इस वर्ष 25 दिसंबर 2020, शुक्रवार को मोक्षदा एकादशी मनाई जा रही है। मार्गशीर्ष माह में शुक्ल पक्ष को आने वाली एकादशी मनुष्य को जन्म-मृत्यु के बंधन से मुक्त कराती है। इस व्रत को धारण करने वाला मनुष्य जीवन भर सुख भोगता है और अपने समय में निश्चित ही मोक्ष को प्राप्त होता है।
मार्गशीर्ष यानी अगहन मास के मोक्ष दिलाने वाली यानी मोक्षदा एकादशी के दिन ही भगवान श्री कृष्ण के मुख से श्रीमदभगवद्गीता का जन्म हुआ था, इसीलिए इस दिन गीता जयंती भी मनाई जाती है। आइए जानें मोक्षदा एकादशी पर कैसे करें व्रत-पूजन…
मोक्षदा एकादशी पर ऐसे करें पूजन
* मोक्षदा एकादशी (मार्गशीर्ष शुक्ल एकादशी) के दिन प्रातः स्नानादि कार्यों से निवृत्त होकर प्रभु श्री कृष्ण का स्मरण कर पूरे घर में पवित्र जल छिड़कें तथा अपने आवास तथा आसपास के वातावरण को शुद्ध बनाएं।
* तत्पश्चात पूजा सामग्री तैयार करें।
* तुलसी की मंजरी (तुलसी के पौधे पर पत्तियों के साथ लगने वाला), सुगंधित पदार्थ विशेष रूप से पूजन सामग्री में रखें।
* गणेश जी, श्री कृष्ण और वेदव्यास जी की मूर्ति या तस्वीर सामने रखें। गीता की एक प्रति भी रखें।
* इस दिन पूजा में तुलसी की मंजरियां भगवान श्री गणेश को चढ़ाने का विशेष महत्व है।
* पूजा-पाठ कर एकादशी की व्रत कथा को सुनें, पश्चात आरती कर प्रसाद बांटें।
* चूंकि इसी दिन श्री कृष्ण ने अर्जुन को रणभूमि में उपदेश दिया था। अतः आज के दिन उपवास रखकर रात्रि में गीता पाठ करते हुए या गीता प्रवचन सुनते हुए जागरण करने का भी काफी महत्व है।
आज से लगभग पांच हजार वर्ष पूर्व मार्गशीर्ष शुक्ल एकादशी के मंगल प्रभात के समय कुरुक्षेत्र की रणभूमि पर योगेश्वर श्री कृष्ण के मुखारविंद से गीता का ज्ञान प्रवाह बहा और भारत को गीता का अमूल्य ग्रंथ प्राप्त हुआ। तबसे यह दिन भारत के सांस्कृतिक इतिहास का एक सुवर्ण पृष्ठ बनकर रहा है।
इस दिन भगवान कृष्ण तथा श्रीहरि विष्णु जी का करना चाहिए तथा गीता जयंती होने के कारण गीता का पाठ अवश्य पढ़ना चाहिए।
मोक्षदा एकादशी पूजन के शुभ मुहूर्त :
मोक्षदा एकादशी तिथि का प्रारंभ 24 दिसंबर 2020 को रात्रि 11.17 मिनट से हो रहा है तथा 25 दिसंबर को देर रात्रि 1.54 मिनट पर एकादशी तिथि समाप्त होगी।
मोक्षदा एकादशी का पारण समय शनिवार, 26 दिसंबर 2020 को सुबह 8.30 मिनट से सुबह 9.16 मिनट तक रहेगा।
इस समयावधि में श्रीकृष्ण तथा श्री विष्णु का पूजन करना अतिशुभ रहेगा। इस दिन विधिपूर्वक पूजन-अर्चन करने से पितृ प्रसन्न होकर अपना आशीष प्रदान करते हैं।