गाजियाबाद में घटिया निर्माण से हुई 24 मौतों की जिम्मेदारी मुख्यमंत्री व नगर विकास मंत्री स्वयं ग्रहण करें : नेता प्रतिपक्ष
लखनऊ। नेता प्रतिपक्ष, उत्तर प्रदेश रामगोविंद चौधरी ने सोमवार को यहां कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के शासनकाल में हुए निर्माण हों या तीनों नए कृषि कानून, सभी जानलेवा हैं। इनसे जान बचाने के लिए जरूरी है कि इनके कार्यकाल में हुए सभी निर्माणों की प्रयोग से पहले उच्चस्तरीय जांच हो और तीनों नए कृषि कानून तत्काल वापस हों। गाजियाबाद में नवनिर्मित छत की भेंट चढ़ गए चौबीस लोगों के निधन पर शोक प्रकट करते हुए नेता प्रतिपक्ष, रामगोविंद चौधरी ने आरोप लगाया कि भारतीय जनता पार्टी के नेता केवल जुमले बाजी और नफरत की आग को हवा देना जानते हैं। सत्ता में आने से पहले इसी के बल पर ये लोग लोगों को भरमाकर धन लेते रहे हैं और मौज करते रहे हैं। इसी के बल पर ये लोग सत्ता में भी आ गए। उन्होंने कहा है कि सत्ता में आने के बाद भी ये लोग अपनी पुरानी आदत कायम रखे हुए हैं। इन्हीं आदतों की देन है, गाजियाबाद की हृदय विदारक घटना जिसमें 24 लोगों की असमय जान चली गई। इसी आदत के परिणाम हैं, तीनों नए कृषि कानून जिसमें उत्तर प्रदेश के कश्मीर सिंह सहित पचास किसान शहीद हो चुके हैं।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि देश और प्रदेश के लोगों की जान बचाने के लिए जरूरी है कि इन लोगों के पुराने धंधों की व्यापक जांच हो, खास तौर से भीड़ हत्या और नरसंहार जैसे मामलों की। उन्होंने कहा कि ये जांच परिणाम आने के साथ ही निमार्ण के नाम पर मौत देने वाली इस सरकार के अगुआ और अम्बानी-अडानी को खेती बारी और किसानी सौंपने वाले कृषि कानूनों के अगुआ वहां होंगे, जहां कानून से खेलने वाले को होना चाहिए। रामगोविंद चौधरी ने कहा कि गाजियाबाद के घटिया निर्माण में 24 लोगों की मौत की जिम्मेदारी मुख्यमंत्री और नगर विकास मंत्री स्वयं ग्रहण करें और इसकी जांच तक अपने को अपने अपने पदों से विरत रखें। इसी प्रकार कृषि कानून को लेकर यूपी के कश्मीरा सिंह समेत 50 किसानों की शहादत की जिम्मेदारी प्रधानमंत्री और कृषि मंत्री स्वयं ग्रहण कर अपने अपने पद से विरत होने की घोषणा करें। उन्होंने कहा है कि प्रधानमंत्री, भारत सरकार के कृषि मंत्री, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और उत्तर प्रदेश के नगर विकास मंत्री ने असमय हुई इन मौतों के मामलों में अपनी अपनी जिम्मेदारी स्वयं ग्रहण कर अपने अपने पदों से विरत रहने की घोषणा नहीं की तो लोग इसे कबूल करने और इस्तीफा देने की मांग करने लगेंगे जो इन मर्यादित पदों के लिए अच्छी स्थिति नहीं होगी।