57 वर्ष बाद सोमवती अमावस्या पर सूर्य ग्रहण बढ़ा रहा प्रभाव
भोपाल। मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि को सोमवती अमावस्या आज है। यह सोमवती अमावस्या वर्ष 2020 की अंतिम सोमवती अमावस्या है। इस दिन वर्ष का अंतिम पूर्ण सूर्य ग्रहण लगा है, हालांकि यह ग्रहण विदेशों में ही नजर आएगा। भारत में सीधे तौर पर नहीं, किंतु इसका जो सीधा प्रभाव पड़ रहा है वह भारत की वैश्विक राजनीति को लेकर है। ग्रह बोल रहे हैं कि विश्व की राजनीति में भारत का कद बढ़ेगा और वह निर्णय की अहम भूमिका में आनेवाले दिनों में साफ तौर पर दिखाई देने लगेगा। इसी क्रम में आगे 2021 में पड़ने वाले दो सूर्य ग्रहण जो भारत में नहीं दिखेंगे और न ही इनका कोई धार्मिक महत्व होगा। वर्ष 2021 का पहला सूर्य ग्रहण 10 जून को आंशिक रूप से तो दूसरा ग्रहण 4 दिसंबर को होगा। साथ ही 57 वर्ष बाद पंच ग्रह युति योग सोमवती अमावस्या पर बन रहा है। इस दिन यज्ञ, दान, तप, हवन व अनुष्ठान करने से सुख-सौभाग्य में वृद्धि होती है। इस दिन तुलसी जी की 108 बार प्रदक्षिणा करने से घर की दरिद्रता दूर होती है।
ज्योतिषाचार्य कुमार सुचित्र रघुनंदन आचार्य राजेश दुबे के अनुसार इस बार सोमवती अमावस्या पर पंच ग्रह युति बनी है। इसलिए वृश्चिक राशि में सूर्य, चंद्र, बुध व शुक्र केतु की युति रहेगी। इसी युति का वृश्चिक राशि के स्वामी मंगल से नवम पंचम दृष्टि संबंध भी बनेगा। वर्ष 1963 में पंचांग के पांच अंग जैसे थे वैसे ही 2020 में अमावस्या तिथि पर हैं जिसमें अमावस्या तिथि जेष्ठा नक्षत्र शूल योग चतुष्पाद करण वृश्चिक राशि का चंद्रमा पांच अंकों के साथ पंच ग्रही योग विशेष प्रबलता लिए हुए हैं। उन्होंने बताया कि इसका असर कूटनीतिक क्षेत्रों में देखने को मिलेगा। इस दृष्टि से देखें तो भारतीय विदेशी नीति आने वाले तीन वर्षों में बेहतर परिणाम देने वाली रहेगी। भारत का विश्व में प्रभाव बढ़ेगा। भारत दुनिया के नक्शे पर निर्णय के स्तर पर आनेवाले दिनों में अहम भूमिका निभाने जा रहा है।