कानून के समर्थन में 224 सेवानिवृत्त अफसरों व बुद्धिजीवियों ने योगी को लिखा पत्र
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में योगी सरकार द्वारा लव जिहाद के खिलाफ लाए गए कानून को लेकर पूर्व नौकरशाहों में घमासान शुरु हो गया है। कुछ दिन पहले 104 अवकाश प्राप्त आईएएस अधिकारियों ने इस कानून के विरोध में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखा तो अब 224 पूर्व आईएएस, आईपीएस अधिकारियों के साथ न्यायाधीशों व शिक्षाविदों ने इस कानून के समर्थन में मुख्यमंत्री योगी को पत्र भेजा है। समर्थन वाली चिट्ठी सोमवार देर रात राजधानी में चर्चा का विषय बनी। इन अधिकारियों और बुद्धिजीवियों का नेतृत्व उप्र के पूर्व मुख्य सचिव और राज्यसभा के महासचिव रहे योगेंद्र नारायन ने किया है। नई चिट्ठी में लिखा गया है कि जो अवकाश प्राप्त अधिकारी लव जिहाद के खिलाफ लाए गए कानून का विरोध कर रहे हैं, वे सरकार के विरोधी स्वभाव के हैं। वे हजारों पूर्व अधिकारियों का प्रतिनिधित्व भी नहीं करते हैं। ऐसे में उनके द्वारा मुख्यमंत्री योगी को जो नसीहत दी गई है, वह गैरजिम्मेदराना है।
दरअसल, कुछ दिन पहले 104 सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारियों ने मुख्यमंत्री योगी को पत्र लिखकर उक्त कानून को समाज बांटने और नफरत फैलाने वाला बताया था। उस पत्र के माध्यम से लव जिहाद के खिलाफ बने कानून को रद्द करने की मांग भी की गई थी। अब योगेंद्र नारायण के नेतृत्व में आई चिट्ठी ने पिछले पत्र को राजनीति से प्रेरित बताया है। नई चिट्ठी में कहा गया है कि ब्रिटिश राज में भी कई रजवाड़ों ने इसी तरह के कानून लागू किए थे। यह कानून धर्म और जाति छिपाकर धोखाधड़ी करने वालों के खिलाफ कारगर है। पहले वाले पत्र में पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शिवशंकर मेनन, विदेश सचिव निरूपमा राव और प्रधानमंत्री के पूर्व सलाहकार रहे टीकेए नायर जैसे रिटायर्ड अफसर शामिल थे।
वहीं नई चिट्ठी में योगेंद्र नारायण के अलावा दिल्ली हाई कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश राजेंद्र मेनन, सिक्किम हाई कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश परमोद कोहली, पंजाब के पूर्व मुख्य सचिव सर्वेश कौशल, त्रिपुरा के पूर्व डीजीपी बीएल वोहरा, पंजाब के पूर्व डीजीपी पीसी डोगरा, उप्र के पूर्व डीजीपी महेंद्र मोदी, केजीएमयू लखनऊ के पूर्व कुलपति मदनलाल ब्रह्मभट्ट, डॉ. शकुंतला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विवि के पूर्व कुलपति डॉ. निशीथ राय, बनारस हिंदू विवि के पूर्व कुलपति प्रो. गिरीश चंद्र त्रिपाठी समेत 224 पूर्व अधिकारियों, न्यायाधीशों और बुद्धिजीवियों के हस्ताक्षर हैं। गौरतलब है कि लव जिहाद को रोकने के लिए योगी सरकार ने बीते वर्ष उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म परिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश-2020 पारित किया था। प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने 28 नवम्बर को इस अध्यादेश को मंजूरी दी थी। हालांकि इस अध्यादेश में लव जिहाद का उल्लेख नहीं है, लेकिन उप्र में इसे लव जिहाद के खिलाफ कानून बताकर ही प्रचारित किया जा रहा है।