केन्द्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद बोले, गड़बड़ी करने वाले जायेंगे जेल
पटना। केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने रविवार को कहा कि आज अगर किसानों के आंदोलन की आड़ में भारत को तोड़ने वाले टुकड़े-टुकड़े गैंग के लोग पीछे होकर आंदोलन के कंधे से गोली चलाएंगे तो उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। इस पर हम कोई समझौता नहीं करेंगे। दिल्ली में, महाराष्ट्र में, दंगा फैलाया अब किसानों के पीछे आ खड़े हो गए हैं। रविवार को वे बख्तियारपुर में कृषि कानून के पक्ष में बिहार भाजपा की ओर से आयोजित किसान चौपाल को संबोधित कर रहे थे। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि बिहार को एक लाख करोड़ का विशेष पैकेज मिला है। मखाना-लीची को विदेशों तक पहंचाने की कोशिश है। इस कानून के अंतर्गत किसान की जमीन पर कोई बंधन नहीं होगा। कोई भी किसानों को जमीन के मालिकाना हक से बेदखल नहीं कर सकेगा। अगर कोई गड़बड़ करेगा तो नरेंद्र मोदी और बिहार सरकार किसानों के पीछे खड़ी रहेगी। गड़बड़ी करने वाले जेल जाएंगे। उन्होंने कहा कि किसानों को पूरी आजादी मिलनी चाहिए कि उनकी फसल हिंदुस्तान में कहीं भी जा सकती है, कोई रोकेगा नहीं। आपकी फसल पर अलग से मंडी का टैक्स नहीं लगेगा। इस साल भारत सरकार ने एमएसपी के अंतर्गत 60 हजार करोड़ का धान खरीदा है, जिसमें से 60 प्रतिशत पंजाब से खरीदा गया।
रविशंकर प्रसाद ने कहा कि कांग्रेस बिल का विरोध कर रही है। राहुल गांधी को किसानी कितनी आती है, कभी राहुल गांधी आएं तो उनसे किसानी के बारे में पूछिये। 2019 में कांग्रेस ने अपने मेनिफेस्टो में मंडी सिस्टम खत्म करने की बात कही थी। आमलोगों ने कांग्रेस को पहले हराया, आगे भी हराएंगे। केंद्रीय मंत्री प्रसाद ने कहा कि बिहार में किसान सम्मान निधि का फायदा 80 लाख किसानों को पहुंचा है जिनको 8 हजार करोड़ रुपये दिये गये। ये नया कानून किसानों को ही मजबूत करेगा। उन्होंने कहा कि बिहार का किसान अच्छा टमाटर पैदा करता है, फसल पैदा करता है। अगर तमिलनाडु की कोई कंपनी आती है, किसान को अच्छे पैसे देती है तो किसान उन्हें अपना अनाज क्यों नहीं बेचेंगे, लेकिन कुछ लोगो की जिद्द है कि किसान मंडी में ही अपना अनाज बेचें। सिर्फ एक प्रदेश के लोग चाहते हैं कि किसान मंडी के चंगुल से बाहर नहीं निकले। भाजपा के प्रदेश महामंत्री व दीघा विधायक डॉ. संजीव चौरसिया ने किसानों से कानून के बारे में फैलाये जा रहे भ्रम से बचने का अनुरोध किया और बताया कि इसके बाद भी न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) जारी रहेगा। मंडियों की व्यवस्था भी जारी रहेगी। कोई भी किसानों को जमीन के मालिकाना हक़ से बेदखल नहीं कर सकेगा।