72वें गणतंत्र दिवस की तैयारियों में समूचा देश जुटा हुआ है। कोरोना संकट में पहली बार दिल्ली के राजपथ पर होने जा रहे गणतंत्र दिवस परेड में इस बार कुछ खास देखने को मिलेगा। कोरोना संकट को लेकर परेड में कई तरह के बदलाव देखने को मिलेंगे। विदेशी मेहमानों की जगह राफेल का जलवा दिखेगा। इस दिन भारतीय सेना के अदम्य साहस और शौर्य का पराक्रम दिखेगा
भारत 15 अगस्त 1947 को आज़ाद हुआ था। 26 जनवरी 1950 को इसके संविधान को आत्मसात किया गया, जिसके तहत भारत देश को एक लोकतांत्रिक, संप्रभु और गणतंत्र देश घोषित किया गया। इसलिए लिए हर साल 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया जाता है। देश के पहले राष्ट्रपति डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद ने 26 जनवरी 1950 को 21 तोपों की सलामी के साथ ध्वजारोहण कर भारत को पूर्ण गणतंत्र घोषित किया था। इसके बाद से हर साल इस दिन को गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया जाता है। भारत राज्यों का एक संघ है। ये संसदीय प्रणाली की सरकार वाला गणराज्य है। ये गणराज्य भारत के संविधान के अनुसार शासित है जिसे संविधान सभा ने 26 नवंबर 1949 को ग्रहण किया था और ये 26 जनवरी 1950 से प्रभाव में आया। सात दशकों की गणतांत्रिक यात्रा में भारतीय लोकतांत्रिक और राजनीतिक व्यवस्था उत्तरोत्तर सुदृढ़ हुई है। इसके साथ ही सामाजिक प्रगति और आर्थिक विकास में भी उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल हुई हैं।
इस राष्ट्रीय यात्रा में हमारा संविधान मार्गदर्शक भी रहा है और संचालक भी। स्वतंत्रता आंदोलन के आधारभूत मूल्यों को नियमन के इस सर्वोच्च ग्रंथ में समाहित कर संविधान सभा ने अतुलनीय योगदान दिया है। संविधान के निर्देशों और गणतंत्र के आदर्शों पर चलकर ही हम भारत को एक महान लोकतंत्र के रूप में स्थापित कर सकते हैं तथा राष्ट्रों के समूह में प्रथम पंक्ति में प्रतिष्ठित कर सकते हैं। कई विशिष्टताएं और सिद्धांत भारतीय संविधान की खूबी हैं। दुनियाभर के संविधान विशेषज्ञों ने भारतीय संविधान पर अपने विचार रखे हैं और इसे कई मायनों में सर्वसमावेशी दस्तावेज बताया है। यह दुनिया का सबसे बड़ा लिखित संविधान है। संविधान में समय-समय पर कई संशोधन किये गये। भारत का संविधान न तो कठोर है और न ही लचीला। कठोरता का मतलब- संशोधन के लिए विशेष प्रक्रियाओं की जरूरत। लचीला संविधान वह होता है, जिसमें आसानी से संशोधन हो सके। भारत में मौजूद सभी धर्मों को समान संरक्षण और समर्थन का प्रावधान है। सरकार सभी पंथ के अनुयायियों के साथ एक जैसा व्यवहार करेगी और समान अवसर उपलब्ध करायेगी।
संविधान में संघ व केंद्र और राज्य सरकारों के बीच सत्ता के बंटवारे का प्रावधान है। यह संघवाद की अन्य विशेषताओं को भी पूरा करता है, इसलिए भारत एकात्मक संघीय राष्ट्र है। भारत में सरकार का संसदीय स्वरूप है। दो सदनों- लोकसभा और राज्यसभा, वाली विधायिका है। सरकार के संसदीय स्वरूप में, विधायी और कार्यकारिणी अंगों की शक्तियों में कोई स्पष्ट अंतर नहीं है। भारत में, सरकार का मुखिया प्रधानमंत्री होता है। भारत का संविधान प्रत्येक व्यक्ति को एकल नागरिकता प्रदान करता है। देश का कोई भी राज्य अन्य राज्य के निवासी होने के आधार पर भेदभाव नहीं कर सकता। किसी भी व्यक्ति को देश के किसी भी हिस्से में जाने (कुछ स्थानों को छोड़कर) और भारत की सीमा के भीतर कहीं भी रहने का अधिकार है। संविधान एकीकृत और स्वतंत्र न्यायपालिका की व्यवस्था करता है। सुप्रीम कोर्ट देश का सर्वोच्च न्यायालय है। इससे नीचे उच्च न्यायालय, जिला अदालत और निचली अदालतें हैं। संविधान के भाग-एक (अनुच्छेद 36 से 50) में राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांतों की व्याख्या है। इन्हें कोर्ट में चुनौती नहीं दी जा सकती है। मौलिक कर्तव्य को 42वें संविधान संशोधन अधिनियम (1976) द्वारा शामिल किया गया। इसके लिए एक नया हिस्सा, भाग बनाया गया और अनुच्छेद 51ए के तहत दस कर्तव्य हैं।
