हठधर्मी नहीं किसानों के साथ सहानुभूतिपूर्ण रवैया अपनाकर कृषि कानून वापस ले सरकार : मायावती

अखिलेश बोले, ये कृषि-कानून नहीं भाजपा का शिकंजा

लखनऊ। केन्द्र और उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से नए कृषि कानूनों पर लगातार स्थिति स्पष्ट किए जाने के बावजूद विपक्ष की सियासत जारी है। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की सुप्रीमो व पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने शनिवार को कहा कि केन्द्र की सरकार को, हाल ही में देश में लागू तीन नए कृषि कानूनों को लेकर आन्दोलित किसानों के साथ हठधर्मी वाला नहीं बल्कि उनके साथ सहानुभूतिपूर्ण रवैया अपनाकर उनकी मांगों को स्वीकार करके, उक्त तीनों कानूनों को तत्काल वापस ले लेना चाहिए, बीएसपी की यह मांग है। मायावती इससे पहले भी किसानों के आन्दोलन का समर्थन करते हुए केन्द्र सरकार से उनकी मांगों को मानने की अपील कर चुकी हैं।

वहीं समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने आज कहा कि भाजपा ने कृषि-कानून बनाने से पहले किसानों के कानों को खबर तक न होनी दी, अब ‘किसान सम्मेलन’ करके इसके लाभ समझाने का ढोंग कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि सच तो ये है कि किसानों का सच्चा लाभ स्वामीनाथन रिपोर्ट लागू होने से होगा, तभी आय दोगुनी हो सकती है। अखिलेश ने कहा कि ये कृषि-कानून नहीं भाजपा का शिकंजा हैं। अखिलेश ने इससे पहले कहा कि देश इस समय संक्रमण के दौर में है। कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे आन्दोलन में 24 किसान शहीद हो चुके हैं। दम्भी भाजपा सरकार अंग्रेजों से भी ज्यादा निर्दयी हो चुकी है। सर्वोच्च न्यायालय ने भी किसानों के आंदोलन के अधिकार को माना है। लेकिन, भाजपा सरकार अपनी बातें किसानों पर थोपने में लगी है। अखिलेश लोकसभा व उत्तर प्रदेश विधान सभा का सत्र बुलाने की मांग कर चुके हैं। सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष व प्रदेश के पूर्व कैबिनेट मंत्री ओमप्रकाश राजभर ने कहा कि कृषि सुधार के प्रति सरकार अपनी जिम्मेदारी से किनारा कर इसे निजी क्षेत्र के हवाले कर रही है। जब तक स्वामीनाथन रिपोर्ट लागू नहीं होगा तब तक इस देश के किसानों का भला नहीं हो सकता है। मौजूदा कृषि कानून अन्नदाता के गले की फांस है।

वहीं विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने कहा है कि विरोधी राजनीतिक दल अपनी स्वार्थ की रोटियां सेंक रहे हैं। उन्हें पता है, कृषि कानून किसानों का सर्वांगीण विकास करने वाला है। लेकिन, अपनी असफलताओं से ध्यान भटकाने के लिए असत्य और भ्रांतियां फैला रहे हैं। उन्होंने कहा कि 15 साल में कृषि विकास से संबंधित कोई कार्य नहीं किया गया। लेकिन, प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री ने कृषि एवं किसान पर ध्यान दिया है। सरकार आज किसानों को खेती से जुड़ी विभिन्न नई-नई जानकारियां देने के लिए ब्लाक स्तर पर किसान मेले का आयोजन कर रही है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में साढ़े तीन साल में तीन सौ करोड़ कृषि शिक्षा के नाम पर सरकार ने दिया है, जो अब तक हिन्दुस्तान के किसी भी प्रदेश की सरकार ने नहीं किया। प्रदेश के 40 से अधिक कृषि विज्ञान केंद्रों को दो करोड़ से लेकर ढाई करोड़ तक देकर उन्हें सक्षम बनाया जा रहा है। किसान सम्मान निधि योजना का देश के तमाम किसान लाभ ले रहे हैं। किसानों के विकास के लिए किसान नीति में बदलाव जरूरी है।

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com