क्लेमेनटाउन कैंट क्षेत्र में एक व्यक्ति के खुद को छावनी परिषद का कर्मचारी बता फर्जी दस्तावेज के आधार पर ऋण लेने का मामला सामने आया है। बैंक ने जब ऋण के संबंध में कैंट बोर्ड से पत्राचार किए तो इसका पर्दाफाश हुआ। कैंट बोर्ड के मुख्य अधिशासी अधिकारी अभिषेक राठौर ने इस मामले में जांच बैठा दी है। उन्होंने तीन दिन के अंदर जांच रिपोर्ट सौंपने के निर्देश दिए हैं।
क्लेमेनटाउन निवासी कमल कुमार ने दो साल पहले कैंट बोर्ड कार्यालय में कार्यरत अपने एक रिश्तेदार से फर्जी दस्तावेज बनवाए। इसके बाद उसने इन दस्तावेजों के आधार पर प्रेमनगर स्थित को-ऑपरेटिव बैंक से तीन लाख का ऋण ले लिया। बताया जा रहा है कि लॉकडाउन के दौरान उसने किश्त देनी बंद कर दी। जिसके बाद बैंक ने उससे संपर्क किया। तब उसने कैंट बोर्ड से फंड मिलने के बाद किश्त देने की बात कही। इसके बाद भी जब उसने किश्त जमा नहीं की तो बैंक ने कैंट बोर्ड से पत्राचार किया।
कैंट बोर्ड ने काफी दिनों तक इस मामले को दबाए रखा। बाद में मामला सीईओ के संज्ञान में आने के बाद उन्होंने जांच बैठा दी है। सीईओ ने कहा कि उनके किसी कर्मचारी ने ऋण नहीं लिया है। यह देखा जाएगा कि किसके नाम से यहां से फर्जी दस्तावेज बनाए गए हैं। उनका कहना है कि इस मामले में चूक बैंक के स्तर पर भी हुई है। बैंक को ऋण देते समय कैंट बोर्ड से उक्त व्यक्ति के संबंध में जानकारी लेनी चाहिए थी। कैंट बोर्ड के सत्यापन के बाद ही ऋण देना था। बहरहाल, मामले में जो दोषी पाए जाएगा, उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।