प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड सहित संबंधित अधिकारियों का आश्वासन, एक सप्ताह के अंदर चालू होंगी बंद पड़ी इकाइयां
वाराणसी। भदोही के डाइंग प्लांटों के खिलाफ प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की कार्रवाई से खफा कालीन उद्यमियों का एक प्रतिनिधिमंडल लखनऊ में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड सहित संबंधित अधिकारियों से मिला। इस दौरान प्रतिनिधिमंडल ने सबूे के पशुपालन विभाग के प्रमुख सचिव भुवनेश कुमार, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सचिव आशीष तिवारी साथ बैठक की और भदोही में क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा जांच के नाम पर डाइंग प्लांटों के खिलाफ की जा रही कार्रवाई से अवगत कराया। प्रतिनिधिमंडल की दलीले सुनने के बाद अधिकारियों ने कहा कि सरकार कालीन उद्यमियों की समस्याओं को लेकर गंभीर है। किसी भी उद्यमी का प्रशासनिक उत्पीड़न बर्दाश्त नहीं किया जायेगा। अधिकारियों ने कहा है कि जिन डाइंग प्लांटों के पास प्यूरीफिकेशन मशीन ईटीपी है, वे अपना काम सुचारु रुप से जारी रखें। जिन उद्यमियों की डाइंग प्लांट जांच के दौरान बंद कराई गयी है, उन्हें भी एक सप्ताह के अंदर चालू करने का निर्देश दे दिया जायेगा, बशर्ते वह अपना ईटीपी जरुर चलाएं। इसके अलावा एक माह के भीतर भदोही के पानी की सेम्पलिंग कराकर दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा जांच करायी जायेगी और आवश्यक सुविधाएं प्रदान की जायेगी।
प्रतिनिधिमंडल में शामिल सीईपीसी चेयरमैन सिद्धनाथ सिंह ने कहा कि भारतीय हस्तनिर्मित कालीन उद्योग हमारी अर्थव्यवस्था में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह ग्रामीण और अर्ध शहरी क्षेत्रों में शिल्प व्यक्तियों के एक विशाल खंड को रोजगार प्रदान करता है। देश की पारंपरिक विरासत को संरक्षित करते हुए पर्याप्त विदेशी मुद्रा भी उत्पन्न कराता है। परिषद भारतीय हस्तनिर्मित कालीन उद्योग के विकास के लिए प्रतिबद्ध है, जो उद्योग के दृढ़ समर्थन में है। श्री सिंह ने कहा कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा रंगाई इकाइयों को बंद करने के कारण उद्योग को समस्या का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में सरकार द्वारा तत्काल ठोस कार्रवाई की जरुरत है।
श्री सिद्धनाथ सिंह ने कहा कि अधिकांश इकाइयां सभी मानदंडों का पालन कर रही हैं। आवश्यक उपकरणों को भी स्थापित कर रखी हैं। जबकि शेष अपनी इकाइयों को उन्नत करने की प्रक्रिया में प्रयासरत है। इसके बावजूद जांच के नाम पर संबंधित निर्यातकों का उत्पीड़न किया जा रहा है। जबकि जनवरी में वर्चुअल मेला है। मई में जर्मनी में डोमोटेक्स प्रस्तावित है। ऐसे में डाइंग प्लांटों के बंद होने से ना सिर्फ कालीन निर्माण प्रभावित होगा, बल्कि लाखों गरीब कारीगरों और हस्तनिर्मित कालीन उद्योग से जुड़े अन्य लोगों की आजीविका भी प्रभावित होगी। इसलिए उद्योग को बचाने के लिए सहानुभूतिपूर्ण विचार की जरुरत है। प्रतिनिधिमंडल में सिद्धनाथ सिंह के अलावा कालीन निर्यात संवर्धन परिषद के अध्यक्ष ओंकारनाथ मिश्रा, एकमा सचिव असलम महबूब, कालीन निर्यातक इम्तियाज अहमद अंसारी, पंकज बरनवाल, रूपेश बरनवाल, दीपक श्रीवास्तव, सीईपीसी अधिशासी निदेशक संजय कुमार शामिल थे। तिवारी ने उद्योग को अपना पूरा समर्थन और सहयोग देने का आश्वासन दिया और कहा कि एक सप्ताह के भीतर नमूनों की पुनः जांच की जाएगी और एक महीने के लिए इकाइयां खोल दी जाएंगी।