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FIFA World Cup : 40 साल बाद फुटबॉल विश्व कप में जीता यह देश

नॉकआउट की दौड़ से पहले ही बाहर हो चुकीं पनामा और ट्यूनीशिया के लिए यह प्रतिष्ठा का मुकाबला था। ट्यूनीशिया ने इसका फायदा उठाते हुए 40 साल बाद विश्व कप में जीत हासिल की। 1978 विश्व कप में आखिरी बार टयूनीशिया ने इससे पहले कोई मुकाबला जीता था। ट्यूनीशिया के मजबूत डिफेंस के आगे पनामा टिक नहीं पाई और एक आत्मघाती गोल करने के बावजूद 2-1 से मुकाबला जीता। मैच के 41वें मिनट में ट्यूनीशिया के पास गोल करने का एक बेहतरीन मौका था। मैच के 55वें मिनट में पनामा के स्टार खिलाड़ी टोरेस चोटिल हो गए। टोरेस की जगह लुइस तेजाडा को मैदान में भेजा गया। मैच के 71वें मिनट में ट्यूनीशिया के एनिसे बादरी को यलो कार्ड दिखाया गया। मैच के 73वें मिनट में पनामा को फ्री किक का मौका मिला, लेकिन गोल करने का मौका चूक गया। इस दौरान ट्यूनीशिया ने दूसरा बदलाव करते हुए नाइम स्तिति की जगह अहमद खलील को मैदान में भेजा। इस बीच गोल करने की जल्दबाजी में पनामा दो मिनट के अंदर ही दो यलो कार्ड ले बैठा। 90वें मिनट में पनामा के पास गोल करने का एक बेहतरीन मौका आया, लेकिन बॉक्स के अंदर खड़े चारों ही खिलाड़ी गोल करने से चूक गए। इंजुरी टाइम में ट्यूनीशिया के घेलन चालेली को यलो कार्ड दिखाया गया, जबकि इसके कुछ ही देर बाद पनामा के लुइस तेजाडा को मैच का आखिरी यलो कार्ड दिखाया गया और इसी के साथ पनामा का विश्व कप इतिहास की पहली जीत दर्ज करने का सपना चकनाचूर हो गया। वह 1-2 से यह मुकाबला हारकर विश्व कप से विदा हो गई। गोल का खेल : पहले हाफ के 33वें मिनट में ही ट्यूनीशिया खुद गलती कर बैठी। पनामा के जोस रोड्रिगुज ने बॉक्स के बाहर से शॉट खेला। बॉक्स के अंदर खड़े टयूनीशिया के यासिन मारिया बायें हाथ पर खड़े मथलोथी को पास देना चाहते थे, लेकिन वह गलत शॉट खेल गए और गेंद उनके खुद के ही गोल पोस्ट में समा गई। इसी के साथ पनामा ने मैच में 1-0 की बढ़त बना ली। ट्यूनीशिया ने दूसरे हाफ में शानदार आक्रमण किया। वाहबी खाजरी दायें ओर से गेंद को लेकर गोल पोस्ट के करीब आए और उन्होंने फखरेददीने को पास दिया। 51वें मिनट में यूसुफ ने खाजरी से मिले पास को गोल में तब्दील करके स्कोर को 1-1 की बराबरी पर कर दिया। 66वें मिनट में ओसामा हदीदी ने गोल पोस्ट के बायें ओर से खाजरी को शानदार पास दिया। खाजरी ने मौका नहीं चूकते हुए गेंद को गोल पोस्ट के अंदर पहुंचा दिया और इसी के साथ ट्यूनीशिया ने मैच में 2-1 की बढ़त बना ली। इसी के साथ खाजरी टयूनीशिया की ओर से एक विश्व कप में दो गोल दागने वाले पहले खिलाड़ी भी बन गए।