देश में 18 वर्ष से अधिक उम्र के प्रत्येक नागरिक को जाति, धर्म, वंश, लिंग, साक्षरता आदि के आधार पर भेदभाव किये बिना मतदान का अधिकार है। सार्वभौम वयस्क मताधिकार सामाजिक असमानताओं को दूर करता है और सभी नागरिकों के लिए समानता की व्यवस्था करता है। देश की संप्रभुता, सुरक्षा, एकता और अखंडता के लिए किसी भी असाधारण स्थिति से निबटने हेतु राष्ट्रपति को कुछ खास अधिकार हैं। आपातकाल लागू करने के बाद केंद्र सरकार की शक्तियां बढ़ जाती हैं। संविधान जमीनी स्तर पर लोकतंत्र, मौलिक अधिकारों और सत्ता के विकेंद्रीकरण के रूप में खड़ा है। 1951 में योजना आयोग का गठन किया गया था जिसका काम था भारत के विकास के लिए पंचवर्षीय योजनाएं तैयार करना और इन्हें लागू कराना। इसका उद्धेश्य देश की अर्थव्यवस्था को रफ्तार देना था। 1952 में देश में पहली बार लोकसभा का चुनाव हुआ। भारत उस वक्त भी दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र था। इसके बाद, 1962 में भारत और चीन के बीच युद्ध हुआ। इस युद्ध से पहले भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने हिंदी चीनी भाई-भाई का नारा दिया था और तब देश को ऐसा लगा था कि चीन और भारत कभी युद्ध कर ही नहीं सकते लेकिन 1962 में चीन ने भारत पर युद्ध थोप दिया और ये युद्ध हारने के बाद ये साफ हो गया कि चीन को दोस्त मानना भारत की बहुत बड़ी कूटनीतिक भूल थी। इस भूल का खामियाज़ा आज भी देश उठा रहा है।
इसके बाद 1965 में भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध हुआ। चीन के हाथों मिली हार से सबक लेकर भारत ने अपनी सेनाओं को मजबूत बना लिया था। इसका नतीजा ये हुआ कि भारत ये युद्ध जीत गया। इस युद्ध के दौरान एक मौका तो ऐसा भी आया जब भारत की सेनाएं पाकिस्तान के शहर लाहौर तक पहुंच गई थीं। इस युद्ध के दौरान भारत के विरोध में अमेरिका ने भारत को अनाज देने से मना कर दिया था जिसके बाद ही भारत में हरित क्रांति की शुरुआत हुई और 10 वर्षों के अंदर ही भारत अपनी ज़रूरत से ज्यादा अनाज उगाने में सक्षम हो गया था। इसके बाद 1967 में सात राज्यों में चुनाव हारने के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 14 निजी बैंकों का राष्ट्रीयकरण कर दिया ताकि किसानों को कर्ज़ लेने में आसानी हो सके। 1971 में भारत और पाकिस्तान के बीच एक और युद्ध हुआ। 1960 का दशक खत्म होते-होते भारत में बांग्लादेश से आए शरणार्थियों की संख्या लगातार बढ़ने लगी। एक करोड़ शरणार्थियों की वजह से भारत की पहले से कमज़ोर अर्थव्यवस्था पर बोझ बढ़ने लगा था।
इस बीच, पाकिस्तान ने भारत पर हमला कर दिया और भारत ने इसके जवाब में पाकिस्तान के दो टुकड़े कर दिए और एक आजाद देश के रूप में बांग्लादेश का निर्माण हुआ। ये युद्ध पाकिस्तान के 93 हजार सैनिकों के आत्मसमर्पण के साथ खत्म हुआ था और इस युद्ध ने पूरी दुनिया में ये साबित किया कि भारत की सेनाएं अपने देश की रक्षा के लिए किस हद तक जा सकती हैं। ये वो दौर था जब पूरे देश में देशभक्ति की भावनाएं चरम पर थीं। पाकिस्तान से युद्ध जीतने के बाद पूरा देश जोश में था। 