2020 कुछ ही घंटे में बीतने वाला है। वर्ष 2021 आने को है। नए साल में बच्चों और युवाओं के मन में बेहतर भविष्य से जुड़ी बड़ी उम्मीदें हैं। लेकिन साल का पहला दिन शुभएवं फलदायी है। क्योंकि पुष्य नक्षत्र के साथ ही नए साल का शुभारंभ होगा। साल के पहले दिन 1 जनवरी को पुष्य नक्षत्र है, जो समृद्धि प्रदायक होता है। इस दिन किए सभी कार्य और खरीदी शुभ फलदायी होती है। खास बात यह है कि नए साल-2021 में दो दिन रवि और दो दिन गुरु पुष्य नक्षत्र के साथ ही कुल 24 दिन पुष्य नक्षत्र रहेगा
ज्योतिषियों की माने तो इस साल के अंतिम दिन 31 दिसंबर को गुरु पुष्य योग रहेगा। आगामी नववर्ष-2021 की शुरुआत यानी एक जनवरी को भी पुष्य नक्षत्र के योग में ही होगी। अर्थात जिस शुभ महामुहूर्त में वर्ष 2020 का समापन होगा उस दिन से लेकर नववर्ष-2021 के पहले दिन तक पुष्य नक्षत्र का संयोग रहेगा। जो सूर्योदय से प्रारंभ होने के कारण सभी के लिए कल्याणकारी रहेगा। वैसे भी नए साल में कुल 24 पुष्य नक्षत्र का योग है। पहली व 28 जनवरी (गुरु पुष्य), 24 व 25 फरवरी (बुध-गुरु पुष्य), 23 व 24 मार्च (मंगल-बुध पुष्य), 20 अप्रैल (मंगल पुष्य), 17 व 18 मई (सोम-मंगल पुष्य), 13 व 14 जून (रवि-सोम पुष्य), 10 व 11 जुलाई (शनि-रवि पुष्य), 7 व 8 अगस्त (शनि-रवि पुष्य), 3 व 4 सिंतबर (शुक्र-शनि पुष्य) व 30 सितंबर (गुरु पुष्य), 28 व 29 अक्टूबर (गुरु-शुक्र पुष्य), 24 व 25 नवंबर (बुध-गुरु पुष्य) व 20, 21 दिसंबर को (सोम-मंगल पुष्य) पुष्य नक्षत्र योग रहेगा। इसलिए कहा जा सकता है पूरा साल लाभदायी व फलदायी होने वाला है।
ज्योतिषियों के मुताबिक, पुष्य नक्षत्र को सभी 27 नक्षत्रों का राजा माना जाता है। साल के 365 दिनों में यह हर 27 दिन के अंतराल में आता है। प्रतिवर्ष 13 से 14 दिन पुष्य नक्षत्र का योग रहता है। इसके अलावा कई बार घटी-पल कम-ज्यादा होने के कारण अगले दिन तक पर्वकाल रहने से दो दिनों तक पुष्य नक्षत्र कहलाता है। नए वर्ष-2021 में ऐसे योग 10 दिन रहेंगे है, जब दो दिनों तक पुष्य नक्षत्र का योग रहेंगा। इसमें की गई खरीदी समृद्धिकारक होती है। पुष्य नक्षत्र की धातु सोना है। सोना खरीदने से लाभ होता है। रवि पुष्य में भूमि, भवन, वाहन व अन्य स्थाई सम्पत्ति में निवेश करने से प्रचुर लाभ की संभावना रहती है। इस दिन चांदी, बर्तन, कपड़ा, इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं की खरीदी भी शुभ रहती है। इस कार्य का शुभारंभ करना भी फलदायी माना गया है। अभी धनुर्मास चल रहा है जो 14 जनवरी यानी मकर संक्रांति तक प्रभावी रहेगा। दरअसल सूर्य इस दौरान धनु राशि में आ जाता हैं। इस दौरान मांगलिक कार्य नहीं कराए जा सकते। 17 जनवरी से गुरु पश्चिम की ओर अस्त हो रहे हैं।
फिलहाल, साल 2020 पूरी दुनिया के लिए किसी बुरे सपने से कम नहीं रहा है। लेकिन जो वक्त बीत गया सो बीत गया। अब हमें उसकी परवाह करना छोड़ देना चाहिए। बीता हुआ वक्त कैसा भी रहा हो, चाहे वो अच्छा रहा हो अथवा बुरा रहा हो..! हर हाल में उसे छोड़ कर आगे बढ़ने का प्रयास करना चाहिए। क्योंकि बीता हुए समय की याद हमें या तो दुख देता है या फिर पछतावे का अनुभव कराता है। ऐसे में इस नए साल 2021 का गर्मजोशी से स्वागत करना चाहिए। क्योंकि नया साल एक नई शुरूआत को दर्शाता है और हमेशा आगे बढ़ने की सीख देता है। पुराने साल में हमने जो भी किया, सीखा, सफल या असफल हुए उससे सीख लेकर, एक नई उम्मीद के साथ आगे बढ़ना चाहिए। जिस प्रकार हम पुराने साल के समाप्त होने पर दुखी नहीं होते बल्कि नए साल का स्वागत बड़े उत्साह और खुशी के साथ करते हैं, उसी तरह जीवन में भी बीते हुए समय को लेकर हमें दुखी नहीं होना चाहिए। जो बीत गया उसके बारे में सोचने की अपेक्षा आने वाले अवसरों का स्वागत करें और उनके जरिए जीवन को बेहतर बनाने की कोशिश करें।