नॉकआउट की दौड़ से पहले ही बाहर हो चुकीं पनामा और ट्यूनीशिया के लिए यह प्रतिष्ठा का मुकाबला था। ट्यूनीशिया ने इसका फायदा उठाते हुए 40 साल बाद विश्व कप में जीत हासिल की। 1978 विश्व कप में आखिरी बार …

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IND vs IRL दूसरा T20 मैच आज, कब और कहां देखें

IND vs IRL दूसरा T20 मैच आज, कब और कहां देखें

टीम इंडिया और आयरलैंड के बीच दो मैचों की टी-20 सीरीज का दूसरा और आखिरी मुकाबला शुक्रवार को डब्लिन के मालाहाइड क्रिकेट क्लब ग्राउंड में खेला जाएगा. भारत ने बुधवार को खेले गए पहले मैच में आयरलैंड को 76 रनों से …

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सहवाग ने कहा इसे टीम से बाहर निकालो

भारतीय टीम हालिया ब्रिटेन दाैर पर है, जहां पर वह पहले आयरलैंड के खिलाफ दो मैचों की टी20 सीरीज खेल रही है. बता दें कि जिसका एक मैच 27 जून को हो चुका है जिसमें भारत ने एकतरफा 76 रनों से आयरलैंड को हराया था और दूसरा मैच आज खेला जाएगा. पर इस मैच से पहले क्रिकेटर वीरेंद्र सहवाग ने मांग की है कि पहले मैच से बाहर रहने वाले केएल राहुल को टीम में माैका दिया जाना चाहिए. इस बारे में सहवाग ने कहा, 'टीम इंडिया को अपनी ओपनिंग जोड़ी शिखर धवन और रोहित शर्मा में बदलाव नहीं करना चाहिए. मगर तीसरे नंबर पर राहुल को मौका मिलना चाहिए. उन्हें दिनेश कार्तिक की जगह मौका दिया जाना चाहिए. चौथे नंबर पर विराट कोहली और एमएस धोनी को उतरना चाहिए. राहुल को मौका इसलिए मिलना चाहिए क्योंकि वह बल्लेबाजी में गहराई लाएंगे' अपने समय के विस्फोटक बल्लेबाज रहे सहवाग ने शायद इसलिए यह राय दी क्योंकि राहुल ने आईपीएल में शानदार बल्लेबाजी की थी आैर अपने दम पर किंग्स इलेवन पंजाब को मैच भी जितवाए. आईपीएल में राहुल ने 14 मैचों में 6 अर्धशतकों की मदद से 659 रन बनाए थे. इसके साथ ही राहुल तीसरे बल्लेबाडज रहे जिन्होंने आईपीएल में सबसे ज्यादा रन बनाए थे.

भारतीय टीम हालिया ब्रिटेन दाैर पर है, जहां पर वह पहले आयरलैंड के खिलाफ दो मैचों की टी20 सीरीज खेल रही है. बता दें कि जिसका एक मैच 27 जून को हो चुका है जिसमें भारत ने एकतरफा 76 रनों …

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इंग्लैंड टूर को लेकर यह बोले रोहित

भारत के हिटमैन रोहित को लगता है कि अगर टीम इंडिया आयरलैंड को इस मैच में भी हराकर सीरीज 2-0 से अपने नाम करती है तो इंग्लैंड दौरे से पहले यह 'मेन इन ब्लू' के लिए आत्मविश्वास भरने का काम करेगा. टीम इंडिया के धुआंधार ओपनर रोहित शर्मा ने इंग्लैंड दौरे से पहले यह बयान दिया है. बता दें कि शुक्रवार रात भारतीय क्रिकेट टीम को आयरलैंड के खिलाफ दूसरा टी-20 मुकाबला खेलना है. बता दें कि इंग्लैंड से 3 जुलाई से शुरू हो रही इंग्लैंड सीरीज में पहले टीम को 3 टी-20 मैच की सीरीज खेलनी है फिर 3 वनडे मैच की वनडे सीरीज भी यहाँ खेलनी है. इस श्रंखला का अंत 5 टेस्ट से होगा. जहां भारतीय टीम इंडिया की अग्नि परीक्षा होगी. इससे पहले रोहित शर्मा ने कहा कि, इंग्लैंज दौरा एक चुनौतीपूर्ण सफर है. ऐसे में आयरलैंड के खिलाफ हुए यह 2 टी-20 मैच टीम के लिए अच्छे अभ्यास मैच का काम कर रहे हैं. उम्मीद है कि अगर हम दूसरे मैच में आयरलैंड के खिलाफ अच्छा प्रदर्शन जारी रखेंगे, तो इस जीत से हमें इंग्लैंड दौरे पर विश्वास मिलेगा' साथ ही रोहित ने कहा लंबे समय बाद देश के लिए खेल अच्छा रहा मैंने और शिखर धवन ने एक बड़ी साझेदारी की और टीम को मैच दिलाया'