1974 में भारत ने पहला परमाणु परीक्षण करके भी दुनिया को अपनी ताकत का एहसास करा दिया था लेकिन 26 जून 1975 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने आपातकाल की घोषणा कर दी और देश के लोकतंत्र का गला घोंट दिया गया। इमरजेंसी को आजाद भारत के इतिहास का सबसे काला पन्ना भी कहा जा सकता है। 1977 में आपातकाल हटा लिया गया और इसके बाद हुए चुनावों में कांग्रेस पार्टी की बहुत बुरी हार हुई और पहली बार आजाद भारत में गैर कांग्रेसी सरकार का गठन हुआ लेकिन ये गठबंधन की सरकार थी और यहीं से केंद्र में गठबंधन वाली राजनीति का वो सिलसिला शुरू हुआ जो कई वर्षों तक चलता रहा और आज भी चल रहा है। 1979 में मंडल आयोग का गठन हुआ।
1980 में मंडल आयोग की रिपोर्ट आई। 1990 में वीपी सिंह की सरकार ने इस रिपोर्ट को मंजूरी दे दी और पिछड़े वर्ग से आने वाले लोगों को 27 प्रतिशत आरक्षण मिलने लगा। इसके विरोध में पूरे देश में जबरदस्त आंदोलन और हिंसा भी हुई और देश एक बार फिर जात- पात की राजनीति में बंट गया। 1983 में भारतीय क्रिकेट टीम ने पहली बार वर्ल्ड कप जीता और देश में खेलों के प्रति लोगों का जोश नए स्तर पर पहुंच गया। 1991 में भारत की अर्थव्यस्था संकट के दौर से गुजर रही थी तब भारत सरकार ने 47 टन सोना गिरवी रखकर और दूसरे अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों से करीब 405 मिलियन डॉलर्स का कर्ज़ लिया जो आज की कीमतों के हिसाब से 2800 करोड़ रुपये बैठता है। अर्थव्यस्था को पटरी पर लाने के लिए भारत में उदारवाद का दौर शुरू हुआ। भारत की अर्थव्यवस्था के दरवाज़े दुनिया के लिए खोल दिए गए और भारत दुनियाभर की कंपनियों के लिए सबसे बड़ा बाज़ार बन गया। इसके बाद 1998 में भारत ने दूसरा परमाणु परीक्षण किया। तब देश में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार थी और इस परीक्षण के बाद दुनिया के कई देशों ने भारत पर आर्थिक प्रतिबंध लगा दिए थे। 1999 में भारत और पाकिस्तान के बीच कारगिल युद्ध हुआ। इस युद्ध में भी पाकिस्तान की करारी हार हुई लेकिन अच्छी बात ये थी कि 1965 और 1971 की तरह इस युद्ध के दौरान दुनिया के ज्यादातर ताकतवर देश पाकिस्तान के साथ नहीं थे।
2008 में भारत ने अमेरिका के साथ न्यूक्लियर डील पर हस्ताक्षर किए और इसके बाद पूरी दुनिया ने भारत को एक परमाणु ताकत के तौर पर स्वीकार करना शुरू कर दिया इसके बाद आने वाले कुछ वर्षों तक देश घोटालों और भ्रष्टाचार में डूबा रहा। देश की अर्थव्यवस्था तो तेज़ी से बढ़ रही थी लेकिन घोटाले और भ्रष्टाचार इसे धीरे-धीरे अंदर से खोखला कर रहे थे। इसके बाद वर्ष 2014 में 70 वर्षों के इतिहास में पहली बार कांग्रेस के बाद पहली बार किसी पार्टी ने अपने दम पर पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई और नरेंद्र मोदी देश के प्रधानमंत्री बने। 2015 में योजना आयोग की जगह नीति आयोग की शुरुआत हुई। नीति आयोग का काम भी देश के लिए योजनाएं बनाना है। 2016 में भारत में नोटबंदी हुई और इसी साल भारत की सेना ने पाकिस्तान में घुसकर सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम दिया। 2019 में भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान के बालाकोट में एयर स्ट्राइक करके आतंकवादियों के ठिकानों को नष्ट कर दिया। ये पहली बार था जब शांति काल में भारत ने पाकिस्तान में इतना अंदर जाकर उसकी ज़मीन पर हमला किया था। 2019 में एक बार फिर लोकसभा के चुनाव हुए और बीजेपी ने एक बार फिर से बहुमत के साथ सरकार बनाई। सालों पुराना विवाद धारा 370 खत्म होने के साथ ही आतंकवाद पर ब्रेक लग गया। तीन तलाक जैसे काले कानून का खात्मा हो गया। राम जन्मभूमि विवाद खत्म होने के साथ भव्य मंदिर निर्माण होने जा रहा है।