नए साल में जीने के लिए रहना होगा खुश!

एक लम्हा है जो बीतता नहीं। और साल हैं …कि लम्हों की तरह बीते जा रहे हैं। मतलब साफ है, साल दर साल, साल बीतते जाएंगे और एक दिन आप पाएंगे कि चंद लमहे कम पड़ गए। शहर दर शहर आप भटक लेंगे और एक दिन पाएंगे कि चंद कदम बाकी रह गए। कितना ही जी लें, कितनी ही सदियों तक, एक दिन ऐसा आएगा, जब आप पाएंगे यह काफी नहीं था। जब आप पाएंगे कि उस सरहद के इस तरफ छूट गए हैं, जिसको लांघकर जाना था। और तब आप फिर लौट आएंगे, उन तमाम बचे हुए लमहों को जीने के लिए, जो रह गए थे, वे तमाम बचे हुए मील चलने के लिए, जो छूट गए थे। या यूं कहें हर शुरुआत एक नई शुरुआत होगी, कोई भी आखिरी कभी आखिरी नहीं होगा।

-सुरेश गांधी

वैसे भी क्या यह बात जश्न मनाने के लिए काफी नहीं की दुनिया के इतने सारे लोग एक वायरस की चपेट में आए और हम नहीं आए। ईश्वर ने हमें बचाए रखा, फिर भी न जाने क्यों खुशियां हमारे पास आती ही नहीं। चेहरे पर एक अजीब सी उदासी छाया रहता है। जबकि खुशी ही जीवन है। जिसने खुशी को समझ लिया, वो उसकी जिंदगी सफल हो गयी। ऐसे में नए साल में खुद से वादा करें कि जीवन में जो है उसमें अपने लिए खुशी तलाश लेंगे। खुद को मायूस होने का मौका नहीं देंगे। याद रखें सोच में परिवर्तन ही आपको खुशी दे सकता है। ऊर्जावान बनाए रख सकता है। हर वो इंसान जो इस दुनिया में आया है उसकी जिम्मेदारी है कि वह अपने मन को खुश रखें। इसमें महिलाओं की दोहरी जिम्मेदारी है, क्योंकि उन्हें अपने साथ-साथ परिवार को भी खुश रखना है। हम सभी इस बात से वाकिफ है कि सृष्टि के दूसरे जीवों से इंसान बेहतर है, क्योंकि हमारे पास मन व मस्तिष्क है। भावनाओं का एक सागर है। जो हमें बुरे समय में खुद पर संयम रखने की ताकत देता है। इसलिए जीवन एक उत्सव के रुप में जीएं।
पुराने की चिंता छोड़ नए को जीना होग।

फिरहाल, साल 2020 कुछ ही घंटों में खत्म होने वाला है। 2021 दस्तक देने वाला है। ऐसे में पुराने की चिंता छोड़ नए को नए सीरे से जीने की ओर आगे बढ़ना होगा। या यूं कहे सभी के जीवन में अवसर अवश्य आते हैं। मनुष्य को इन अवसरों पर चूकना नहीं चाहिए। यह अवसर उसकी पूरी जिंदगी को बदल सकते हैं। केवट ने भगवान श्रीराम के चरण छूने का अवसर नहीं खोया। परिणाम सबकों पता है। कहने का अभिप्राय यह है कि आज मानव समय पर चूक जाता है। जीव को केवट की तरह चतुराई रखनी चाहिए, क्योकि बीता हुआ समय कभी वापस नहीं आता है। यदि केवट प्रभु राम का चरणामृत उस वक्त न ले पाता तो फिर शायद यह मौका उसे नहीं मिलता। कहा जा सकता है बीता हुआ दौर आगे की राह बताता है तो पिछले से सबक लेकर कुछ नया करने की जज्बा पैदा करता है। देखा जाय तो हर गुजरा हुआ साल कई तरह की यादें दे जाता है। उन्ही में साल 2020 एक है, जो कोरोना संक्रमण के साथ कई चीजों के लिए याद रखी जाएगी। कई ऐसे बड़े राजनीतिक फैसले हुए जिसने सबको चौंका दिया। मोदी सरकार को इस साल सबसे ज्यादा जिस बड़े फैसले के लिए याद रखा जाएगा तो वह फैसला है सालों पुरानी श्रीराम मंदिर विवाद का खात्मा और मंदिर का निर्माण शुरु कराना। अर्थव्यवस्था के लिहाज से वर्ष 2020 अच्छा नहीं रहा। क्योंकि कोरोना के चलते हर सेक्टर में मायूसी का आलम छाया रहा। छोटे बड़े उद्योग भी अर्थव्यवस्था की सुस्ती से बुरी तरह से परेशान रहे। बिल्डर, डेवलपर, रुके हुए प्रोजेक्ट और ग्राहकों की कमी से यह सेक्टर पूरे साल हांफता रहा।