भारत के हिटमैन रोहित को लगता है कि अगर टीम इंडिया आयरलैंड को इस मैच में भी हराकर सीरीज 2-0 से अपने नाम करती है तो इंग्लैंड दौरे से पहले यह ‘मेन इन ब्लू’ के लिए आत्मविश्वास भरने का  काम …

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स्विस बैंकों में डेढ़ गुना हुआ भारतीयों का धन

भारत में कालेधन पर एक के बाद एक चोट के बीच स्विस बैंकों को पिछले साल भारतीयों ने मालामाल कर दिया है। स्विट्जरलैंड में बैंकों के नियामक स्विस नेशनल बैंक (एसएनबी) द्वारा गुरुवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक भारतीयों ने पिछले वर्ष स्विस बैंकों में 101 करोड़ स्विस फ्रैंक (करीब 7,000 करोड़ रुपये) जमा किए हैं, जो 2016 के मुकाबले 50.2 फीसद ज्यादा है। इसमें भारतीयों और आप्रवासी भारतीयों द्वारा दूसरे देशों की इकाइयों के रूप में जमा रकम शामिल नहीं है। वर्ष 2004 में 56 फीसद बढ़ोतरी के बाद स्विस बैंकों में भारतीयों द्वारा जमा रकम में यह सबसे बड़ा इजाफा है। पिछले वर्ष से पहले लगातार तीन वर्षों तक स्विस बैंकों में भारतीयों द्वारा जमा की गई रकम में गिरावट देखी गई थी। स्विस बैंकों में भारतीयों द्वारा जमा की गई रकम का आंकड़ा इसलिए चौंकाने वाला है, क्योंकि भारत पिछले कुछ समय से दुनियाभर में भारतीयों द्वारा छुपाए गए कालेधन को वापस लाने की लगातार कोशिशें कर रहा है। गौरतलब है कि गोपनीयता कानूनों की आड़ में स्विस बैंक दुनियाभर के कालेधन की सुरक्षित पनाहगाह बने हुए थे। हालांकि भारत में स्विस बैंक की कुल संपत्ति लगातार दूसरे वर्ष गिरावट के साथ पिछले वर्ष के आखिर में 320 करोड़ स्विस फ्रैंक रह गई। इसमें रियल एस्टेट और इस तरह की अन्य संपत्तियां शामिल नहीं हैं। गुरुवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक 2016 में स्विस बैंकों में भारतीयों द्वारा जमा की गई रकम 45 फीसद गिर गई थी, और यह सबसे बड़ी सालाना गिरावट थी। उस साल भारतीयों ने स्विस बैंक में महज 4,500 करोड़ रुपये जमा कराए थे। आंकड़ों के हवाले से कहा गया है कि पिछले वर्ष भारतीयों द्वारा स्विस बैंकों में खुद जमा कराई रकम 6,891 करोड़ रुपये, जबकि वेल्थ मैनेजरों के जरिये जमा कराई गई रकम 112 करोड़ रुपये पर पहुंच गई है। पिछले वर्ष के आखिर में स्विस बैंकों में भारतीय व्यक्तिगत ग्राहकों द्वारा जमा रकम 