कोर्ट संवैधानिक मुद्दों का निर्णय करता है, राजनीतिक बेईमानी के मामलों का नहीं : सुरजेवाला

नई दिल्ली। तीन नये कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसान संगठनों और केंद्र सरकार के बीच किसी प्रकार की सहमति नहीं बन पा रही है। ऐसे में पिछली बैठक में सरकार ने किसानों को सुप्रीम कोर्ट जाने का सुझाव भी दे डाला था। सरकार के इस सुझाव पर कांग्रेस खासा आक्रामक है। पार्टी महासचिव एवं प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट का काम संवैधानिक मुद्दों पर निर्णय सुनाना है, जबकि कृषि कानून खेती को बेचने की साजिश का मामला है। सुरजेवाला ने कहा, “सुप्रीम कोर्ट संवैधानिक मुद्दों का निर्णय करता है, राजनीतिक बेईमानी से खेती को पूंजीपतियों की ड्योढ़ी पर बेचने की साज़िश का नहीं।” उन्होंने कहा कि यहां सवाल तीन कृषि विरोधी कानूनों में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) और अनाजमंडियों को ख़त्म करने तथा किसानों को उनके ही खेत में गुलाम बनाने का है। इसके लिए जरूरी है कि सरकार कानून रद्द करे। सिर्फ तारीखों के फेर में किसानों को फंसाने और थकाने से अन्नदाताओं को हराया नहीं जा सकता है।

कांग्रेस नेता ने कहा कि वैसे भी सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से किसानों की मांग पर विचार करने और समस्या का समाधान निकालने को कहा है। ऐसे में फिर किसानों को सुप्रीम कोर्ट में जाने के लिए कहने का कोई तुक नहीं है। उल्लेखनीय है कि पिछले डेढ़ महीने से लाखों की संख्या में किसान दिल्ली बॉर्डर पर प्रदर्शऩ कर रहे हैं। उनके इस आंदोलन के दौरान 60 से ज्यादा लोगों की जान भी चली गई है। वहीं सरकार और किसान नेताओं के बीच कई दौर की बातचीत के बाद भी नतीजा निकलता नहीं दिख रहा। किसान कानून वापसी की मांग पर अड़े हैं, जबकि सरकार सिर्फ संशोधन की ही बात कर रही है।

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