बड़ी उपलब्धियों में काशी का संवरना

दुनिया की सबसे प्राचीन नगरी काशी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल पर सड़क, जल, रेल और हवाई सेवाओं के जरिए आधुनिक काशी की तस्वीर ट्रांसपोर्टेशन हब के रुप में सामने आई है। पाइप नेचुरल गैस (पीएनजी) से जहां हजारों परिवार की रसोई सुरक्षित हुई तो आईपीडीएस ने पुरानी काशी को बिजली के तारों के जंजाल से मुक्त कराया। बदलते बनारस को देखने और जानने भले ही विदेशी पर्यटक नहीं पहुंचे, लेकिन काशी दर्शन के लिए गंगा में क्रूज संचालन और हेलीकाप्टर को भी मंजूरी ने विकास की नई उम्मीद जगाई है। काशी विश्वनाथ कॉरिडोर करोड़ों श्रद्धालुओं के लिए सुविधा का रास्ता बन रहा है, तो फसाड व फोकस लाइट ने शहर को नया लुक दिया है। कुल मिलाकर वर्ष 2020 में वाराणसी की कई उम्मीदें धरातल पर उतरी और कई ख्वाबों को पंख भी लगे हैं। मंडुवाडीह व कैंट फ्लाईओवर ने जाम से निपटने का रास्ता दिखाया। जल परिवहन की भी साक्षी काशी बनी और व्यापार के लिए विशेष माने जाने वाले फ्रेट विलेज की उम्मीद फिर से जगी। कैबिनेट ने गंगा में क्रूज संचालन और हेलीकाप्टर से काशी दर्शन को मंजूरी देकर काशी के पर्यटन को ऊंचाई देने की कोशिश की है। शहर के पार्को और चौराहों का सौंदर्यीकरण, प्रमुख भवनों में लाइटिंग से भी काशी की खूबसूरती में चार चांद लगे हैं। राजातालाब में शुरू हुए पेरीशेबल कार्गो ने किसानों को व्यापार से सीधा जोड़ा है तो दिसंबर के अंतिम सप्ताह में लोकार्पित होने वाले चावल अनुसंधान संस्थान से उन्नति कृषि के लिए नई पहल होगी। चावल की नई प्रजातियों के साथ ही दुनिया भर के लिए यह संस्थान नए शोध प्रस्तुत करेगा।

उम्मीदों को हकीकत का दामन मिले

कैलेंडर बदलना रिवाज भर नहीं है, न ही बीती को बिसार कर आगे की सुधि लेने का सपाट यंत्र। इसी वजह से नये साल के कैलेंडर में बीते साल और अगले साल की तारीखों के भी कोने होते हैं। व्यक्ति, समाज और राष्ट्र के बतौर और वैश्विक समुदाय का हिस्सा होने के नाते आज का दिन यह अहद करने का मौका भी है कि हम सुकून और पुरअमन माहौल के लिए पूरी कोशिश करेंगे ताकि हमारे सपनों, चाहतों और उम्मीदों को हकीकत का दामन मिले। यह कसम उठाने का दिन भी है कि हमें धरती को पेड़-पौधों, नदियों, पहाड़ों, परिंदों और चरिंदों से भरा-पूरा रखना है, ताकि उसकी गोद में आदमी सुख और चौन से बसर कर सके। हवा और पानी के साथ दिलो-दिमाग को भी खराब होने से बचाना है। कहना है, पर सुनना भी है। बोलना है, पर गुनना भी है। अपनी खुशी पर मुस्कराना है, तो दूसरों के दर्द भी बांटने हैं। वक्त ने नया कलेवर डाला है, हमारी हसरतों को जोश मिला है, नया साल शुरू हुआ है।

चुनौतियां भी कम नहीं

रोजगार की बात तो तब आयेगी, जब जीवन रहेगा। जिस तरीके से प्रदूषण फैल चुका है, पीने का पानी नहीं मिल रहा, उससे सीधे जीवन का संकट आ गया है। इस हालात को समझना होगा। अभी भी समय है चेतने का। पानी बचाइए। पानी नहीं रहेगा, तो आदमी या जीव-जंतु जिंदा नहीं रहेंगे। हालांकि यह संकट ग्लोबल है, लेकिन हमें सतर्क तो रहना ही होगा। वर्षा के पानी को समुद्र में जाने से अधिक से अधिक रोकना होगा। यह तभी संभव होगा, जब जन-भागीदारी हो। क्योंकि बड़े-बड़े अपार्टमेंट तो बन गये, लेकिन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम नहीं बनाये गये। चारो ओर सीमेंट से पक्का कर दिया गया। रोड पक्का, नालियां पक्की और घरों-अपार्टमेंट का पूरा इलाका सीमेंट से पक्का। फिर वर्षा का पानी मिट्टी में कहां से रिसे, अंदर जाये, कोई जगह ही नहीं है। ज्यादा संकट शहरी इलाकों में है। एक-एक बूंद पानी को बचाना होगा। घरों और अपार्टमेंट में वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लागू करना होगा। इसके लिए सिर्फ बोलने से नहीं, सरकार को कड़ाई से लागू करना होगा। घर-अपार्टमेंट चाहे कितने बड़े नेता-अफसर का क्यों न हो, अगर नियम तोड़ा, तो दंडित करना होगा। शहरों में जो तालाब बचे हैं, उन्हें बचाना होगा, गहरा करना होगा (अगर संभव हो तो मुहल्ले के लोग मिल कर इसकी सुरक्षा की गारंटी लें)। जिसने भी तालाब पर अवैध कब्जा कर मकान-दुकान बनाया, उस अतिक्रमण को हटाना होगा। सरकार नीति बनाये कि घर-अपार्टमेंट या दफ्तर-संस्थानों में 15 या 20 फीसदी हिस्सा किसी भी स्थिति में पक्का न किया जाये यानी मिट्टी दिखे ताकि पानी उसके माध्यम से धरती के भीतर जाये।