कुछ बेहतर करने का लें ‘संकल्प‘
अंधेरे में रोशनी की चाहत, चिलचिलाती धूप में बारिश की ठंडी फुहारों की कामना, पतझड़ में सूखी टहनियों पर नई कोपलें फूटने की उम्मींद, अपनों के उदास चेहरे पर एक हल्की-सी मुस्कान की आस…वहीं छोटी-छोटी बातें हमें जीना सिखाती हैं। वाकई में एक छोटी-सी आशा भी हमें हर मुश्किल से लड़ने की ताकत देती है तो फिर क्यों न इन्हीं के सहारे हमारे आने वाले कल को और बेहतर करने की कोशिश की जाएं…। जितने सपने देखेंगे उतना ही उन्हें पाने के लिए मेहनत शुरु करेंगे। जबकि निराशावादी सोच रखने वाले यही सोचकर बैठ जाते है कि अब तो कुछ भी नहीं हो सकता। कई बार कड़ी मेहनत के बाद भी विफलता मिलती हैं। यह ऐसा कड़वा सच है जो सभी के जीवन में एक बार जरुर आता है। यह ऐसा दौर होता है, जब हम हतास हो जाते हैं। पर ऐसे मुश्किल वक्त में भी हमें अंर्तमन से प्रेरणा मिलती है कि अभी कुछ नहीं बिगड़ा। इसी उम्मीद की अंगूली थामे बाधाओं से भरे पथरीले रास्ते पर भी हम बेखौफ निकल पड़ते हैं। आने वाला कल आज से कहीं बेहतर होगा, यहीं उम्मीदं में हमें निरंतर आगे बढ़ने को प्रेरित करती हैं। वैसे भी यह सोलहों आना सच है कि कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती। अगर इरादे मजबूत हो तो बड़ी से बड़ी मुश्किलें भी हमारा रास्ता नहीं रोक पाती। यह बात हर इंसान पर लागू होती हैं कि कुछ न करने से बेहतर हैं कोशिशें करते रहना। यह कोशिशें कब आपकों कामयाबी के शिखर पर पहुंचा देंगी आपकों खुद ही मालूम नहीं पड़ेगा। ऐसे में क्यों न नए साल में सकारात्मक सोच के साथ परिवार रिश्तों, समाज, सेहत, करियर के स्तर पर छोटे-छोटे संकल्प लिए जाएं और उन्हें पूरा करने की कोशिश की जाएं।
हर महीने बनाएं एक नया लक्ष्य
हर महीने एक नया लक्ष्य बनाकर उसे पूरा करने का प्रयास करें। क्योंकि सकारात्मक सोंच की शक्ति इंसान को जीवन के सबसे मुश्किल हालात से लड़ने की ताकत देती हैं। यह कहावत पूरी तरह सच है कि ‘मन के हारे हार है, मन के जीते जीत‘। अगर कोई इंसान लड़ाई शुरु होने से पहले ही हार मान लें तो उसके लिए जीतना असंभव है, लेकिन जीत हासिल करने का जज्बा रखने वाले लोगों को कामयाबी जरुर मिलती है। यह दृष्किोण फर्क है कि कोई आधे ग्लास पानी को देखकर उसे खाली बताता है तो कोई यह देखकर खुश होता है कि अभी गिलास पूरी तरह खाली नहीं हैं। इसलिए वर्तमान में अपनी पिछली गलतियों को न दोहराने का संकल्प लेते हुए हमें निरंतर आगे बढ़ने की कोशिश करनी चाहिए। अगर वर्तमान सार्थक होगा तो निश्चित रुप से भविष्य उज्जवल होगा, हमें यह बात हमेसा याद रखनी चाहिए। गौर करने वाली बात यह है कि कोई भी एक्सपर्ट बनकर पैदा नहीं होता हैं। सभी शून्य से शुरुवात करते हैं। मुश्किलों से डरने वाले ही हारते हैं। इसलिए जीवन में आने वाली हर कठिनाई का डट कर सामना करना चाहिए। इसे कोई उपलब्धि मत समझिएं कि मैं दो मंजिला भवन बनवाना चाहता था, नए मॉडल की कार खरीदना चाहता था, फ्रिज-कूलर-एसी खरीदना चाहता था और मैंने वह ले ली। दरअसल, यह तो होना ही था, क्योंकि बाजार आपको जीरों फीसदी ब्याज दर पर यह सब करने के लिए कर्ज जो दे रहा है और वह आप से आने वाले दस सालों में वापस वसूल लेगा। तो सोचे कि अब तो कोई भी यह सब खरीद सकता है। यानी यह सब खरीदना कोई बड़ी चींज नहीं है।
