रविवार के दिन सूर्य भगवान की पूजा का विधान है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक, सूर्य भगवान प्रत्यक्ष तौर पर दर्शन देने वाले देवता हैं। पौराणिक वेदों में सूर्य का उल्लेख विश्व की आत्मा तथा भगवान के नेत्र के तौर पर किया गया है। सूर्य की आरधना से जीवनशक्ति, मानसिक शांति, ऊर्जा तथा जीवन में कामयाबी की प्राप्ति होती है। यही कारण है कि लोग उगते हुए सूर्य को देखना शुभ मानते हैं तथा सूर्य को अर्घ्य देना शुभ मानते हैं। एक अन्य मान्यता यह भी है कि रविवार के दिन सूर्य देव का उपवास रखने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
रामायण में भी इस बात का जिक्र है कि प्रभु श्री राम ने लंका के लिए सेतु निर्माण से पहले सूर्य भगवान की पूजा की थी। प्रभु श्री श्रीकृष्ण के पुत्र सांब भी सूर्य की आराधना करके ही कुष्ठ रोग से मुक्ति पाई थी। सूर्य को शक्ति का स्त्रोत माना गया है।
सूर्य स्त्रोत:
विकर्तनो विवस्वांश्च मार्तण्डो भास्करो रविः।
लोक प्रकाशकः श्री माँल्लोक चक्षुर्मुहेश्वरः॥
लोकसाक्षी त्रिलोकेशः कर्ता हर्ता तमिस्रहा।
तपनस्तापनश्चैव शुचिः सप्ताश्ववाहनः॥
गभस्तिहस्तो ब्रह्मा च सर्वदेवनमस्कृतः।
एकविंशतिरित्येष स्तव इष्टः सदा रवेः॥
‘विकर्तन, विवस्वान, मार्तण्ड, भास्कर, रवि, लोकप्रकाशक, श्रीमान, लोकचक्षु, महेश्वर, लोकसाक्षी, त्रिलोकेश, कर्ता, हर्त्ता, तमिस्राहा, तपन, तापन, शुचि, सप्ताश्ववाहन, गभस्तिहस्त, ब्रह्मा तथा सर्वदेव नमस्कृत- इस तरह इक्कीस नामों का यह स्तोत्र प्रभु सूर्य को सदा प्रिय है।’