प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि पर्यावरण के क्षेत्र में आज भारत इकलौता ऐसा देश है, जो पेरिस एग्रीमेंट को पूरा कर रहा है. पीएम बोले कि कई परिस्थितियां यूनिवर्सिटी की स्थापना का आधार बनीं, जिसमें सिर्फ अंग्रेजों की गुलामी ही नहीं बल्कि कई सालों से चले आंदोलनों की पृष्ठभूमि थी.
पीएम मोदी बोले कि आजादी के आंदोलनों की नींव काफी वक्त पहले रखी गई थी. देश की आध्यात्मिक, सांस्कृतिक आंदोलन को भक्ति युग ने मजबूत किया, संतों-आचार्यों ने देश की चिंता की है.
पीएम मोदी ने बताया कि दक्षिण में रामानुजाचार्य समेत कई संत हुए, पश्चिम में मीराबाई समेत अन्य संत आए, उत्तर में कबीर दास, सूरदास समेत अन्य लोग आए और जबकि पूर्व में चैतन्य महाप्रभु भी आए.
पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि मेरे लिए ये गर्व का विषय है कि मैं इसमें शामिल हुआ हूं. ये सौ साल की यात्रा काफी विशेष है, विश्वभारती मां भारती के लिए गुरुदेव के चिंतन-दर्शन और परिश्रम का साकार अवतार है. भारत के लिए गुरुदेव ने जो सपना देखा था, उसे मूर्त रूप देने के लिए देश को ऊर्जा देने वाला संस्थान है.
पीएम मोदी ने कहा कि 2015 में यूनिवर्सिटी के योग डिपार्टमेंट की लोकप्रियता तेजी से बढ़ रही है. हमारा देश विश्वभारती से निकले संदेश को दुनिया में पहुंचा रहा है.