सवाल यह है कि यह सब भोग-विलासता प्राप्त कर आप करेंगे क्या? हो सकता है आपका यह सब ठाठबांट देखकर कोई ईर्ष्या करें, खासकर पड़ोसी, तब तो आपकों अच्छा लगेगा, लेकिन अगर उसके पास आप से भी अधिक भोग-विलासिता वाली चीजें हुई तो फिर आप बुरा महसूस करने लगेंगे। लेकिन एक इंसान के तौर पर एक जीवन के तौर पर आप खुद को बड़ा बनाते है तो आप चाहे किसी शहर में हो यरा किसी पहाड़ पर अकेले बैठे हो, आप सकून महसूस करेंगे। यानी नए साल में जीवन को आगे ले जाने के लिए आपका यही नजरिया होना चाहिए। कहा जा सकता है इस दुनिया में असली बदलाव तभी आयेगा जब आप खुद को बदलने को तैयार हो। ये आपके भीतरी गुण ही है, जिसे आप देश-दुनियां व समाज में बांटते है। आप इसे मानें या ना मानें पर सच तो यही है कि आप जो है वही सब जगह फैलायेंगे। अगर आप को देश-दुनिया, समाज की चिंता है तो सबसे पहले आपको खुद में बदलाव लाने को तैयार रहना चाहिए। खुद को बदले बिना यदि आप कहतें है कि मैं चाहता हूं कि दुसरे सभी लोग बदलें, तो इस हालत में सिवाय टकराव के कुछ भी नहीं होने वाला।
सार्थकता में जीना सीखना होगा
फिरहाल, जीएं तो ऐसे जैसे वह आखिरी पल हो और सीखें तो ऐसे जैसे बरसों जीना हो, राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के ये विचार सिखाते है कि हर एक पल को उसकी सार्थकता में जीना चाहिए, क्योंकि समय किसी का इंतजार नहीं करता। जो लोग इसकी कीमत पहचानते है समय उनकी कद्र करता है। जो नहीं पहचान पाते समय उनके हाथ से रेत की तरह फिसल जाता है और पीछे छोड़ जाता है पछतावा। ठीक उसी तरह जैसे नदी बहती है तो वह लौटकर नहीं आती, दिन-रात बीत जाते है, जुबान से निकली शब्द और कमान से निकले तीर वापस नहीं लौटते, उसी तरह गया वक्त भी कभी नहीं लौटता। अच्छा होता है तो यादों में बसा रहता है, बुरा हो तो दर्द बनकर सीने में सुलगता है। कहते है अतीत कभी लौटता नहीं और भविष्य को किसी ने देखा नहीं, मगर वर्तमान हमारे हाथ में है, जिसे हम जैसा चाहें बना सकते है। अक्सर लोग चिंता में डूबे रहते है कि कल क्या होगा? सच तो यह है कि चिंता से किसी समस्या का हल नहीं होता। वक्त का सही इस्तेमाल करने से ही कुछ हासिल होता है। कल क्या हुआ और कल क्या होगा इसके बजाए यह सोचे कि आज क्या कर रहे है। आत्ममुग्ध होना गलत है मगर खुद को दुसरों के पैमाने से नापना भी गलत है। इसलिए दुसरों की चिंता किए बगैर आप क्या सोचते है और आपकी धारणा क्या है इस पर विचार करें तो बेहतर होगा। सबसे महत्वपूर्ण यह है कि अपने अंतर्मन की आवाज पर चलने का साहस दिखाएं। वहीं से सच्ची सलाह मिल सकती है बाकि तो बात की बाते हैं। इसके लिए प्रकृति सबसे सटीक उदाहरण है। हर दिन नीत समय पर सुबह होती है। दरवाजों-खिड़कियों से आती धूप की लकीर बताती है कि दिन का शुभारंभ हो चुका है। पंछी चहचहाते हुए घोसले से बाहर भोजना का प्रबंध करने निकल पड़ते है। पूरी कायनात अपने इशारों से इंसान को समय का मूल्य समझाती है। यदि समय का तालमेल थोड़ा भी गड़बड़ हो जाएं तो पृथ्वी पर हलचल मच जाती है और लोग अनहोनी की आशंका से डर जाते है। प्रकृति का यह अनुशासन इंसान सीख जाएं तो उसका जीवन सार्थक हो जाय। यानी वक्त का सम्मान तभी हो सकता है जब जीवन में अनुशासन हों।