जीवन जीने का समझना होगा तरीका

जीवन में सफलता और असफलता दोनों बस कल्पना हैं। जो इनसान इस जीवन की साधारण घटनाओं को ही जीवन का लक्ष्य मान कर चलता है, उसके लिए सफलता और असफलता है। लेकिन, जो इस जीवन को एक भव्य संभावना के लिए एक सीढ़ी की तरह मानता है, उसके लिए कोई असफलता नहीं होती। आपके सामने जो भी परिस्थिति हो, आप उसका इस्तेमाल अपनी खुशहाली के लिए कर सकते हैं। आपने अपनी हर कल्पना, विचार, भावना और मूल्य को कहीं से बटोरा है, और वे आपके भीतर शासन करते हैं। अगर आप सड़क के भिखारी होते, और आप रेस्तरां जाकर मसाला दोसा खा पाते, तो यह आपके लिए बड़ी सफलता होती। जैसे ही आप सामाजिक परिस्थितियों में उलझ जाते हैं, सफलता की आपकी कल्पना आपकी खुद की नहीं होती, किसी और की होती है। सबसे पहली और सबसे बड़ी सफलता यह है कि आप किसी और की कल्पनाओं के गुलाम न बनें। सफलता या असफलता इससे नहीं तय होती कि आपने जीवन में कितना धन कमाया है या फिर आपको दुनिया में कितना सम्मान मिला है। आप सचमुच सफल तब होते हैं, जब आप बुरे-से-बुरे समय में भी आनंद के साथ रह सकें।

जीवन हमारे सामने अलग-अलग तरह की परिस्थितियां लाता है, और उनमें से कई ऐसी होती हैं जिन्हें हम नहीं चाहते, पर हम उन परिस्थितियों को क्या रूप देते हैं, यह हम पर निर्भर करता है। हमारी राह में जो भी परिस्थिति आती है, उसे हम क्या रूप देते हैं, यह शत प्रतिशत हम पर निर्भर करता है। तकनीक के साथ जीने का तरीका बहुत भयानक है! – घर-घर में मोबाइल और शहर ही नहीं, गांव-गांव में इंटरनेट पहुंचने से भारतीय समाज में किस तरह का बदलाव आ रहा है? क्या इससे लोगों में ज्ञान और जागरूकता का स्तर बढ़ रहा है? हर इनसान स्वाभाविक रूप से जीवन के प्रति विस्मय भाव से भरा होता है, और इसके बारे में जानने और सीखने को उत्सुक होता है। पहले बच्चों को सबकुछ रोमांचक लगता था, पर आज आधुनिक तकनीक की वजह से आप देखेंगे कि 8-10 साल के बच्चे बोर हो रहे हैं। उन्होंने इंटरनेट के माध्यम से पूरा विश्व देख लिया है, और पूरे ब्रह्माण्ड को वे अपने फोन स्क्रीन पर जान चुके हैं। ये जीने का बहुत भयानक तरीका है। अगर आप नहीं जानते और आपको पता है कि आप नहीं जानते, तब तो जानने की संभावना हमेशा बनी रहती है, लेकिन अगर आप नहीं जानते, और सोचते हैं कि आप जानते हैं, तो आपका कोई इलाज नहीं है। तकनीक एक बहुत बड़ा वरदान है, पर यह संभव है कि लोग इसका इस्तेमाल दुनिया को खूबसूरत बनाने की बजाय दुनिया के विनाश के लिए ना करें। तकनीक से लाभ होगा या हानि, यह इस पर निर्भर करता है कि यह किसके हाथों में है। यही कारण है कि पहले मानव कल्याण की तरफ ध्यान देना होगा, क्योंकि आपको दी गयी कोई चीज आप कैसे चलाएंगे, यह इस पर निर्भर करेगा कि आपके हाथ कैसे हैं। जिसने मानवीय व्यवहार नहीं सीखा, वह मानव कैसा! कहने को तो सोशल मीडिया दुनिया के किसी भी कोने में बैठे लोगों को जोड़ने में मददगार साबित हो रहा है, लेकिन सामाजिक-पारिवारिक रिश्तों में तनाव कम होने की बजाय बढ़ ही रहे हैं।

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