मृतक आश्रितों के भविष्य पर लटकी तलवार

बीटीसी आवेदन को लेकर अभी तक कोई सूचना जारी नहीं 
कई अभ्यर्थियों के पास बचा है मात्र 2 साल का समय

-सुरेश गांधी

जौनपुर। कोविड-19 के चलते हर तबका परेशान है। मजदूर हो या शिक्षक या व्यापारी सभी की गृहस्थी बेपटरी हो गयी है। खास बात यह है कि इस कोरोनारुपी महामारी से निपटने के लिए सरकार हर संभव कोशिश भी कर रही है। लोगों को रोजगार देने का दावा भी कर रही है। लेकिन बेसिक शिक्षा विभाग पर इसका कोई असर नहीं है। उसकी अड़ियल व लापरवाहियों के चलते हजारों परिवारों के समक्ष भूखमरी की नौबत आ गयी है। बता दें, पूर्व में बेसिक शिक्षा विभाग में स्नातक मृतक आश्रितों को अनट्रेंड टीचर के रूप में नौकरी दे दी जाती थी। बाद में उनको पत्राचार या अन्य माध्यमों से बीटीसी और दूसरे प्रकार के शिक्षक प्रशिक्षण लेने की अनुमति दे दी जाती थी। प्रशिक्षण पूरा होने के बाद उनको नियमित शिक्षक या क्लर्क के रूप में नियुक्त कर दिया जाता था। हालांकि कुछ समय बाद नियमों में बदलाव कर दिया गया और मृतक आश्रितों को चपरासी के पद पर नियुक्ति दी जा रही है।

नए नियमों के मुताबिक ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट होने के बावजूद उनको चपरासी के पद पर ही नौकरी मिल रही है। मृतक आश्रित पद पर नियुक्ति का लाभ अभ्यर्थी को एक ही बार मिलता है। ऐसी स्थिति में कोटे के अंतर्गत नौकरी नहीं मिल पाती है। दुखद बात यह है कि कुछ महिलाएं और लड़कियां भी ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट है उनको भी मजबूरी में चपरासी के पद पर नौकरी करनी पड़ेगी। उत्तर प्रदेश में कई ऐसे मृतक आश्रित हैं जिनके पास सरकार द्वारा तय समय के अनुसार बीएड और बीटीसी का कोर्स पूरा होते ही उनका समय खत्म हो जाएगा। मृतक आश्रित को पद पर नियुक्ति देने के लिए 5 साल का समय देती है। इसके कारण वे समय पर बीटीसी नहीं कर पाए हैं। पेंशन या दूसरे अन्य आर्थिक संसाधन उपलब्ध होने के बाद अब वे बीएड और बीटीसी करने की स्थिति में है। महामारी के चलते अभी तक बीटीसी का आवेदन पत्र निकल नहीं पाया है।

ऐसी स्थिति में कई अभ्यर्थी असमंजस की स्थिति में है और उनके भविष्य पर खतरा मंडराने लगा है। एक महिला अभ्यर्थी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि मेरे पिता बेसिक शिक्षा विभाग में अध्यापक थे। उनकी मौत करीब 2 वर्ष पूर्व हो गई थी लेकिन मैं आर्थिक परिस्थितियों के चलते बीटीसी ,बीएड नहीं कर पाई थी। अब पैसों का इंतजाम हुआ है तो मैं बीटीसी करना चाह रही हूं लेकिन अभी तक फार्म नहीं आया है। बीटीसी का फॉर्म तेरी से निकलेगा तो मेरे पास सिर्फ नियुक्ति पाने के लिए 2 साल का करीब समय बचेगा। ग्रेजुएट होने के बावजूद भी समय पर अगर रिजल्ट नहीं निकला तो मुझे चपरासी की नौकरी करनी पड़ेगी। सरकार से मेरी विनम्र पूर्वक मांग है कि मृतक आश्रितों की नियुक्ति की समय सीमा कोविड-19 की महामारी को ध्यान में रखते हुए बढ़ाना जानी चाहिए। जबकि बड़ी संख्या में अभ्यर्थी काफी दिनों से बीटीसी के आवेदन पत्र आने का इंतजार कर रहे हैं। सरकार की ओर से अभी तक इस दिशा में कोई सूचना जारी नहीं की गई है। सूचना न मिलने की स्थिति में आवेदक परेशान है। सही सूचना के अभाव में अभ्यर्थी इधर उधर भटक रहे हैं। इन सभी स्थितियों से बेसिक शिक्षा विभाग में मृतक आश्रित पद पर नौकरी पाने वालों के भविष्य पर खतरा मंडराने लगा है।

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