आने वाले शनिवार यानी 9 जनवरी को साल 2021 की पहली एकादशी है। इस एकादशी को सफला एकादशी कह जाता है। कहते हैं इस एकादशी के दिन जो भी मनुष्य व्रत रखता है उसके सारे पाप नष्ट हो जाते हैं और उसे अच्छा फल मिलता है। वैसे शास्त्रों के मुताबिक जो लोग व्रत नहीं कर सकते हैं, वह अगर एकादशी के दिन भगवान विष्णु की सच्चे मन से पूजा करते हुए व्रत कथा पढ़ें, तो उन्हें बड़े लाभ हो सकते हैं। अब आज हम लेकर आए हैं एकादशी की वह कथा जिसे आपको कल के दिन पढ़ना या सुनना जरूर चाहिए।
सफला एकादशी कथा- पद्म पुराण में सफला एकादशी कथानुसार महिष्मान नाम का एक राजा था। इनका ज्येष्ठ पुत्र लुम्पक पाप कर्मों में लिप्त रहता था। उसकी आदतों से परेशान होकर एक दिन राजा ने उसे देश से बाहर निकाल दिया। लुम्पक एक जंगल में जाकर रहने लगा। पौष माह की कृष्ण पक्ष की दशमी की रात उसे ठंड की वजह से नींद नहीं आयी। पूरी रात वो अपने किए पर पश्चाताप करता रहा। एकादशी की सुबह तक वो ठंड की वजह से बेहोश हो चुका था। दोपहर में जब उसे होश आया, तब उसने जंगल से फल इकट्ठा किया। शाम को फिर वो अपनी किस्मत को कोसने लगा और भगवान से क्षमा याचना करने लगा।
एकादशी की पूरी रात उसने दुखों पर पछतावा करते हुए गुजार दी। इस तरह अनजाने में उसका सफला एकादशी व्रत पूर्ण हो गया और भगवान नारायण की उस पर कृपा हो गई। व्रत के प्रभाव से लुम्पक हमेशा के लिए सुधर गया। इसके बाद राजा महिष्मान ने उसे पूरा राज्य सौंप दिया और खुद तपस्या के लिए चले गए। लुम्पक ने काफी समय तक राज्य को पूरे धर्म पूर्वक संभाला और बाद में राजपाठ त्यागकर वो भी तपस्या के लिए चला गया। मृत्यु के बाद उसे विष्णु लोक में स्थान प्राप्त हुआ।