दे कर फ़स चुके है. तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी के प्रमुख और पूर्व क्रिकेटर इमरान खान की मुश्किलें कम होने का नाम ही नहीं ले रही है. जहा एक ओर हर रोज एक नया विवाद उनके दामन से चिपक रहा है वही अब पाकिस्तान चुनाव आयोग ने मंगलवार को इमरान खान का नामांकन पत्र खारिज कर दिया. पाकिस्तान में अगले महीने होने वाले चुनावों के लिए सरगर्मिया तेज हो गई है. आयोग ने इससे पहले पूर्व प्रधानमंत्री और पीएमएल एन नेता शाहिद खाकान अब्बासी और पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ का नामांकन पत्र भी खारिज कर दिए है. 25 जुलाई को पाक में आम चुनाव होने हैं और फिलहाल वहां कार्यवाहक सरकार देश को चला रही है. पाकिस्तान में कुल 10.5 करोड़ मतदाता है जिनमे करीब 6 करोड़ पुरुष और 4.6 करोड़ महिला वोटर्स है. निर्वाचन अधिकारी ने इस्लामाबाद के एनए-53 के लिए अब्बासी और उनके वैकल्पिक उम्मीदवार सरदार महताब के नामांकन पत्र खारिज कर देने के बाद अब इमरान को भी झटका दिया है. ये खबर पाकिस्तान के मुख्य अख़बार डॉन के मुताबिक मिली है. दोनों उम्मीदवार आयोग के सामने जरूरी हलफनामा और टैक्स रिटर्न की जानकारी मुहैया नहीं करवा पाए .इमरान खान इन दिनों लगातार विवादों में है. उनकी पूर्व पत्नी रेहम खान की एक किताब ने उनकी जिंदगी में भूचाल लाया हुआ है. वही वे खुद नारीवाद पर विवादित बयान दे कर फ़स चुके है.

तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी के प्रमुख और पूर्व क्रिकेटर इमरान खान की मुश्किलें कम होने का नाम ही नहीं ले रही है. जहा एक ओर हर रोज एक नया विवाद उनके दामन से चिपक रहा है वही अब पाकिस्तान चुनाव आयोग ने …

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जम्मू-कश्मीर में क्यों टूटा बीजेपी-पीडीपी गठबंधन? ये है बड़ी वजह

