लखनऊ : विजय दिवस के अवसर पर आज लखनऊ छावनी में मध्य कमान के वार मेमोरियल ‘स्मृतिका’ पर सशस्त्र बलों की तीन सेवाओं के बहादुर सैनिकों याद किया गया जिन्होंने अपने प्राणों की आहुति देकर 16 दिसंबर 1971 को देश को अपनी सबसे बड़ी सैन्य जीत दिलाई । इस युद्ध में भाग लेने वाले सैनिकों को सम्मानित भी किया गया। आज दिन की शुरुआत ‘स्मृतिका’ वार मेमोरियल पर एक श्रद्धांजलि समारोह के आयोजन के साथ हुई। इस अवसर पर मध्य कमान के चीफ ऑफ स्टाफ लेफ्टिनेंट जनरल एमयू नायर ने ‘स्मृतिका’ पर पुष्पांजलि अर्पित कर वीर शहीदों को सलामी दी । इस दौरान लखनऊ गैरिसन के सैन्य अधिकारियों और सैनिकों ने भी देशभक्ति की धुनों के बीच स्मृतिका वार मेमोरियल पर पुष्पांजलि अर्पित कर शहीदों को श्रद्धांजलि दी । इस अवसर पर शहीद सैनिकों के सम्मान में दो मिनट का मौन रखा गया।
इस दिन,1971 में, पाकिस्तानी सेनाओं के प्रमुख, जनरल आमिर अब्दुल्ला खान नियाज़ी ने युद्ध में अपनी हार के बाद 93,000 सैनिकों के साथ, भारतीय सेना और मुक्तिबाहिनी की सहयोगी सेनाओं के सामने ढाका में रोमाना रेस कोर्स, अब सुहरावर्दी उद्यान, में आत्मसमर्पण कर दिया। इस युद्ध का नेतृत्व भारत के जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा ने किया था। यह युद्ध 03 दिसंबर 1971 को शुरू हुआ और 14 दिनों तक चला। भारतीय सेना ने इस युद्ध में पाकिस्तान की आधी से अधिक आबादी को बंगलादेश के रूप में मुक्त कराया और पाकिस्तानी सेना के लगभग एक-तिहाई हिस्से को बंदी बना लिया। भारतीय सेना के जवानों ने पूर्वी और पश्चिमी दोनों मोर्चों पर इस युद्ध में असाधारण वीरता के साथ संघर्ष किया और विश्व सैन्य इतिहास में अब तक की सबसे शानदार जीत दर्ज की।