लखनऊ। उपमुख्यमंत्री डॉ.दिनेश शर्मा ने कहा कि कोरोना काल में जब सारी दुनिया ठहर सी गई थी, उस दौर में भी उत्तर प्रदेश में ज्ञान की ई-गंगा जमकर बही है। कोरोना का कहर भी प्रदेश में ज्ञान के प्रसार को रोक नहीं सका है। प्रदेश के माध्यमिक शिक्षा विभाग ने कोरोना काल में ई-शिक्षा की ऐसी अनूठी पहल की कि छात्र-छात्राओं की शैक्षिक प्रगति की रफ्तार पूर्व की तरह ही बनी रही। विभाग की इस पहल ने शिक्षा के दीप की लौ से बच्चों के रोशन होने की जो व्यवस्था की वह देश के लिए मॉडल सी बन गई। डॉ. दिनेश शर्मा ने कहा कि सरकार इस बात के लिए कटिबद्ध थी कि कोरोना की छाया शिक्षा व्यवस्था को प्रभावित न करे तथा इसमें सरकार ने सफलता हासिल की है। बच्चों के भविष्य को सुरक्षित करने हर संभव उपाय सरकार ने किया है और आगे भी करेगी, क्योंकि ये बच्चे ही देश का भविष्य हैं। आत्मनिर्भर भारत के निर्माण प्रधानमंत्री के संकल्प को पूरा करने के लिए शिक्षित व दृढ़संकल्पित युवाओं को तैयार किया जाना जरूरी है। इसलिए शिक्षा व्यवस्था को नया स्वरूप देकर सुचारू रखा गया।
उन्होंने बताया कि माध्यमिक शिक्षा विभाग ने लाकडाउन अवधि में शिक्षण व्यवस्था को सुचारू रखने के लिए ई ज्ञान गंगा कार्यक्रम एवं वर्चुअल स्कूल आरंभ किए। उपमुख्यमंत्री ने कहा कि 20 अप्रैल 2020 से वर्चुअल कक्षाएं संचालित की गई। शिक्षकों एवं विद्यार्थियों के 29.06 लाख ग्रुप बनाकर 67.73 लाख विद्यार्थियों को लाभान्वित किया गया। इसके साथ ही 01 मई 2020 से स्वयं प्रभा चैनल.22 पर कक्षा 10 व 12 हेतु ई-कक्षाएं प्रारम्भ की गईं। 18 अगस्त 2020 से ई-ज्ञान गंगा कार्यक्रम कक्षा 10 और 12 हेतु दूरदर्शन उत्तर प्रदेश पर एवं कक्षा 9 और 11 हेतु ई-विद्या.9 एवं 11 चैनल पर पाठ्यकमानुसार शैक्षणिक वीडियो का प्रसारण किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि ऑनलाइन शिक्षण प्लेटफार्म का उपयोग करने हेतु 1.48 लाख शिक्षकों को ऑनलाइन प्रशिक्षण भी दिया गया है। कोरोना के समय की विषम परिस्थितियों को देखते हुए मूल पाठ्यकम 30 प्रतिशत कम किया गया है। शैक्षिक प्रगति का मासिक ऑनलाइन मूल्यांकन भी किया जा रहा है। अभी तक माध्यमिक शिक्षा विभाग द्वारा 1360 शैक्षणिक वीडियो निर्मित किए जा चुके हैं। इसके साथ ही यू.ट्यूब चैनल.उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा विभाग तथा दीक्षा पोर्टल पर विषयवार शैक्षणिक वीडियो की उपलब्धता बनाई गई है। माध्यमिक शिक्षा परिषद की वेबसाइट पर ई.पाठ्य पुस्तकें भी उपलब्ध कराई गईं हैं। इस बात का भी ध्यान रखा गया है कि संसाधन के आभाव में कोई ज्ञान वंचित नहीं रहे। ऑनलाइन पठन-पाठन से वंचित विद्यार्थियों के लिए दूरस्थ शिक्षा सामग्री का विकास किया गया है। यह मुद्रित कर विद्यार्थियों को उपलब्ध कराने हेतु माध्यमिक विद्यालयों भेजी गई। सामान्य कक्षाओं के आभाव में होने वाली शैक्षणिक जिज्ञासाओं के समाधान हेतु टोल फ्री 18001805310 भी जारी किया गया है।
उन्होंने कहा कि अब तक 193 नये इण्टर कॉलेज का संचालन तथा 55 नये इण्टर कॉलेजों की स्वीकृति दी जा चुकी है। इसके साथ ही 30 बालिका छात्रावासों का संचालन किया जा रहा है। तकनीक के प्रयोग से बोर्ड परीक्षाओं को नकलविहीन बनाया गया है। नकल विहीन परीक्षा हेतु ऑनलाइन केन्द्र निर्धारण किया जा रहा है। कक्षा.9 एवं कक्षा.11 का आधार सहित ऑन लाईन अग्रिम पंजीकरण कराया जा रहा है। परीक्षा कक्षों एवं परिसर में वाइस रिकार्डर युक्त सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। वर्ष 2017 में मैनुअल तरीके से 11414 परीक्षा केन्द्र निर्धारित किए गए थे जबकि ऑनलाइन तरीके से निर्धारण होने से वर्ष 2018 में परीक्षा केन्द्र 8549 वर्ष 2019 में 8354 परीक्षा केन्द्र तथा वर्ष 2020 में 7783 ही परीक्षा केन्द्र बने थे। वर्ष 2020 में परीक्षा केन्द्रों का वेबकास्टिंग के माध्यम से पर्यवेक्षण हेतु जनपद व राज्य स्तर पर कन्ट्रोल रूम की स्थापना की गई। सोशल मीडिया के माध्यम से पारदर्शी एवं त्वरित शिकायत व सुझाव हेतु अभिनव तकनीक का प्रयोग किया गया। प्रदेश के इतिहास में पहली बार वर्ष 2020 की परीक्षा की समय सारणी 10 माह पहले ही घोषित कर दी गई। विशेषज्ञों की मदद से परीक्षार्थियों की जिज्ञासाओं का समाधान करने हेतु हेल्पलाइन की व्यवस्था भी की गई। उन्होंने कहा कि कोविड के दौर में पूरी सुरक्षा के साथ कक्षा 9 से 12 के विद्यार्थियों के लिए शिक्षकों से मार्गदर्शन लेने की व्यवस्था भी की गई है।