हर महीने में दो चतुर्थी तिथियां आती हैं। ऐसे में दोनों तिथियां ही विघ्नहर्ता भगवान गणेश को समर्पित मानी जाती हैं। अब कल यानी 16 जनवरी शनिवार को साल 2021 की पहली विनायक चतुर्थी पड़ रही है। कहा जाता है अगर कोई भक्त इस दिन गणपति का व्रत व पूजन करता है तो उसके सारे मनोरथ पूरे होते हैं। अब आज हम आपको बताने जा रहे हैं इस व्रत की पूजा विधि और कथा।
पूजा विधि – सबसे पहले सूर्योदय से पहले उठ जाए। उसके बाद उठकर मन में भगवान का नाम स्मरण करते हुए व्रत का संकल्प लें। अब नहा ले और उसके बाद भगवान को गंगाजल से स्नान करवा दें। इसके बाद भगवान को स्वच्छ वस्त्र पहनाएं। अब मंदिर में धूप, दीप प्रज्जवलित करें। इसके बाद भगवान का रोली या सिंदूर से तिलक करें। अब आप उन्हें अक्षत, पुष्प, दूर्वा, लड्रडू या मोदक अर्पित करें। अब अंत में विनायक चतुर्थी व्रत कथा पढ़ें और आखिर में भगवान गणेश की आरती गाएं।
ये है व्रत कथा – कथा के अनुसार एक बार माता पार्वती के मन में एक ख्याल आता है कि उनका कोई पुत्र नहीं है। ऐसे में वो एक दिन स्नान के समय अपने उबटन से बालक की मूर्ति बनाकर उसमें जीव भर देती हैं। इसके बाद वे कंदरा में स्थित कुंड में स्नान करने के लिए चली जाती हैं। जाने से पहले माता अपने पुत्र को आदेश देती हैं कि किस भी परिस्थिति में किसी भी व्यक्ति को कंदरा में प्रवेश नहीं करने देना। बालक अपनी माता के आदेश का पालन करने के लिए कंदरा के द्वार पर पहरा देने लगता है। कुछ समय बाद भगवान शिव वहां पहुंचते हैं। भगवान शिव जैसे ही कंदरा के अंदर जाने लगते हैं तो बालक उन्हें रोक देता है। भगवान शिव बालक को समझाने का प्रयास करते हैं, लेकिन वह उनकी एक नहीं सुनता है। क्रोधित होकर भगवान शिव त्रिशूल से बालक का शीश धड़ से अलग कर देते हैं।