दिल्ली एम्स के नर्सिंग कर्मचारियों की हड़ताल दूसरे दिन मंगलवार को भी जारी है। कर्मचारियों ने कोरोना काल में हड़ताल व मरीजों की सेवा नहीं करने पर दुख जताने के साथ खुद को इस कदम के लिए मजबूर बताया है। सोमवार को दिल्ली एम्स में नर्सिंग कर्मचारियों ने अपना काम छोड़कर परिसर में ही प्रदर्शन शुरू कर दिया था। दोपहर बाद कर्मचारियों ने हड़ताल की घोषणा कर दी, जो आज भी जारी है। नर्सिंग यूनियन का आरोप है कि एम्स प्रबंधन और सरकार उनकी मांगों को नहीं सुन रही है। अगर अभी भी उनकी मांगों पर संज्ञान नहीं लिया गया तो 16 दिसंबर से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर रहेंगे।
एक नर्सिंग कर्मचारी ने बताया कि यूनियन प्रशासन से बातचीत के लिए तैयार है। हमें किसानों के लिए बुरा लग रहा है लेकिन हम मजबूर हैं क्योंकि हमारी मांगें पूरी नहीं की गई हैं। हमने हड़ताल का नोटिस एक महीने पहले ही दे दिया था लेकिन फिर भी प्रशासन ने हमारी बात नहीं सुनी।
उधर हड़ताल की खबर ने पूरे एम्स में हड़कंप मचा दिया है। ओपीडी और आपातकालीन विभाग पर हड़ताल का ज्यादा असर नहीं पड़ा लेकिन अस्पतालों में भर्ती मरीजों के उपचार को लेकर दिक्कतें आना शुरू होंगी। इसी के चलते शाम को एम्स के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया का वीडियो संदेश यूनियन तक पहुंचा। डॉ. गुलेरिया का कहना है कि प्रबंधन और सरकार ने नर्सिंग यूनियन की सभी मांगों को स्वीकार लिया है, लेकिन एक मांग पर अभी तक सहमति नहीं है।
कर्मचारियों का वेतन बढ़ाने को लेकर इस मांग में छठवें वेतन आयोग की सिफारिशों पर जोर दिया है जोकि फिलहाल संभव नहीं है। इस दिशा में प्रबंधन की ओर से काम किया जा रहा है लेकिन महामारी के बीच जहां हर कोई एक जंग लड़ रहा है। ऐसे में कर्मचारियों की हड़ताल से न सिर्फ एम्स की छवि धूमिल होगी, बल्कि मरीजों को भी दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा।
एम्स नर्सिंग यूनियन के अध्यक्ष हरीश कुमार का कहना है कि लंबे समय से प्रबंधन के आगे अपनी मांगों को लेकर चर्चा चल रही है। एक महीने पहले ही यूनियन ने प्रबंधन को समय देते हुए कहा था कि अगर मांग पूरी नहीं हुई तो कर्मचारियों के पास अपना काम छोड़ने के अलावा दूसरा कोई विकल्प नहीं होगा।
हरीश का कहना है कि एम्स हर कर्मचारी और डॉक्टर का संस्थान है। यहां आने वाले सभी मरीजों की जिम्मेदारी भी उनकी है। नर्सिंग यूनियन यह कतई नहीं चाहती है कि मरीजों के उपचार में किसी प्रकार की बाधा आए, लेकिन प्रबंधन को यह भी सोचना चाहिए कि कर्मचारियों की मांग पर ध्यान नहीं दिया जाएगा तो वह कोरोना संकट में रात दिन कैसे अपना बेहतर योगदान कर सकेंगे।