पंजाब से किसान ट्रैक्टर लेकर दिल्ली में चल रहे आंदोलन की ओर रवाना हो रहे हैं, तो दूसरी तरफ खन्ना के गांव इकोलाही के किसान गुरप्रीत सिंह अपनी गोभी की फसल पर ट्रैक्टर चला रहे थे। गुरप्रीत जैसे कई किसान निराशा और गुस्से में अपनी सब्जी की फसलों को बर्बाद कर रहे हैंं। उनकी पीड़ा है हरियाणा-दिल्ली बार्डर पर किसानों के आंदोलन के कारण उनकी सब्जियों की सप्लाई दिल्ली सहित अन्य जगहों पर नहीं हो पा रही है। इससे उनको अपनी सब्जियों के कौडि़यों के भाव मिल रहे हैं।
दरअसल किसान आंदोलन सब्जियों की खेती करने वाले कृषकों के लिए बड़ी मुसीबत बन गया है और वे घाटा सहने को मजबूर हैं। बिचौलिए व रिटेलर मुनाफा कमा रहे हैं, लेकिन किसान घाटे में हैं। नए कृषि कानूनों में किसानों की इन्हीं परेशानियों को दूर करने का प्रयास किया गया है।
बिचौलिए कमा रहे मुनाफा
-15 से 20 रुपये प्रति किलोग्राम बिक रही है गोभी रिटेल बाजार में
-2 से 3 रुपये प्रति किलोग्राम कीमत मिल रही है मंडी में किसानों को
-12 से 17 रुपये का मुनाफा कमा रहे बिचौलिए व रिटेलर
दिल्ली नहीं पहुंच पा रहा माल
आंदोलन के कारण किसानों की उपज दिल्ली मंडी तक नहीं पहुंच पा रही है। किसान गुरप्रीत सिंह भी अपनी गोभी लेकर लुधियाना की मंडी पहुंचे थे, लेकिन उन्हें यहां गोभी का भाव एक रुपये प्रति किलोग्राम मिला, जबकि बाजार में यह 15 से 20 रुपये प्रति किलो बिक रही है।
इसलिए बढ़ी परेशानी
दिल्ली तक सब्जी न पहुंचने से पंजाब की मंडियों में आमद बढ़ गई है। इसलिए भाव गिर रहे हैं। लुधियाना दाना मंडी में आढ़त का काम करने वाले गुलशन का कहना है कि मंडी में स्थानीय सब्जियों की आमद ज्यादा होने से कीमतें गिरना स्वाभाविक है। किसान आंदोलन इसी तरह रहा तो स्थिति और बिगड़ेगी।
मालेरकोटला में सबसे ज्यादा नुकसान
संगरूर के मालेरकोटला व उसके आसपास से बड़ी मात्रा में सब्जियां दिल्ली की मंडी में भी जाती हैं, जो अब नहीं जा रहीं। मालेरकोटला स्थित इंडिया ट्रेडिंग कंपनी के अरशद का कहना है कि यहां किसानों को गोभी की कीमत मुश्किल से एक रुपये प्रति किलोग्राम तक मिल पा रही। यहां से मूली, शलगम, ब्रोकली, गोभी की की सप्लाई होती है।
किसानों के पास कोई चारा नहीं
लुधियाना मंडी में मोगा, बठिंडा, पटियाला, संगरूर, मालेरकोटला से सब्जियां पहुंच रही हैं। लुधियाना दाना मंडी में गोभी लेकर पहुंचे मोगा के रंजीत सिंह ने 60 एकड़ में गोभी लगाई है। मालेरकोटला में कीमत नहीं मिलने के कारण वह लुधियाना पहुंचे, लेकिन यहां भी निराशा मिली। अब सस्ते में बेचने को मजबूर हैं।
राज्य खुद तय करें एमएसपी
केरल व तेलंगाना समेत कुछ राज्यों में लोकल उत्पाद की भी एमएसपी तय की गई है। इससे किसानों के सामने ऐसा संकट नहीं आता। गौरतलब है कि कुछ समय पहले कांग्रेस के पूर्व मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू ने अपनी ही सरकार को घेरते हुए यह मुद्दा उठाया था कि यदि राज्य सरकार ही अपने स्तर पर एमएसपी तय कर दे तो किसानों का संकट हल हो सकता है।
आलू उत्पादक भी परेशान
ऐसी ही हालत आलू उत्पादकों की भी है। बाजार में इसका भाव 40 रुपये प्रति किलोग्राम तक है, लेकिन जालंधर के लांबड़ा में किसानों को दो से तीन रुपये किलो भाव मिल रहा है।