3,200 करोड़ रुपये, अन्य बैंकों द्वारा जमा रकम 1,050 करोड़ रुपये जबकि सिक्युरिटीज और अन्य देनदारियों के मद में जमा रकम 2,640 करोड़ रुपये पर पहुंच गई। हालांकि 2007 तक सिक्युरिटीज और अन्य मदों में स्विस बैंकों में जमा भारतीय रकम अरबों रुपये में हुआ करती थी। लेकिन भारतीय नियामकों की सख्ती के बाद उसमें गिरावट आनी शुरू हुई। वर्ष 2006 के अंत में भारतीयों द्वारा सभी मदों में स्विस बैंकों में जमा रकम 23,000 करोड़ रुपये के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर थी। लेकिन एक दशक बाद यह आंकड़ा महज 10वें हिस्से तक रह गया। भारत और कई अन्य देशों द्वारा घपलों-घोटालों के साक्ष्य मुहैया कराने के बाद स्विट्जरलैंड ने विदेशी ग्राहकों की जानकारी देनी पहले ही शुरू कर दी है। अब वह ऑटोमेटिक इन्फॉरमेशन एक्सचेंज संबंधी करार के बाद कालेधन के खिलाफ भारत की लड़ाई में और मदद करने को राजी हो गया है। इससे पहले स्विट्जरलैंड ने कहा था कि कालेधन पर चोट के बाद भारतीयों द्वारा सिंगापुर और हांगकांग जैसे फाइनेंशियल हब के मुकाबले स्विस बैंकों में जमा रकम का आंकड़ा बहुत कम रह गया है। रिपोर्ट में एसएनबी ने कहा है कि विदेशी ग्राहकों द्वारा स्विस बैंकों में जमा रकम का आकार पिछले वर्ष के आखिर में करीब तीन फीसद बढ़कर 100 लाख करोड़ रुपये के आसपास पहुंच गया है। पाकिस्तान फिर भी आगे हालांकि एसएनबी के मुताबिक पिछले वर्ष पाकिस्तानियों द्वारा स्विस बैंकों में किया निवेश 21 फीसद घटा है। लेकिन 7,700 करोड़ रुपये के साथ पाकिस्तान स्विस बैंकों में रकम जमा करने के मामले में भारत से आगे ही है। आंकड़ों के आईने में - 980 करोड़ स्विस फ्रैंक पर पहुंच गया स्विस बैंकों का लाभ पिछले वर्ष - 100 लाख करोड़ के आसपास पहुंच गई विदेशी ग्राहकों द्वारा जमा राशि - 56 फीसद इजाफा हुआ था भारतीय जमा में वर्ष 2004 के दौरान, उसके बाद पिछले वर्ष सबसे ज्यादा

भारत में कालेधन पर एक के बाद एक चोट के बीच स्विस बैंकों को पिछले साल भारतीयों ने मालामाल कर दिया है। स्विट्जरलैंड में बैंकों के नियामक स्विस नेशनल बैंक (एसएनबी) द्वारा गुरुवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक भारतीयों ने …

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मैक्सिको: नामांकन से लेकर चुनाव प्रचार तक 133 नेताओं की हत्या

