ग्राीमण विकास कोष (RDF) पर पंजाब सरकार की मुश्किलें बढ़तीं दिख रही हैं। इस मामले में केंद्र सरकार से विवाद का समाधान नहीं हो पा रहा है। पंजाब के वित्तमंत्री मनप्रीत बादल और खाद्य एवं आपूर्ति भारत भूषण आशू की केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल के साथ बैठक में भी इस मामले में सहमति नहीं बनी। ऐसे पंजाब सरकार की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
दरअसल ग्रामीण विकास कोष (RDF) की राशि बैंकों के पास रखकर ग्रामीण विकास बोर्ड के जरिए पंजाब सरकार ने 4000 करोड़ से ज्यादा राशि लोन के रूप में ली हुई है। इसे पंजाब सरकार ने किसानों का कर्ज माफी करने की योजना में खर्च किया। इसी माह के अंत में सरकार को ग्रामीण विकास बोर्ड ने 650 करोड़ रुपये की किस्त अदा करनी है।
इसी साल 650 करोड़ रुपए की किस्त अदा करनी है रूरल डेवलपमेंट बोर्ड को
पंजाब सरकार ने ग्रामीण विकास बोर्ड को यह कर्ज लेने के लिए गारंटी दी हुई है। यानी अगर बोर्ड यह राशि अदा कर पाने में सक्षम नहीं होता तो सरकार यह राशि लौटाएगी। ऐसे में जब कोरोना के चलते पहले ही टैक्स कलेक्शन पिछड़ी हुई है और केंद्र सरकार से भी जीएसटी की मुआवजा राशि नहीं मिल रही है तब 650 करोड़ रुपए की इस राशि को लौटाना सरकार के लिए मुश्किल हो जाएगा।
बोर्ड नहीं चुका पाया तो सरकार को अदा करनी पड़ेगी किस्त
काबिले गौर है कि धान की खरीद के लिए पंजाब सरकार ने केंद्र सरकार से इस साल 40 हजार करोड़ रुपये की कैश क्रेडिट लिमिट ली थी। उस पर तीन फीसद लगने वाला देहाती विकास फंड केंद्र सरकार ने रोक लिया है। यह राशि लगभग 1250 करोड़ रुपसे बनती है। केंद्र सरकार ने अपने पत्र में पंजाब सरकार से पूछा है कि वह इस राशि को कहां खर्च कर रही है। राज्य सरकार ने केंद्र सरकार को इस बाबत पूरी जानकारी दे दी है। इसके बावजूद वह केंद्र सरकार को आरडीएफ को बहाल करने में कामयाब नहीं हो सकी।
खाद्यान्न खरीद पर पंजाब सरकार ने तीन फीसद मंडी टैक्स और तीन फीसद देहाती विकास फंड लगाया हुआ है। इसके अलावा ढाई फीसद आढ़त भी आढ़तियों को मिलती है। 2017 से पहले तक आरडीएफ और मार्किट फीस दो-दो फीसदी थी जिसे एपीएमसी एक्ट में संशोधन करके दो से तीन फीसद कर दिया गया। साथ ही यह भी पारित किया गया कि इस राशि का उपयोग किसानों व मजदूरों के कल्याण पर भी खर्च किया जा सकता है।