कर्नाटक में हुए विधानसभा चुनावों में भले ही बीजेपी बहुमत हासिल करने से कुछ सीटों से पीछे रह गई हो. लेकिन उनके द्वारा सबसे बड़ी पार्टी का ओहदा हासिल करने के बाद से दक्षिण की क्षेत्रीय पार्टियों के लिए खतरे की घंटी बज गई है. इस जीत के बात बीजेपी के मंसूबे भी साफ हो गए हैं कि वे अब भारत के दक्षिणी भू-भाग में अपनी विजय पताका फैलाने के लिए आमादा हैं.
चूंकि, यह चुनाव 2019 लोकसभा इलेक्शन के पहले हुआ है इसलिए इस पर देश की सभी पार्टियों की नजरें थीं. खासतौर पर कर्नाटक के पड़ोसी राज्यों की पार्टियां इस चुनाव में खासी दिलचस्पी ले रही थीं. जैसा कि नतीजा बीजेपी के पाले में आया है, इसलिए तेलंगाना की टीआरएस और आंध्र प्रदेश की टीडीपी के लिए खतरे की घंटी बज गई है.अपनी पार्टी को राष्ट्रीय स्तर पर ले जाने के लिए तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव 2019 लोकसभा चुनाव के लिए विभिन्न क्षेत्रीय पार्टियों का सहयोग बटोरने में लगे हुए हैं ताकि वह केंद्र में बीजेपी और कांग्रेस को टक्कर दे सकें.
बातचीत में टीआरएस के वरिष्ठ नेता केशव राव ने कहा, “अभी तक कोई विकल्प मौजूद नहीं है. राहुल मोदी को चुनौती नहीं दे सकते.साल 2019 में मुकाबला मोदी बनाम क्षेत्रीय पार्टी के बीच होगा. सत्तारूढ़ पार्टी को चुनौती देने के लिए, क्षेत्रीय पार्टियों में आपसी गठबंधन की ज़रूरत है. क्षेत्रीय पार्टियों को एक मकसद के साथ इकट्ठा होना चाहिए और केंद्र की ओर कदम बढ़ाने चाहिए.”अपने इस प्रस्ताव को लेकर हाल ही में तेलंगाना के मुख्यमंत्री जेडीएस के चीफ देवगौड़ा से मिलने के लिए बेंगलुरु गए थे और पार्टी से समर्थन को लेकर बातचीत की थी. केसीआर ने कर्नाटक में लोगों से गुजारिश की थी कि जेडीएस को वोट दें. केशव राव ने कहा, “टीआरएस पार्टी के समर्थन के चलते जेडीएस ने ज्यादा सीटें जीतीं. केसीआर ने खुले तौर पर लोगों से जेडीएस को वोट देने के लिए कहा था जिसकी वजह से पार्टी ने ज्यादा सीटें जीतीं.”
वैसे कर्नाटक चुनाव का नतीजा बीजेपी की दोस्त से दुश्मन बनी टीडीपी पार्टी के लिए भी बुरी खबर है. टीडीपी चीफ और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू और अन्य नेताओं ने कर्नाटक के तेलुगू भाषी लोगों से खुले तौर पर अपील की थी वे उस पार्टी को कतई वोट न करें, जिसने राज्य को धोखा दिया है और लोगों के साथ अन्याय किया है.लेकिन इस अपील के बावजूद बीजेपी तेलगु बहुल क्षेत्र हैदराबाद-कर्नाटक क्षेत्र में अपने सीटों के नंबर में बढ़ोतरी करने में कामयाब रही. बीजेपी जनरल सेक्रेटरी राम माधव ने ट्वीट करते हुए लिखा, “कर्नाटक में टीडीपी और चंद्रबाबू नाडयू ने वो सब किया जिससे तेलगु वोटर्स बीजेपी को वोट न दें. लेकिन हैदराबाद-कर्नाटक क्षेत्र जहां तेलगु भाषी लोग सबसे ज्यादा रहते हैं वहां बीजेपी ने अपनी सीटों की संख्या 6 से 20 कर ली. लोगों ने सीबीएन की राजनीति को नकार दिया. हमारा दक्षिण भारत का अभियान शुरू हो गया है.”
वैसे टीडीपी की प्रवक्ता मुलापुडी रेनुका ने मोदी लहर को सिरे से खारिज किया है और न्यूज18 को बताया कि लोगों ने लोकल मुद्दों को लेकर वोट डाले हैं. रेनुका ने कहा, “लोगों ने मोदी पर भरोसा जताया है लेकिन उन्होंने इस बात की ओर नहीं सोचा कि जो मोदी ने वादे किए थे वे पूरे नहीं किए हैं. मोदी राजनैतिक कोरियोग्राफर हैं और यह चुनाव उनकी साख का सवाल था इसलिए उन्होंने इसे जीतने के लिए हर तरह की कोशिश की. लेकिन कर्नाटक के नतीजे देश की मनःस्थिति को बिल्कुल नहीं बताते. यह दूसरे राज्यों में नहीं दोहराया जाएगा. उनकी खुद की सहायक पार्टियां नाखुश हैं, फिर चाहे वह शिवसेना हों या अकाली दल. वे साल 2019 में हारेंगे.
दो तेलगु राज्यों के चुनाव साल 2019 लोकसभा चुनावों के साथ होंगे. बीजेपी ने पहले से ही ऐलान कर दिया है कि उनका अगला निशाना तेलंगाना और आंध्रप्रदेश हैं. पार्टी दोनों ही तेलगु राज्यों में अपने बेस को मजबूत कर रही है. वैसे दोनों टीडीपी और टीआरएस दावा कर रही हैं कि वे बीजेपी को अपने राज्य में चुनौती के तौर पर नहीं देखते.
बीजेपी के दावे के खिलाफ बोलते हुए टीआरएस के नेता केशव राव ने कहा, “बीजेपी की जीत का श्रेय टीआरएस को जाना चाहिए क्योंकि उन्होंने अपना घोषणा पत्र टीआरएस के घोषणापत्र से कॉपी किया था. उन्होंने उन विकास स्कीमों को कॉपी किया जो तेलंगाना में चल रही हैं और इस तरह से सीधे लोगों के दिलों को छू लिया. मोदी एक मजबूत प्रचारक हैं और कर्नाटक में ऐसा कोई नहीं है जो उन्हें चुनौती दे सके. तेलंगाना में टीआरएस मजबूत है, हमारे पास अच्छे नेता है और हमें बीजेपी से भी चुनौती मिलने की संभावना नहीं दिखाई देती.”
टीडीपी की प्रवक्ता रेणुका ने कहा, “आंध्र प्रदेश में बीजेपी की बहुत कम सीटें है. आंध्र प्रदेश का मानना है कि मोदी ने राज्य के साथ धोखा किया है. आंध्र में होने वाले चुनावों में मोदी को कोई वोट नहीं करेगा. हम चाहते हैं कि आंध्र प्रदेश के लोग चंद्रबाबू नायडू को पूरी 25 सीट जितवाएं ताकि वह राष्ट्रीय राजनीति की ओर अपना रुख कर सकें.”