मैक्सिको में इस रविवार चुनाव होने वाले हैं, लेकिन मतदान से पहले ही एक रिपोर्ट से पूरे देश में भूचाल मचा है. रिपोर्ट के मुताबिक, चुनाव से पहले ही कुल 133 नेताओं की हत्या की जा चुकी है. परामर्श देने वाली एटलेक्ट संस्था के एक अध्ययन में यह दावा किया गया. संस्था के मुताबिक देश में बढ़ रही हिंसा ने रिकॉर्ड स्तर पर राजनीति को भी अपनी चपेट में ले लिया है. हत्या के इन अपराधों को सितंबर में उम्मीदवारों के पंजीकरण से शुरू होने और चुनाव प्रचार खत्म होने तक दर्ज दिया गया है. हाल ही में पश्चिमी राज्य मिकोआकैन में एक अंतरिम मेयर की हत्या कर दी गई थी. ज्यादातर हत्याएं स्थानीय स्तर के नेताओं की गई जो अक्सर मैक्सिको के ताकतवर मादक पदार्थ माफिया के निशाने पर रहते हैं. चुनाव संबंधी हिंसा का अध्ययन करने वाली संस्था एटलेक्ट ने बताया कि मृतकों में 48 उम्मीदवार वो थे जो चुनाव में खड़े हुए थे जिनमें से 28 की हत्या प्रारंभिक प्रचार के दौरान की गई और 20 की आम चुनाव प्रचार के दौरान. संस्था के निदेशक रूबेन सालाजर ने कहा , “ यह हिंसा स्थानीय स्तर पर केंद्रित है. इनमें से कम से कम 71 प्रतिशत हमले निर्वाचित अधिकारियों और स्थानीय स्तर पर चुनाव लड़ रहे उम्मीदवारों के खिलाफ किए गए. संस्था ने कहा यह मैक्सिको में हुआ अब तक सबसे हिंसक चुनाव है. मैक्सिको सरकार के 2006 में मादक पदार्थ तस्करी से लड़ने के लिए सेना की तैनाती किए जाने के बाद यहां हिंसा बहुत बढ़ गई है.मैक्सिको में इस रविवार चुनाव होने वाले हैं, लेकिन मतदान से पहले ही एक रिपोर्ट से पूरे देश में भूचाल मचा है. रिपोर्ट के मुताबिक, चुनाव से पहले ही कुल 133 नेताओं की हत्या की जा चुकी है. परामर्श देने वाली एटलेक्ट संस्था के एक अध्ययन में यह दावा किया गया. संस्था के मुताबिक देश में बढ़ रही हिंसा ने रिकॉर्ड स्तर पर राजनीति को भी अपनी चपेट में ले लिया है. हत्या के इन अपराधों को सितंबर में उम्मीदवारों के पंजीकरण से शुरू होने और चुनाव प्रचार खत्म होने तक दर्ज दिया गया है. हाल ही में पश्चिमी राज्य मिकोआकैन में एक अंतरिम मेयर की हत्या कर दी गई थी. ज्यादातर हत्याएं स्थानीय स्तर के नेताओं की गई जो अक्सर मैक्सिको के ताकतवर मादक पदार्थ माफिया के निशाने पर रहते हैं. चुनाव संबंधी हिंसा का अध्ययन करने वाली संस्था एटलेक्ट ने बताया कि मृतकों में 48 उम्मीदवार वो थे जो चुनाव में खड़े हुए थे जिनमें से 28 की हत्या प्रारंभिक प्रचार के दौरान की गई और 20 की आम चुनाव प्रचार के दौरान. संस्था के निदेशक रूबेन सालाजर ने कहा , “ यह हिंसा स्थानीय स्तर पर केंद्रित है. इनमें से कम से कम 71 प्रतिशत हमले निर्वाचित अधिकारियों और स्थानीय स्तर पर चुनाव लड़ रहे उम्मीदवारों के खिलाफ किए गए. संस्था ने कहा यह मैक्सिको में हुआ अब तक सबसे हिंसक चुनाव है. मैक्सिको सरकार के 2006 में मादक पदार्थ तस्करी से लड़ने के लिए सेना की तैनाती किए जाने के बाद यहां हिंसा बहुत बढ़ गई है.

मैक्सिको में इस रविवार चुनाव होने वाले हैं, लेकिन मतदान से पहले ही एक रिपोर्ट से पूरे देश में भूचाल मचा है. रिपोर्ट के मुताबिक, चुनाव से पहले ही कुल 133 नेताओं की हत्या की जा चुकी है. परामर्श देने …

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नॉर्थ कोरिया की वजह से टली भारत-अमेरिका टू प्लस टू वार्ता!

