नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने किसान आंदोलन पर केंद्र सरकार के रुख पर ऐतराज जताया है। आज सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस एसए बोब्डे की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि महीनों के बावजूद कोई हल नहीं निकला। हम एक कमेटी बनाकर इस कानून की समीक्षा कर सकते हैं। अगर कानून के पालन पर रोक नहीं लगाई गई तो हम इस पर रोक लगा सकते हैं। इस मामले पर कल भी सुनवाई जारी रहेगी। इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट कल यानी 12 जनवरी को आदेश जारी कर सकता है। कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया है कि वो कृषि कानूनों की समीक्षा के लिए बनाई जाने वाली कमेटी की अगुवाई करने के लिए रिटायर्ड जज का नाम सुझाएं। आज किसान संगठनों की ओर से वकील कॉलिन गोंजाल्वेस ने कहा कि किसान संगठनों की ओर से चार वकील होंगे। गोंजाल्वेस के अलावा दुष्यंत दवे, प्रशांत भूषण और एचएस फुल्का किसान संगठनों की पैरवी करेंगे।
सुनवाई के दौरान अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि सभी पक्षों में बातचीत जारी रखने पर सहमति है। तब चीफ जस्टिस ने कहा कि हम बहुत निराश हैं। पता नहीं सरकार कैसे मसले को डील कर रही है। किससे चर्चा किया कानून बनाने से पहले। कई बार से कह रहे हैं कि बात हो रही है। क्या बात हो रही है। तब अटार्नी जनरल ने कहा कि कानून से पहले एक्सपर्ट कमेटी बनी थी। कई लोगों से चर्चा की गई। पहले की सरकारें भी इस दिशा में कोशिश कर रही थीं। तब चीफ जस्टिस ने कहा कि यह दलील काम नहीं आएगी कि पहले की सरकार ने इसे शुरू किया था। आपने कोर्ट को बहुत अजीब स्थिति में डाल दिया है। लोग कह रहे हैं कि हमें क्या सुनना चाहिए, क्या नहीं। लेकिन हम अपना इरादा साफ कर देना चाहते हैं। अगर आप में समझ है तो कानून के अमल पर ज़ोर मत दीजिए। फिर बात शुरू कीजिए। हमने भी रिसर्च किया है। एक कमेटी बनाना चाहते हैं।