धरती और धरती के लोगों को जानने के लिए यात्रा जरूरी : प्रो. अवधेश प्रधान

डाॅ.रामसुधार सिंह की यात्रा कथा ‘धरती तेरे कितने रूप’ का लोकार्पण

वारणसी। ‘यात्रा का अनुभव सिर्फ हमारा खुद का अनुभव नहीं होता है, यह सबका होता है और लोगों को प्रेरणा देता है, शिक्षित करता है। रवीन्द्रनाथ टैगोर ने सोवियत संघ की यात्रा की। ‘रूस की यात्रा’ नामक यह पुस्तक बतलाती है कि यात्रा कुछ एक दुरियों पर संग्रहालय बनाये गये थे, अनुभवों को संग्रहालय में सहेज कर रखा गया था। जो रुस के लोगों के शिक्षित होने का माध्यम बना।’ उपरोक्त बातें अशोक मिशन एजुकेशनल सोसाइटी द्वारा रविवार को कादिपुर शिवपुर में सम्पन्न हुए डाॅ0 रामसुधार सिंह की पुस्तक ‘धरती के तेरे कितने रूप’ के लोकार्पण एवं पं0 हरी राम द्विवेदी के काव्य पाठ् के अवसर पर मुख्य अतिथि प्रो0 अवधेश प्रधान ने कही। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए गीतकार ओमधीरज ने यात्रा कथा में वर्णित मार्मिक अंशों को उद्धृत करते हुए कहा कि ‘इस पुस्तक में साइकील से वायुयान तक के रोचक यात्राओं का काव्यात्मक ढंग से वर्णन हुआ है।’ कार्यक्रम के प्रारम्भ में वक्ताओं ने प्रथम शिक्षिका सावित्री बाइ फूले को उनके जन्म दिवस के अवसर पर उनके योगदान को रेखांकित किया।

इस अवसर पर डाॅ0 प्रकाश उदय, प्रो0 बाबूराम त्रिपाठी, डाॅ0 महेन्द्र प्रताप सिंह, डाॅ0 रामजी सिंह, हिमांशु उपाध्याय, अनुराग त्रिपाठी, रामानन्द तिवारी, अमिताभ भटाचार्या ने लोकार्पित पुस्तक के सम्बन्ध में अपने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम के दुसरे सत्र में पं0 हरिम राम द्विवेदी का काव्य पाठ हुआ। द्विवेदी ने पारम्परिक लोक गीतो के साथ खड़ी बोली के गीतो का सस्वर पाठ किया। स्वागत डाॅ0 मेजर अरविन्द कुमार सिंह, धन्यवाद ज्ञापन शोभना प्रधान एवं कार्यक्रम संचालन अशोक आनन्द ने किया। कार्यक्रम में मुन्ना चैहान, कान्ता प्रसाद, डाॅ0 संजय श्रीवास्तव, विमल राय, रमेश लालवानी, पीएन सिंह, कवयित्री मंजरी पाण्डेय, उषा वर्मा, अरुण कुमार सिंह एवं प्रदीप वर्मा उपस्थित रहे।

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