ऊर्जा मंत्री बोले, उपभोक्ता देवो भवः की हो नीति, संवाद से समाधान की कार्यसंस्कृति
नोएडा। भाजपा सरकार में ‘उधार नहीं सुधार’ की कार्यसंस्कृति है। यह सरकार सुधार की शुरुआत अपने घर से करती है। युवा इंजीनियर अपने उज्ज्वल भविष्य के लिये ऊर्जा क्षेत्र में सुधारों और उपभोक्ताओं की संतुष्टि के इस ऐतिहासिक दौर में अहम योगदान दें। उत्तर प्रदेश के ऊर्जा एवं अतिरिक्त ऊर्जा स्रोत मंत्री पंडित श्रीकान्त शर्मा ने यह बात नोएडा के एनटीपीसी पावर मैनजमेंट इंस्टीट्यूट सभागार में ‘उपभोक्ता सेवा में सुधार’ को लेकर शुक्रवार को आयोजित अभियंता संघ की संगोष्ठी में कही। ऊर्जा मंत्री ने कहा कि ईमानदार उपभोक्ता उपकेन्द्रों तक चलकर आता है। उसका सम्मान व शिकायतों का त्वरित निस्तारण सुनिश्चित करें। सस्ती, पर्याप्त व निर्बाध बिजली का संकल्प उपभोक्ताओं के सहयोग से ही संभव है। उन्होंने अभियंताओं से कहा कि विद्युत उपकेन्द्रों पर 100 प्रतिशत केवाईसी कर विद्युत सेवाओं पर उपभोक्ताओं से लगातार फीडबैक लें और सेवाओं में सुधार करें। ‘उपभोक्ता और अभियंता’ ऊर्जा विभाग के दो पहिये हैं। उपभोक्ता देवो भवः की नीति पर चलें और ‘संवाद से समाधान’ की राह पर आगे बढ़ें।
मंत्री ने प्रबंध निदेशक से कहा कि वह यह सुनिश्चित करें कि सही बिल-समय पर बिल और डाउनलोडेबल बिल उपभोक्ता को मिले। उन्होंने उप्र पावर कारपोरेशन (यूपीपीसीएल) के चेयरमैन को भी निर्देशित किया कि वह इसका प्रदेश स्तर पर लगातार मॉनिटरिंग करें। उपभोक्ता सेवाओं में सुधार को लेकर ऊर्जा मंत्री ने कहा कि तीन महीने तक के बकायेदारों का डिस्कनेक्शन नहीं डोर नॉक करें। उपभोक्ताओं को बिल भरने के लिये प्रेरित करें। बगैर सूची लिये तकादा करने कार्मिक न जाएं। मंत्री ने कहा कि आगामी गर्मियों में एनसीआर के साथ प्रदेश के सभी जिला मुख्यालयों को ट्रिपिंग फ्री बनाना है। ऐसे में उपकेन्द्रों की नियमित समीक्षा, लगातार पेट्रोलिंग, लोड बैलेंसिंग और ओवरलोड डिस्ट्रीब्यूशन उपकेन्द्रों को ट्रांसमिशन उपकेन्द्रों से जोड़ने के कार्य में तेजी लाई जाए। उन्होंने आगे कहा कि व्यवस्था में सुधार के लिये किसी भी स्तर पर योगदान छोटा नहीं है। सब स्टेशन आत्मनिर्भर बनेंगे तभी डिसकॉम्स आत्मनिर्भर बनेंगे। उपकेन्द्रों को उपभोक्ताओं के लिये आदर्श बनाकर ही उपभोक्ता शिकायतों का ग्राफ शून्य किया जा सकता है। कार्यक्रम में उत्पादन, वितरण व पारेषण के अभियंता मौजूद रहे।