भारत और अमेरिका के बीच होने वाली टू प्लस टू बैठक अमेरिका की तरफ से टाल दी गई है. अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो अब 6 जुलाई को उत्तर कोरिया के नेता किम-जोंग-उन के साथ वार्ता में शामिल होने प्योंगयांग जा रहे हैं. फाइनेंशियल टाइम्स की खबर के मुताबिक अमेरिकी प्रशासन का कहना है कि विदेश मंत्री पोम्पियो की प्योंगयांग यात्रा की वजह से भारत-अमेरिका के बीच होने वाली अहम टू प्लस टू बैठक टाल दी गई है. पोम्पियो ने सुषमा से जताया था खेद इससे पहले अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने भारत के साथ होने वाली वार्ता के टालने पर खेद प्रकट करते हुए विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से जल्द ही वार्ता के लिए नई तिथियां तय करने की बात कही थी. तय कार्यक्रम के अनुसार ये वार्ता 6 जुलाई को अमेरिका में भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज, रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण और अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पेयो, रक्षा मंत्री जेम्स मैटिस के बीच होनी थी. जिसमे दोनो देशों के संबंधो, रक्षा और व्यापार को लेकर कई अहम फैसले होने थे. इसे पढ़े : ट्रंप को अब भी नहीं किम पर ऐतबार, उत्तर कोरिया पर 1 साल और जारी रहेगा प्रतिबंध उत्तर कोरिया पर परमाणु कार्यक्रम बंद करने का है दबाव 12 जून को सिंगापुर में अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रम्प और उत्तर कोरिया के नेता किम-जोंग-उन के बीच कोरियाई प्रायद्वीय को पूरी तरह से परमाणु हथियारों से मुक्त करने की दिशा में आगे बढ़ने पर सहमति बनी थी. साथ ही यह भी तय हुआ था कि दक्षिण कोरिया में भी अगर अमरीका की परमाणु पनडुब्बियां और हथियार हैं तो वे भी अमरीका को वापस लेने होंगे. लेकिन इस समझौते में इस बात का ब्यौरा नहीं दिया गया था कि उत्तर कोरिया कब और कैसे अपने हथियार छोड़ेगा. अमेरिकी विदेश मंत्री पोम्पियो को जिम्मेदारी की गई है कि वे उत्तर कोरिया को उसके परमाणु कार्यक्रमों को बंद करने के लिए राजी करें. पॉम्पियो पहले ही कह चुके हैं कि उत्तर कोरिया की ओर से निरस्त्रीकरण दर्शाने के बाद ही उस पर लगी आर्थिक पाबंदियां हटाई जाएंगी.

भारत और अमेरिका के बीच होने वाली टू प्लस टू बैठक अमेरिका की तरफ से टाल दी गई है. अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो अब 6 जुलाई को उत्तर कोरिया के नेता किम-जोंग-उन के साथ वार्ता में शामिल होने प्योंगयांग …

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पाक में चुनाव: कोई नया ही होगा इस बार गद्दी पर !

