कोविड-19 और किसान आंदोलन की मार अब पंजाब के सब्जी उत्पादक किसानों पर पड़ रही है। सब्जियों का रेट अर्श से फर्श पर आ गया है, जिससे किसानों को उनकी मेहनत का मोल तक नहीं मिल रहा। हालात यह है कि लुधियाना की सब्जी मंडी में गाेभी दाे रुपये किलाे बिक रही है। सर्वाधिक नुकसान गोभी उगाने वाले किसानों को भुगतना पड़ रहा है।
डिमांड कम और पैदावार अधिक होने के कारण मंडियों में गोभी के ढेर लगे हुए हैं। होलसेल में गोभी के दो से तीन रुपये प्रति किलो में भी किसानों को खरीदार नहीं मिल रहे। उन्हें इसे बेचने के लिए पूरा दिन मंडियों में गुजारना पड़ रहा है।
टमाटर-प्याज को छोड़कर अन्य सब्जियों की बात करें तो इनके दाम में भी काफी कमी आई है। किसानों के लिए चिंता की बात यह भी है कि अब आगे शादियों की सीजन नहीं है और उनके खेत सब्जियों से भरे पड़े हैं। किसानों का कहना है कि दिल्ली में चल रहे आंदोलन का भी असर पड़ा है। पहले जो सब्जी यहां से दिल्ली की मंडी में जाती थी, वह भी यहीं बेचनी पड़ रही है। दूसरा हरियाणा के किसान भी दिल्ली आंदोलन के कारण लुधियाना की मंडी में आकर सब्जियां बेच रहे हैं। इसी वजह से भी वहां पर उन्हें सही रेट नहीं मिल रहा है।
दूसरे जिलों से लुधियाना मंडी में आ रही गोभी
लुधियाना में पंजाब की सबसे बड़ी सब्जी मंडी है। यहां लुधियाना के आसपास के इलाकों के अलावा मोगा, बठिंडा, पटियाला, संगरूर, मालेरकोटला आदि जगहों के किसान भी सब्जी बेचने आते हैं। हालांकि इतनी दूर से यहां आने के बावजूद किसानों को सब्जी का सही दाम न मिल पाने से वे निराश हैं।
कहीं नहीं मिल रहा गोभी का सही दाम
मोगा से गोभी की ट्राली लेकर आए रंजीत सिंह का कहना है कि उन्होंने 60 किले खेत में गोभी लगा रखी है। उनके गांव में दूसरे किसानों ने भी काफी गोभी लगा रखी है, लेकिन कहीं भी गोभी का सही दाम नहीं मिल पा रहा है। इसकी दो मुख्य वजह हैं। एक तो शादी का सीजन नहीं है और दूसरा दिल्ली जाने वाली सब्जियां अब नहीं जा रही हैं।
सब्जी | थोक (रु. प्रति किलो) | रिटेल (रु. प्रति किलो) |
गोभी | 2-3 | 10 |
गाजर | 5 | 10 |
मटर | 15 | 40 |
घीया | 15 | 30 |
भिंडी | 20 | 30 |
मूली | 5 | 10 |
करेला | 30 | 40 |
शिमला | 30 | 50 |
बींस | 30 | 40 |
खीरा | 25 | 40 |
आलू | 20 | 30 |
प्याज | 30 | 40 |
नींबू | 20 | 30 |
अदरक | 30 | 40 |
पत्ता गोभी | 10 | 20 |
हरी मिर्च | 40 |