रातनीति में यह तय है की कुछ भी तय नहीं है. करीब तीन साल पहले राजनीतिक विचारधारा को दरकिनार कर सत्ता के लिए एकजुट हुई भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) ने कल एक-दूसरे से नाता तोड़ लिया. सूबे में राज्यपाल शासन लागू कर दिया गया है. यानि केंद्र अप्रत्यक्ष रूप से राज्य में शासन चलाएगी. गठबंधन टूटने के पीछे दोनों पार्टी एक दूसरे को जिम्मेदार ठहरा रही है. बीजेपी कल तक सरकार में रहने के बावजूद आरोप लगा रही है कि महबूबा मुफ्ती आतंकवाद को रोकने में नाकामयाब रही. वहीं पीडीपी का कहना है कि घाटी में जोर-जबरदस्ती की नीति कारगर नहीं होगी. गठबंधन टूटने की ये वो वजहें हैं जो आधिकारिक प्रेस कांफ्रेंस में गिनाई गई. लेकिन असल कारण केवल यही नहीं है. दरअसल, फरवरी 2015 में जब बीजेपी-पीडीपी ने गठबंधन का रास्ता चुना तभी से यह सवाल उठने लगा था कि यह गठबंधन कितने दिनों तक खींचेगी? तब मुफ्ती मोहम्मद सईद (दिवंगत) ने कहा था कि यह नॉर्थ पोल और साउथ पोल का गठबंधन है. हालांकि दोनों दलों ने कॉमन मिनिमम प्रोग्राम का फॉर्मूला तैयार किया और सरकार चलती रही. लेकिन बीजपी और पीडीपी के बीच वैचारिक मतभेद कभी कम नहीं हुई. अफस्पा, अनुच्छेद 35ए, अलगाववादियों की गिरफ्तारी, पाकिस्तान से बातचीत, कठुआ गैंगरेप जांच को लेकर बीजेपी-पीडीपी में मतभेद ही नहीं मनभेद भी रहे. BJP के समर्थन खींचने के बाद जम्मू-कश्मीर में गिरी महबूबा सरकार, राज्यपाल शासन लागू अनुच्छेद 370: भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) कश्मीर को लेकर पूरे देश में प्रचारित करती रही है कि वह अनुच्छेद 370 को लेकर उसका रुख साफ है और वह खत्म करेगी. वहीं पीडीपी किसी भी कीमत पर इसके लिए न तैयार थी और न ही होगी. यही वजह थी की कॉमन मिनिमम प्रोग्राम में अनुच्छेद 370 को अलग रखा गया था. कल ही पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने कहा कि हमें संविधान के अनुच्छेद 370 और राज्य के विशेष दर्जे के बारे में आशंका थी. हमने अनुच्छेद 370 और अनुच्छेद 35 ए की रक्षा की है. क्या है धारा 370? साल 1954 में राष्ट्रपति के एक आदेश के बाद संविधान में यह अनुच्छेद जोड़ा गया था, जो जम्मू एवं कश्मीर के लोगों को विशेषाधिकार प्रदान करता है, और राज्य विधानसभा को कोई भी कानून बनाने का अधिकार देता है, जिसकी वैधता को चुनौती नहीं दी जा सकती. यह अनुच्छेद जम्मू एवं कश्मीर के लोगों को छोड़कर बाकी भारतीय नागरिकों को राज्य में अचल संपत्ति खरीदने, सरकारी नौकरी पाने और राज्य सरकार की छात्रवृत्ति योजनाओं का लाभ लेने से रोकता है. सुरक्षाबलों को मिली बड़ी कामयाबी, त्राल में जैश के ऑपरेशन कमांडर सहित तीन ढेर अनुच्छेद 35 ए: अनुच्छेद 35 ए अनुच्छेद 370 का ही हिस्सा है. इसपर बीजेपी और पीडीपी में शुरुआत से ही मतभेद रहा है. अनुच्छेद 35 ए के तहत जम्मू-कश्मीर के लोगों को विशेषाधिकार और सुरक्षा हासिल है. पीडीपी इस अनुच्छेद को सुरक्षित रखना चाहती है और बीजेपी देश के सभी नागरिकों के लिए समान विशेषाधिकार चाहती है. इस धारा को एनजीओ वी द सिटिजन्स ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है, जिस पर केंद्र सरकार ने कहा है कि इस धारा को असंवैधानिक घोषित करने के लिए इस मुद्दे पर पर्याप्त बहस करने की जरूरत है. अफस्पा: जम्मू-कश्मीर में अफ्सपा यानि (आर्म्ड फोर्सेस स्पेशल पावर एक्ट) लागू है. केंद्र इसे हटाने पर सहमत नहीं है वहीं पीडीपी इसे हटाने के पक्ष में रही है. सेना का आतंकियों के खिलाफ बड़े स्तर पर राज्य में ऑपरेशन जारी है. ऐसे समय में केंद्र सरकार झुके यह संभव नहीं था. अफस्पा सेना को 'डिस्टर्ब्ड एरिया' में कानून व्यवस्था बनाए रखने की ताकत देता है. इसके तहत सेना पांच या इससे ज्यादा लोगों को एक जगह इक्ट्ठा होने से रोक सकती है. इसके तहत सेना को वॉर्निंग देकर गोली मारने का भी अधिकार है. ये कानून सेना को बिना वारंट के किसी को भी गिरफ्तार करने की ताकत देता है. इसके तहत सेना किसी के घर में बिना वारंट के घुसकर तलाशी ले सकती है. जम्मू कश्मीर: आखिर महबूबा मुफ्ती से चूक कहां हो गई? पाकिस्तान से बातचीत: कश्मीर में आतंकियों को भेजने की फैक्ट्री पाकिस्तान को लेकर पीडीपी और बीजेपी में विवाद रहा. सीमा पर पाकिस्तान की तरफ से लगातार गोलीबारी और आतंकियों की घुसपैठ के बावजूद पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती पाकिस्तान से बातचीत का राग अलापती रही. वहीं केंद्र की बीजेपी सरकार ने साफ कर दिया की वह तब तक बातचीत नहीं करेगी जबतक कि पाकिस्तान सीमा पर शांति बहाल नहीं करता है. रमजान सीजफायर: रमजान के मौके पर जम्मू-कश्मीर में सीजफायर लागू करने के लिए महबूबा मुफ्ती ने दबाव बनाया था. जिसके बाद केंद्र ने 16 मई को सीजफायर की घोषणा की. जिसकी वजह से आतंकी वारदातों में बढ़ोतरी हुई. केंद्र सरकार को आलोचनाओं का सामना करना पड़ा. पिछले दिनों केंद्र ने फिर से सीजफायर खत्म कर दिया. अलगाववादियों की गिरफ्तारी: केंद्र में मोदी सरकार बनने के बाद अलगाववादियों के खिलाफ बड़े स्तर पर कार्रवाई शुरू हुई. टेरर फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में शब्बीर शाह समेत कम से कम 11 अलगाववादी नेताओं को केंद्रीय जांच एजेंसियों ने गिरफ्तार किया. पीडीपी का कहना था कि गिरफ्तारी से राज्य की स्थिति और खराब हो सकती है. इन कारणों से बीजेपी ने छोड़ा महबूबा मुफ्ती का 'साथ' पत्थरबाजी: जम्मू-कश्मीर में सुरक्षाबलों के खिलाफ पत्थरबाजी आम है. पीडीपी हमेशा पत्‍थरबाजों पर रहम की मांग करती रही है. जब पत्थरबाजों से बचने के लिए मेजर लीतुल गोगोई ने एक शख्स को मानव ढाल बनाया तो जम्मू-कश्मीर सरकार उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करने से भी नहीं चूकी. वहीं बीजेपी की इस मामले में बिल्कुल अलग राय है. वह पत्थरबाजों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का दावा करती रही है. कठुआ गैंगरेप: जम्मू-कस्मीर में नाबालिग लड़की से गैंगरेप के मामले की जांच को लेकर राज्य बीजेपी के कई नेता और मंत्री सवाल उठाते रहे. बीजेपी के दो मंत्रियों ने आरोपियों के पक्ष में रैलियां निकाली. दोनों मंत्रियों को काफी आलोचनाओं के बाद इस्तीफा देना पड़ा.