अगले महीने पाकिस्‍तान में आम चुनाव है और बड़े सियासतदारों के नामो के निस्तेनाबूत होने और नकारे जाने का सिलसिला जारी है. ऐसे में पाक की कमान किसी नए चेहरे के हाथ में आने से इंकार नहीं किया जा सकता. बड़े चेहरे कही न कही उलझे हुए है. पाकिस्‍तान के पूर्व प्रधानमंत्री खाकन अब्‍बासी पर चुनाव न्यायाधिकरण ने रावलपिंडी से भी चुनाव लड़ने पर रोक लगा दी है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश से पूर्व सैन्य शासक परवेज मुशर्रफ का नामांकन खारिज हुआ. नवाज शरीफ का जिक्र करना तो अब बेमानी ही होगी. इमरान खान का दूसरा परिचय अब पाकिस्तान में विवाद ही है. हर दिन एक नए मामले के साथ वे अखबारों में है. इस्लामाबाद से पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी के प्रमुख इमरान खान का नामांकन स्वीकार है पर मुश्किलें सिर्फ नामांकन भरने तक नहीं रहती. पहले निर्वाचन अधिकारी ने उनका नामांकन खारिज भी कर दिया था, और रही सही कसर उनकी पूर्व पत्‍नी रेहम खान की पुस्तक रिलीज से पहले ही कर चुकी है. शाहबाज शरीफ जो पंजाब के मुख्यमंत्री रहे से भी उम्‍मीद काफी कम है.उनके ऊपर भी कई तरह के आरोप हैं. इन सब बातो से इस बात का यकीं किया जाना इतना मुश्किल नहीं है कि पाक में इस बार नई बयार देखी जा रही है और पाक का नया मुस्तकबिल कोई नया चेहरा ही होगा. साथ ही ये भी देखना दिलचस्प होगा कि उसके सेना से कैसे संबंध है या होंगे.

अगले महीने पाकिस्‍तान में आम चुनाव है और बड़े सियासतदारों के नामो के निस्तेनाबूत होने और नकारे जाने का सिलसिला जारी है. ऐसे में पाक की कमान किसी नए चेहरे के हाथ में आने से इंकार नहीं किया जा सकता. …

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अमेरिका: अखबार के दफ्तर पर हमले में पांच जाने गई

अमेरिका: अखबार के दफ्तर पर हमले में पांच जाने गई

अमेरिका में एक अखबार के दफ्तर पर हुए हमले में गोलीबारी में 5 लोग मारे गए हैं. घटना मेरीलैंड स्थित एनापोलिस शहर में हुई जिसमे कई लोग घायल भी हो गए. घटना की सुचना मिलते ही पुलिस ने मोर्चा सँभालते …

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जरुरी नहीं कि पूरा विपक्ष एक साथ चुनाव लड़े

कर्नाटक में हाल ही में सरकार कांग्रेस के साथ मिलकर सत्ता पर काबिज होने वाली जेडीएस के प्रमुख देवगौड़ा ने विपक्ष के एक साथ चुनाव लड़ने के प्लान के बाद अपनी चुप्पी तोड़ते हुए कहा है कि जरुरी नहीं कि सारे विपक्षी दल एक साथ मिलकर ही चुनाव लड़े. वहीं सिद्धारमैया के द्वारा सरकार चलने को लेकर दिए गए बयान को लेकर भी उन्होंने कहा कि यह उनकी अपनी सोच है. देवगौड़ा ने कहा कि "प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सत्तारूढ़ पार्टी की ओर से राज्यों में अपने कैडरों को साफ ‘‘संकेत ’ है कि वे जल्द ही नवंबर-दिसंबर में लोकसभा चुनावों के लिए तैयार रहें. उन्होंने कहा, ‘ये आवश्यक नहीं है कि कर्नाटक के मुख्यमंत्री के रूप में कुमारस्वामी के शपथग्रहण समारोह में शामिल होने वाली पार्टियां सभी राज्यों में मिलकर लड़ेंगी." वहीं हाल ही में कर्नाटक में कांग्रेस के पूर्व उपमुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने हाल ही में एक बयान देते हुए कहा था कि "इस जेडीएस और कांग्रेस की सरकार का 2019 के बाद चलना मुश्किल है." सिद्धारमैया के द्वारा दिए गए इस बयान पर ज्यादा कुछ न बोलते हुए सिद्धारमैया ने कहा कि "यह सिद्धारमैया की अपनी खुद की सोच है, हमारा इससे कोई लेना देना नहीं है."

कर्नाटक में हाल ही में सरकार कांग्रेस के साथ मिलकर सत्ता पर काबिज होने वाली जेडीएस के प्रमुख देवगौड़ा ने विपक्ष के एक साथ चुनाव लड़ने के प्लान के बाद अपनी चुप्पी तोड़ते हुए कहा है कि जरुरी नहीं कि …

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