अमेरिका में एक मुहावरा काफी लोकप्रिय है। अपनी कलाई काटकर किसी दूसरे के कारपेट पर खून बहाना। इस मुहावरे का मतलब बहुत साफ है। किसी दूसरे के नुकसान के लिए अपने हितों को बुरी तरह चोट पहुंचाना। इसका असर यह होता है कि आप दूसरे के मुकाबले खुद को ज्यादा बड़ी मुसीबत में डाल लेते हैं। फ्रैंकलिन टेंपलटन के निवेशक इस वक्त ऐसे ही मोड़ पर खड़े हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने फ्रैंकलिन टेंपलटन के छह फंड्स के प्रशासन को लेकर निवेशकों का वोट कराने का आदेश दिया है। वोट में मुद्दा यह है कि फंड कंपनी ने महामारी के ताकालिक प्रभाव की वजह से जिन फंड्स को बंद कर दिया है, उन्हें फिर से शुरू करने के लिए मजबूर किया जाए या फंड कंपनी को इन्हें सही तरीके से बंद करने की अनुमति दी जाए। अदालत का कहना है कि इस मामले में निवेशकों की राय भी ली जानी चाहिए और निवेशकों के वोट के आधार पर मामले में फैसला होगा।
इन फंड्स में निवेशक के तौर पर मेरा मानना है कि इन्हें दोबारा शुरू करने के लिए नहीं, बल्कि इन्हें सही तरीके से बंद करने के लिए वोट करना चाहिए। इनके बंद हो जाने से ही नतीजा बेहतर होगा। अगर फंड को ओपन एंडेड बनाया जाता है यानी उसे दोबारा शुरू किया जाता है तो हर निवेशक जल्द से जल्द फंड को बेचकर निकल जाना चाहेगा। ऐसे में असेट मैनेजमेंट कंपनी मजबूरी में सभी असेट को औने-पौने दामों पर बेचने को मजबूर होगी।
लेकिन अजीब बात है कि ट्विटर, फेसबुक और व्हाट्सएप पर निवेशकों को इसका ठीक उलटा करने की सलाह दी जा रही है! इसके लिए इंटरनेट मीडिया पर अभियान चलाया जा रहा है। दो या तीन तरह के लोग ऐसे मैसेज को गंभीरता से ले रहे हैं। पहली कैटेगरी में वे हैं जो ट्वीट और मैसेज से दावा करते हैं कि निवेशकों को ‘नहीं’ के लिए वोट करना चाहिए, क्योंकि ये फंड कैश पॉजिटिव हैं।
कैश पॉजिटिव होने का सिर्फ इतना मतलब है उनके ऊपर कोई उधारी नहीं है। अगर कंपनी को फंड योजना बंद करनी पड़ती है और सारी असेट जल्दबाजी में बेची जाती है तो इस बात में और कैश पॉजिटिव होने में कोई संबंध नहीं है। अगर फंड ओपन एंडेड बन जाता है तो निवेशक फंड बेचना शुरू कर देंगे और उनको काफी कम कीमत मिलेगी। कोई फंड आज कैश पॉजिटिव है या नहीं यह मायने नहीं रखेगा। जो निवेशकों को फंड बंद करने की सलाह दे रहे हैं, उन्हें बुनियादी जानकारी भी नहीं है कि क्या हो रहा है।
दूसरी तरह के वे लोग इस आधार पर फंड चालू करने के पक्ष में हैं कि नहीं के लिए वोट करना असेट मैनेजमेंट कंपनी के लिए किसी तरह का दंड होगा और साथ ही सेबी के लिए शर्म की बात होगी। इससे अटपटा और कोई तर्क नहीं हो सकता है। तीसरी तरह के लोग एडवाइजर्स और डिस्ट्रीब्यूटर्स हैं जिन्होंने ये फंड निवेशकों को बेचे हैं।
वे अब यह कहकर अपना चेहरा बचाने का प्रयास कर रहे हैं कि कहीं पर कुछ गड़बड़ है। उन्होंने अपने क्लाइंट को जोखिम के बारे में उचित सलाह नहीं दी, यह स्वीकार करने की जगह वे बताना चाह रहे हैं कि उनकी सलाह अच्छी थी लेकिन कहीं कुछ गलत हुआ है। इस फंड में निवेश करने वाले सभी निवेशकों को अपने हित में इस मुद्दे को समझने की जरूरत है।