तीनों केंद्रीय कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर सिंघु बॉर्डर पर चल रहा किसानों प्रदर्शन 41वें दिन पहुंच गया है। वहीं, रोजाना की तरह मंगलवार को भी किसान प्रदर्शनकारी सिंघु के साथ-साथ टीकरी और दिल्ली-यूपी बॉर्डर पर जमा हैं और तीनों कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं। वहीं, रविवार से रुक-रुक कर हो रही बारिश एक तरफ जहां दिल्ली देहात के किसानों के लिए वरदान साबित हो रही हैं। वहीं सिंघु बार्डर पर धरना दे रहे प्रदर्शनकारी हलकान नजर आ रहे हैं। मंगलवार को भी दिल्ली-एनसीआर में बारिश की संभावना है, ऐसे में किसान प्रदर्शनकारी इससे सहमे हुए हैं और इससे बचने के इंतजाम करने में जुटे हैं। इंद्रदेव के मेहरबान होने से किसान काफी खुश हैं, क्योंकि गेहूं, सरसों आदि फसलों के लिए यह बारिश की बूंदें अमृत के समान हैं। इससे फसलों को पाला मारने का डर तो खत्म हो ही गया है। साथ ही गेहूं व सरसों की फसल के लिए भी यह बारिश वरदान साबित होगी।
दूसरी तरफ बीते दिनों से लगातार हो रही बारिश से सिंघु बार्डर पर बैठे प्रदर्शनकारी काफी परेशान हैं। बारिश उनके धरना प्रदर्शन में लगातार बाधा पैदा कर रही है। बुजुर्ग किसान पैर फिसलने के कारण गिर भी रहे हैं। पहले जहां धरना प्रदर्शन सुबह से ही शुरू हो जाता था और माहौल में गहमागहमी बनी रहती थी।
वहीं, बारिश की वजह से आंदोलनकारी न तो सही तरीके से धरना दे पा रहे हैं और न ही इनके समर्थक यहां पर पहुंच पा रहे हैं। बारिश की वजह से सिंघु बार्डर पर हरियाणा व पंजाब से पहुंचने वाले लोगों का सिलसिला भी थमने लगा है। इससे धरना स्थल पर भीड़भाड़ पहले की तुलना में काफी कम हो गई है। अधिकतर समय लंगर भी बंद पड़े रहते हैं। किसानों की सेवा के लिए पहुंचने वाले विभिन्न राजनीतिक व सामाजिक संगठनों के लोगों की भी बीते दिनों में संख्या घटी है।