सीएम योगी की पहल का दिखने लगा असर!

बीसी सखी योजना में चयनित हुई 56875 अभ्यर्थी, हर सखी को मिलेगा प्रशिक्षण

लखनऊ : राज्य के ग्रामीण इलाकों में महिलाओं को रोजगार मुहैया कराने के लिए मुख्य मंत्री योगी आदित्यनाथ ने बीती 22 मई को प्रदेश में जिस बीसी (बैंकिंग करेस्‍पॉन्‍डेंट) सखी योजना शुरु करने का ऐलान किया था। अब उस पर अमल होना शुरू हो गया है। इस योजना के तहत राज्य की 58532 ग्राम पंचायतों में एक-एक बीसी सखी की तैनाती करने के लिए प्रथम चरण में 56875 बीसी सखी को प्रशिक्षण देने के लिए शार्टलिस्ट किया गया है। आनलाइन मिले 2,16, 000 आवेदनों में से 56875 महिलाओं को प्रथम चरण में शार्टलिस्ट किया गया है। अब इनको प्रशिक्षण देने का निर्देश राज्य के सभी जिलाधिकारियों को शासनस्तर से दिए गए हैं। प्रदेश शासन का प्रयास है कि नए साल में इस योजना के तहत बीसी सखी बैंकों से जुड़कर पैसों का लेनदेन गांवों में घर-घर जाकर करवाने लगें। यह लेनदेन डिजिटल होगा।

राज्य के ग्रामीण क्षेत्र में पहली बार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के प्रयास से महिलाओं को इतनी बड़ी संख्या में रोजगार तो मिला ही है, गांवों में बैकिंग लेनदेन को भी बढ़ावा मिलेगा। अभी हर गांव में बैंक नहीं थे, जिसके चलते तमाम सरकारी योजनाओं के तहत मिलने वाली धनराशि प्राप्त करने के लिए ग्रामीणों को कस्बे में स्थित बैंक में जाना पड़ता था। ग्रामीणों की इस दिक्कत का संज्ञान लेते हुए ही मुख्यमंत्री ने ग्रामीणों को बैकिंग सुविधा का लाभ उनके गाँव और घर में देने के लिए बीसी सखी योजना शुरू करने का फैसला आठ माह पहले लिया था। योजना के तहत अब प्रथम चरण में 56875 महिलाओं को चयनित किया गया है।

राज्य के अपर मुख्य सचिव ग्राम्य विकास मनोज कुमार ने सभी जिलाधिकारियों को बैकिंग करेस्पांडेंट सखी के लिए शार्टलिस्टेड महिलाओं का प्रशिक्षण शुरू कराने का निर्देश दिया है। हर जिले में 30-30 बैच में बीसी सखी को एक -एक सप्ताह का प्रशिक्षण मिलेगा। प्रशिक्षण के बाद बीसी सखी के लिए आरबीआई के निर्देशों के अतंर्गत इन्डियन इंस्टीट्यूट आफ बैंकिग एंड फाइनेंस द्वारा कराई जाने वाली परीक्षा पास करनी होगी। जिसके बाद विभिन्न बैंकों में बीसी सखी का चयन होगा और उन्हें लैपटाप से लेकर अन्य जरूरत के उपकरण दिए जाएंगे। जिनके माध्यम से ये लोगों को बैकिंग सुविधा का लाभ मुहैया कराएंगी।

इसके साथ ही सरकार ने बैकिंग सखियों की आमदनी बढ़ाने के लिए एक और नई जिम्मेदारी भी जिलाधिकारियों के कंधों पर डालने का फैसला लिया है। ये सखियां स्वयं सहायता समूहों के लिए समूह सखी की भूमिका भी निभाएंगी। इसके एवज में इन्हें 1200 रुपये प्रति माह अतिरिक्त की आय होगी। गौरतलब है कि बैकिंग सखी का काम शुरू करने पर छह महीने तक इन्हें सरकार की तरफ से 4000 रुपये महीने दिए जाने हैं। इसके अलावा लेन-देन के एवज में बैंकों से कमीशन भी मिलेगा। समूह सखी के रूप में बैकिंग सखियों की जिम्मेदारी समूहों की बैठकों का मिनट तैयार करना तथा वित्तीय लेन देन का लेखा जोखा रखने की होगी। चूंकि बैंकिंग सखी के चयन में समूह सखी को वरीयता दी गई है, लिहाजा अधिकांश बैकिंग सखी के रूप में समूह सखियों का चयन होना तय माना जा रहा है। बैकिंग सखी समूहों के लेन देन का डिजिटल ट्रांजेक्शन करेंगी। इससे राज्य में डिजिटल लेन देन को बढ़ावा भी मिलेगा।

ग्रामीण क्षेत्रों में बैकिंग की सुविधा का लाभ पहुँचाने पर जहां लोगों को लाभ मिलेगा, वही सरकार और बैंकों का खर्च भी बढ़ेगा। एक बैंकिंग सखी पर करीब एक लाख दो हजार दो सौ रुपये खर्च आएगा। इस धनराशि में से प्रशिक्षण पर 2400 रुपये, पुस्तक व सर्टिफिकेशन 800 रुपये, इक्यूपमेंट पर 50 हजार रुपये, ओवर ड्राफ्ट फेसिलिटी पर 25 हजार रुपये, तथा छह माह के मानदेय पर 24 हजार रुपये खर्च होगा। इक्यूपमेंट व ओवर ड्राफ्ट की धनराशि ब्याज रहित लोन के रूप में स्वयं सहायता समूह के माध्यम से उपलब्ध कराई जाएगी। इसके अलावा सरकार प्रदेश सरकार ने बिजनेस कॉरेस्पांडेंट सखी (बीसी सखी) को दो सेट ड्रेस भी नि:शुल्क देने का फैसला किया है। ड्रेस डिजाइन करने की जिम्मेदारी निफ्ट रायबरेली को सौंपी गई है। ड्रेस तैयार करने का काम वाराणसी, मऊ और मुबारकपुर के बुनकर करेंगे।

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