मानवता की हो प्राथमिकता
क्या वर्ष के एक दिन के कुछ घंटे भी हम मानवता की खातिर अपने समाज के वंचितों, उपेक्षितों व शोषितों के लिए समर्पित नहीं कर सकते? दुसरे के प्रति द्वेष की भावना का अंत कर शांति-सद्भाव और आगे बढ़ने का एक सकारात्मक माहौल का निर्माण करें। सबसे बड़ी और अच्छी बात यह सभी भारतीय पुरुषों की कोशिश महिलाओं को मानसिक एवं शारीरिक सुरक्षा देने की होनी चाहिए। बीतें कुछ सालों में हमारे समाज की मां-बहनें विभिन्न कारणों से खून के आंसू रोने को मजबूर है। कहीं न कहीं इसके कसूरवार हम भी है। आज आसपास घटित किसी दुर्घटना को देख आंखे बंद करने की हमारी घटिया प्रवृत्ति पर रोक लगाने की दरकार है। सामाजिक व्यवस्था में हाशिएं पर चले गए लोगों को जीवन जीने का उचित आधार मिलें, गरीबों, वंचितों एवं शोषितों की जीवन दशा में सुधार हो और उनकी संख्या घटे, कोई भूखा ना सोए, गरीबी मिटें, उग्रवाद-आतंकवाद का खात्मा हो, सुरक्षा व्यवस्था ऐसी कि युवतियां सड़कों पर विश्वास के साथ आ-जा सके, हम इसकी भी आशा रखते है। देश में ऐसी प्रतिभाएं निकलें, जो दुनिया में राज करें। ये सारे सपने पूरे हो सकते है अगर लोग अपनी जिम्मेदारी को बखूबी समझे और सार्थक भूमिका निभाएं।
युवाओं का होगा नया साल
बेशक, युवाओं के लिए नया साल खास उम्मीद लेकर आने वाला है। यानी कैरियर बनाने का वक्त है। अगर छात्र है, युवा है तो आपके पास परीक्षाओं में बेहतर करने व अच्छी नौकरी पाने का साल है। पूर्व की असफलताओं पर गौर करने से बेहतर है नए साल में कड़ी मेहनत और ईमानदारी से प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करना। निराश होने से काम नहीं चलने वाला। इस डर से तो कत्तई नहीं कि सीटे कम होती है और नेताओं-अफसरों के बेटो-रिश्तेदारों को वह नौकरी मिलेंगी। अगर आप पारीक्षा में नहीं उतरेंगे तो नुकसान आपका ही होगा, इसलिए परिणाम की चिंता किए बगैर इस नए साल में युद्धस्तार की तैयारी में जुटने की जरुरत है। क्योंकि यह वक्त है आगे बढ़ने के लिए कुछ नया सोचने का।
नया संकल्प लेने का दिन
नववर्ष का पहला दिन यानी संकल्प लेने का दिन। संभव हो, पिछले साल भी आपने कुछ संकल्प लिया हो और उसे पूरा न किया हो। इससे विचलित और निराश होने से कुछ नहीं होने वाला. रोने-गाने या पछताने से और कमियां निकालने, दूसरों पर दोषारोपण करने से कुछ फायदा नहीं होगा, रास्ता नहीं निकलेगा। आगे देखिए, आने वाली चुनौतियों को देखिए और उससे उबरने का रास्ता खुद बताइए-बनाइए। इसके लिए स्वर्ग से कोई देवता उतर कर आपकी समस्याओं को नहीं सुलझाएंगे। आपको खुद अपने कर्म के जरिये समस्याओं का समाधान खोजना होगा। नये वर्ष में आप चाहें तो अपनी धरती को ही स्वर्ग बना सकते हैं, लेकिन इसके लिए हर व्यक्ति को अपनी जिम्मेवारी निभानी होगी। इस बात का मूल्यांकन करना होगा कि अगर अभी हालात खराब हैं, जीवन खतरे में है, तो इसके लिए हम कितने दोषी हैं? अगर संकल्प लेना है, तो प्रकृति से खिलवाड़ नहीं करने का संकल्प लें, पानी नहीं बर्बाद करने का संकल्प लें, नदी-नाले को प्रदूषित नहीं करने और उन पर कब्जा नहीं करने का संकल्प लें, पहाड़ों को नष्ट नहीं करने का संकल्प लें, जंगलों को बचाने का संकल्प लें।