लखनऊ : एक्टिविस्ट डॉ नूतन ठाकुर द्वारा उत्तर प्रदेश विधान परिषद् को भेजे गए एक आरटीआई प्रार्थनापत्र से यह सामने आया है कि विधान परिषद् में जन सूचना अधिकारी तक नहीं हैं। नूतन ने विधान परिषद सचिवालय से विशेष कार्याधिकारी प्रकाशन, संपादक, अनुसेवक आदि की नियुक्ति के संबंध में जारी विज्ञापन संख्या 1/2020 से संबंधित अभिलेख मांगे थे। साथ ही उन्होंने इन पदों पर परीक्षा कराने के लिए चयनित संस्था से संबंधित जानकारी भी मांगी थी। उन्होंने इस संबंध में स्पीडपोस्ट के माध्यम से पत्र प्रेषित किया। विधान परिषद् सचिवालय ने यह कहते हुए पत्र लेने से मना कर दिया कि प्राप्तकर्ता विधान परिषद् में नहीं बैठते हैं और डाक विभाग द्वारा पत्र नूतन को वापस कर दिया गया। नूतन ने आरटीआई एक्ट 2005 के बनने के 15 साल बाद भी विधान परिषद् में लोक सूचना अधिकारी तक नहीं नियुक्त होने तथा इस प्रकार आरटीआई विषयक आवेदनपत्र को वापस किये जाने को गंभीर अनियमितता बताते हुए विधान परिषद् सचिवालय प्रशासन के खिलाफ उत्तर प्रदेश सूचना आयोग में शिकायत भेजी है।