रातनीति में यह तय है की कुछ भी तय नहीं है. करीब तीन साल पहले राजनीतिक विचारधारा को दरकिनार कर सत्ता के लिए एकजुट हुई भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) ने कल एक-दूसरे से नाता तोड़ …

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सेना ने बनाई आतंकियों की हिटलिस्ट, टॉप 10 में शामिल हैं ये दहशतगर्द

करीब एक महीने के सीजफायर के बाद सुरक्षाबलों ने आतंकियों के खिलाफ एक बार फिर कमर कस ली है. 17 जून को गृह मंत्रालय के आदेश के बाद से ही सेना और सुरक्षा एजेंसियों ने अपनी नयी हिटलिस्ट तैयार कर ली है. इस लिस्ट में राइफलमैन औरंगजेब की हत्या की पूरी साजिश करने वाले ठोकर का नाम सबसे ऊपर है. 1. जहूर अहमद ठोकर- जहूर पुलवामा का रहने वाला है और पहले भारतीय सेना की टेरिटोरियल आर्मी विंग में था, लेकिन 2017 के आखिर में ये हिज्बुल मुजाहिदीन में शामिल हो गया. 2. जाकिर मूसा- दरअसल, समीर टाइगर के मरने के बाद से ही मूसा अपने आप में आतंकियों के लिए बड़ा नाम बन गया है. सुरक्षा एजेंसियों की हिटलिस्ट में दूसरा नाम जाकिर मूसा का है जिसे a++ कैटेगरी में रखा गया है. इसने अपना नया संगठन गजावत उल हिन्द बनाया है. 3. जाहिद टाइगर- डाहिद पुलवामा के डरबगम का रहने वाला है और आतंकी समीर टाइगर का चचेरा भाई है. समीर टाइगर वो ही आतंकी था जिसमें कुछ दिन पहले सेना ने उसके अंजाम तक पहुंचाया था. 4. बिलाल भट्ट- बिलाल दक्षिण कश्मीर का रहने वाला है और पिछले साल ही ये हिज्बुल मुजाहिदीन में शामिल हुआ है. 5. दानिश खलिम- दानिश कश्मीर में आतंक का गढ़ माने जाने वाले त्राल का रहने वाला है. सुरक्षाबलों को जो जानकारी मिली है उसके अनुसार बुरहान वानी के सफाये के बाद से ही ये आतंकियों के सम्पर्क में आया और 2017 में आतंकी संगठन जैश ए मोहम्मद में शामिल हुआ. 6. समीर अहमद सेह- समीर पढ़ा-लिखा और काफी टेक्नो सेवी आतंकी है. समीर कोड वर्ड में वकास भाई के नाम से मशहूर है. समीर शोपियां का रहने वाला है. 7. जुबेर टाइगर- जुबेर दक्षिण कश्मीर का रहने वाला है. कुछ समय पहले ही ये हिज्बुल मुजाहिदीन में शामिल हुआ है. 8. कासिम लश्करी- कासिम विदेशी आतंकी है जो कि इस्लामाबाद का रहने वाला है. सुरक्षा एजेंसियों के मुताबिक कासिम का मुख्य टारगेट 16 से 20 साल के वो युवा होते हैं जो स्कूल और कॉलेज के ड्रॉप आउट होते हैं. कासिम a++ कैटेगरी का आतंकी है. 9. लियाकत हिजबी- लियाकत पुलवामा का रहने वाला है और कई बार कासिम लश्करी के साथ कई बार देखा गया है. 10. मनास वानी और आदिल नोमान- ये दोनों आतंकी कश्मीर में एक ही गांव के हैं और अक्सर साथ ही देखे गए हैं.

करीब एक महीने के सीजफायर के बाद सुरक्षाबलों ने आतंकियों के खिलाफ एक बार फिर कमर कस ली है. 17 जून को गृह मंत्रालय के आदेश के बाद से ही सेना और सुरक्षा एजेंसियों ने अपनी नयी हिटलिस्ट तैयार कर …

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